बठिंडा: एक ओर कोरोना महामारी का रूप धारन कर चुकी है वहीं दूसरी ओर लीवर डैमेज के कारण जान का खतरा भी बना हुआ है। शराब का अधिक सेवन, खान पान में लापरवाही, काला पीलिया, मोटापा, व कोरोना जैसी भ्यानक बीमारी से लीवर भी संक्रमित होने लगे, ऐसे में 80 प्रतिशत लीवर डैमेज के बाद इसका बदलना अति आवश्यक हो चुका है। इसके इलाज पर ओर लीवर प्रत्यारोपन पर 40 से 50 लाख का खर्च आता है। बठिंडा के डाक्टर गगनदीप गेस्ट्रो विशेषज्ञ ने 95 प्रतिशत लीवर डैमेज होने के बाद जहां एक महिला की जान बचाई वहीं लीवर डैमेज मरीजों में आशा की नई किरण पैदा की।
सरदूलगढ़ की रहने वाली अनीता पत्नी राकेश कुमार को कुछ समय से काला पीलिया हो गया था जिससे उसका लीवर 95 प्रतिशत डैमेज हो गया, इलाज के लिए उसके परिजन हरियाणा के सिरसा, राजस्थान के जयपुर, दिल्ली आदि स्थानों के चक्कर निकालते रहे लेकिन मरीज की हालत बिगड़ती रही। आखरी चांस लेते हुए मरीज को बङ्क्षठडा लाया गया जांच में पाया कि उसका 95 प्रतिशत लीवर डैमेज हो चुका है जिसका एक ही इलाज लीवर प्रत्यारोपन था। डाक्टर गगनदीप ने यू.एस.ए. की अंतर्राष्ट्रीय विधि से इलाज शुरू किया और कुछ ही सप्ताह में मरीज की हालत सुधरने लगी ओर लीवर भी पूरा काम करने लगा। अस्पताल में दाखिल अनीता रानी ने बताया कि अब उसे जल्द ही छुट्टी मिल जाएगी परन्तु वह बेहद खुश है उसकी जान बच गई क्योंकि वह लीवर प्रत्यारोपन पर 40 लाख रुपए खर्च करने में असमर्थ थी।
तीन किस्मों में फैलने वाला काला पीलिया ए,बी,सी की वैक्सीन है लेकिन सी का इलाज केवल सरकारी अस्पताल में ही संभव है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसका सीधा असर लीवर पर पड़ता है और धीरे धीरे रोगी मौत की कंगार में चला जाता है। काला पीलिया को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को जागरूक करने के लिए डाक्टरों को प्रेरित भी किया तांकि बीमारी से बचा जाए। डब्लयू, एच.ओ. का कहना है कि यह एक ऐसी भ्यानक बीमारी है जांच करवाने आने वाले 200 रोगियों में से 40 मरीज काला पीलिया से पीडि़त निकलते है जो ङ्क्षचता का विषय है। उनका कहना है कि 80 प्रतिशत लीवर डैमेज होने के बाद ट्रांस्प्लांट जरूरी है। हर वर्ष 19 अप्रैल को विश्व लीवर दिवस मनाया जाता है और उस दिन शिविर लगाकर लोगों को इससे बचने के लिए जागरूक किया जाता है। गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशू में काला पीलिया होने के 50 प्रतिशत संभावना बनी रहती है। इस बीमारी का पहले पता नहीं चलता लेकिन जब रोगी की हालत बिगडऩे लगती है तब तक बीमारी तीसरे चरण में चली जाती है। कोविड सेंटर में निशुल्क सेवा प्रदान करने वाले जाने माने डाक्टर गगनदीप गरीब रोगियों के लिए समॢपत है ओर विश्व लीवर दिवस पर निशुल्क शिविर लगाकर जांच करते है और इसी शिविर के दौरान उन्हें इस मरीज का पता चला जिसका निशुल्क इलाज भी किया गया।
ध्यान रखने योग्य बातें
- पेशाब में पीलापन आना
- तवचा नाखुन व आंखों में पीलापन नजर आना इसकी निशानी है
- घर का बना खाना खाएं
- स्वच्छ जल पीऐ
- सूई का बार बार इस्तेमान न करे
- गुलूकोज का इंजैक्शन जरूर लगवाएं
- रक्तदान जरूर करे
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