बठिंडा. जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या जहां पहले से कम होने लगी है, वहीं ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या ने सरकार व सिस्टम की चिंता जरूर बढ़ा दी है। बठिंडा में ब्लैक फंगस के कुल 45 मरीजों में 25 मरीज जहां बठिंडा जिले से संबंधित हैं, वहीं 20 मरीज नजदीकी जिलों मानसा व मुक्तसर जिले से संबंधित हैं।
जिनमें अधिकांश का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में चल रहा है तथा इसमें 8 मरीजों की सर्जरी व इलाज हो चुका है, लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि इनके इलाज को सिविल अस्पताल सिस्टम को कोई विशेष गाइडलाइन जारी नहीं हुई हैं जिससे आगे क्या होग, कहना संभव नहीं है, लेकिन मरीजों के लिए एक अच्छी खबर यह है कि एम्स ने ब्लैक फंगस के इलाज को लेकर टॉस्क फोर्स का गठन कर दिया है जिसमें सीनियर डाक्टर्स के अलावा ईएनटी व अन्य टीम सदस्य शामिल हैं तथा अभी तक चार मरीजों को एम्स में इलाज शुरू किया गया है।
रविवार को जिले में हालांकि ब्लैक फंगस का कोई नया केस सामने नहीं आया है, लेकिन निजी अस्पताल के पोस्ट कोविड ओपीडी में ब्लैक फंगस के प्रतिदिन 1 से 2 नए मरीज चेकअप करवाने आ रहे हैं। पिछले दिनों ओपीडी में ब्लैक फंगस का संदिग्ध एक 4 वर्षीय बच्चा भी इलाज के लिए आया था। माहिर टीम द्वारा बच्चे के सैंपल लिए गए, जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने पर नार्मल ट्रीटमेंट देकर घर भेज दिया गया। फिलहाल बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है।
दो मरीजों का दूरबीन के साथ किया आपरेशन, कोरोना संक्रमित भी थे मरीज
ब्लैक फंगस के उपचार एम्स अस्पताल के डायरेक्टर प्रो. डीके सिंह व मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. सतीश गुप्ता की देखरेख में इलाज संबंधी विशेष टास्क फोर्स बनाई गई है। जिसमें ईएनटी विभाग के डा. वैभव सैनी की टीम शामिल है। डा. वैभव सैनी के अनुसार एम्स में ब्लैक फंगस के 4 मरीज दाखिल है। जिसमें एक मरीज पीजीआई चंडीगढ़ से रैफर होकर आया है। जबकि तीन मरीजों का इलाज जारी है। टीम द्वारा दो फंगस मरीजों का दूरबीन द्वारा सफल ऑपरेशन किया गया, दोनों मरीजों का आंख व नाक पूरी तरह सुरक्षित है। दोनों मरीज ब्लैक फंगस के साथ कोरोना पॉजिटिव भी थे। वहीं एक मरीज का ऑपरेशन अभी पेंडिंग है। फिलहाल टास्क फोर्स टीम द्वारा मरीजों के इलाज में पूरा प्रयास किया जा रहा है।
डा. वैभव सैनी ने बताया कि ब्लैक फंगस ऐसा रोग है, जो कि कोरोना संक्रमितों को अत्यधिक स्टेरायड लेने के बाद पनप रहा है। कोरोना मरीजों के फेफड़ों में इंफ्लामेशन यानी सूजन को कम करने के लिए स्टेरायड दिया जाता है। स्टेरायड से ब्लैक फंगस की संभावना बढ़ जाती है। कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले स्टेरायड के कारण मरीज का शुगर लेवल बढ़ जाता है। ऐसे हालात में मरीज को आसानी से यह फंगस इंफेक्शन हो जाती है। ये संक्रमित व्यक्ति के दिमाग तक पहुंच जाता है जिससे मरीज की मौत हो जाती है।
ब्लैक फंगस के इलाज को दवाओं की कमी
ब्लैक फंगस के इलाज में उपयोग होने वाला (एम्फोटेरिसिन-बी) एम्फो-बी इंजेक्शन उपलब्ध न होने की वजह से मरीजों के परिजनों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज में उपयोग होने वाली प्रमुख दवाइयों की कमी है, जिसके चलते समस्या आ रही है। इस संबंध में टीम अस्पताल प्रबंधन को अवगत करवा चुकी है। वहीं अस्पताल प्रबंधन द्वारा इलाज में उपयोग होने वाली की डिमांड केंद्र सरकार, राज्य सरकार व जिला प्रशासन को भेजी गई है। पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध होने पर संपूर्ण इलाज संभव है।
इलाज को पहले 9 दिन बेहद महत्वपूर्ण
कोरोना संक्रमण के पहले 9 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के चलते काले फंगस की चपेट में आ सकते हैं। माहिर डॉक्टर के अनुसार आंखों के साथ फंगस का उपचार नाक से फेफड़ों और मस्तिष्क के लिए बहुत खतरनाक होता है। कोरोना मरीजों को स्टेरॉयड, एंटीबायोटिक और एंटी फंगल दवाई दी जाती है। इनके लंबे समय तक इस्तेमाल से ब्लैक फंगस की गिरफ्त में आने की संभावना बढ़ जाती है। अगर संक्रमण नाक के रास्ते से फेफड़ों और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।
25 हजार का इंजेक्शन, सरकार 6 हजार में दे रही
डाक्टर डा. ग्रेस ने बताया कि नाक, कान व गले के रोगों से पीड़ित होकर आने वाले मरीजों में प्राइमरी स्टेज पर ही म्यूकरमाइकोसिस ब्लैक फंगस के मरीज चिह्नित कर तुरंत इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। अधिकतर मरीज मई माह में ब्लैक फंगस की पहचान करके सर्जरी की गई है। एंटी फंगल मेडिसिन के जरिए इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। ब्लैक फंगस के इलाज में जिला प्रशासन पूरा सहयोग रहा है, इलाज में उपयोग होने वाले कई इंजेक्शन 25 हजार रुपए का है, बाजार में उपलब्ध नहीं था, लेकिन प्रशासन द्वारा कंट्रोल रेट मात्र 6 हजार रुपए में इंजेक्शन उपलब्ध करवाया जा रहा है। वह एक माह में ब्लैक फंगस के प्राइमरी व गंभीर स्टेज के करीब 20 से 22 मरीजों का इलाज व ऑपरेशन कर चुकी हैं।
No comments:
Post a Comment