लुधियाना। जगराओं पुल के निर्माण से पहले ही 45 लाख के होने वाले घोटाले समेत करीब 7 करोड़ की बनी 15 नई सड़कों के सैंपल फेल होने का खुलासा निगम की नई क्वालिटी कंट्रोल टीम ने किया। हैरानीजनक है कि सड़कों के सैंपल के मामलों में मेयर बलकार संधू, निगम कमिश्नर प्रदीप कुमार ने अब तक एक भी ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट नहीं किया और न जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की। वहीं, खुलासे करने वाली टीम को जरूर फारिग कर दिया गया। अब सवाल उठता है कि हाल ही में 100 करोड़ से ज्यादा के जारी हुए कामों की जांच कैसे होगी। टीम की जांच के बाद लगातार सड़कों के फेल पाए जा रहे सैंपलों के चलते निगम में घमासान भी मचा। इसके चलते टीम ही खत्म कर दी गई। अब सिर्फ कागजों में ब्रांच का नाम और एडिशनल कमिश्नर इंचार्ज के तौर पर बैठे हैं, जो टीम के न होने पर कुछ नहीं कर सकते।
एफएंडसीसी में टीम के लिए 2 लाख का एमरजेंसी कोटा रखा, हकीकत में टीम है ही नहीं- हाल ही में हुई एफएंडसीसी मीटिंग में प्रस्ताव लाकर ठेकेदारों को अलॉट होने वाले कामों की जांच के लिए क्वालिटी कंट्रोल टीम बनाई है। इसमें एडिशनल कमिश्नर रिशीपाल इंचार्ज और 2 एसडीओ शामिल किए गए। इसके बाद 15 कामों की जांच के बाद क्वालिटी से हो रहे समझौते का खुलासा हुआ। टीम के काम करने पर नए कार्यों में सुधार आया और निगम को फायदा पहुंचा। इसके लिए अलग से फंड नहीं रखा गया। ऐसे में प्रस्ताव आया कि सैंपलिंग के लिए 2 लाख एमरजेंसी कोटा रहेगा। इसे सैंपलिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसे मंजूर भी कर लिया गया। ये भी बताया कि 9 नई सड़कों के सैंपल लेने हैं। परंतु हकीकत ये है कि प्रस्ताव मंजूर तो कर लिया, लेकिन जांच को टीम ही खत्म हो चुकी है।
इन कामों में पकड़ा घोटाला, कार्रवाई जीरो
जगराओं पुल निर्माण में 45 लाख के घोटालेे का खुलासा। थर्ड पार्टी से ऑडिट में भी सामने आया कि ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए ओवर एस्टीमेट बनाया गया है। नतीजा: ठेकेदार को न ब्लैकलिस्ट किया, न अफसरों पर भी एक्शन हुआ। केंद्रीय हलके में विधायक डावर की फैक्ट्री के सामने दरेसी की पिछली तरफ एसएएन जैन स्कूल रोड से वेद मंदिर तक 56.19 लाख की लागत से आरएमसी सड़क बनी। ठेकेदार ने 6 इंच की जगह 3-4 इंच की ही सड़क बना दी थी। जांच में मैटीरियल कम पाया गया। नतीजा: ठेकेदार को दोबारा सड़क बनाने को कहा, अफसरों पर एक्शन नहीं हुआ। टेक्सटाइल कॉॅलोनी में 12 इंच की सड़क बननी थी। जांच में खुलासा हुआ कि सड़क 6 इंच की बनी। जांच में मिला कि ठेकेदार को अफसरों ने पेमेंट भी करवा दी। वाॅर्ड-79 बलबीर इन्क्लेव में ठेकेदार ने बिना सूचना दिए सीमेंट वाली सड़क का निर्माण करवा दिया। टीम ने 8 सैंपल लिए, जिनमें से 7 फेल थे। काम 38 लाख में अलॉट हुआ। मुकंद सिंह नगर में आरएमसी सीमेंट वाली सड़क के सैंपल लिए थे। यहां काम ताे 7 गलियों का अलॉट हुआ था, जबकि बिल 10 गलियों का पास कराया गया। वहीं, 4 इंच वाली सड़क को 3 इंच में ही समेटा गया। प्रोजेक्ट की लागत 81.85 लाख थी। सर्कुलर रोड पर भी आरएमसी सीमेंट सड़क के सैंपल भरे। जांच में सामने आया कि ठेकेदार ने 6 इंच की जगह 3 से 4 इंच तक की ही सड़क बनाई। ये काम ठेकेदार को 55 लाख रुपए में अलॉट किया गया था। वाॅर्ड-49 में इंटरलॉकिंग टाइलों के सैंपल लिए। ठेकेदार को 55 लाख में वर्कऑर्डर जारी हुआ था। जांच में गटका ही आधे इंच का निकला था, रोड जालियां भी नहीं बनाई गई। सभी में एक ही नतीजा: ठेकेदार को न ब्लैकलिस्ट किया, न अफसरों पर भी एक्शन हुआ।
40% कम लुक डालने का भी किया खुलासा- वाॅर्ड-91 चंद्र नगर में बिटुमन मकैडम-बीएम लुक वाली 34 लाख में सड़क का वर्क ऑर्डर जारी हुआ। बीएम का कोड 3.4% तय है, लेकिन सैंपलिंग में क्वालिटी 2.2% आई है। टीम ने जांच रिपोर्ट में खुलासा किया कि 35% कम लुक का इस्तेमाल हुई।
वाॅर्ड-6 के गुरु विहार में भी बिटुमन मकैडम-बीएम लुक वाली सड़क बनी। 3.4% की जगह सिर्फ 2% ही लुक डाली। टीम ने खुलासा किया कि 40% तक कम लुक डाली है।
वाॅर्ड-5 की आमंत्रण कॉलोनी समेत दूसरी सड़कों का वर्कऑर्डर 74 लाख में जारी हुआ। बिटुमन मकैडम-बीएम लुक वाली सड़क बनी। सैंपल क्वालिटी 3.4% की जगह 3% पाई गई।
बाल सिंह नगर में पीसी-प्रीमिक्स कारपेट लुक वाली सड़क बनी। सैंपल क्वालिटी 3.5% की जगह 2.6% पाई गई। यानी 25% कम लुक डाली गई, 63 लाख का वर्कऑर्डर जारी हुआ।
वाॅर्ड-26 अशोक नगर की सड़क एसडीबीसी कैटेगरी की बनी है। इसकी गुणवत्ता का कोड 5% है, जबकि जांच रिपोर्ट में 4% पाया गया, यानि यहां 20% कम लुक का इस्तेमाल किया गया है। जबकि सड़क बनाने में करीब 22 लाख की लागत आई है।
वाॅर्ड-43 में करीब 54 लाख में अलग-अलग सड़कों का वर्कऑर्डर जारी हुआ। इनमें से हिम्मत सिंह नगर वाली सड़क का सैंपल लिया गया। बिटुमिन मकैडम-बीएम केटेगरी की सड़क की 2.6% ही गुणवत्ता पाई गई है, यानी 25% कम लुक का इस्तेमाल हुआ है।
वाॅर्ड नंबर-37 में करतार चौक रोड का सैंपल लिया गया था, इसमें ग्रेडेशन टेस्ट फेल पाया गया है, यानि बिटुमन मकैडम-बीएम केटेगरी की लुक वाली सड़क को सही क्वालिटी में नहीं बनाया है। सभी में एक ही नतीजा: ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट नहीं किया, सिर्फ पैसों की कटौती हुई।
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