मिशाल---इमानदारी अभी भी जिंदा हैः रेलवे जक्शन बठिंडा में ड्राइवर के तौर पर कायर्रत जतिंदर शर्मा ने इमानदारी के परिचय देते हुए एक व्यक्ति के उपयोगी दस्तावेज व २१ हजार रुपये के करीब ड्राफ्ट वापिस किए। उक्त सामान उन्हें रेलवे स्टेशन बठिंडा में गिरा मिला था। इन दस्तावेजों में लिखे फोन नंबर पर संपर्क साधकर उन्हें सूचित किया व गुम दस्तावेज वापिस किए। जतिंदर शर्मा डेरा सच्चा सौदा सिरसा के श्रद्धालु और ग्रीन बिग्रेड के सक्रिय सदस्य भी है।
Monday, July 12, 2010
जतिंदर शर्मा ने इमानदारी का दिया परिचय
अबैकस से बढ़ेगी बच्चों में समझने की क्षमता
-रामां मंडी में शार्प ब्रेनस सेंटर की शुरूञ्आत हुई
रामां मंडी(बठिंडा)। बच्चों के दिमाग को तेज व तीव्र विकसित करने के लिए अबैकस शिक्षा पद्धति प्रदान कर रही चैलेंजर्स अबेकस एजुकेशन चंडीगढ़ ने रामां मंडी की एसएसडी धर्मशाला में एक समागम आयोजित कर शार्प ब्रेनस सेंटर का शुभारंभ किया। समागम के मुख्य मेहमान स्टार प्लस कानवेंट स्कूल चेयरमैन श्री विजय लहरी थे।
चैलेंजर्स ग्रुप संजीव कुञ्मार ने इस मौ पर बताया कि अबैकस एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है जिससे एक छोटा सा बच्चा पल भर में इतनी बड़ी बड़ी गणनाएं कर लेता है जो बड़े बड़े व्यक्ति कैलकुलेटर के माध्यम से भी नहीं कर सकते। इस शिक्षा प्रणाली का दूसरी कक्षा से लेकर नौंवी कक्षा तक के विद्यार्थी लाभ उठा सकते है। इस पद्धति से न केवल बच्चे का दिमाग विकसित होता है बल्कि सोचने-समझने व सही लिखने की क्षमता का विकास भी होता है।
शार्प ब्रेनस के डायरेक्टर रंजीव गोयल ने अब रामां मंडी व आस पास के क्षेत्र के बच्चों को अबैकस शिक्षा के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बच्चे स्थानीय शहर में ही मेंटल मैथ से जोड, घटाव, गुणा व विभाजन आदि के र्फामूले आसानी से सीख सकेंगे।
समागम के दौरान रामपुरा फूल से आए विद्यार्थी दिवांश गर्ग, खुशी गर्ग, पीयषू गोयल, मुस्कान गर्ग एवं भुच्चो मंडी से ईशिता गर्ग, विपुल गर्ग, अंकिता गर्ग, ध्रुव सिंगला, अनुपम मित्तल व दीपांशू मित्तल ने लाइव डेमो के दौरान बड़ी बड़ी केल्कुलेशनों को सैंकडों में हल कर सभी लोगों को अचंभित कर दिया। मुख्य मेहमान श्री विजय लहरी ने सभी बच्चों को पुरस्कार भेंट कर सम्मानित भी किया। इस मौके अन्य के अतिरिक्त समाज सेवी सुरेश कांसल, एडवोकेट सुवेग गर्ग, कमल बांसल, तरुण कुञ्मार, जवहार लाल, जगननाथ सिंगला आदि भी मौजूद थे।
वन विभाग सुस्त, वन माफिया हुआ चुस्त
-रातों रात काट दिए जाते हैं कीमती पेड़, नहीं कसा जा रहा शिकंजा
बठिंडा। एक तरफ जहां नन्हीं छांव मुहिम के अंतर्गत सांसद हरसिमरत कौर बादल पौधों को प्रसाद के रूञ्प में वितरित कर चारों ओर हरियाली लाने की सपने देते जा रही हैं। वहीं वन मंत्री तीक्ष्ण सूद ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाए जाने की बात कहते हैं। वर्तमान में बरसात के सीजन में राज्य भर में लाखों पौधे लगाने के लिए अभियान छेड़ने का दावा किया जा रहा है पर वृक्षों की अंधाधुंध कटाई जारी है। रात को चोरी हो रहे कीमती पेड़ उक्त मुहिमों पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है। वन माफिया लगातार वृक्ष काटने में लगा है, और वन विभाग आंखें बंद कर बैठा है। इससे पर्यावरण को तो नुकसान हो ही रहा है वही पहले से कम हो रहे रकबे का प्रतिशत भी घटता जा रहा है। वन विभाग ने कुछ समय पहले सभी आरा संचालकों की