बठिंडा। नगर निगम चुनाव को लेकर चल रही सर्गर्मियों के बीच लोगों की तरफ बकाया खड़े पानी-सीवरेज के बिलों की वसूली को लेकर मुहिम चलाई जा रही है। इसमें कई लोगों का पांच से 20 हजार रुपए तक का बिल बकाया है जो लंबे समय से भरा ही नहीं गया है। कोरोना काल में मंदी के साथ भारी भरकम बिलों को भरने में लोग असमर्थता जाहिर कर रहे हैं जबकि निगम चुनावों के बीच अब कोरोना काल के पिछले 9 माह के बिलों को माफ करने की मांग भी उठने लगी है। लोगों का कहना है कि कोरोना काल में जब धंधे पूरी तरह से बंद रहे व कमाई का कोई साधन नहीं रहा तो सरकार को इस मामले में गंभीरता से विचार करना चाहिए। यही नही कई इलाकों में निगम की तरफ से नोटिस भेजे जाने के बाद लोगों ने आरोप लगाया है कि साल में नहर बंदी व अन्य कारणों से पानी की सप्लाई बंंद रखी जाती है जबकि अधिकतर इलाकों में सीवरेज ब्लाक रहता है लेकिन निगम अपने बिल लोगों से पूर्व की तरह की वसूल कर रहा है।
फिलहाल सीवरेज और पानी के वर्षों से बकाया खड़े बिलों की राशि निकलवाने के लिए नगर निगम की ओर से भेजे जा रहे चेतावनी नोटिसों के बाद भी शहर के उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं हो रहा है। हालांकि नोटिस के बाद कुछ उगाही हो जाती है, लेकिन वह उम्मीदों के विपरीत बहुत कम होती है। इसके चलते कहीं न कहीं नगर निगम अधिकारियों में चिता का आलम है। नगर निगम के उपभोक्ताओं की तरफ करीब दस करोड़ रुपये बकाया खड़े हैं। यह राशि तब से है जबसे सीवरेज-पानी के बिल लागू हुए हैं। बकाया बिलों की उगाही के लिए निगम की ओर से बीती एक दिसंबर से कार्रवाई करने के चेतावनी नोटिस भेजे जा रहे हैं। फिर भी लोगों की ओर से बिल भरने में वह उत्साह नहीं दिखाया जा रहा है, जोकि निगम अधिकारियों की उम्मीदों के अनुसार होना चाहिए था। दूसरी तरफ फरवरी माह मे संभावित नगर निगम चुनावों के चलते राजनीतिक दल खासकर सत्ता पक्ष के लोग पानी व सीवरेज बिलों की वसूली को लेकर किसी तरह की सख्ती का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि चुनाव काल में अगर लोगों सेे सख्ती की जाती है या फिर उनके कनेक्शन काटे जाते हैं तो सत्ता पक्ष को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है इस स्थिति में वह इस मुहिम को कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में डालने की वकालत भी कर रहे हैं लेकिन निगम अधिकारी निगम की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए बिल वसूली की मुहिम को जारी रखना चाहते हैं व यही कारण है कि शहर में हजारों बकाया नोटिस लोगों को जारी किए गए ह व इसमें बिल नहीं भरने की स्थिति में कोर्ट का सहारा लेने या फिर पानी-सीवरेज के कनेक्शन काटने की चेतावनी दी जा रही है।
करीब 12 करोड़ रुपये बकाया
निगम के अनुसार महानगर के लोगों की तरफ बीते मार्च तक 12.80 करोड़ रुपये बकाया खड़े थे। इस वर्ष जुलाई में बीते जनवरी से लेकर जून तक के छह महीने के बिल जारी किए गए। जोकि करीब तीन करोड़ रुपये के थे। छह माह के बिल जारी होने और उसके बाद बकाया बिलों का पहला नोटिस जारी किए जाने के बाद से बीती 30 नवंबर तक नगर निगम के खाते में कुल 3.88 करोड़ रुपये की राशि आई है। पहला नोटिस जारी होने के बाद निगम को करीब 50 लाख रुपये की उगाही हुई है। इस तरह अभी भी उपभोक्ताओं की तरफ करीब 12 करोड़ रुपये बकाया खड़े ही हैं। जिसकी उगाही के लिए ही पहले अपीलनुमा नोटिस जारी किया गया था।
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तीन करोड़ के नोटिसों के मुकाबले अभी मात्र 22 लाख रुपये
पहले नोटिस का कोई खास असर न दिखाई देने पर फिर बीती एक दिसंबर में कार्रवाई की चेतावनी वाला दूसरा नोटिस बांटना शुरू किया गया। शहर के तीन जोनों में यह नोटिस बांटे जा चुके हैं और चौथे जोन ने बांटने का काम चल रहा है। शहर के कुल आठ जोन हैं। इन आठ जोनों में करीब 10 करोड़ रुपये की राशि के लगभग 8500 चेतावनी नोटिस बांटे जाने हैं। फिलहाल करीब 4500 नोटिस बांटे गए हैं। जबकि बाकी बचे नोटिस बांटने में अभी करीब 20 दिन और लग जाएंगे। जो 4500 नोटिस बांटे गए हैं, उसकी राशि करीब तीन करोड़ रुपये बनती है। लेकिन तीन करोड़ की राशि के मुकाबले में मात्र 22 लाख रुपये ही अभी तक निगम के खाते में आए हैं। बता दें कि शहर में सीवरेज और पानी के करीब 40 हजार कनेक्शन हैं। जिनमें से 25 हजार उपभोक्ताओं को बिल जारी किए जाते हैं। बाकी कनेक्शन 100 गज के मकान में आ जाते हैं। जिन्हें राज्य सरकार की ओर से सीवरेज और पानी के बिलों से छूट दी हुई है।
बकाएदारों के काटे जाएंगे सीवरेज-पानी के कनेक्शन
नगर निगम के सुपरिटेंडेंट मक्खन लाल ने बताया कि नोटिसों के बाद भी उगाही बहुत कम है लेकिन निगम सभी नोटिस बंट जाने के बाद सख्त कदम उठाने जा रहा है। निगम की ओर से बकायेदारों के सीवरेज और पानी के कनेक्शन काटे जाएंगे। इसमें किसी से कोई लिहाज नहीं किया जाएगा। सीवरेज और पानी के बिल निगम की उगाही का एक स्त्रोत है। उपभोक्ताओं को इसे गंभीरता के साथ लेना चाहिए व अपने बकाया बिलों का भुगतान करना चाहिए।
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