बठिडा। बठिडा नगर निगम के तीसरे मेयर को लेकर शहर भर में चर्चाओं का दौर जारी है। कई पार्षद ऐसे हैं जो शुरू से ही कांग्रेस लीडरशिप के पास अपनी दावेदारी जताते आए हैं। अब उन दावेदारों में कई पार्षद जीत गए हैं और मेयर की दौड़ में लग गए हैं। मेयर की दौड़ में सबसे आगे लगातार छठी बार चुनाव जीतने वाले जगरूप सिंह गिल हैं, जबकि मास्टर हरमंदर सिंह व अशोक कुमार भी दौड़ में शामिल हैं। हालांकि अब तक मेयर पद का नोटिफिकेशन नहीं हुआ है, लेकिन यह भी माना जा रहा है कि बठिडा मेयर का पद महिला के लिए आरक्षित हो सकता है।
मेयर की दौड़ में जगरूप गिल सबसे आगे
जगरूप सिंह गिल
शैक्षणिक योग्यता-बीए, एलएलबी
सियासी तजुर्बा- लगातार छठी बार पार्षद बने
बठिडा नगर निगम के तीसरे मेयर बनने की दौड़ में सबसे आगे जगरूप सिंह गिल हैं। उन्होंने 1979 में पहला चुनाव लड़ा था और अब तक लगातार छह चुनाव लड़ चुके हैं और एक बार भी पराजित नहीं हुए। वहीं नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन भी रह चुके हैं। इसके अलावा 1992-97 की टर्म में वे आजाद चुनाव जीत कर नगर कौंसिल के प्रधान भी रह चुके हैं। कुछ देर पहले ही उनको कांग्रेस पार्टी द्वारा जिला योजना बोर्ड के चेयरमैन भी बनाया गया था, लेकिन अब वह चेयरमैन पद से इस्तीफा देकर निकाय चुनाव लड़े थे।
तीसरी बार पार्षद बने हैं मास्टर हरमंदर सिंह
शैक्षणिक योग्यता- एमएसई-बाटनी,एमए पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन,बीएड
सियासी तजुर्बा- तीन बार लगातार पार्षद मास्टर हरमंदर सिंह सिंह भी मेयर बनने की दौड़ में हैं। वह पहले शिअद में थे और शिअद की दो बार आई सरकार में दोनों बार ही पार्षद बने। दोनों बार ही एफएंडसीसी कमेटी के सदस्य रहे हैं। अब लगातार तीसरी बार वे चुनाव जीत कर पार्षद बने हैं। पहले वह बठिडा में जिला सांइस सुपरवाइजर थे और शिक्षा विभाग से प्रीमच्योर रिटायरमेंट लेकर समाज सेवा में आए थे। 25 साल उन्होंने शिक्षा विभाग में नौकरी की है और इसके बाद वे सियास्त में उतर आए थे।
सबसे ज्यादा वोटों से जीते हैं शाम लाल जैन
शैक्षणिक योग्यता- दसवीं
सियासी तजुर्बा- लगातार तीन बार बने पार्षद बठिडा के कारोबारी शाम लाल जैन लगातार तीसरी बार चुनाव जीते हैं। इस बार के चुनाव में उन्होंने रिकार्ड तोड़ जीत प्राप्त की है और बठिडा के 50 वार्डों में से सबसे ज्यादा मार्जन से वह चुनाव जीते हैं। पहले वह भाजपा में रहे हैं लेकिन कांग्रेस सरकार आने के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
43 साल से कांग्रसे से जुड़े हुए हैं अशोक प्रधान
अशोक प्रधान
शैक्षणिक योग्यता- 10वीं
सियासी तजुर्बा- दो बार निकाय चुनाव लड़े,एक बार जीते कांग्रेस की प्रदेश कमेटी के महासचिव अशोक कुमार उर्फ अशोक प्रधान जिला बठिडा कांग्रेस कमेटी के प्रधान रह चुके हैं। इससे पहले वह जिले के महासचिव भी रह चुके हैं। दस साल यूथ कांग्रेस के जिला प्रधान रहे हैं। उनका दावा है कि वह कांग्रेस से पिछले 43 साल से जुड़े हुए हैं और उनके मुकाबले में कोई टकसाली कांग्रेसी नहीं है।
28 साल से कांग्रसे से जुडा है रमन का परिवार
रमन गोयल
शैक्षणिक योग्यता- बीए बीएड
सियासी तजुर्बा- 28 साल से कांग्रेस में
बठिडा के कारोबारी संदीप गोयल की पत्नी रमन गोयल बठिडा से पहली बार चुनाव लड़ी है। हालांकि उनके पति संदीप गोयल पिछले 28 साल से कांग्रेस के साथ जुड़े हुए हैं। उनकी पृष्टभूमि भी सियास्त से है। उनके चाचा भी भुच्चो मंडी में पार्षद रह चुके हैं। मेयर पद पर उनकी भी दावेदारी प्रबल है।
तीन बार पार्षद रहे राजिंदर की पत्नी भी दौड़ में
शैक्षणिक योग्यता- 10वीं
सियासी तजुर्बा- पति का सियास्त में लंबा तजुर्बा
पार्षद बलजीत कौर सिद्धू कांग्रेस नेता राजिदर सिद्धू की पत्नी हैं। राजिदर सिद्धू तीन बार पार्षद रह चुके हैं। हालांकि वह पहले शिअद में थे, लेकिन कांग्रेस सरकार आने के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। वह लंबा समय गुरुद्वारा सिंह सभा के प्रधान रह चुके हैं। इस बार उनका वार्ड महिला के लिए आरक्षित होने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा था।
