अमृतसर। बहुचर्चित शौर्य चक्र विजेता बलविंदर सिंह हत्याकांड की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) करेगी। तरनतारन के भिखीविंड में आतंकियों ने 17 अक्टूबर 2020 को एक्टिविस्ट बलविंदर सिंह की हत्या कर दी थी। उनके परिवार ने हत्यांकाड की जांच CBI से कराने की मांग की थी।
बलविंदर सिंह ने पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद के दौर में बहादुरी से आतंकियों का मुकाबला किया था। उन पर 42 बार हमले हुए थे। इसके चलते उन्हें परिवार समेत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। उनके जीवन पर कई टेलीफिल्में भी बन चुकी हैं। बलविंदर सिंह कस्बे में निजी स्कूल चलाते थे।
परिवार के साथ मिलकर 200 आतंकियों को खदेड़ा था
सितंबर 1990 में पंजवड़ ने 200 आतंकवादियों के साथ बलविंदर सिंह के घर में हमला किया था। आतंकवादियों ने बलविंदर के घर को चारों तरफ से घेर लिया था। उनके घर जाने वाले सभी रास्ते भी ब्लॉक कर दिए थे, ताकि पुलिस व अर्धसैनिक बल मदद को न आ सकें। 5 घंटे चली मुठभेड़ में पंजवड़ भाग खड़ा हुआ था और उसके कई गुर्गे मारे गए थे।
घर में बनाए गए मोर्चे से परिवार के सभी सदस्यों ने आतंकवादियों का बहादुरी से मुकाबला किया था। इसके बाद बलविंदर सिंह का नाम सुर्खियों में आ गया था। 1993 में गृह मंत्रालय की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने बलविंदर सिंह, उनके बड़े भाई रंजीत सिंह और उनकी पत्नियों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया था।
कांट्रैक्ट किलिंग थी बलविंदर सिंह की हत्या
शौर्य चक्र विजेता बलविंदर सिंह संधू की हत्या कांट्रैक्ट किलिंग थी। गैंगस्टर सुख भिखारीवाल ने की तीन लाख रुपये की सुपारी ली थी, जो गुरजीत सिंह और सुखदीप सिंह ने दी थी। भिखारीवाल ने हत्या आरोपियों को बताया था कि बलविंदर सिंह मामूली आदमी है। उन्हें बाद में पता चला कि वो शौर्य चक्र विजेता है।
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