पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय ने 12वां स्थापना दिवस मनाया
बठिंडा: पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) ने अपने 12वें स्थापना दिवस को अपने गुड्डा परिसर में बड़े उत्साह के साथ मनाया। शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में सीयूपीबी के 12 गौरवशाली वर्ष पुरे होने के उपलक्ष में आयोजित आठ-दिवसीय समारोह 28 फरवरी को एक विशेष कार्यक्रम के साथ संपन्न हुआ। कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में आयोजित यह समारोह विशेष था क्योंकि इसमें सांस्कृतिक गतिविधियाँ, पंजाब के स्थानीय खेलों को प्रोत्साहित करती स्पोर्ट्स मीट, आईडियाथोन, फूड कार्निवल, अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान प्रश्नोत्तरी और विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रम शामिल थे। सीयूपीबी स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि नालंदा विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति पद्म भूषण प्रो. विजय पी. भटकर थे। विश्वविद्यालय की प्रथम महिला श्रीमती करुणा तिवारी ने विशेष अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में भाग लिया।
इस आठ-दिवसीय समारोह के दौरान प्रशंसित शिक्षाविदों जैसे डॉ. रेणु स्वरूप (सचिव, डीबीटी), पद्म विभूषण प्रो. एम.एम. शर्मा (पूर्व निदेशक, रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई), प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे (अध्यक्ष, एआईसीटीई) ने विशेषज्ञ व्याख्यान के साथ छात्रों को ज्ञानवर्धन किया। इसके अलावा, 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को चिह्नित करने के लिए आयोजित अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के दौरान प्रो. शेखर सी. मांडे (डीजी, सीएसआईआर) ने उद्घाटन भाषण दिया।
स्थापना दिवस समारोह कार्यक्रम के दौरान, पद्म भूषण प्रो. विजय पी. भटकर ने 12 वर्षों के कम समय में उच्च शिक्षा क्षेत्र में नए मानक स्थापित करने और एनआईआरएफ रैंकिंग 2020 में देश के 100 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की श्रेणी में सबसे युवा केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थान प्राप्त करने के लिए पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के संकाय, स्टाफ सदस्यों और छात्रों को बधाई दी। उन्होंने शोधकर्ताओं को अंतरानुशासनिक अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने और सामाजिक समस्याओं के अभिनव समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित किया।
अपने अध्यक्षीय भाषण में, कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय बारह वर्ष पूरे होने पर सीयूपीबी परिवार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय एनईपी -2020 की सभी अनिवार्यताओं को लागु करते हुए नए ज्ञान की सिरजना करने और शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उच्च मानक स्थापित करने की विज़न को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस स्थापना दिवस उत्सव की विभिन्न गतिविधियों में उत्साहपूर्वक भाग लेने और भारत की समृद्ध एवं विविध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए विश्वविद्यालय में अध्ययनरत देश के विभिन्न राज्यों के छात्रों की सराहना की।
इस स्थापना दिवस समारोह के दौरान, विश्वविद्यालय के छात्रों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों और कर्मचारीगणों को उनके वार्षिक प्रदर्शन के आधार पर विशेष पुरस्कार और प्रशंसा प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। डॉ. खेतान शेवकानी ने सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार का खिताब प्राप्त किया। डॉ. अकलंक जैन (विज्ञान) और जनसंचार और मीडिया अध्ययन विभाग (मानविकी) के डॉ. रुबल कनौजिया को उत्कृष्ट अनुसंधान पुरस्कार मिला। डॉ. शशांक कुमार, डॉ. प्रफुल्ल कुमार, डॉ. अशोक कुमार, प्रो. राज कुमार, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. संदीप सिंह, डॉ. योगलक्ष्मी केएन, डॉ. कृष्ण कांत हलधर, डॉ. विनोद कुमार, प्रो. अंजना मुंशी, डॉ. पुनीत कुमार, डॉ. राकेश कुमार और प्रो पी.के. मिश्रा को शोध पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, प्रो राज कुमार को पांच प्रशंसा पत्र प्राप्त करने के लिए रोल ऑफ ऑनर पुरस्कार मिला। पीएचडी छात्र रतिंद्रनाथ विश्वास, अतुल कुमार सिंह, उत्तम शर्मा और निशांत कुमार ने अपने-अपने वर्ग में पुरस्कार प्राप्त किए। श्री पुनीत, सुश्री प्राची श्रीवास्तव और श्री परमिंदर सिंह को सर्वश्रेष्ठ गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए रजिस्ट्रार पुरस्कार मिला। इस अवसर पर कुलपति प्रो. तिवारी ने डॉ. पुनीत बंसल द्वारा लिखित पुस्तक फ्रंटियर्स इन फार्माकोलॉजी ऑफ़ नुरोत्रन्स्मिटर्स का विमोचन किया।
पुरस्कार वितरण समारोह के बाद, छात्रों ने शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। कुलसचिव श्री कँवल पल सिंह मुंदरा ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन दिया।
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