एनजीओ के अनुसार शहर में 47 मौतें व 112 दुर्घटनाएं लावारिस जानवरों के कारण हुई हैं
बठिडा. बठिंडा में माननीय स्थायी लोक अदालत ने 204 के एक मामले में फैसला देते हुए शहर से लावारिस जानवरों को हटाने के लिए म्यूनिसिपल कार्पोरेशन को जिम्मेदार बताते हुए उन्हें जल्द इसके लिए कॉल रजिस्टर लगाने का निर्देश दिया है जहां लाबारिस जानवर के संबंध में फोन आने पर निगम की मोबाइल बैन व स्टाफ लाबारिस जानवरों को पकड़कर गोशाला में छोड़ेगा व रजिस्टर में एक्शन दर्ज करेगा। लोक अदालत ने यह फैसला अक्टूबर 2014 में कथित तौर पर एक लावारिस जानवर से टकराने वाले हरजिंदर सिंह मेला के केस में दिया है। लोक अदालत ने हालांकि चोटिल होने के सबूत नहीं देने पर हरजिंदर मेला को कोई मुआवजा नहीं देने की बात की, लेकिन उनके हक में फैसला सुनाया। शहर में लावारिस पशुओं की समस्या बहुत गंभीर होने के चलते साफ तौर पर कार्पोरेशन को आदेश देते हुए कहा कि पहले गोशाला से एमओयू आदि कर अच्छा काम किया है, लेकिन सड़कों से पशु हटना जरूरी है जिसके लिए निगम को एक्शन करना होगा। वहीं डिप्टी कमिश्नर को भी कार्पोरेशन से अपडेट लेना होगा।
केस दायर करने वाले हरमन फूड्स के मालिक हरजिंदर सिंह ने कहा कि 2 अक्टूबर 204 को वह माल रोड से शोरूम बंदकर घर जा रहे थे जहां रास्ते में सांड उनसे टकरा गया जिससे वह काफी गंभीर चोटिल हो गए थे। ठीक होने के बाद वह नगर निगम आफिस गए तथा जानवरों को सड़क से हटाने की अपील की, लेकिन कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए। ऐसे में स्थायी लोक अदालत का दरवाजा खटखटाया गया ताकि निगम को डायरेक्नश दी जा सके। इसमें 2 लाख हर्जाना व 5 हजार केस फीस दायर की गई जिसे अज्ञात गोशाला में अदा किया जाना था। 8 अगस्त, 2008 को उनकी व निगम के मध्य सहमति नहीं होने पर केस आगे बढ़ाया गया।
एनजीओ की रिपोर्ट के अनुसार शहर में 47 मौतें व 2 दुर्घटनाएं लावारिस जानवरों के कारण हुई हैं। कार्पोरेशन सेनेटरी इंस्पेक्टर राकेश कुमार ने दिए हल्फनामे में कहा कि 2004 से 2008 के मध्य बड़ी संख्या में लावारिस जानवरों की संभाल को निगम का कई गोशाला से एमओयू साइन हुए हैं। डिप्टी डायरेक्टर डा. अमरीक सिंह ने भी इसमें हल्फनामा दिया। हालांकि अदालत में रिस्पोर्डेट नंबर 1 म्यूनिसिपल कार्पोरेशन, रिस्पोरडेंट 2 पंजाब सरकार को बनाया गया था। वही डीसी रिस्पोरडेंट 3 रहे। सिविल अस्पताल की तरफ से वकीलों ने कहा कि केस दायर करने वाले हरजिंदर सिंह जानवर से टकराकर घायल हुए हैं, उनके पास कोई एविडेंस नहीं है। माननीय स्थायी लोक अदालत के फैसले के अनुसार केस दायर करने वाले हरजिंदर सिंह के गाय आदि से टकराने का कोई सबूत नहीं दे सके, इसलिए उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया जा सकता। वहीं सिविल अस्पताल का भी लावारिस जानवरों हटाने में रोल नहीं होने पर केस से हटाया जाता है। कोर्ट के अनुसार भले ही हरजिंदर केस में जानवर से टकराने की बात साबित नहीं कर सके, लेकिन म्यूनिसिपल कार्पोरेशन तथा पंजाब सरकार-कम-डिप्टी कमिश्नर की यह जिम्मेदारी है कि वह सड़कों से लावारिस जानवरों को हटवाए।
ये दिए निगम को निर्देश
नगर निगम एक रजिस्टर रखेगा जहां शहर में किसी भी व्यक्ति का लावारिस जानवर के संबंध में फोन आने पर हुरंत कारंवाई कर मोबाइल वैन व जरूरी स्टाफ मेंबरों के जरिए उक्त जानवर को जल्द हटा गोशाला में छोड़ रजिस्टर में एंट्री नोट होगी। कार्पेरेशन काउ सैस के रूप में मिल रहे पैसे को सिर्फ गायों व सांडों की गोशाला में देखरेख पर खर्च करेगा। जिला प्रशासन के अधिकारी कार्पोरेशन के अधिकारियों से इस संबंध में मीटिंग कर अपडेट लेंगे। एनजीओ की सहायता भी इस समस्या के समाधान के लिए काम कर सकती है। वहीं कुत्तों की समस्या गायों से अलग है, जहां कार्पोरेशन को उनकी नसबंदी की ड्राइव चलानी चाहिए। कोर्ट के अनुसार कार्पोरेशन अपने स्तर पर समस्या के हल को लेकर काम कर सकती है।