बठिडा. सोमवार देर शाम कुत्तों के नोचने से हुई पांच साल की अदिती की मौत के लिए लोग नगर निगम बठिडा को भी जिम्मेवार मान रहे हैं। कारण, कई सालों से इन आवारों कुत्तों की जनसंख्या पर कंट्रोल करने के लिए कोई भी ठोस कदम निगम ने नहीं उठाए। हर बार निगम की नींद तब टूटती है, जब शहर में कोई घटना घटित होती है। मंगलवार को हुई इस दर्दनाक घटना के बाद भी निगम अधिकारियों की नींद खुली है। कुत्तों की नसबंदी की योजना को शुरू करने के लिए गठित कमेटी की मीटिग बुधवार को बुला ली गई है। बेशक निगम आगामी दिनों में नसबंदी योजना को शुरू करने का दावा कर रहा है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह मुहिम जल्द शुरू होगी या नहीं। या फिर निगम अदिती की तरह और मासूम के साथ घटना होने के बाद ही यह योजना शुरू करेगा।
दरअसल, इन दिनों शहर में लावारिस कुत्तों की संख्या शहरवासियों के
लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। आए दिन छोटे बच्चों या बड़ों को लावारिस कुत्ते द्वारा
काटने या नोचने के मामले सिविल अस्पताल में आते हैं, लेकिन इस समस्या से बेखबर नगर
निगम बठिडा के अधिकारी कान में तेल डालकर सोए हुए हैं। शहर के 50 वार्डो में कुत्ते लोगों के लिए
खौफ का कारण बने हुए हैं। आलम यह है कि बठिडा शहर की सड़कों पर करीब साढ़े आठ हजार
लावरिस कुत्ते घूम रहे हैं, जोकि आए
दिन किसी न किसी मासूम बच्चे, महिला या व्यक्ति को अपना शिकार बन रहे हैं। विवादों में रही
साल 2016 में हुई 2350 कुत्तों की नसबंदी
निगम की ओर से वर्ष 2016 में करीब 2350 कुत्तों की नसबंदी की गई थी, जो विवादों में घिरी रही। नसबंदी करने वाली अलीगढ़ की तृप्ति फाउंडेशन द्वारा कुत्तों के आपरेशन करने के दौरान आधा दर्जन से अधिक कुत्तों की मौत हो गई थी जबकि कई गंभीर जख्मी हो गए थे। इस लापरवाही का बेशक फाउंडेशन खामियाजा भी भुगत चुकी है। कुत्तों की मृत्यु से पहले 1646 कुत्तों की नसबंदी का लगभग साढ़े 11 लाख रुपये का उसे भुगतान हो चुका था, लेकिन बाद के 684 कुत्तों की नसबंदी की करीब पांच लाख रुपये की अदायगी न करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा नगर निगम की ओर से पिछले साल भी कुछ कुत्तों की नसबंदी करवाई गई थी। एक कुत्ते की नसबंदी पर लगभग 900 रुपये का खर्च आता है। फंड्स के अभाव कारण भी ये योजना पिछड़ती रहती है।
दो माह बाद भी शुरू नहीं हो पाई फैंसिंग
निगम ने दिसंबर 2020 में नसबंदी करने की योजना पर एक बार से काम शुरू किया था। इसके तहत कुत्तों को रखने के लिए फैंसिग का काम शुरू करवाया था। इनकी नसबंदी व आपरेशन का ठेका एक फर्म को दे दिया गया है। एक कुत्ते की नसबंदी पर 798 रुपये खर्च निगम करेगा। नसबंदी और आपरेशन के बाद छह दिन तक इन कुत्तों को माहिर स्टाफ की निगरानी में रखना होता है ताकि किसी की मौत न हो पाए। यह काम शुरू करने से पहले नसबंदी या आपरेशन करने के बाद इन्हें रखने के लिए जगह की व्यवस्था की जा रही है। डबवाली रोड पालिक्लीनिक में इन्हें रखने के लिए फैंसिग करवाई गई, लेकिन दो माह बाद भी नसंबदी शुरू नहीं हो सकी।
- पहले नसंबदी में विवाद होने के कारण निगम द्वारा एनजीओ की एक टीम बनाई गई है, जिसकी देखरेख में यह योजना चलेगी और नसंबदी का काम होगा। उसकी एक मीटिग पहले भी हो चुकी है और दूसरी मीटिग बुधवार को बुलाई गई है। आगामी दिनों में नसंबदी शुरू हो जाएगी। निगम द्वारा करवाए गए सर्वे के अनुसार शहर में 8750 कुत्ते हैं, जिसमें 560 की नसंबदी पहले ही हो चुकी है।
--विक्रमजीत सिंह शेरगिल, निगम निगम कमिश्नर