चंडीगढ़ [एएनआइ]। पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में अपनी रणनीति के बूते कांग्रेस को जोरदार एकतरफा जीत दिलाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ जुड़ गए हैं। यह जानकारी खुद पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर दी है। कैप्टन ने लिखा कि उन्होंने प्रशांत किशोर को अपना प्रधान सलाहकार नियुक्त किया है। हम पंजाब के लोगों की भलाई के लिए एक साथ काम करने के लिए तत्पर हैं।
प्रशांत किशोर की नियुक्ति को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। प्रशांत किशोर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलेगा। पिछले विधानसभा चुनाव में भी कैप्टन की जीत में प्रशांत किशोर की रणनीति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।दस वर्षों से सत्ता से बाहर रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करने में प्रशांत किशोर सफल रहे। शुरुआत 'कॉफी विद कैप्टन से की गई। प्रशांत किशोर की करीब छह सौ प्रोफेशनलों की टीम ने दिन-रात काम कर कैप्टन को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करने में सफलता हासिल की। तब प्रशांत के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंजाब में कैप्टन की महाराजा वाली कड़क छवि को खत्म करने की थी, जिसमेंं वह सफल रहेेे। अब एक बार फिर पंजाब में चुनाव के लिए बस एक वर्ष से कम का समय है। इस बार सरकार के सामने चुनौती होगी कि वह कैसे दोबारा लोगों का विश्वास हासिल करे। प्रशांत किशोर को एक बार फिर अपने साथ जोड़कर कैप्टन ने बाजी मारी है।
बता दें, इससे पहले गत वर्ष भी प्रशांत किशोर के कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ जुड़ने की चर्चाएं हुई थी। तब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि प्रशांत किशोर हमारी मदद करेंगे। प्रशांत किशोर से उन्होंने पंजाब में कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति बनाने पर बात की है। इस पर प्रशांत किशोर ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। अब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है कि प्रशांत किशोर उनके साथ जुड़ गए हैं।
पंजाब के चीफ मिनिस्टर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोमवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अपना प्रिंसिपल एडवाइजर बनाया है। वह 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति तैयार करने में मदद करेंगे। प्रदेश सरकार ने उन्हें कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा दिया है। हालांकि, प्रशांत किशोर की सैलरी एक रुपया होगी।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि हम पंजाब के लोगों की भलाई के लिए एक साथ काम करने के लिए तैयार हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पार्टी की प्रमुख सोनिया गांधी के साथ इस मुद्दे पर बात की थी। उन पर ही फैसला छोड़ दिया था। प्रशांत किशोर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
UN के लिए काम किया फिर चुनावी रणनीतिकार बने
- प्रशांत किशोर यूनाइटेड नेशन्स के हेल्थ वर्कर रहे हैं। 2011 में वे भारत लौटे और पॉलिटिकल पार्टियों के इलेक्शन कैम्पेन संभालने लगे।
- उन्होंने सबसे पहले बीजेपी और नरेंद्र मोदी के साथ गुजरात में कैम्पेन शुरू किया। 2012 में उन्होंने नरेंद्र मोदी को गुजरात का CM बनाने के लिए कैम्पेन की कमान अपने हाथों में ली। तब प्रशांत गुजरात के सीएम हाउस में रहते थे।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत नरेंद्र मोदी के कैम्पेन स्ट्रैटजिस्ट्स थे। तब BJP को पूर्ण बहुमत मिलने के पीछे उनकी रणनीति का भी हाथ रहा।
- इसके बाद प्रशांत किशोर अपनी रणनीति के बलबूते बिहार चुनाव में नीतीश और लालू के साथ महागठबंधन की सरकार बनवाने में सफल रहे।
- इसके बाद ही कांग्रेस ने यूपी और पंजाब सहित बाकी राज्यों के चुनावों में जीत दिलाने के लिए प्रशांत किशोर को अपने साथ किया था।
प्रशांत का अब तक का रिकॉर्ड
1. यूपी में कांग्रेस को बुरी तरह हार मिली
यूपी में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह हार मिली। तब भी प्रशांत किशोर कांग्रेस के रणनीतिकार थे। पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। चुनाव नतीजे आने के बाद प्रशांत किशोर ने इस हार के लिए सपा के साथ गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि यूपी में टॉप मैनेजमेंट ने मुझे खुलकर काम नहीं करने दिया, ये हार उसी का नतीजा है। कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ 7 सीटें मिली थीं। ये आजादी के बाद पार्टी का अब तक का सबसे खराब परफॉर्मेंस था।
2. JDU के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने, फिर रिश्ते खराब हुए
बिहार चुनाव में JDU की बेहतरीन जीत के बाद नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को पार्टी जॉइन कराई थी। उन्हें जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद दोनों के रिश्तों में खटास आ गई। एक दिन अचानक प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजनीतिक पार्टी बनाने के संकेत दिए।
उन्होंने ऐलान किया था कि वे बिहार को अगले 10 साल में देश के अग्रणी राज्य में ले जाने वाला प्लान लेकर आए हैं। इसके तहत अगले 100 दिनों तक प्रदेश के चप्पे-चप्पे में मौजूद बिहार का विकास चाहने वालों को जोड़ेंगे। ऐलान के 30 दिन बाद ही प्रशांत प्रदेश की राजनीति में निष्क्रिय हो गए।
3. आंध्रप्रदेश में जगन मोहन की सरकार बनवाई
लोकसभा चुनाव 2014 में प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने जिस तरह से भाजपा के लिए काम किया, उससे राजनीतिक दलों की नजर में उनका महत्व बढ़ता चला गया। PK के नाम से मशहूर हुए प्रशांत की टीम ने आंध्रप्रदेश में YSR कांग्रेस के लिए काम किया और एन.चंद्रबाबू नायडू जैसे राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी को मात देकर वाईएस जगनमोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बनवाया।
4. तमिलनाडु में डीएमके के साथ
इस साल तमिलनाडु में भी चुनाव होना है। यहां सीधा मुकाबला DMK और AIADMK के साथ है। AIADMK का भाजपा के साथ गठबंधन है। बीच में ऐसी खबरें आई थीं कि प्रशांत किशोर की DMK प्रमुख एमके स्टालिन से बात हो चुकी है। प्रशांत की कंपनी आई-पैक तमिलनाडु में चुनावी प्रबंधन के लिए वॉलंटियर की तैनाती करेगी।
तमिलनाडु की सियासत के एम. करुणानिधि और जयललिता के निधन के बाद कोई बड़ा नेता नहीं है। विधानसभा चुनाव में नाकामी मिलने के बाद DMK ने लोकसभा चुनाव में 38 सीटें जीत ली थीं।
5. बंगाल में ममता के लिए काम कर रहे
प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि, TMC के नेताओं को प्रशांत का दखल पसंद नहीं आया। ममता के साथ पार्टी बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले मुकुल रॉय 2017 में अलग होकर भाजपा में गए थे। अब तो जैसे सिलसिला ही शुरू हो गया है। पिछले कुछ महीनों में शुभेंदु अधिकारी, राजीब बनर्जी और वैशाली डालमिया समेत कई बड़े जमीनी नेता ममता का हाथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं।
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