बठिंडा नगर निगम में जीत के बाद अब इनके लिए मेयर के चयन को लेकर कांग्रेस में माथापच्ची शुरू हो गई है। स्थानीय मंत्नी और विधायक अपनी पसंद का मेयर बनाने की कोशिश में जुटे हैं वही कैप्टन अमरिंदर सिंह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पूरी रणनीति अपने स्तर पर तय कर रहे हैं। संवैधानिक तौर पर मेयर का चयन हाउस में जुड़ने वाले पार्षदों को करना है लेकिन असल में मुहर मुख्यमंत्नी कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से ही लगनी है। ऐसे में कैप्?टन अमरिंदर सोच-समझ कर ऐसे लोगों को मेयर बनाएंगे जिससे भविष्?य में कोई चुनौती न पैदा करे और सारा कुछ उनके नियंत्नण में रहे ताकि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस इसका फायदा उठा सके। दरअसल, पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिली बड़ी सफलता ने कैप्टन अमरिंदर को और मजबूत कर दिया है। चूंकि अभी नगर निगमों में मेयर के पद महिलाओं और अनुसूचित जाति के लिए आरिक्षत भी होने हैं जिस संबंध में आगामी सप्ताह अधिसूचना जारी होने की संभावना है। इसमें भी सारा खेल कैप्टन अमरिंदर के हाथ में ही रहने वाला है।
बठिंडा नगर निगम में अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह का दबदबा रहता है तो पार्षद जगरूप सिंह गिल मेयर पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वह सातवीं बार पार्षद बने हैं और मुख्यमंत्नी के करीबी माने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने जिला योजना बोर्ड की चेयरमैनशिप को भी छोड़ा है। साफ है कि सीएम की ओर से उन्हें ही मेयर बनाए जाने को हरी झंडी मिल सकती है। हालांकि वित्तमंत्नी मनप्रीत बादल भी यहां अपना उम्मीवार खड़ा करना चाहेंगे। इसके लिए सरकार की उस अधिसूचना का इंतजार किया जा रहा है जिसमें बठिंडा नगर निगम को जरनल व रजिर्व कैटागिरी में रखा जाना है। पहले बठिंडा नगर निगम में रजिर्व कैटागिरी का पार्षद मेयर बन सकता है जबकि हर चुनाव के बाद सरकार नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी करती रही है इस स्थिति में अगर बठिंडा रजिर्व रहता है तो इसमें पूर्व जिला शहरी प्रधान अशोक कुमार का दावा मजबूत माना जा रहा है। वही सामान्य वर्ग में जगरु प सिंह गिल की दावेदारी पर मोहर लग सकती है। वही महिला आरिक्षत होने की स्थिति में कई टैक्साली कांग्रेसियों की पत्नी दावेदारों में है लेकिन अनुभव के मामले में वार्ड नंबर 21 ले कांग्रेस की संतोष कुमारी महंत प्रबंल दावेदार मानी जा रही है। हालांकि वित्त मंत्नी मनप्रीत सिंह बादल चुनाव प्रचार के दौरान एक जनसभा में संतोष महंत को विजयी बनाकर मेयर बनाने की बात भी कह चुके हैं। संतोष महंत तीसरी बार नगर निगम में पार्षद बनकर पहुंची है। महिला आरंक्षति मेयर होने की संभावना इस मायने में भी अहम मानी जा रही है कि निगम हाउस में महिला शिक्त का दबदबा रहा है जिसमें कांग्रेस टिकट पर 22 महिलाएं जीतकर हाउस में पहुंची है वही अकाली दल की विजयी हुई चार महिला पार्षदों को जोड़ दे तो सदन में 50 पार्षदों में 26 महिला पार्षद है। फिलहाल मेयर के चयन में पुरानी टक्साली कांग्रेसियों की आम सहमती के बाद सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के पद भी काफी अहम माने जाते हैं। इसके लिए प्रमुख दावेदारों में प्रवीण गर्ग, नेहा जिंदल, कमलेश मेहरा जैसे नाम प्रमुख है।
फिलहाल नगर निगमों में मेयर का चयन करने के मामले में वित्त मंत्नी मनप्रीत सिंह बादल अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव को भी ध्यान में रखना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस की तरफ से साल 2022 के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को फिर से मुख्यमंत्नी बनाने की रणनीति के चलते स्थानीय निकायों में चुनाव प्रक्रि या पर उनका सीधा प्रभाव रहेगा।
इन मायनों में भी अहम है बठिंडा के निगम चुनावों के परिणाम
बठिडा में हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत सबसे बेहतर रहा है इसका पूरा श्रेय वित्त मंत्नी मनप्रीत सिंह बादल को जाता है। इस स्थिति में बठिंडा में मेयर मुख्यमंत्नी और वित्तमंत्नी की पसंद का बनाने की पुरजोर कोशिश रहेगी। मनप्रीत सिंह बादल के एक माह तक लगातार किए प्रचार के चलते शिअद को दूसरे स्थान पर धकेलने में सफलता मिली है। आम आदमी पार्टी तीसरे व भाजपा चौथे स्थान पर रही है। कांग्रेस को सबसे ज्यादा 46.81 फीसद वोट मिले, जबकि शिअद को कांग्रेस से आधे 23.15 फीसद वोट मिले हैं। इसी प्रकार आम आदमी पार्टी को 13.12 फीसद वोट मिले हैं तो भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ 4.20 फीसद वोट मिले हैं। बहुजन समाज पार्टी को 0.49 फीसद तो सीपीआई को 0.05 फीसद वोट मिले हैं। वहीं आजाद उम्मीदवारों को 11.04 फीसद वोट मिले हैं। नोटा का बटन 1.10 फीसद लोगों ने दबाया है।
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