ब्रिगेडियर चीमा जी, एक सक्षम सेना अधिकारी और मिशन के एक भक्त हैं जिन्होंने जीवन के हर पहलू में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और सभी को अपने अनुशासन, समर्पण और संत गुणों से प्रेरित किया। आप जी 14 मार्च, 1949 को जन्मे, उनका जन्म सतगुरु की शिक्षा के साथ एक दिव्य और आध्यात्मिक माहौल में हुआ था। उन्होंने जुलाई 1956 में ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया। एक बुद्धिमान और मेहनती युवा परमिंदर जी एक ईमानदार भक्त थे, जिन्होंने खेल, शिक्षा और कई अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वह भारतीय सेना में शामिल हो गए, जहां भी उन्होंने अपने आध्यात्मिक संपर्क को बनाए रखा अपने समकालीनों को विश्वास और अच्छाई के साथ प्रेरित करना। उन्हें डॉ.ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा डी.आर.डी.ओ. प्रौद्योगिकी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
29 अप्रैल, 2006 को ब्रिगेडियर चीमा जी को परम पावन सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने कार्यसमिति का सदस्य बनाया और उसके बाद 28 अप्रैल, 2007 से कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने और समाज कल्याण से जुड़े। , स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग। ब्रिगेडियर चीमा जी सुरक्षा पर सलाहकार समिति के सदस्य भी थे। उन्हें सत्गुरू बाबा जी द्वारा 01 मई, 2007 को ब्रह्मज्ञान देने की प्रमीशन मिली और उन्हें 12 अप्रैल, 2010 को संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य के रूप में भी मनोनित किया गया था।
वर्तमान में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा 2018 में चीमा जी को मंडल के महासचिव की सेवा दी गई और इसके इलावा वे मैम्बर इंचार्ज के रूप में स्वास्थ्य, आई.टी, सुरक्षा, स्टूडियो और दूरसंचार के विभागों की देखभाल कर रहे थे। वह मिशन के आगामी संत निरंकारी हेल्थ सिटी प्रोजेक्ट की रीढ़ भी थे। भौतिक दुनिया से उनका जाना मिशन के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
ब्रिगेडीयर चीमा जी ने अपने महान आध्यात्मिक जीवन द्वारा मानवता की सेवा में एक अमिट छाप छोड़ी है जो आने वाली पीढियों के लिए मार्गदर्शक एवं प्रेरणा का स्रोत बनीं रहेगी। आपकी सेवाओं को निरंकारी मिशन सदैव ही याद रखेगा।
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