बठिंडा। एक जरूरतमंद परिवार की लड़की की शादी में मदद करने का फल एक व्यक्ति काे अपनी जान गंवाकर चुकाना पड़ा। घटना बठिंडा जिले के गांव हररायपुर की है जहां साल 2017 में लड़की के भाई ने बहन की शादी में मदद करने वाले व्यक्ति को अपनी कार के नीचे राैंद दिया था जिससे पीड़ित व्यक्ति की मौत हो गई थी। अदालत ने उक्त वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी भाई समेत दाे लाेगाें को उम्रकैद की सजा सुनाई है। गुरदेव सिंह वासी हररायपुर ने जून 2017 में थाना नहियांवाला पुलिस को दर्ज कराई शिकायत में बताया था कि वो बतौर ट्रक ड्राइवर काम करता है, करीब 3 महीने पहले उनके पड़ोसी सुखा सिंह की लड़की की
शादी थी। सुखा सिंह तथा उसके भाई रेशम सिंह के साथ उसकी अच्छी जान पहचान थी जिसके कारण रेशम ने उसे कहा कि उसकी भतीजी की शादी है वो उन्हें शादी के लिए कुछ सामान दिला दे। पड़ोसी होने के नाते उसने सुखा सिंह की लड़की की शादी के लिए एक वाशिंग मशीन, एलसीडी तथा 3500 रुपए नकद गोनियाना मंडी स्थित एक दुकान से दिला दिए। जिन्होंने कहा कि वे जल्द ही उसके रुपए वापस कर देंगे।
गांव हररायपुर का मामला : रुपए वापस मांगने पर दुश्मन बन गया था परिवार
गुरदेव सिंह के बयान के अनुसार दो महीने बाद जब उक्त दुकानदार ने अपने रुपए वापस मांगे तो उसने सुखा सिंह को दुकानदार के पैसे वापस करने को कहा। जिस पर उसने टाल मटोल करनी शुरू कर दी। इसके कुछ दिन बाद उसने सुखा सिंह के बेटे अर्शदीप उर्फ दीप को पैसे के बारे में कहा ताे उसने उसे जवाब दिया कि जब उनके पास पैसे होंगे वे लौटा देंगे तथा उन्हें बेवजह परेशान मत करो। 21 जून 2017 को उसे उक्त दुकानदार ने फिर से अपने पैसे वापस करने को कहा जिस पर उसने अर्शदीप को फोन किया ताे उसे जवाब दिया कि आज उसे रुपए दे ही देंगे।
इसके कुछ देर बाद अर्शदीप ने उसे फोन कर कहा कि वाे सड़क पर आ जाए। वो अपने गांव के ही रहने वाले जंटी सिंह को साथ लेकर घर के पास ही सड़क पर आ गए। शाम करीब 5 बजे का वक्त था, इतने में एक बिना नंबर की नई आई-20 कार वहां आकर रुकी जिसे अर्शदीप सिंह चला रहा था, उसके साथ एक व्यक्ति भी बैठा हुआ था। इस दाैरान गाड़ी के आगे बैठे व्यक्ति ने उसे जबरन गाड़ी मे बैठाने का प्रयास किया तो वो उससे छुड़ाकर पीछे हो गया। फिर अर्शदीप ने गाड़ी बैक कर उसकी टांगों में दे मारी तथा गाड़ी उसे घसीटते हुई काफी दूर तक ले गई, जिस कारण वो जख्मी हो गया। उसके शोर मचाने पर आराेपी फरार हो गए थे। इसके बाद उसके भाई सुखदेव सिंह ने उसे सिविल अस्पताल गोनियाना में दाखिल कराया जहां से डाक्टरों ने उसे आदेश अस्पताल रैफर कर दिया।