बठिंडा. पिछले एक साल से कोरोना वायरस फैलने, लाकडाउन होने और ब्लड बैंक में विवाद के चलते ब्लड डूनेशन मुहिम क धक्का लगा। वही सरकारी ब्लड बैंक में रक्त की भारी कमी देखने को मिली वही अब वैक्सीनेशन को लेकर जारी गाइडलाइन के चलते फिर से ब्लड बैंक में रक्त की कमी आने लगी है। सरकार की हिदायतों के अनुसार कोरोना से बचाव के लिए करवाई जाने वाली वैक्सीन की पहली डोज के 28 दिन बाद दूसरा टीकाकरण होता है। इस टीकाकरण के दौरान वैक्सीन लेने वाला कोई भी व्यक्ति रक्तदान नहीं कर सकता है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बनने वाली इम्यूनिटी को बरकरार रखना रहता है। वर्तमान में 16 जनवरी से वैक्सीनेशन मुहिम चल रही है जिसमें कोरान वियर्स से लेकर सोशल वर्करों व तय उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है। बठिंडा में रक्तदान में सर्वाधिक योगदान सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं का रहता है वही एमरजेंसी में भी ज्यादातर लोग रक्तदान करते हैं। वर्तमान में वैक्सीन इस वर्ग को लगाने के चलते ब्लड बैंक में रक्तदान के लिए लोग नहीं पहुंच रहे हैं। वही आपातकाल में ही अधिकतर ब्लड डूनेशन हो रहा है जिसके चलते ब्लड बैंक में जरूरत से कम स्टाक ही बचा है। बठिंडा के सिविल अस्पताल में रिजर्व व जरूरत अनुसार 600 य़ूनिट रखे जाते हैं लेकिन वर्तमान में यहां केवल 12 यूनिट रक्त ही बचा है। इसमें थैलसिमिया से ग्रस्त बच्चों को ही हर महीने 40 यूनिट से अधिक रक्त की जरूरत पड़ती है जबकि एमरजेंसी में ही प्रतिदिन औसत 20 से 25 यूनिट ती जरूरत पड़ती है। इस स्थिति में मरीजों को जरूरत पड़ने पर प्राइवेट ब्लड बैंकों या फिर बाहर से इंतजाम करना पड़ता है। दूसरी तरफ सेहत विभाग इसे लेकर चिंतित भी नजर आ रहा है। आने वाले दिनों में वैक्सीनेशन को लेकर मुहिम तेज हो रही है व आगामी तीन माह तक प्रतिदिन 8 हजार लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य है इस स्थिति में ब्लड बैंक में ब्लड की भरी कमी देखने को मिलेगी।
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