लुधियाना। लुधियाना की चौकी मुंडिया में बिना किसी अपराध चौकी लाई गई महिला (25) के साथ कांस्टेबल ने गंदगी की सारी हदें पार कर दीं। महिला को जबरन घर से उठाया और चौकी लाकर उससे रेप कर डाला। पीड़ित ने इसकी शिकायत पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल को दी, 18 दिन की जांच के बाद सोमवार को कांस्टेबल राकेश कुमार पर पुलिस कस्टडी में दुष्कर्म करने का केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि साथ गए चौकी इंचार्ज एएसआई सुखविंदर सिंह को भी सस्पेंड करने के साथ पूरी चौकी को लाइन हाजिर कर दिया गया है। इसके अलावा 3 महिलाओं समेत 4 के खिलाफ भी मारपीट का केस दर्ज किया गया है। मामले की जांच कर रहीं एडीसीपी रूपिंदर कौर सरां ने पीड़िता के बयान नोट कर मेडिकल के लिए भेज दिया। मेडिकल के बाद पड़ताल की गई। फिलहाल चौकी में रात को तैनात मुलाजिमों के भी बयान लिए जा रहे हैं।
आरोपियों पर कार्रवाई की बजाय आधी रात महिला को घर से चौकी उठा लाए थे पुलिसवाले
पीड़िता ने बताया वह पति के साथ किराये के मकान में रहती है, जहां पति का दोस्त करमा भी आता था। लेकिन करमा की सास पम्मी, साली पूजा, साला बिंदा और पम्मी की सहेली ममता को शक था कि उसके करमा से अवैध संबंध हैं। 3 दिसंबर को उसके पति की गैरहाजिरी में रात करीब 9 बजे आरोपियों ने मुझे घर से निकालकर पीटा। नग्न कर वीडियो बनाने लगे।
लेकिन शोर सुनकर लोग इकट्ठा हुए तो आरोपी फरार हो गए। 4 दिसंबर को पीड़िता ने चौकी मुंडिया में शिकायत दी पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। 5 दिसंबर को आरोपियों ने उसे दोबारा पीटकर चौकी में उसके खिलाफ झूठी शिकायत दे दी। 6 दिसंबर की रात साढ़े 12 बजे कांस्टेबल राकेश कुमार, चौकी इंचार्ज सुखविंदर सिंह ने उसे पीटा व बिना लेडी कांस्टेबल उसे चौकी ले गए। पीड़िता ने आरोप लगाया रात करीब डेढ़ बजे कांस्टेबल राकेश ने अलग कमरे में रेप किया। सुबह 4 बजे तक उसे निर्वस्त्र रखा गया। सुबह उसे कपड़े दिए गए। बाकी के मुलाजिम मूकदर्शक बने रहे।
शिकायत के बाद हुई इंवेस्टिगेशन, अब पर्चा... डरी सहमी पीड़िता की ओर से 17 दिसंबर को सीपी को शिकायत के बाद जांच शुरू हुई। 18 दिन बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। सूत्र बताते हैं कि जांच में थाने के कैमरों से कुछ डिटेल हाथ लगी थी। हालांकि, इसकी पुष्टि पुलिस नहीं कर रही है।
चौकी में ही महिला से कांस्टेबल ने दुष्कर्म कर डाला? -बहुत ही निंदनीय घटना है। आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। {मुलाजिमों के सामने ये सब होता रहा, क्या किसी ने नहीं रोका, उन्हें सिर्फ लाइनहाजिर किया गया? -इसकी जांच महिला एडीसीपी रुपिंदर कौर सरां कर रही हैं। वो अपनी रिपोर्ट देंगी, उसके बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। {थानों में महिला मुलाजिम नहीं मिलती, क्या महिला मुलाजिमों की शॉर्टेज है? -नहीं मुलाजिम पूरे हैं। लेकिन महिलाओं को रात को थानों में रूकने नहीं दिया जाता। केस आने पर घर से बुलाया जाता है। चेकिंग भी की जाएगी।
कागजों में महिला पीसीआर की मौजूदगी
शहर के 28 थानों व 30 चौकियों में से कोई भी एेसा नहीं, जहां महिलाओं को गिरफ्तार करने के बाद लाॅकअप में रखा जा सके। उन्हें रखने के लिए दफ्तरों के कमरे और मुलाजिमों के आराम करने वाले कमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा यहां लगे कैमरों की जांच भी नहीं की जाती। हालात ये है कि कई थाने व चौकियों के कैमरे बंद पड़े हैं। वहां कौन आ रहा है? किसे रखा जा रहा है? और कहां रखा जा रहा है? इसके बारे में न तो कोई अधिकारी नजर रख रहा है और न ही थाने व चौकी के सीनियर अफसर। यही वजह है कि जब पुलिस पर आरोप लगते हैं तब सबूत काफी हद तक खत्म हो जाते हैं।
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