-एलइडी प्रोजेक्ट के तहत हर स्कूल को 11 हजार रुपये में 48 इंच की एलईडी खरीदने के आदेश
बठिडा. शिक्षा विभाग की तरफ से सरकारी
स्कूलों को स्मार्ट स्कूल में तब्दील करने के लिए शुरू किया गया अभियान अध्यापकों
को लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। कभी दानी सज्जनों के सहयोग से स्कूल में सुविधाओं
का प्रबंध करना, तो कभी
अपने स्तर पर स्कूल की समस्याओं को दूर करना है। अब शिक्षा विभाग ने एक नया फरमान
जारी कर दिया है, जिसमें
सरकार ने एलइडी प्रोजेक्ट के तहत हर स्कूल को 11 हजार रुपये में 48 इंच की एलईडी खरीदने के आदेश
दिए हैं। इसके लिए जिले 276 सरकारी हाई सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को 30,36,398
और
प्राइमरी स्कूलों को 54,78,000 रुपये का फंड भी जारी किया जा चुका है, लेकिन टीचर परेशान हैं कि 11 हजार रुपये में सरकार के तय
मापदंडों पर एलईडी कैसे खरीदें।
अध्यापकों को कहना है कि 11 हजार रुपये में 48 इंच की एलईडी नहीं आती। यहां तक
कि 11 हजार रुपये में 40 से 45 इंच की एलईडी भी नहीं आती। इसके मद्देनजर शिक्षा विभाग में
अध्यापकों में रोष देखने को मिल रहा है। अध्यापकों द्वारा इस संबंध में शिक्षा
विभाग को लिख कर भेज दिया गया है कि 11 हजार में हम एलईडी नहीं खरीद
सकते, जबकि
शिक्षा विभाग के एक पत्र के मुताबिक सरकारी स्कूल केवल 11 हजार की राशि में 48 इंच की स्मार्ट एलईडी खरीदेंगे।
इसकी खरीद संबंधी तय किए गए मापदंड का सख्ती से पालन करने की हिदायत भी की गई है, जबकि सच यह है कि निर्धारित बात
पर खरी उतरने वाली एलईडी इस राशि में मिलनी संभव ही नहीं है। साथ ही कहा गया है कि
मापदंड के मुताबिक एलईडी नहीं मिलती है तो स्कूल अपने स्तर पर इसका प्रबंध करें।
इस कारण अध्यापकों व स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के लिए यह मानसिक परेशानी बनती जा रही
है। शिक्षा विभाग आधी अधुरी ग्रांट जारी कर इसका भार स्कूल मैनेजमेंट कमेटी व
अध्यापकों पर डाल रहा है। पहले ही खुद के खर्च से स्कूल चला रहे अध्यापक
डेमोक्रेटिक
टीचर्स फ्रंट के प्रधान रेशम सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा स्मार्ट स्कूल
बनाने की पालिसी अध्यापकों को थोपी जा रही है। स्मार्ट स्कूल प्रोजेक्ट चलाया तो
जा रहा है, लेकिन
इसके साथ ही जो फंड जारी किया जाता है, उसमें पंजाब सरकार सिर्फ 40 प्रतिशत ही डालती है। बाकि का 60 प्रतिशत स्कूलों में अध्यापकों
द्वारा डाला जाता है। इस बार फिर शिक्षा विभाग ने एलईडी प्रोजेक्ट के तहत 11 हजार रुपये जारी तो कर दिए, लेकिन सरकारी स्कूलों में बाकी
के पैसे अध्यापकों को भरने पड़ेंगे। पहले ही सरकारी स्कूलों को अध्यापक खुद के
खर्चे से चला रहे हैं। इसके अलावा बिजली के बिल भी कई स्कूलों में अध्यापक ही भर
रहे हैं। अब शिक्षा विभाग स्मार्ट स्कूल का पूरा भार अध्यापकों को थौंप रही है।
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यह ग्रांट सरकार द्वारा दी गई है। अगर कुछ शिक्षक यह एलईडी
नहीं खरीद सकते, तो वह
पैसे वापस दे सकते हैं। यह शिक्षा विभाग का फैसला है। ग्रांट भी शिक्षा विभाग
द्वारा जारी की गई है। हर स्कूल को 11 हजार रुपये में ही एलइडी खरीदनी
पड़ेगी। अगर फिर भी मुश्किल हैं, तो वह दानी सज्जनों के सहयोग से कार्य कर सकते हैं।
- इकबाल
सिंह बुट्टर, उपजिला
शिक्षा अधिकारी
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