-गांव बलाढ़ेवाला पंचायत के फैसले को लेकर लोगों व आसपास की ग्राम पंचायतों में आक्रोश
-भारत सरकार, पंजाब सरकार व जापान सरकार को पत्र लिखकर ठेके पर देने की नीति बंद करने की मांग
बठिंडा. जिले के गांव बुलाढ़ेवाला में 25 साल पहले लोगों की भलाई के लिए जापान सरकार की तरफ से दिए अनुदान से कम्युनिटी सेंटर का निर्माण किया गया था। करीब 50 लाख से अधिक राशि जापान सरकार ने खर्च की थी जिसके चलते इस सेंटर को बुलाढ़ेवाला के साथ लगते दर्जनों गांवों के लोगों को निशुल्क समागम करने की सुविधा दी गई। वर्तमान में ग्राम पंचायत ने इस कम्युनिटी सेंटर को व्यवसिक मकदस के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इसे ड्रीम लैंड फिल्म सिटी का नाम देकर इसे मैरिज पैलेस बना दिया गया व अब अगर कोई यहां समागम करवाता है तो उसे भारी भरकम राशि का भुगतान करना पड़ता है। फिलहाल ग्राम पंचायत के इस फैसले का स्थानीय लोगों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है। वही कम्युनिटी सेंटर व गांव की हालत तबदील करवाने के लिए प्रयासरत रहे तत्कालीन आईएएस अधिकारी व विदेश फोरम में तैनात गुरदेव सिंह ग्रेवाल ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर पंचायत के इस फैसले का विरोध जताया है।
जापान सरकार की तरफ से लगभग 25 वर्ष पहले बठिंडा के पहले गांव बुलाढेवाला को कम्यूनिटी सैंटर बनाने हेतू लगभग 50 लाख रूपए की ग्रांट तत्कालिन विदेशी फोरम में तैनात आई.ए.एस अधिकारी गुरदेव सिंह ग्रेवाल के प्रयास से दी गई थी। देश की राजधानी दिल्ली स्थित उक्त अधिकारी विदेशी लेखा विभाग में तैनात थे जिन्होंने अपने गांव बुलाढेवाला को प्रफूलीत करने व स्मार्ट गांव बनाने हेतू प्रयास किया और जपान सरकार से बातचीत कर यह ग्रांट दिलवाई थी। लगभग 20 वर्ष तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस परियोजना का व्यापारीकरण वहां की पंचायत द्वारा कर दिया गया। गुरदेव सिंह ग्रेवाल रिटायरमेंट के बाद अस्ट्रेलिया में प्रवासी भारतीय बने लेकिन पिछले दिनों जब वह भारत लौटे व गांव में पहुंचे तो उन्हे अचंभा भी हुआ और दुख भी। ग्रेवाल ने कहा कि कम्यूनिटी हाल के आसपास के लगभग 2 दर्जन गांवों को फायदा हो रहा था। लोग समाजिक या धार्मिक कार्यक्रम के लिए इसका उपयोग करते थे। पीछे से पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर इस चार एकड़ भूमि पर कम्यूनिटी हॉल बना था। इसे व्यवसायिक लाभ के लिए कुछ व्यापारियों के हाथों में सौंप दिया और वहां ड्रीम लैंड फिल्म सिटी का निर्माण करवा दिया। जहां प्री-वैडिग कार्यक्रम किए जा रहे है।। ऐसे में विदेशी सरकार द्वारा लोगों की भलाई के लिए दिया गया अनुदान भी व्यर्थ हुआ। इस मामले को लेकर ग्रेवाल ने जिलाधीश से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई कि इस गोरखधंधे को बंद कर कम्यूनिटी सैंटर को लोगों की भलाई के लिए ही रखा जाए। इस का किराया इतना वसूला जाता है कि जो आम आदमी की पहुंच से बाहर है। उन्होंने कहा कि फिल्म सिटी बनने के बाद इसमें घपलों के आरोप के मद्देनजर वहां आयकर विभाग की छापामारी हुई थी और लगातार पांच दिन अधिकारी वहां बैठ कर जांच करते रहे। ठेकेदारों से भारी जुर्माना भी वसूल किया गया था। यहां तक की वहां बिजली बोर्ड की फ्लाइंग स्कुयड द्वारा भी छापामारी भी गई थी और जुर्माना भी लगा था।
उद्घाटन पर पहुंचे थे जपानी अधिकारी
दो वर्ष के निर्माण के बाद यह परियोजना मुक्कमल हुई थी जो आस पास के गांवों के लिए मिशाल भी बनी थी। 5 सितंबर 1998 को इसके उद्घाटन समारोह में जपान के दुतावास के प्रतिनिधी, जिला प्रशासन, आस-पास गांवों की पंचायतों और लोग शामिल हुए थे। पूरे भारत में जपान सरकार द्वारा केवल इसी गांव को ग्रांट दी गई थी व इसका एक लिखित एग्रीमैंट भी हुआ था कि इस कम्यूनिटी सैंटर का इस्तेमाल अन्य कार्यों व व्यवसायिक नहीं होगा बल्कि मानवता की भलाई के लिए ही इस प्रयोग होगा। इसको चलाने के लिए एक ट्रस्ट का भी गठन किया गया था जो ग्रांम पंचायत के अधीन कार्य करेगा। इस संबंधी गुरदेव सिंह ग्रेवाल द्वारा एक पत्र जपान के दुतावास, पंजाब सरकार, भारत सरकार व मिडीया को भेजी गई है। आस पास के लगभग 30 पंचायतों द्वारा इस चिठ्ठी पर हस्ताक्षर भी किए गए है।
- क्या कहते है गांव के सरपंच
गांव के सरपंच मनजीत सिंह का कहना है कि कम्यूनिटी सैंटर को ठेके पर देने का अधिकार पंचायत के पास है। चूंकि यह कम्यूनिटी सैंटर पंचायत की भूमि पर बना है इसलिए यह पंचायत के अधीन है और ट्रस्ट भी उनके अनुसार कार्य करता है। उन्होंने कहा कि पहले इस कम्यूनिटी सैंटर को 90 हजार रूपए प्रति वर्ष ठेके पर दिया गया था लेकिन अब उन्होंने 4 लाख प्रतिवर्ष के लिए 4 वर्षों के लिए एग्रीमैंट किया है। ऐसे में पंचायत को अतिरिक्त आय होगी और पैसा गांव के विकास कार्य पर खर्च किया जा रहा है।
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