चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों के बीच पैदा हुई स्थिति पर नीति आयोग की बैठक में चर्चा की। कैप्टन ने पीएम नरेंद्र मोदी से अपील की कि वह जल्द से जल्द किसानों को सुनें और आंदोलन को खत्म करवाएं।
पंजाब के सीएम ने कहा कि नीति आयोग की वर्चुअल मीटिंग में कहा कि कृषि राज्यों का विषय है। इस संबंधी कोई भी कानून बनाने का अधिकार संविधान में दर्ज सहकारी संघवाद की सच्ची भावना के अनुसार राज्यों पर छोड़ देना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने राज्य सरकार द्वारा पंजाब विधानसभा में अक्टूबर 2020 में केंद्रीय कानूनों में किए गए संशोधन पास किए जाने की तरफ ध्यान दिलाया।
उन्होंने कहा कि यह कानून कृषि क्षेत्र में लागू किया जाना है। जिसका संबंध कामगारों के 60 प्रतिशत हिस्से के साथ हो उसको सभी संबंधित पक्षों के साथ विस्तृत बातचीत की प्रक्रिया के द्वारा ही पूरा किया जाना चाहिए। पंजाब इसमें एक बेहद अहम संबंधित पक्ष है और देश की खाद्य सुरक्षा यकीनी बनाने के लिए हमेशा से ही अग्रणी भूमिका निभाता रहा है।
ये मांगें भी रखी
- धान की पराली का प्रबंधन मुआवज़ा के तौर पर खरीद किए गए धान पर प्रति क्विंटल 100 रुपये का बोनस दिया जाए। इसका इस्तेमाल नए उपकरणों की खरीद या किराये पर लेने, इनके इस्तेमाल के लिए कौशल सीखने और चालू करने और रखरखाव की कीमत या लागत घटाने में किया जा सकता है।
- वायबिलिटी गैप फंड (वीजीएफ) के तौर पर राज्य को बायो मास बिजली प्रोजेक्टों के लिए वित्तीय सहायता के तौर पर प्रति मेगावाट 5 करोड़ रुपये और बायो मास सोलर हाइब्रिड प्रोजेक्टों के लिए प्रति मेगावाट 3.5 करोड़ रुपये दिए जाएं।
- पंजाब के एक अहम प्रोजेेक्ट-‘पानी बचाओ पैसा कमाओ’ को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट समझा जाए जिसके लिए 433 करोड़ रुपये की व्यवहार्यता रिपोर्ट राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय जल आयोग को भेजी जा चुकी है।
- वैकल्पिक फसलों जैसे कि मक्का के लिए कम कीमत समर्थन (डैफीशैंसी प्राइस सपोर्ट) का ऐलान किया जाए, जिससे किसानों को अधिक पानी की लागत वाली धान की फसलों के चक्र में से निकलने में मदद मिल सके।
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