-कैप्टन के कोटे से जगरुप गिल है सबसे प्रबल दावेदा, तो वित्त मंत्री अशोक प्रधान व सतोष महंत पर लगवा सकते हैं मोहर
बठिंडा. नगर निगम में जीत के बाद अब इनके लिए मेयर के चयन को लेकर कांग्रेस में माथापच्ची शुरू हो गई है। स्थानीय मंत्री और विधायक अपनी पसंद का मेयर बनाने की कोशिश में जुटे हैं वही कैप्टन अमरिंदर सिंह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पूरी रणनीति अपने स्तर पर तय कर रहे हैं। संवैधानिक तौर पर मेयर का चयन हाउस में जुड़ने वाले पार्षदों को करना है लेकिन असल में मुहर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से ही लगनी है। ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सोच-समझ कर ऐसे लोगों को मेयर बनाएंगे जिससे भविष्य में कोई चुनौती न पैदा करे और सारा कुछ उनके नियंत्रण में रहे ताकि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस इसका फायदा उठा सके। दरअसल, पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिली बड़ी सफलता ने कैप्टन अमरिंदर को और मजबूत कर दिया है। चूंकि अभी नगर निगमों में मेयर के पद महिलाओं और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भी होने हैं जिस संबंध में आगामी सप्ताह अधिसूचना जारी होने की संभावना है। इसमें भी सारा खेल कैप्टन अमरिंदर के हाथ में ही रहने वाला है।
बठिंडा नगर निगम में अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह का दबदबा रहता है तो पार्षद जगरूप सिंह गिल मेयर पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वह सातवीं बार पार्षद बने हैं और मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने जिला योजना बोर्ड की चेयरमैनशिप को भी छोड़ा है। साफ है कि सीएम की ओर से उन्हें ही मेयर बनाए जाने को हरी झंडी मिल सकती है। हालांकि वित्तमंत्री मनप्रीत बादल भी यहां अपना उम्मीवार खड़ा करना चाहेंगे। इसके लिए सरकार की उस अधिसूचना का इंतजार किया जा रहा है जिसमें बठिंडा नगर निगम को जरनल व रिजर्व कैटागिरी में रखा जाना है। पहले बठिंडा नगर निगम में रिजर्व कैटागिरी का पार्षद मेयर बन सकता है जबकि हर चुनाव के बाद सरकार नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी करती रही है इस स्थिति में अगर बठिंडा रिजर्व रहता है तो इसमें पूर्व जिला शहरी प्रधान अशोक कुमार का दावा मजबूत माना जा रहा है। वही सामान्य वर्ग में जगरुप सिंह गिल की दावेदारी पर मोहर लग सकती है। इन दोनों नेताओं का पोजटिव प्वाइंट यह है कि दोनों लंबे समय से कांग्रेस के साथ खड़े हैं।
वही महिला आरक्षित होने की स्थिति में कई टैक्साली कांग्रेसियों की पत्नी दावेदारों में है लेकिन अनुभव के मामले में वार्ड नंबर 21 ले कांग्रेस की संतोष कुमारी महंत प्रबंल दावेदार मानी जा रही है। हालांकि वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल चुनाव प्रचार के दौरान एक जनसभा में संतोष महंत को विजयी बनाकर मेयर बनाने की बात भी कह चुके हैं। संतोष महंत तीसरी बार नगर निगम में पार्षद बनकर पहुंची है। महिला आरंक्षित मेयर होने की संभावना इस मायने में भी अहम मानी जा रही है कि निगम हाउस में महिला शक्ति का दबदबा रहा है जिसमें कांग्रेस टिकट पर 22 महिलाएं जीतकर हाउस में पहुंची है वही अकाली दल की विजयी हुई चार महिला पार्षदों को जोड़ दे तो सदन में 50 पार्षदों में 26 महिला पार्षद है। फिलहाल मेयर के चयन में पुरानी टक्साली कांग्रेसियों की आम सहमती के बाद सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के पद भी काफी अहम माने जाते हैं। इसके लिए प्रमुख दावेदारों में प्रवीण गर्ग, नेहा जिंदल, कमलेश मेहरा जैसे नाम प्रमुख है। वही श्याम लाल जैन, मास्टर हरमंदर सिंह जैसे सीनियर पार्षद भी इस दौड़ में शामिल है। श्याम लाल जैन ने अपने वार्ड में विरोध दलों को सबसे बड़े अंतर के साथ पराजित कर अपनी पैठ बनाने में सफलता हासिल की।
