बठिंडा. राज्य सेहत विभाग की तरफ से हाल ही में कोरोना मरीजों के उपचार व होम आइसोलेशन को लेकर जारी हिदायतों को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। राज्य सरकार की तरफ से कोविड मरीजों के उपचार के लिए दवाईयों की जो फतेह कीट जारी की गई है उसमें कई ऐसी दवाईयां नहीं है जिसके बारे में सरकार की गाइडलाइन में जिक्र किया गया है। इसमें हाल ही ब्लैक फंगस के बाद विवादों में आई स्टेरायड दवा है। इसे लेकर पहले सरकार ने विभिन्न जिला सेंटरों में डाक्टरों, माहिरों व प्रशासकीय अधिकारियों के साथ जो बैठक की थी उसमें स्टेरायड के इस्तेमाल से गुरेज करने के लिए कहा गया था। वही सरकार ने मरीजों के उपचार के लिए जो फतेह कीट जारी की उसमें उक्त दवा नहीं रखी गई है।
इसे लेकर शहर के प्रसिद्ध डाक्टर प्रो. डॉ. वितुल कुमार गुप्ता, स्वास्थ्य और मानवाधिकार कार्यकर्ता और अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (मालवा शाखा) ने आपत्ति जताते एक पत्र सेहत नंत्री बलबीर सिंह सिद्धू को लिखा है। डा. वितुल कुमार गुपता कोविड देखभाल प्रबंधन में सबसे आगे रहे हैं और फोन पर लोगों को मुफ्त परामर्श प्रदान करने के साथ 'फ्री लेवल 2 का अस्पताल नौजवान वेलफेयर सोसाइटी के सहयोग से चला रहे हैं।
उन्होंने सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू, को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि कोविड-19 को लेकर हाल ही में जारी दिशानिर्देशों के अनुसार दवा को 'फतेह किट' में शामिल किया जाए और स्टेरॉयड के उपयोग पर स्पष्टीकरण दिया जाए। लगातार लक्षणों के साथ हल्के लक्षणों के मामले में फतह किट में दी गई दवाओं से भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है, जो कि पंजाब सरकार द्वारा कोविड प्रबंधन पर जारी दिशानिर्देश में जैसे जिंक, एज़िथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन द्वारा मरीजों का उपचार करने की सलाह दी गई है।
डॉ. विटुल ने कहा कि उन्होंने
डीसी कार्यालय बठिंडा में कोविड देखभाल में शामिल डॉक्टरों की बैठक में भाग लिया। इसकी
अध्यक्षता सचिव स्वास्थ्य हुसैन लाल और कोविड टास्क फोर्स के सदस्यों डॉ. सिबिया
और डॉ. बिश्न मोहन ने की थी। जहां
उन्होंने स्पष्ट किया था कि सभी डॉक्टरों को हल्के कोविड मामलों में स्टेरॉयड के
बढ़ते दुरुपयोग और 'ब्लैक
फंगस'
सहित
दुष्प्रभावों और मृत्यु दर में वृद्धि के बारे में बताया। उन्होंने सभी डॉक्टरों
से कहा था कि हल्के मामलों में स्टेरॉयड का उपयोग न करें और अस्पताल में दाखिल मरीज
का ऑक्सीजन लेबल 93 फीसदी से कम होने पर ही उपयोग करें।
डॉ विटुल ने कहा कि 26 मई 2021 को निदेशक, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की तरफ से पत्र जारी कर दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि प्रणालीगत मौखिक स्टेरॉयड हल्के रोग में संकेतित नहीं हैं। यदि लक्षण 7 दिनों से अधिक समय तक बने रहते हैं, लगातार बुखार, बिगड़ती खांसी में थोड़ी मात्रा में स्टेरॉयड के साथ इलाज करें, जो कि बैठक में सभी डॉक्टरों को बताई गई बातों के एकदम विपरीत हैं।
डॉ वितुल ने प्रदेळ स्तर की टास्क
फोर्स की भूमिका पर सवाल उठाया और कहा कि क्या डॉ. के.के तलवार की अध्यक्षता वाली कोविड
टास्क
फोर्स को 'फतेह किट'
में
इन दवाओं की मौजूदगी और स्वास्थ्य निदेशक द्वारा स्टेरॉयड के उपयोग का सुझाव देने
वाले दिशानिर्देशों के बारे में जानकारी नहीं है। अगर टास्क फोर्स को पता है तो
इन्हें किट से बाहर क्यों नहीं किया जाता है या स्टेरॉयड पर नई गाइडलाइंस जारी क्यों
नहीं की जाती हैं। अगर इन्हें जानकारी नहीं है तो टास्क फोर्स बनाने से क्या फायदा
है।
डॉ वितुल ने स्वास्थ्य मंत्री
से अनुरोध किया कि इस मामले को गंभीरता से देखना चाहिए और तथ्यों पर आधारित
दिशा-निर्देश जारी करें और अनावश्यक दवाओं को 'फतेह
किट'
से
बाहर किया जाना चाहिए ताकि डॉक्टरों के साथ-साथ आम लोगों के इलाज के मन में कोई
भ्रम न हो। . वही उन्होंने मांग रखी कि सरकार की तरफ से लगातार लक्षणों के साथ
हल्के मामलों में स्टेरॉयड के उपयोग पर तत्काल स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।
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