-कोर्ट में केस चलने के बावजूद सरकार ने दिसंबर में दी थी 93 हेल्थ वर्करों को नियुक्ति, कोर्ट ने कहा साइस विषय नहीं होने के बावजूद कैसे मिली नियुक्ति
-सरकार ने कोर्ट में जबाव दायर करने से पहले सभी कर्मियों को नौकरी से निकालने का जारी किया पत्र
बठिंडा. पंजाब सरकार की तरफ से 29 दिसंबर 2020 को मल्टीपर्पज हेल्थ वर्कर फिमेल को दी गई नियुक्ति को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से की गई टिप्पणी के बाद रद्द कर दिया है। सरकार ने करीब 600 पदों को भरने का फैसला लिया था व इसमें 93 मल्टी हेल्थ वर्करों को नियुक्ति पत्र दिसंबर 2020 में जारी कर दिया गया था। नियुक्ति में सरकार की तरफ से तय शैक्षिक योग्यता को लेकर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में पहले ही केस चल रहा था व कोर्ट ने फैसला नहीं होने तक मामले में किसी तरह की नियुक्ति नहीं करने के लिए निर्देश दिए थे। 5 अक्तूबर 2020 को दिए आदेश के विपरित पंजाब सरकार ने 29 दिसंबर 2020 को पत्र जारी कर राज्य में विभिन्न स्थानों में 93 मल्टीपर्पज हैल्थ वर्कर फिमेल को नियुक्ति संबंधी पत्र जारी कर दिया। इसमें हवाला दिया गया कि वित्त विभाग पंजाब ने इस नियुक्ति को 17 व 20 जुलाई 2020 को मंजूरी प्रदान कर रखी है। इसे लेकर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में सरकार की पालसी व नीतियों को लेकर शिकायतकर्ता मंदीप कौर ने चैलेज कर दिया था व कहा था कि सरकार ने ही नियुक्ति संबंधी जो पैरामीटर बनाया है उसमें उम्मीदवार दसवीं व उच्चतम शिक्षा में साइंस विषय से पास होना चाहिए लेकिन सरकार इन्हीं नियमों की पालना नहीं कर रही है। इसके बाद सरकार ने जनवरी 2021 में उक्त नियुक्ति को अवैध ठहराते सरकार से जबावतलबी की थी। कोरोना काल में विडियोकांफ्रेसिग से हुई सुनवाई में सरकार ने पक्ष रखा लेकिन कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं थी। इसमें अब 27 जनवरी 2021 को एक पत्र सभी सिविल सर्जनों व संबंधित विभाग को जारी कर दिया। इसमें कहा गया कि सरकार की तरफ से 31 दिसंबर को जो 93 मल्टीपर्पज हेल्थ वर्कर फिमेल को नियुक्ति दी थी उसे पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से अवैध ठहराने के बाद रद्द किया जा रहा है। यह नियुक्ति सरकार ने तीन साल के प्रोविजनल पीरियड के लिए 21 हजार 700 रुपए के वेतन पर की थी। पंजाब सरकार ने पंजाब स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तकनीकी (समूह) की तरफ से सेवा नियम 2016 बनाया था। इसमें अधिसूचित किया था कि नियुक्ति के लिए योग्यता विज्ञान के साथ मैट्रिक पास होना लाजमी है। इसमें मल्टी पर्पस हेल्थ वर्कर (महिला) को इसमें छूट प्रदान कर दी गई जबकि कोर्ट का कहना है कि पुरुष उम्मीदवारों के लिए, यह छूट मिली क्योंकि यह भर्ती नियमों की घोषणा से पहले की थी। इसमें सरकार से अंतर को स्पष्ट करने की हिदायत दी थी व दो सप्ताह का समय दिया लेकिन सरकार इसमें दी गई छूट को लेकर जनवरी 2021 तक समुचित जबाव नहीं दे सकी जिसमें अब कोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने की गई नियुक्तियों को रद्द कर दिया है।
फिलहाल सरकार की तरफ से जारी आदेश के बाद बठिंडा में सर्वाधिक 15 मल्टीहेल्थ वर्करों को नौकरी से निकाल दिया गया है। वही दूसरे नंबर पर 11 वर्कर होशियारपुर में, मानसा में दो, लुधियाना में सात, फरीदकोट में 8, एसएएस नगर में सात, मुक्तसर में 8, फिरोजपुर में पांच, संगरुर में 8, फाजिल्का में तीन, रुपनगर में तीन, बरनाला में 4, आलमवाला में एक, पटियाला में 4, गुरदासपुर में एक, तरनतारन अमृतसर में एक, फतेहगढ़ साहिब में एक, मोगा में तीन व जालंधर में एक मल्टीहेल्थ वर्कर फिमेल को नौकरी से निकाला गया है। इस तरह से पंजाब में कोरोना काल में हेल्थ सर्विस को बेहतर ढंग से चलाने के लिए नियुक्त किए हेल्थ वर्करों को निकालने के बाद सेहत सुविधा में भी असर पड़ेगा। खासकर कोरोना वैक्सीन लगाने के साथ विभिन्न सरकारी योजनाओं में काम करने वाले स्टाफ की कमी पहले ही सेहत विभाग में है जिससे जरूरी काम व सेहत सुविधा प्रभावित होती रही है। फिलहाल मल्टीपर्पज हेल्थ वर्करों ने सरकार के इस फैसला का विरोध जताया है। उनका कहना है कि सरकार ने ही उन्हें नियुक्ति दी थी व उक्त नियुक्ति देते सरकार को सभी मानकों का ध्यान रखना चाहिए था ताकि कोर्ट में इस बाबत किसी तरह की दिक्कत न आती वर्तमान में वह बिना किसी कसूर के लिए मानसिक व आर्थिक तौर पर दिक्कत का सामना करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
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