चंडीगढ़। राजनीतिक दलों की तरफ से निष्पक्ष चुनाव को लेकर सवाल उठाना तो लाजिमी है। पंजाब में हुए नगर निकाय चुनाव में विपक्षी दलों ने यह चिंता जाहिर भी की। अब नगर निकाय के चुनाव में राज्य चुनाव आयोग की प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में आ गई। वार्डों की संख्या को लेकर राज्य चुनाव आयोग पर बड़ा सवाल उठ रहा है। आयोग ने 2305 वार्डों पर चुनाव कराने का एलान किया था लेकिन परिणाम आया तो 90 के करीब वार्ड गायब हो गए। 2215 सीटों पर ही चुनाव परिणाम आया है। परिणाम आने के बाद पता चला कि यह वार्ड तो थे ही नहीं। आयोग बूथों को भी वार्ड मान बैठा, जिस कारण यह गड़बड़ी हुई।
यह पहली बार नहीं है। राज्य चुनाव आयोग ने 2019 में पंचायत चुनाव भी सीटों को लेकर इस तरह की गड़बड़ी की थी। 17 फरवरी को नगर निकाय चुनाव परिणाम आने के बाद अब राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों का मिलान ही नहीं हो पा रहा है। राज्य चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियों के आंकड़ों में 90 सीटों का अंतर आ रहा है। हालांकि चुनाव के शुरुआत से ही आयोग की गतिविधियों पर सवाल उठ रहे थे। राजनीतिक पार्टियों ने तो राज्यपाल तक आयोग की शिकायत की। यहां तक कि राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव में अर्धसैनिक बल को लगाने की भी जमकर मांग की, लेकिन आयोग ने कभी इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया।
इस बार सबसे बड़ी गड़बड़ी वार्डों की संख्या को लेकर सामने आई। वार्डों की संख्या को लेकर आयोग द्वारा वार्डों में चुनाव करवाने के आंकड़े, चुनाव परिणाम और राजनीतिक पार्टियों के आंकड़ों में जमीन आसमान का अंतर है। आयोग ने शुरुआत में कहा कि 2305 सीटों पर चुनाव होने हैंं। बुधवार को 2141 सीटों का आंकड़ा जारी किया गया, क्योंकि मोहाली नगर निगम की 50 सीटों पर मतगणना वीरवार को हुई। इन आंकड़ों को जोड़ भी दिया जाए तो 2191 सीटें ही बनती है। वहीं, सत्तारूढ़ कांग्रेस के आंकड़ों पर नजर डालें तो वह 2215 सीटें बनती है। यानी पंजाब में 2215 सीटों पर चुनाव हुए।
आयोग ने दी सफाई
राज्य चुनाव आयोग की सचिव इंदू मल्होत्रा ने कहा कि फाजिल्का में बूथों को वार्ड में शामिल करने की वजह से आंकड़ों में अंतर आया। यह एक क्लेरिकल गलती थी। चुनाव सभी वार्डों में ही हुए हैं। उन्होंने बताया कि कुछ बूथ को वार्ड में शामिल करने की वजह से आंकड़े गड़बड़ा गए।
No comments:
Post a Comment