फिलहाल नगर निगमों में मेयर का चयन करने के मामले में वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव को भी ध्यान में रखना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस की तरफ से साल 2022 के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की रणनीति के चलते स्थानीय निकायों में चुनाव प्रक्रिया पर उनका सीधा प्रभाव रहेगा।
इन मायनों में भी अहम है बठिंडा के निगम चुनावों के परिणाम
बठिडा में हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत सबसे बेहतर रहा है इसका पूरा श्रेय वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल को जाता है। इस स्थिति में बठिंडा में मेयर मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री की पसंद का बनाने की पुरजोर कोशिश रहेगी। मनप्रीत सिंह बादल के एक माह तक लगातार किए प्रचार के चलते शिअद को दूसरे स्थान पर धकेलने में सफलता मिली है। आम आदमी पार्टी तीसरे व भाजपा चौथे स्थान पर रही है। कांग्रेस को सबसे ज्यादा 46.81 फीसद वोट मिले, जबकि शिअद को कांग्रेस से आधे 23.15 फीसद वोट मिले हैं। इसी प्रकार आम आदमी पार्टी को 13.12 फीसद वोट मिले हैं तो भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ 4.20 फीसद वोट मिले हैं। बहुजन समाज पार्टी को 0.49 फीसद तो सीपीआई को 0.05 फीसद वोट मिले हैं। वहीं आजाद उम्मीदवारों को 11.04 फीसद वोट मिले हैं। नोटा का बटन 1.10 फीसद लोगों ने दबाया है।
पूर्व मेयर बलवंत राय अपना प्रभाव दिखाने में रहे सफल
50 सदस्यीय नगर निगम में इस बार शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी केवल सात सीटें ही जीत सके हैं, जबकि अन्य सभी 43 सीटों पर कांग्रेस ने अपना परचम लहरा दिया है। लेकिन शिअद की ओर से जो सात सीटें जीती गई हैं, उनमें तीन वार्डों की सीटें पूर्व मेयर बलवंत राय नाथ के पुराने वार्ड नंबर 33 का ही हिस्सा हैं। इस बार स्थानीय निकाय विभाग की ओर से नगर निगम चुनाव के लिए नई हदबंदी की गई है। इस नई हदबंदी में लगभग तमाम वार्डों की तस्वीर ही बदलकर रख दी गई है।
नाथ के पुराने वार्ड को तीन वार्डों में बांटा
नई हदबंदी में पुराने वार्ड नंबर 33 को तीन वार्डों में बांट दिया गया है, जिसमें वार्ड नंबर 19, 20 और 22 बनाए दिए गए हैं। नई वार्डबंदी के अनुसार पूर्व मेयर का निवास अब वार्ड नंबर 22 के अधीन आता है। चुनाव परिणाम जब घोषित हुए तो इन तीनों सीटों से ही शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी विजेता घोषित करार दिए गए। वार्ड नंबर 19 से शीला रानी ने कांग्रेस की परविदर कौर को 360 वोटर के अंतर से पराजित किया। इसी तरह वार्ड नंबर 20 से मक्खन सिंह ने कांग्रेस के प्रत्याशी हरमनदीप सिंह को 13 मतों के साथ व वार्ड नंबर 22 से सुरेश चौहान ने कांग्रेस प्रत्याशी नवीन वाल्मीकि को 201 वोटों के अंतर के साथ हराकर शिरोमणि अकाली दल का परचम लहराया है। अपने कार्यकाल में विकास पर विशेष जोर दिया
अपने पुराने वार्ड से संबंधित इन तीनों ही वार्डों में शिअद के विजय होने पर पूर्व मेयर बलवंत राय नाथ बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान स्लम एरिया में शामिल इन इलाकों के विकास पर विशेष जोर दिया गया था। इस इलाके के लोग पहले नरक जैसे इलाके में जिदगी व्यतीत कर रहे थे। यह नतीजे किए गए काम की बदौलत है।
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