Punjab Ka Sach Newsporten/ NewsPaper: पटवारियों की मनमानी से बढ़ी लोगों की परेशानी: प्रॉपर्टी की वेरिफिकेशन अटकने से करीब 11 हजार पंजाबियों की विदेश यात्रा रुकी

Thursday, February 25, 2021

पटवारियों की मनमानी से बढ़ी लोगों की परेशानी: प्रॉपर्टी की वेरिफिकेशन अटकने से करीब 11 हजार पंजाबियों की विदेश यात्रा रुकी


बठिंडा।
लॉकडाउन के बाद भले ही हालात सामान्य हो गए हैं, लेकिन प्रदेश के 10 हजार 863 पंजाबी विदेश नहीं जा पा रहे, इसकी वजह है उन्हें नॉन एंकमब्रैंस सर्टिफिकेट (एनईसी) नहीं मिल पा रहे। आवेदन करने के 3 महीने बाद भी लोगों की जमीन व प्रॉपर्टी के मालिकाना हक की वेरिफिकेशन नहीं हो पा रही जिसकी वजह से एनईसी जारी नहीं हो पा रहा जिसकी वजह से उनकी विदेश जाने की डाक्यूमेंटेशन अधूरी है।


  • राजस्व विभाग की ओर से एनईसी प्रक्रिया में तेजी लाने व पारदर्शिता बढ़ाने के लिए रेवेन्यू कोर्ट्स मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी है जिसके साथ ही एनईसी का काम प्रदेश में बंद पड़ा है। तमाम एप्लिकेशन सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में पेंडिंग पड़ी हैं।
  • पूर्व में तहसीलदार दफ्तर से यह दस्तावेज पाने के लिए एक फॉर्म भरना पड़ता था, लेकिन अब यह प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है जिसके प्रोफार्मा में अलग-अलग कॉलम में एड्रेस प्रूफ के अलावा संपत्ति की सभी जानकारियां देते हुए सर्वे नंबर, लोकेशन और अन्य विवरण भरना होता है। वहीं कितनी अवधि के लिए आपको नॉन एंकमब्रैंस सर्टिफिकेट चाहिए, इसके आधार पर प्रशासन फीस चार्ज करता है।

यह सर्टिफिकेट आपकी क्षेत्रीय भाषा में जारी किया जाता है। अगर आपको यह इंग्लिश में चाहिए तो इसके लिए ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। सर्टिफिकेट जारी वर्ष के 1 अप्रैल से समाप्त होने वाले वर्ष के अंत यानी 31 मार्च तक जारी किया जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर आपको 20 साल के लिए यह सर्टिफिकेट चाहिए और 15 अप्रैल, 2021 को अप्लाई करते हैं तो इसकी अवधि 1 अप्रैल,2011 से लेकर 31 मार्च 2021 तक की होगी।

विदेश जाने के लिए जरूरी है नॉन एंकमब्रैंस सर्टिफिकेट

नॉन एंकमब्रैंस सर्टिफिकेट में एक खास अवधि के दौरान किसी विशेष संपत्ति से संबंधित सभी लेनदेन की जानकारी होती है। आमतौर पर नॉन एंक्रमब्रैंस सर्टिफिकेट में पिछले 12 वर्षों में संपत्ति के इतिहास की सूचना होती है। एनईसी कानूनी दस्तावेज है, जोकि इस बात का सबूत होता है कि प्रॉपर्टी कानूनी पचड़ों और वित्तीय बोझ से मुक्त है या नहीं।

अमूमन न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया आदि के लिए आवेदन करने के लिए एनईसी अटैच करवाना जरूरी होता है जोकि संबद्ध प्रोपर्टी के मालिकाना हक की पुष्टि करता है जिससे लिमिट तक के बैलेंस की जानकारी देता है। एंक्रमब्रैंस सर्टिफिकेट से जानकारी मिलती है कि प्रॉपर्टी बैंक के पास गिरवी रखी है या नहीं। इस सर्टिफिकेट के माध्यम से वर्तमान में प्रॉपर्टी के मालिक के अलावा जबसे प्रॉपर्टी बनी है, यह कितने लोगों के पास रह चुकी है।

