Saturday, February 20, 2021

चंडीगढ़ में महापंचायत में बोले किसान नेता, दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस के सामने नहीं होंगे पेश

 


चंडीगढ़। दिल्ली में लाल किले की घटना के बाद जिन किसानों को नोटिस जारी करके पेश होने को कहा गया है। किसान नेताओं ने ऐलान कर दिया है कि वह पुलिस के सामने पेश नहीं होंगे। आज पंजाब एवं हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में हुई किसान महापंचायत में किसान नेताओं के तेवर काफी तीखे नजर आए।

किसान नेता रूल्दू सिंह मानसा जिनके खिलाफ नोटिस जारी हुआ है के पक्ष में आते हुए भाकियू उगराहां के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने स्टेज से ही चंडीगढ़ पुलिस से कहा है कि अगर उनमें हिम्मत है तो गिरफ्तार करके दिखाए। किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने भी सभी किसानों से कहा कि अगर उनके गांव में पुलिस किसी किसान नेता को गिरफ्तार करने आए तो उसे पकड़कर बैैठा लें। उसके साथ मारपीट न करें। उन्हें पूरा सम्मान दें, लेकिन तभी छोड़ें जब जिला प्रशासन यह आश्वासन दे कि वे फिर गांव में नहीं आएंगे।

गुरनाम सिंह चढ़ूनी ही नहीं, अन्य किसान नेताओं ने भी इस पर ही जोर दिया कि पुलिस की ओर से दिए जा रहे नोटिसों को गंभीरता से न लें। जिन पर भी केस दर्ज हुए हैं उनके केस संयुक्त किसान मोर्चा लड़ेगा। किसान पंचायत के मुख्य वक्ताओं में रूल्दू सिंह मानसा ने तो भावुक होते हुए कहा कि वह किसी के सामने पेश नहीं होंगे, जिसे गिरफ्तार करना है कर ले।

उन्होंने कहा कि वह पिछले 40 साल से किसान संघर्ष में भाग ले रहे हैं, लेकिन पुलिस या केस के डर से कभी छिपकर नहीं बैठे। गुरनाम सिंह चढ़ूनी सभी किसान नेताओं ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने तक संघर्ष को जारी रखने का आह्वान करते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का सामाजिक बहिष्कार करने काे कहा।

उन्होंने कहा कि ये लोग किसानों की बात करने के बजाय कार्पोरेट की बातें कर रहे हैं। उनकी आमदन कैसे बढ़े, उसके लिए कानून बना रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन उगराहां के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह हो या कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर सभी इस बात पर राजी हैं कि खेती कानूनों में बदलाव जितने मर्जी करवा लें, पर रद करवाने की बात न करें, क्योंकि इससे सरकार की बदनामी होती है।

पंजाब यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख रहे प्रो. मनजीत सिंह ने कहा कि तीनों खेती कानून कृषि पर हमला नहीं हैं, बल्कि पूरे फूड सेक्टर को कार्पोरेट को सौंपने की साजिश है। बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ प्यारा लाल गर्ग ने कहा कि ये तीनों कानून बनाने का केंद्र सरकार कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने भी किसान नेताओं को नोटिस से न घबराने को कहा।

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