बठिंडा। विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति फायदा लेने के लिए पूर्व वित्तमंत्री की तरफ से बंद करवाएं डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के यूजर्स चार्जेज को अब नगर निगम बठिंडा दोबारा वसूल करेगा। इस बार यह वसूली 1 जनवरी 2021 से होगी यानि बठिंडा के लोगों काे एक साथ 14 माह के डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के यूजर्स चार्जेज निगम के ठेकेदार को चुकाने पड़ेगे। लोगों से यूजर्स चार्जेज वसूल करने के लिए नगर निगम ने पूरी तैयारियां शुरू कर दी। इसके साथ ही निगम के तमाम पार्षदों को पत्र लिखकर अपने-अपने वार्ड से ठेका लेने वाली कंपनी को डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के यूजर्स चार्जेज एकत्र करवाने में सहयोग देने की बात कहीं है, ताकि पिछले करीब छह माह से ज्यादा समय से बंद पड़े इस काम को दोबारा से शुरू किया जा सके और डोर टू डोर कचरा उठाने पर आने वाले खर्चे के लिए आमदनी जुटाई जा सके। ऐसे में राजनीतिक फायदा लेने के लिए गए इस फैसले का खामियाजा जहां ठेके लेने वाली कंपनी को भुगतना पड़ा था, वहीं अब शहरवासियों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा, चूकिं निगम का ठेकेदार 1 जनवरी से लेकर 30 अप्रैल 2022 तक 14 माह का एक साथ यूर्जेस चार्जेज की वसूली निगम की तरफ से तय पुराने रेटों पर ही करेगा, जिसका पूरा बोझ शहर की साढ़े तीन लाख से अधिक आबादी पर पड़ेगा। चूकिं निगम बठिंडा ने इस बार अपने बजट में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के यूजर्स चार्जेज से करीब 1 करोड़ रुपये एकत्र करने का लक्ष्य तय किया है।
हालांकि निगम ने यह काम ठेके पर दिया हुआ है, लेकिन लोगों का सहयोग न मिलने के कारण ठेकेदार के लिए भी वसूली करना कठिन हो गया था। कोरोना संक्रमण काल के चलते कारोबार ठप पड़े रहने से जहां व्यापारिक संस्थानों ने तो निगम की ओर से तय रेटों को देने से हाथ खड़े कर दिए थे और उन्होंने रेट कम करने की मांग की है। वहीं बहुत से घरों के लोग भी यूजर्स चार्जेज नहीं दे रहे हैं। ठेकेदार ने पिछले वित्तीय वर्ष के जनवरी से मार्च माह 2021 तक की वसूली शुरू की थी, लेकिन तीन माह की करीब 40 लाख रुपये की वसूली ही हुई है। जबकि यह 50 लाख रुपये से ऊपर होनी चाहिए थी। निगम ने अपने निर्धारित रेटों के अनुसार तीन माह की करीब डेढ़ करोड़ रुपये के वसूली का अनुमान लगाया था। इसमें करीब 50 लाख रुपये रिहायशी और एक करोड़ रुपये व्यापारिक संस्थानों से वसूली शामिल है। लेकिन घरों से भी पूरी वसूली न हो पाई और व्यापारिक संस्थानों के विभिन्न संगठनों के रेट कम करने की मांग किए जाने के चलते अब निगम ने सभी रेट रिवाइज करने का फैसला किया है, ताकि 100 फीसद वसूली हो सके।
इसके चलते निगम ने 25 नवंबर 2021 को जनरल हाउस की बैठक में रेट रिवाइज करने का प्रस्ताव शामिल किया था। जिसमें अस्पतालों, पैट्रोल पंप व कमर्शियल दुकानों से कचरा कलेक्शन बिल में करीब-करीब 50 फीसदी डिस्काउंट देने के प्रस्ताव को पार्षदों ने पास कर इसे अनुमोदन के लिए राज्य सरकार व लोकल निकाय विभाग को भेजा था, लेकिन निकाय विभाग ने रद करते हुए इनसे पूरा कचरा बिल वसूलने का निर्देश जारी किए है। निगम के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर हरपाल सिंह भुल्लर द्वारा पार्षदों की जानकारी के लिए जारी किए गए पत्र में बताया गया है कि हाउस में मत संख्या-51 के अनुसार 25 सितंबर 2018 को गार्बेज कलेक्शन के लिए यूजर चार्ज वसूलने के रेट निर्धारित किए गए थे जिसकी वसूली का जिम्मा साफ्टेल सॉल्यूशंस बठिंडा को दिया गया था। अब इस प्रस्ताव के रद होने के बाद निगम 1 जनवरी 2021 से यह पैसा बाजार से कुलेक्ट करेगा।
कमर्शियल में निगम 100 वर्ग फुट तक 50 रुपये, 100 से 200 वर्ग फुट तक 100 रुपये, 200 से 300 वर्ग फुट 150 रुपये, 300 से 500 वर्ग तक 200 रुपये तथा 500 से 1000 वर्ग फुट तक 250 रुपये तथा 1000 वर्ग फुट से बड़े कमर्शियल प्लेस से 500 रुपये गार्बेज यूजर चार्ज निर्धारित किए गए हैं। इसी तरह पैट्रोल पंप से प्रतिमाह 500 रुपये, बैंक व दूसरे वित्तीय संस्थान 1000 रुपये तथा अस्पताल से 15 बैड तक 1000 रुपये, 16-30 बैड 2000 रुपये, 30 से 50 बैड 5 हजार तथा 50 बैड से ऊपर के अस्पताल से 10 हजार रुपये निर्धारित किया गया है। जिसको अब निगम की ओर से सबसे वसूल किया जाएगा।
नगर निगम बठिंडा के कंट्रोल में करीब 58 हजार घर व करीब 17 हजार कॉमर्शियल दुकानें आती हैं। इसके अलावा सैकड़ों अस्पताल व पैट्रोल पंप को निगम कंट्रोल करता है, लेकिन इन संस्थानों से गार्बेज कलेक्शन बिल 1 जनवरी 2021 से अटका हुआ है।
निगम की ओर से वर्ष 2018-19 में जब करीब तीन करोड़ रुपये की लागत से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के 46 मिनी टिप्पर खरीदे गए थे, तो उस समय यह योजना बनाई गई थी कि प्रत्येक माह यूजर्स चार्जेज की वसूली की जाएगी। इस यूजर्स चार्जेस से न केवल मिनी टिप्परों की मेंटीनेंस और तेल का खर्चा निकलेगा, बल्कि मिनी टिप्परों के लिए ठेके पर रखे 300 ड्राइवरों और हेल्परों का वेतन भी निकलेगा। निगम की ओर से इस योजना के तहत वर्ष 2019 में कुछ वसूली की गई, लेकिन उसके बाद उचित योजना के अभाव में यह वसूली भी बंद होकर रह गई थी।