Sunday, February 7, 2021

हादसा:चाइना डोर से उलझकर गिरा बाइक सवार; टांग और अंगुली टूटी, ठोढ़ी में लगा कट, अस्पताल में भर्ती



  • हादसा:चाइना डोर से उलझकर गिरा बाइक सवार; टांग और अंगुली टूटी, ठोढ़ी में लगा कट, अस्पताल में भर्ती
  • मोगा में नेशनल हाईवे पर चाइना डोर की वजह से हुआ बड़ा हादसा

मोगा। शनिवार सुबह घर से दुकान पर काम करने जा रहा बाइक सवार 24 साल का युवक नेशनल हाईवे पर चाइना डोर गले में लिपटने से बेकाबू होकर सड़क के किनारे खड़े दोपहिया वाहनों से जा टकराया। इससे वह उछलकर अन्य वाहनों पर जा गिरा। हादसे के उपरांत उसकी ठोढ़ी के नीचे, एक अगुली व टांग बुरी तरह से जख्मी हो गई। उसे तुरंत सरकारी अस्पताल में ले जाया गया। जहां उसकी टोढ़ी के नीचे चार टांके लगे। जबकि टांग टूट गई है। गांव दुन्नेके स्थित बाबा जीवन सिंह नगर निवासी माइकल मसीह 24 साल ने बताया कि वह भीम नगर कैंप में कपड़े की दुकान पर काम करता है।

रोजाना की तरह शनिवार सुबह 11 बजे घर से बाइक पर भीम नगर कैंप स्थित दुकान पर जा रहा था। जैसे ही उसकी बाइक नेशनल हाईवे पर बंगाली हलवाई की दुकान के निकट पहुंचा अचानक उसके गले में चाइना डोर आकर लिपट गई। बेकाबू होकर पुल के साथ दोपहिया वाहनों से टकरा गया। इससे घायल हो गया। तीन दिन पहले ही एक 9वी के छात्र की चाइना डोर से पैर कट गया था।

गौरतलब है कि जानलेवा सिंथेटिक डोर जब चीन से आई तो लोगों ने नाम रखा गट्‌टू लेकिन अब इसका निर्माण देश में होने लगा है। इसे बेचने पर धारा 144 के तहत स्थानीय स्तर पर प्रतिबंध है लेकिन हकीकत यह है कि सिटी में हर गली-मोहल्ले में ये बिक रही है। पैरेंट्स भी सख्ती से इसे खरीदने से बच्चों को रोक नहीं पा रहे और दुकानदार लगातार होती डिमांड के चलते इसे बेचना बंद नहीं कर रहे।

नतीजा यह है कि आए दिन कोई न कोई हादसा हो रहा है। खास बात है कि अगर कोई चाइनीज डोर बोले तो दुकानदार इनकार कर देते हैं लेकिन सिंथेटिक डोर के नाम पर 500 से 800 रुपए किलो के हिसाब से तुरंत दे दी जाती है। शनिवार को दुकानदारों ने तर्क दिया कि ये चाइनीज नहीं, सिंथेटिक डोर है और दिल्ली, गुड़गांव से पंजाब में इसकी सप्लाई होती है।

सिंथेटिक डोर बेचने पर सजा का प्रावधान

प्रतिबंध के बावजूद चाइना डोर बेचने वाले आरोपी पर पुलिस आईपीसी की धारा-188 के तहत केस दर्ज किया गया था। आरोप साबित होने पर 6 महीने तक की कैद या एक हजार रुपए तक जुर्माना की सजा का प्रवाधान है या दोनों सजाएं भी हो सकती है।

कई दुकानदार सरेआम तो कई चोरी-छिपे बेच रहे प्रतिबंधित डोर

केस-1 - तिलक नगर में गुरुद्वारा साहिब के पास तीन दुकानों पर सिंथेटिक डोर धड़ल्ले से बेची जा रही है। डिमांड करने पर दुकानदार पहले पैसे की मांग करता है और फिर घर के अंदर से गट्टू लगाकर ग्राहक को थमा देता है। अगर कोई जानकार हो तो बिना किसी हिचकिचाहट से डोर उसके सामने रख दी जाती है। यहां 500 से लेकर 800 रुपए तक का गट्‌टू बिक रहा है।

