बठिंडा। हाल ही में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए तो परिणाम का इंतजार हो रहा है। इस स्थिति में राज्य में चुनाव आचार सहिंता लगी है। चुनाव आचार सहिंता के साथ नगर निगम बठिंडा में भी कमिश्नर की तैनाती नहीं है। ऐसे में बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारियों की जमकर मनमानी चल रही है व शहर में दर्जनों अवैध इमारतों का निर्माण बेखौफ होकर करवाया जा रहा है।पिछले एक साल से कभी नगर निगम चुनाव तो अब विधानसभा चुनाव के नाम पर लोगों को नियमों के विपरित शहर में इमारते बनाने की खुली छूट मिली हुई है। अधिकारी लोगों को नोटिस निकाल रहे हैं उन्हें बिल्डिंग का काम रोकने की बात कह रहे हैं लेकिन कुछ समय बाद ही अपनी जेबे गर्म कर इमारतों को कैसे बनाना है उसकी जुगत देकर काम शुरू करवा रहे हैं। नगर निगम के तमाम कायदे कानून को ठेंगे पर रखकर शहर में अवैध निर्माण खासकर अस्पतालों व बड़े-बड़े शोरूमों की बिल्डिंगं रातों रात तैयार हो रही है। इसमें कई बिल्डिंगें तो ऐसी है जो पिछले कई सालों से विवादों के चलते बन ही नहीं सकी लेकिन इन चुनावों में इन इमारतों को भी निर्माण की खुली छूट प्रदान कर दी गई। हालात यह है कि प्रतिबंधित क्षेत्र में कमर्शियल इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे में शहर में नियम ढह रहे हैं और इमारतें बन रही हैं। बठिंडा की मानसा रोड पर असलहा डिपो के पास किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता, लेकिन अब धड़ाधड़ इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। शहर की बीबी वाला रोड़, ग्रीन सीटी रोड. डा. नारंग रोड. 100 फुटी रोड पावर हाउस सहित शहर के हर बाजार व प्रमुख सड़कों के किनारे बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण धडल्ले से किया जा रहा है। अवैध निर्माण करने वालों पर न तो निगम ही शिकंजा कंस रहा है और न ही जिला प्रशासन। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इनका निर्माण जहां निगम की नाक तले किया गया, वहीं निगम ने इन निर्माणों पर कार्रवाई के नाम पर मात्र कागजों का पेट भरा। खानापूर्ती के तौर पर आरापित को नोटिस जारी किए।
शहर का
नक्शा बिगाड़ रहे अवैध निर्माण
शहर में धड़ाधड़ हो रहे अवैध
निर्माण के कारण जहां निगम को करोड़ों रुपये की चपत तो लगी ही, शहर का नक्शा भी बिगड़ गया। रिहायशी क्षेत्रों में कमर्शियल
निर्माण भी कर दिए, मगर
राजनीतिक दबाव व मिलीभगत के चलते किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बिना कंप्लीशन के लगे बिजली व
पानी कनेक्शन
यह मामला मात्र अवैध निर्माणों
तक ही सीमित नहीं। निकाय विभाग ने अवैध निर्माणों व बिना कंप्लीशन सर्टीफिकेट के
इमारतों को बिजली व पानी, सीवरेज
कनेक्शन जारी करने पर पाबंदी लगाई है, मगर ब¨ठडा में बनी इन इमारतों में लगभग तमाम में बिजली, पानी व सीवरेज कनेक्शन भी लगा दिया। इससे निकाय विभाग के
निर्देशों को भी ताक पर रखा गया।
निगम की
नाक तले चल रहे हैं निर्माण
अभी भी निगम नींद में है व शहर
में राजनीतिक संरक्षण के तले अवैध निर्माण जारी हैं। शहर में जांच की जाए तो ऐसे
दर्जनों मामले सामने आ जाएंगे। मगर निगम गहरी नींद में है।
12
सौ मीटर के दायरे में नहीं हो
सकतार निर्माण
आयुध डिपो के प्रतिबंधित
क्षेत्र 12 सौ मीटर के दायरे में निर्माण के
मामले में प्रशासन दोहरा मापदंड अपना रहा है। आम आदमी प्रतिबंधित क्षेत्र में
निर्माण करे,
तो उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया
जाता है, लेकिन राजनीतिज्ञ कराएं तो उसे कोई
रोकने वाला नहीं।
शहर में जब भी कोई अवैध इमारत का निर्माण शुरु होता है तो निगम
के अधिकारी उस ईमारत को रोकने के लिए नहीं आते। लेकिन जब ईमारत बनकर तैयार हो जाती
है तो निगम के अधिकारी उनके पास आते हैं। लेकिन पता नहीं उनमें क्या बात होती है
कि उसके बाद वे उससे भी ऊपर वाली मंजिल बनाना शुरू कर देते हैं। अपना दामन पाक साफ
दिखाने के लिए निगम अधिकारी अवैध इमारतें बनाने वाले लोगों को नोटिस जारी करके
खानापूर्ति कर देते हैं। इसके बाद भी वे इमारतें बनती रहती हैं।
इससे पहले भी ऐसे की लोगों ने मनमानी
लोकसभाचुनाव 2014 में 150 अवैध इमारतें बनी तो 2015 निगम चुनाव में
125 इमारतें रातों
रात बना दी गई। 2017 विधानसभा चुनाव में नगर निगम रिकार्ड में 28 इमारतें बनी है
जबकि शहर के आउटर एरिया के साथ गली मोहल्लों में बनी इमारतों को जोड़ दिया जाए तो
यह तादाद 80 से ऊपर पहुंच
जाएगी। साल 2003-04 में 60, 2004-05
में 58, 2005-06
में 82, 2006-07
में 91 इमारतें बनी। साल 2007 विधानसभा चुनाव के दौरान 121, लोकसभा चुनाव 2009 में 114 इमारतें अवैध
तौर पर खड़ी की गई। 2010-11 में 25 तो 2012 विस चुनाव में 175 इमारतें खड़ी हो गई।