जब आपको यह दस्तावेज मिलेगा तो आपको मालूम चल जाएगा कि आप असली मालिक के साथ ही डील फाइनल कर रहे हैं और प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी विवाद या फिर वित्तीय बोझ तो नहीं है। प्रॉपर्टी के एवज में या प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लोन देने से पहले बैंक की ओर से नॉन एंकमब्रैंस सर्टिफिकेट लिया जाता है। प्रॉपर्टी बेचने पर नया खरीददार इस दस्तावेज की मांग करता है।

प्रदेश के पटवारियों ने सर्वसम्मति से लिया फैसला

पटवारियों ने एनईसी संबंधी जमीन अथवा प्राॅपर्टी की वेरिफिकेशन करने से इनकार कर दिया है और इस संबंध में प्रदेश के पटवारियों ने सर्वसम्मत फैसला लिया है जिसकी वजह से पूरे प्रदेश में ही नॉन एंकमब्रैंस सर्टिफिकेट लेने के लिए विदेश जाने के तलबगारों की लाइन लंबी हो रही है जोकि आरसीएमएस वेब पोर्टल पर एनईसी के लिए निर्धारित 1500 रुपए की फीस भरने के बाद 12 वर्षीय जमीन व प्रोपर्टी वेरिफिकेशन के लिए इंतजार कर रहे हैं जबकि आवेदन के 20 से 30 दिनों में आपको नॉन एंकमब्रैंस सर्टिफिकेट जारी होने का प्रावधान है।

पटवारियों का तर्क है कि एनईसी के लिए जमीन अथवा प्रोपर्टी का 12 साल का रिकार्ड वेरिफाई करके देना होता है जबकि ऐसी कोई प्रोपर्टी अथवा जमीन नहीं है जिस पर कर्जा न लिया गया हो अथवा गहने या गिरवी न रखी गई हो। वैसे भी 12 साल की अवधि में दो से तीन बार जमाबंदी हो जाती है। वहीं किसी बैंक से कर्ज लिया अथवा चुका दिए होने की जानकारी भी जमाबंदी के जरिए ही मिल जाती है। हालांकि 1989 में पटवारियों की ओर से प्रोपर्टी संबंधी वेरिफिकेशन बंद कर दिया गया था और तब से यह काम रजिस्ट्री क्लर्क के ही जिम्मे है।

पटवारियों को मिले अपडेट का काम
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रेवेन्यू विभाग ने 3 महीने पहले ऑनलाइन आवेदन के साथ वेरिफिकेशन व लिमिट बनाने संबंधी काम पटवारियों पर थोप दिया जिससे बोझ बढ़ा है। ऑपरेटर की किसी तरह की चूक होने गलती पटवारियों की ही होनी है। ऐसे में वेरिफिकेशन डेटा कंप्यूटर पर अपलोड करने का काम भी पटवारियों को दिया जाए। वेरिफिकेशन नहीं करने का फैसला स्टेट बॉडी की ओर से लिया गया है, सरकार को इस बारे में विचार करना होगा।
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सुखप्रीत सिंह, प्रधान पटवारी यूनियन

नियमों में बदलाव स्टेट लेवल पर होना है
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एनईसी में तेजी लाकर लोगों की सुगमता बढ़ाने व जिम्मेदारी तय करने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन पटवारियों ने प्रदेश स्तर पर ही जमीन व प्रोपर्टी की वेरिफिकेशन नहीं करने का फैसला किया है। ऐसे में एनईसी सर्टिफिकेट पूरे पंजाब में अटके पड़े हैं और इसकी सूचना आलाकमान को भेज दी है। स्टेट लेवल पर ही पटवारियों के तर्क के आधार पर साफ्टवेयर में बदलाव संबंधी फैसला लेना है।
-डॉ. विनय, सब रजिस्ट्रार बठिंडा

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