बठिंडा. सन्त निरंकारी मण्डल के प्रधान तथा मिशन के समर्पित संत पूज्य गोबिन्द सिंह जी का आज 24 अप्रैल की भोर 3.20 बजे जालंधर (पंजाब) में दुःखद निधन हो गया। उनकी उम्र 86 साल थी। पूज्य गोबिन्द सिंह जी, जिन्हें आदर से ‘भाईया जी’ कहते थे का जन्म 20 जुलाई, 1935 को जिला झेलम (अब पाकिस्तान में) हुआ। उनके तप-त्याग एवं असाधारण योगदानों को मिशन के इतिहास में हमेशा याद किया जायेगा। बाबा गुरबचन सिंह जी द्वारा बनाई गई 51 सदस्यीय वर्किंग कमेटी के आप संस्थापक चैअरमन थे। आगे वर्ष 1987 में बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने आप को सन्त निरंकारी मण्डल के जनरल सेक्रेटरी के रूप मनोनित किया। मिशन के वार्षिक सन्त समागमों के चैयरमैन के रूप में आप निरंतर सेवाएं देते रहे।
पूज्य गोबिन्द सिंह जी ने सन्त निरंकारी मण्डल के विभिन्न विभाग- जैसे जमीन एवं भवन निर्माण, आस्थापना, सामान्य प्रशासन, ब्रांच प्रशासन एवं संयोजन का बड़े ही सक्षमतापूर्वक निर्वाह किया। आपने अपनी सारी सेवाएं समर्पित भाव से एवं पूर्ण भक्तिभाव निभाई। सन्त निरंकारी मण्डल के प्रधान के रूप में जिम्मेदारी सम्भालने से पहले आपने मिशन के केन्द्रीय योजना एवं सलाहगार बोर्ड के प्रथम चैअरमन के रूप में सेवा निभाई।
उनके पश्चात दो पुत्र और एक पुत्री ऐसा परिवार है। आपजी की पत्नी चरणजीत कौर जी, जो बाबा अवतार सिंह जी की पुत्री थी, ने 22 जनवरी, 2009 में अपने नश्वर शरीर का त्याग किया था। पूज्य गोबिन्द सिंह जी ने अपने महान आध्यात्मिक जीवन द्वारा मानवता की सेवा में एक अमिट छाप छोड़ी है जो आने वाली पीढियों के लिए मार्गदर्शक एवं प्रेरणा का स्रोत बनीं रहेगी।
मानव एकता दिवस - बाबा गुरबचन सिंह जी की स्मृति में दिलों को जोड़ने का नाम है मानव एकता-सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
‘दिलों को जोड़ने का नाम है मानव एकता और यह सम्भव होता है परमात्मा के बोध से।परमात्मा की जानकारी होते ही पता चल जाता है कि हम सब एक हैं।’’ ये उद्गार निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने आज वर्चुअल रूप में आयोजित मानव एकता दिवस पर सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।संत निरंकारी मिशन के बाबा गुरबचन सिंह जी को 24 अप्रैल, 1980 के दिन संसार में मानव एकता, अमन, चैन का वातावरण स्थापित करते हुए सत्य की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी थी। उनके तप-त्याग से परिपूर्ण जीवन एवं शिक्षाओं से प्रेरणा लेने के लिए संत निरंकारी मिशन की ओर से यह दिन ‘मानव एकता दिवस’ के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस वर्ष वर्चुअल रूप में आयोजित मानव एकता समागम का लाभ पूरे विश्व में फैले लाखों निरंकारी भक्तों ने मिशन की वेबसाईट के माध्यम से प्राप्त किया।
सत्गुरु माता सुदीक्षा जी ने आगे कहा कि आत्मा और परमात्मा का जब मिलन हो जाता है तो मानव-मानव के बीच में जाति-पाति, ऊँच-नीच जैसा कोई फर्क़ नज़र नही आता बल्कि हर किसी की सेवा एवं मदद करने का भाव पैदा होता है। इसका व्यवहारिक रूप पिछले एक वर्ष से दिख रहा है कि कोरोना महामारी के संकट के दौरान मिशन के श्रद्धालु भक्तों ने विभिन्न रूपों में लगातार मानवता की सेवा में अपना योगदान दिया है।
बाबा गुरबचन सिंह जी ने एक ओर जहाँ सत्य के बोध द्वारा मानव जीवन को सभी प्रकार के भ्रमों से मुक्त करने का प्रयत्न कियाय वहीं दूसरी ओर नशाबंदी एवं सादा शादियाँ जैसे समाज सुधारों की नींव रखी। उन्होनें मिशन के सन्देश को केवल भारतवर्ष में ही नहीं अपितु विदेशों में भी पहुँचाया। जिसके परिणामस्वरूप आज विश्वभर के 60 से भी अधिक देशों में मिशन की सैंकड़ों ब्राँचे स्थापित हो चुकी हैं जो सत्य, प्रेम एवं मानवता का संदेश जन-जन तक पहुँचा रही हैं। बाबा गुरबचन सिंह जी ने युवाओं की ऊर्जा को नया आयाम देने के लिए उन्हें सदैव ही खेलों के लिए प्रेरित किया ताकि उनकी ऊर्जा को उपयुक्त दिशा देकर; देश एवं समाज का सुंदर निर्माण किया जा सके।
मानवता की निष्काम सेवाओं का एक और उदाहरण यह है कि दो-तीन दिन पहले ही मिशन की ओर से बुराड़ी रोड दिल्ली पर स्थित ग्राउंड नं.8 पर बने संत निरंकारी सत्संग भवन में दिल्ली सरकार के सहयोग से बना 1000 से भी अधिक बेड का कोविड ट्रीटमेंट सेंटर पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ मानवता की सेवा के लिए समर्पित किया जा रहा है।
सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने इस कोविड ट्रीटमेंट सेंटर का अवलोकन किया और इस अवसर पर निरंकार प्रभु से यही प्रार्थना की कि जो भी इस सेंटर में उपचार लें उसे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो। साथ ही साथ दुनिया पर छाया हुआ कोरोना महामारी का संकट जल्द से जल्द दूर होने के लिए भी सत्गुरु माता जी ने अरदास की।
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