केस-2 - किशनपुरा में सरकारी स्कूल के पास तेल वाली गली में खुलेआम सिंथेटिक डोर के गट्टू बेचे जा रहे हैं। इमाम नासिर, चरणजीत पुरा चौक में पतंग बेचने वालों ने गट्टू दुकानों में नहीं रखे। ग्राहक संदिग्ध न लगे तो गट्टू लाकर उसे दे दिया जाता है।

केस-3 - बस्ती शेख छेवीं पातशाही गुरुद्वारा के पास पतंग की मशहूर दुकान पर प्लास्टिक की डोर एनिमल प्रोटेक्शन फाउंडेशन के सदस्यों ने भी खरीदी। दो गट्‌टू दुकानदार से बच्चे ने लाकर दिखाए। फाउंडेशन की सदस्य जसप्रीत कौर ने बताया कि गट्‌टू उन्हें दुकानदार ने अपने घर के अंदर गली में से लाकर दिए। इस संबंधी उन्‍होंने थाना-5 और एसीपी वेस्ट को भी फोन कर जानकारी दी है।

चीन से पहली बार 2015 में मांझा आया। इसे स्थानीय नाम गट्‌टू दिया गया। सिंथेटिक पॉलीमर्स बेस होने के चलते ये मांझा कटता नहीं है। अब इसका निर्माण भारत में ही होने लगा है। जालंधर के व्यापारी इसे दिल्ली से मंगवाते हैं। प्लास्टिक से बनी डोर हाथों को काटती है। वहीं, दुकानदार इसे इंडियन डोर बताते हैं और कहते हैं- दिल्ली, गुड़गांव और आसपास के इलाकों से जालंधर में आ रही है। जबकि पारंपरिक मांझा धागे से बनता है, जोकि ये खतरनाक नहीं है।

सिंथेटिक डोर के नुकसान
1. सिंथेटिक डोर पेड़ों व बिजली की तारों आदि में कई साल फंसी रह सकती है। ये धूप व बारिश से गलकर खत्म नहीं होती। इसमें पेड़ों पर बैठने आए पक्षी अटक जाते हैं।

2. सिंथेटिक डोर सड़कों पर कहीं न कहीं अटक जाती है, जिससे अक्सर हादसे हो रहे हैं।

3. जो बच्चे इससे पतंग उड़ाते हैं, वे कई बार बिजली की तारों से झटका भी झेल चुके हैं।

पारंपरिक मांझा बनाने वाले बोले- काम आधा हो गया

डीएवी कॉलेज के खेल मैदान के सामने पारंपरिक डोर बनाने वाले मोहन सिंह कहते हैं- हमारा काम आधा रह गया। पहले बसंत से पहले पतंगबाज हमारे पास आते थे और नए मांझा का ऑर्डर देकर जाते थे। मांझा भी वैसे ही लोग खरीदना चाहते हैं, जैसे उन्हें पतंग लड़ाने के तौर-तरीके पसंद हैं। किसी को ढील देकर दूसरी पतंग काटना पसंद है तो किसी को जल्दी से खींचकर काटना पसंद है। 50 रुपए का पिन्ना (गोला)। प्रति लड़ (तंद) 2 से 5 रुपए और ऑर्डर मेड कांच का मांझा बनाना हो तो पैसे अधिक लगते हैं।

जानकारी लेंगे और कार्रवाई करेंगे

डीसीपी इस संबंध में डीसीपी गुरमीत सिंह ने कहा कि जहां भी सिंथेटिक डोर बिक रही है, उन इलाकों की जानकारी हासिल करके कार्रवाई की जाएगी। सिंथेटिक डोर की बिक्री पर प्रशासन ने धारा 144 लगाई है।

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