बठिंडा : कोरोनावायरस संक्रमण से ठीक होने के 3 महीने बाद भी मरीजों में हार्ट संबंधी समस्याएं देखी जा रही हैं। कोरोना रोगियों के बीच महीनों के बाद भी सांस लेने में कठिनाई, शरीर में थकावट और पसीना अधिक स्पष्ट लक्षण हैं। हमेशा कोविड संक्रमण के अनुक्रमण के लिए इन लक्षणों को शामिल करना वास्तव में भ्रामक हो सकता है और रोगियों का हमेशा विस्तृत हृदय जांच के लिए मूल्यांकन किया जाना चाहिए।पंजाब रतन अवार्डी और मेदांता अस्पताल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग में वाइस चेयरमैन डॉ रजनीश कपूर ने मंगलवार को एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बात कही।
उन्होंने बताया कि कोरोनोवायरस एक रेस्परटॉरी (सांस सबंधी) संक्रमण है, लेकिन हृदय प्रणाली के विभिन्न हिस्सों में हृदय की मांसपेशियों से लेकर रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में सूजन का कारण भी बताया गया है।
मेदांता में कोविड रोगियों के इलाज के दौरान हमारे बड़े अनुभव के मुताबिक, कोविड के इलाज वाले 10 प्रतिशत रोगियों में गंभीर हृदय रोगों के बारे में पता चला है।
एक अन्य स्पेक्ट्रम में, कई कोविड उपचारित रोगियों को कोविड संक्रमण के समाधान के महीनों बाद हृदय संबंधी जटिलताओं का भी पता चलता है।
वायरस के कारण ब्लड क्लोट फार्मेशन देखा गया है, जिसे थ्रोबोसिस के रूप में जाना जाता है। यह एंडोथेलियम (धमनियों की अंतरतम परत) डिसफंक्शन की ओर भी ले जाता है। जिन मरीजों को इस तरह के कंडीशन का सामना करना पड़ता है, उन्हें दिल का दौरा पडऩे या स्ट्रोक होने का खतरा अधिक होता है।
उन्होंने कहा, हमारे पास सांस लेने में तकलीफ, सांस फूलना, दिल की धडक़न तेज होना जैसे मामले आ रहे हैं। उनमें से कई (लगभग 40) में कोविड-19 के हल्के, मध्यम या गंभीर स्तरों का संक्रमण रहा है। यहां तक कि जिन लोगों में कोई हृदय संबंधी समस्या नहीं है, वे भी कोरोना से हृदय की जटिलताओं का शिकार हो सकते हैं।
पोस्ट रिकवरी जब इन लोगों को साँस लेने की जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, तो फेफड़ों की जाँच होती है। ईसीजी टेस्ट से दिल की स्थिति का पता चलता है। पोस्ट कोविड रिकवरी व्यायाम को फिर से शुरू करने के 6-8 सप्ताह तक बचना चाहिए और फिर धीरे-धीरे इसे फिर से शुरू करना चाहिए।
हम रोगियों में असामान्यताओं के साथ कई मामले पा रहे हैं। इसलिए हम रिकवर लोगों के दिल पर कोरोना के प्रभाव को समझने के लिए एक अध्ययन कर रहे हैं। बहुत सारी इको-कार्डियोलॉजी हैं जिन्हें समझने के लिए उठाया जा सकता है कि भविष्य में क्या जटिलताएं हो सकती हैं। यदि हम पहचान कर सकते हैं, तो हम भविष्य में अधिक सतर्क हो सकते हैं, डॉ कपूर ने कहा।
मरीजों को संकेतों और लक्षणों को पहचानने में सावधानी बरतने से हृदय रोग संबंधी मृत्यु दर के जोखिम को कम किया जा सकता है। एक साधारण ईसीजी टेस्ट से पता चल सकता है कि लक्षण दिल से संबंधित हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि दिल से जुड़ी ज्यादातर बीमारियां पूरी तरह से इलाज योग्य हैं, बशर्ते चिकित्सा समय पर दी जाए।