हिसार/झज्जर। कृषि कानूनों में सुधार की मांग को लेकर कई जगह आंदोलन चल रहा है। मगर हरियाणाा के झज्जर जिले के पास ढांसा बॉर्डर पर चल रहे धरने में शुक्रवार शाम एक अलग ही वाकया देखने को मिला।
आंदोलनकारी किसानों को संबोधित करने पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत से एक छात्रा ने ऐसा सवाल पूछ लिया कि हंगामा हो गया। मंच पर पहुंची छात्रा ने जब माइक मांगा तो दे दिया गया मगर जैसे ही लड़की ने राकेश टिकैत से 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बारे में सवाल पूछा तो माहौल गरम हो गया। दरअसल, राकेश टिकैत शुक्रवार को ढांसा बॉर्डर पर विनोद गुलिया की अध्यक्षता में चल रहे धरने में लोगों से मुलाकात करने और अपना संदेश देने पहुंचे थे।
युवा लड़की ने कहा कि मैं पूछना चाहती हूं कि दिल्ली में 26 जनवरी के दिन जो हिंसा हुई उसके लिए कौन जिम्मेदार है। अगर प्रदर्शनकारी जिम्मेदार नहीं है, सरकार जिम्मेदार नहीं है तो कौन जिम्मेदार है। 26 जनवरी जैसी घटना में किसका हाथ था, हमें नहीं पता। लेकिन, हमारे समाज, हमारे मेल-मिलाप पर इसका क्या असर पड़ रहा है। यह देखा जाना चाहिए। बात पूरी होती इससे पहले ही वहां खड़े किसान नेताओं ने युवा लड़की से ही सवाल पूछने शुरू कर दिए। माइक भी बंद कर दिया और युवा लड़की का नाम पूछा गया। लड़की ने बेबाकी से अपना नाम भी बता दिया।
लड़की ने माइक बंद होने के बाद भी अपनी बात जारी रखी और कहा कि अगर देश में 26 जनवरी जैसी हिंसा होगी तो देश का युवा सवाल तो पूछेगा ही। इस दौरान एक महिला भी मंच पर आ गई और युवा लड़की से सवाल करने लगी। युवा लड़की इस दौरान सभी से अकेली ही अपनी बात कहती रही और कहा कि मैंने किसी को दोषी नहीं कहा, बस ये सवाल किया है कि आखिर इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन है। मगर लड़की की बात नहीं सुनी गई।
मंच पर सवाल पूछने के दौरान हुए इस वाकये की वीडियो भी वायरल हो गई है। दरअसल, पहले यह लड़की किसान आंदोलन के समर्थन में बोली। फिर उसने मिले जुले सवाल करना शुरू किया और इसके बाद 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा पर भी सवाल पूछ लिया। इसके बाद मामला गरमा गया। हालांकि, राकेश टिकैत ने बाद में अपनी बात भी रखी। जो कि काफी सीमित रही और लड़की को अपने सवालों का जवाब नहीं मिला।
26 जनवरी पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई थी हिंसा
इस दौरान पेंट शर्ट पहने युवा लड़की ने कहा कि राकेश टिकैत ने ये तो बता दिया कि कृषि कानूनों से कितना नुकसान होगा। मगर ये कह रहे हैं कि जब तक सरकार मांगें नहीं मानती आंदोलन खत्म नहीं होगा। मैं पूछना चाहती हूं अगर किन्हीं परिस्थितियों में सरकार और किसानों के दोनों पक्ष में एक फीसद या फिर .005 फीसद भी पीछे नहीं हटे तो फिर समाधान किस बात पर होगा। यह जवाब सभी को चाहिए। धरने का समाधान मिलना चाहिए। ताकि, युवा भी परेशान नहीं हो और किसान भी परेशान नहीं हो।
बता दें कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हिंसा हो गई थी। कुछ प्रदर्शनकारी लाल किला में पहुंच गए थे और यहां लगे पोल पर धर्म विशेष झंडा फहरा दिया गया था। इस मामले के बाद देशभर में विवाद हो गया था। मगर राकेश टिकैत और गुरनाम चढूनी ने इसे सरकारी की एक सोची समझी साजिश बताया था। मामले में पंजाबी फिल्म अभिनेता दीप सिद्धू का नाम भी सामने आया था। संयुक्त किसान मोर्चा ने भी कहा था कि इस घटना से किसानों को कोई लेना देना नहीं है। प्रदर्शनकारी किसानों के ट्रैक्टर भी तय रूट से अलग दिशा में चले गए थे और दिल्ली पुलिस से शाम तक झड़प होती गई।
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