Tuesday, January 5, 2021

एम्स डाक्टर मरीजों को देखते भी हैं, लेकिन इलाज की सुविधा नहीं , एम्स व कैंसर अस्पताल के बीच होने वाले एमओयू में सियासत बनी अड़ंगा



बठिडा।
 बठिडा में कैंसर मरीजों को इलाज करवाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है। एम्स में कैंसर विभाग काम तो कर रहा है और डाक्टर मरीजों को देखते भी हैं, लेकिन इलाज की सुविधा नहीं है। एम्स ने बठिंडा के एडवांस्ड कैंसर इंस्टीच्यूट से समझौते का प्रयास किया था। इसके तहत दोनों संस्थानों में एमओयू साइन होना था लेकिन राज्य सरकार की ओर से ध्यान दिए जाने कारण यह सिरे नहीं चढ़ सका।

बठिडा एम्स में 23 दिसंबर 2019 को ओपीडी को शुरू हुई थी, इस दौरान कैंसर विभाग भी शुरू किया गया। मगर अस्पताल में इलाज के लिए संसाधन नहीं है। इसलिए एम्स प्रबंधन ने कैंसर अस्पताल के साथ समझौते का प्रयास शुरू किया। मगर वह सफल नहीं हो सका। इसका कारण था कैंसर अस्पताल को बाबा फरीद हेल्थ एंड मेडिकल साइंसेज यूनिवर्सिटी के तहत पंजाब सरकार की ओर से चलाया जा रहा है तो एम्स अस्पताल को केंद्र सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। यह बात फरवरी 2019 में चली थी, जिसके बाद मार्च में कोरोना के कारण सब कुछ बंद हो गया तो यह प्रोजेक्ट भी ठप हो गया। अगर यह सफल हो जाता तो कैंसर रोगियों को इलाज में काफी सुविधा मिलती। बठिडा एम्स में रोजाना 10 के कैंसर मरीज अपना चेकअप करवाने के लिए आ रहे हैं। 

-- एमओयू साइन होने पर ये मिलती सुविधाएं

एम्स व एडवांस्ड कैंसर इंस्टीच्यूट के साथ एमओयू साइन होता तो एम्स मे इलाज करवाने के लिए आने वाले मरीजों का इलाज कैंसर अस्पताल में हो सकता था। एम्स के डाक्टर भी अस्पताल में जाकर मरीजों का इलाज कर सकते थे और वहां के संसाधनों का इस्तेमाल कर सकते थे। बठिडा के एडवांस्ड कैंसर इंस्टीच्यूट में रेडियोलाजी व कीमोथ्रेपी जैसी सभी प्रकार की मशीनों का प्रबंध है। इसके अलावा यहां पर मरीजों के इलाज के लिए उनकी जरूरत के हिसाब से वार्ड भी बने हुए हैं।

- कैंसर अस्पताल में दोगुणा हुई ओपीडी

बठिडा के कैंसर अस्पताल में मानसा, मुक्तसर, फिरोजपुर, फरीदकोट, फाजिल्का, संगरूर, बरनाला आदि जिलों के अलावा हरियाणा से भी कैंसर के मरीज दवा लेने के लिए आते हैं। यहां पर 2020 में अभी तक 30 हजार मरीज इलाज के लिए आ चुके हैं। साल 2018 में 15 हजार तो 2019 में 18 हजार मरीजों की ओपीडी हुई थी। वहीं रेडियोलाजी की बात की जाए तो 2020 में यहां पर 12 हजार के करीब लोगों का इलाज किया गया है। इससे पहले 2018 में 506 व 2019 में मात्र 481 लोगों की रेडियोलाजी हुई थी। अस्पताल में 2020 में 9600 लोगों की कीमोथरेपी व 750 लोगों की सर्जरी हुई है। इस समय 200 मरीजों की रोजाना ओपीडी हो रही है। 

मरीजों को नहीं आने दी जाएगी कोई परेशानी- डा.दीपक अरोड़ा


एमओयू साइन करने को लेकर बेशक बात चली थी, मगर यह प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हो पाया। यह सरकार पर निर्भर करता है। मगर एडवांस्ड कैंसर इंस्टीच्यूट में 200 मरीजों की ओपीडी रोजाना हो रही है। अस्पताल में इस समय 35 के करीब मरीजों को रोजाना दाखिल किया जा रहा है। ओपीडी 200 रहने का कारण अन्य शहरों में इलाज करवाने वाले मरीज अब बठिडा में आ रहे हैं। यहां पर उनको इलाज से संबंधित हर प्रकार की दवा भी मिल रही है। जिसके लिए उनको परेशान होने की जरूरत नहीं है।

-डा.दीपक अरोड़ा, डायरेक्टर, एडवांस्ड कैंसर इंस्टीच्यूट,बठिडा


तकनीकी कारणों के कारण नहीं हुआ एमओयू- डा.सतीश गुप्ता

एडवांस्ड कैंसर इंस्टीच्यूट के साथ एमओयू साइन करने को लेकर बात चली थी। लेकिन तकनीकी कारणों के कारण पूरा नहीं हो पाया। इसके बारे में ज्यादा जानकारी अभी मेरे पास नहीं है।


डा.सतीश गुप्ता,मेडिकल सुप्रीटेंडेंट,एम्ज बठिडा

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