नई दिल्ली। किसान आंदोलन के बीच सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को बवाल हो गया। स्थानीय लोगों और किसानों के बीच पत्थरबाजी हुई। इस दौरान अलीपुर SHO पर तलवार से हमला भी हुआ। इस मामले में पुलिस ने 44 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें अलीपुर SHO को तलवार मारने का आरोपी भी शामिल है। इधर, दोपहर के घटनाक्रम के बाद देर शाम संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने 30 जनवरी को सद्भावना दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की। मोर्चा के नेता इस दिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक उपवास रखेंगे।
शुक्रवार दोपहर करीब 1 बजे सिंघु बॉर्डर पर नरेला की तरफ से आए लोग धरनास्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने नारेबाजी करते हुए किसानों से बॉर्डर खाली करने की मांग की। इनका कहना था कि किसान आंदोलन के चलते लोगों के कारोबार ठप हो रहे हैं। पौने दो बजे तक ये लोग किसानों के टेंट तक पहुंच गए और उनकी जरूरत के सामान तोड़ दिए। इसके बाद किसानों और नारेबाजी कर रहे लोगों के बीच झड़प शुरू हो गई। दोनों ओर से पथराव भी हुआ।
हालात संभालते वक्त 5 पुलिसवाले घायल हुए
पुलिस ने बीच-बचाव की कोशिश की, लेकिन स्थिति बिगड़ते देख लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इस झड़प में 5 पुलिसवाले घायल हो गए। अलीपुर थाने के SHO प्रदीप पालीवाल भी तलवार से हुए हमले में जख्मी हो गए। बवाल के बाद हरियाणा सरकार ने एहतियातन 17 जिलों में कल शाम 5 बजे तक इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी है। इस दौरान केवल कॉलिंग सर्विसेज जारी रहेंगी।
टीकरी बॉर्डर पर भी किसानों के खिलाफ प्रदर्शन
किसान आंदोलन के दूसरे अहम पॉइंट टीकरी बॉर्डर पर भी कुछ लोगों ने किसानों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बॉर्डर खाली करने की मांग की। वे 26 जनवरी को लाल किले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा लगाने की घटना का विरोध कर रहे थे। उनके हाथों में बैनर थे, जिन पर लिखा था कि तिरंगे का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान। हालांकि, वहां कोई उपद्रव नहीं हुआ। अभी स्थिति सामान्य है, लेकिन एहतियात के तौर पर पुलिस ने बैरिकेडिंग और मजबूत कर दी है।
हरियाणा के 17 जिलों में कल तक इंटरनेट बंद
हरियाणा सरकार ने 17 जिलों में इंटरनेट सर्विसेज पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इनमें अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, पानीपत, हिसार, जींद, रोहतक, भिवानी, चरखी दादरी, फतेहाबाद, रेवाड़ी और सिरसा शामिल हैं। इन जिलों में वॉयस कॉल छोड़कर 30 जनवरी की शाम 5 बजे तक इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी। सोनीपत, पलवल व झज्जर में पहले ही इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाई गई है।
मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत
ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद पुलिस पिछले 2 दिनों से एक्शन में थी। इसके चलते गुरुवार को लगा कि गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन शायद खत्म हो जाए। लेकिन, देर रात भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के इमोशनल दांव के बाद आंदोलन और तेज होता नजर आ रहा है। मुजफ्फरनगर में शुक्रवार को किसान महापंचायत हुई, जिसमें शनिवार को किसानों से गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने को कहा गया।
UP और हरियाणा से गाजीपुर पहुंच रहे किसान
गाजीपुर बॉर्डर पर गुरुवार शाम 4 बजे तक भारी पुलिस बल की तैनाती के बाद माहौल ऐसा बन गया था कि किसानों को घर भेज दिया जाएगा। लेकिन, आधी रात को पुलिस को लौटना पड़ा। क्योंकि, किसानों ने आंदोलन तेज करने की तैयारी शुरू कर दी थी। UP और हरियाणा से हजारों किसान रात में ही गाजीपुर बॉर्डर के लिए रवाना हो गए थे और शुक्रवार सुबह से उनका गाजीपुर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया।
किसान नेता का आरोप- सरकार RSS के लोगों को भेजकर माहौल बिगाड़ रही
शुक्रवार दोपहर हुई झड़प से पहले किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सतनाम सिंह पन्नू ने केंद्र सरकार पर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार RSS के लोगों को भेजकर किसानों के धरनास्थल पर माहौल बिगाड़ रही है। लेकिन, कृषि कानूनों की वापसी होने तक हम वापस नहीं जाएंगे।'
टिकैत धरना खत्म करने को राजी थे, विधायक की धमकी से अड़ गए
गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत गुरुवार शाम 6 बजे अफसरों के साथ बैठक के दौरान धरनास्थल से हटने को तैयार हो गए थे। लेकिन, कुछ देर बाद भाजपा विधायक नंद किशोर की एंट्री होने से मामले ने यू-टर्न ले लिया। नंद किशोर अपने समर्थकों के साथ धरनास्थल के पास पहुंच गए। उन्होंने पुलिस से कहा कि आंदोलनकारियों को रविवार तक हटा लें, वरना हम हटाएंगे।
इसके बाद टिकैत भड़क गए। उन्होंने कहा कि ‘भाजपा का विधायक पुलिस फोर्स के साथ मिलकर किसानों का मारने आया है। इसलिए अब हम कहीं नहीं जा रहे।’ राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत ने भी कहा कि अब तीनों काले कानूनों का निपटारा करके ही लौटेंगे।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का केंद्र बने सिंघु बॉर्डर पर किसानों और कुछ स्थानीय लोगों के बीच झड़प होने की खबर है. इन स्थानीय लोगों को प्रदर्शनकारी बताया गया है. समाचार एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि वे उसी इलाके के रहने वाले हैं और किसानों से वहां से हटने को कह रहे हैं. खबर के मुताबिक, इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच न सिर्फ जमकर बहस हुई, बल्कि पत्थरबाजी की भी नौबत आ गई. इस बवाल के बीच कुछ प्रदर्शनकारियों ने अलीपुर थाने के SHO प्रदीप पालीवाल पर हमला कर दिया. इनमें से कुछ लोगों के हाथ में तलवार भी थी. हमले में प्रदीप पालीवाल घायल हुए हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उन पर यह हमला किस पक्ष की तरफ से किया गया.
कुछ कथित स्थानीय लोग शुक्रवार सुबह से ही सिंघु बॉर्डर के पास आकर प्रदर्शन कर रहे थे. वे हाइवे खाली कराने की मांग कर रहे थे. इस दौरान कथित तौर पर ‘तिरंगे का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ के नारे भी लगाए गए. बताया गया है कि दो पक्षों के बीच विवाद ने यहीं से तूल पकड़ा. दोनों के बीच संघर्ष हुआ तो पुलिस ने भी लाठीचार्ज कर दिया. एक व्यक्ति को हिरासत में लिए जाने के बाद कुछ देर के लिए बवाल रुका था. लेकिन दोपहर तक फिर पत्थरबाजी शुरू हो गई. इससे पहले 28 तारीख को भी सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर कुछ लोग हाईवे खाली कराने की मांग लेकर पहुंचे थे. लेकिन तब पुलिस ने उनको वहां से हटा दिया था.
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