बैठक कर उनके लाइसेंस बनाने का अभियान शुरू किया था व इसमें कई आरा संचालकों को चेतावनी भी दी गई थी कि वह इस तरह की तस्करी करने वालों को संरक्षम प्रदान करने से बाज आए, लेकिन इसके बावजूद इस धंधे को बेलगाम संरक्षण मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि वन माफिया द्वारा लगातार कटाई जारी है। जबकि संबंधित विभाग मूक दर्शक बन कर सब कुछ देख रहा है। कई स्थानों पर तो वाइल्ड लाइफ द्वारा लगाई गई कंटीली तार भी चुरा ली गई है। बठिंडा के आस-पास पड़ते गांव बीडबहिमण, बीड़तलाब, भुच्चों कलां, भूस मंडी, गोनियाना रोड के आसपास वन विभाग की जमीन पूरी तरह से माफियां के शिकंजे में है, जिसमें रातो रात दर्जनों पेड़ काटकर बेच दिए जाते हैं व इसकी कानों का किसी को खबर तक नहीं हो पाती है। कई मामले तो ऐसे हैं जिसमें पहले बने खेतों में प्लांट काटने के बाद रास्ता देने के लिए वन विभाग की जमीन से सैकड़ों पेड काटकर बेच दिए गए है। विभाग ने कई व्यक्तियों पर लकड़ी काटने के जुर्म में मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया था लेकिन यहां वृक्षों को चुराने वालों को नहीं रोका जा सका है। गांव निवासियों का कहना है कि नन्हीं छांव मुहिम तभी साकार होगी जब विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेवारी समझेंगे।
स्कूल के इर्दगिर्द घूमने वालों पर कसा जाएगा शिकंजा
-शिक्षा संस्थानों के बाहर खडे़ होकर करते है लड़कियों से छेड़खानी
-पुलिस विशेष अभियाम शुरू कर गुंडा तत्वों पर लगाम कसेगी
बठिंडा। महानगर के मध्य ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाने के साथ स्कूली छात्राओं से छेड़खानी करने वाले गुंडा तत्वों व वाहन चालकों की अब खैर नहीं है, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस ने अब शहर के स्कूलों के इर्दगिर्द छुट्टी के समय गलत इरादे से घूमने वाले वाहन चालकों पर शिकंजा कसने का फैसला लिया है। जानकारी अनुसार महानगर में इन दिनों स्कूलों व कालेजों के इलावा विभिन्न चौकों में आवारगर्दी करने वाले नौजवानों का ताता लगा रहता है। इसमें शिक्षा संस्थान लगने के साथ छुट्टी के समय लड़कियों को छेड़ने व उनपर अभद्र कमेंट कसने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस बाबत अभिभावकों की तरफ से पुलिस के पास निरंतर शिकायते आ रही थी। ट्रैफिक पुलिस के लिए उक्त आवारा युवक इस मायने में भी सिरदर्दी खड़ी कर रहे है कि इसमें ज्यादातर बिना नंबर वाले वाहनों, साइलेंसर खोल कर ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले मोटरसाइकिलों के अलावा बेहद तेज गति से चलने का काम किया जाता है जिससे ध्वनी प्रदूषण के साथ हादसों की संभावना बनी रहती है। इससे पहले इंटी गुंडा स्टाफ के मार्फत पुलिस इस तरह के तत्वों पर शिकंजा कसने का काम कर रही थी लेकिन कुछ समय से उक्त अभियान रुका पड़ा है जिससे असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। फिलहाल पुलिस ने आने वाले दिनों में इस अभियान को जारी रखने का फैसला लिया है। इसमें अचानक नाके लगा कर वाहनों की जांच भी की जाएगी ताकि आम आदमी के लिए परेशानी बने हुड़दंगबाजों पर शिकंजा कसा जा सके । पुलिस इसमें शहर वासियों से भी सहयोग लेगी। फिलहाल पुलिस की इस मुहिम से आम लोगों को राहत मिलने के साथ ट्रैफिक व्यवस्था में परेशानी दूर करने में सहयोग मिलेगा।
केंद्रीय जेल में कैदी की मौत
-जेल प्रबंधन की लापरवाही से हुई विक्की की मौत- परिजन
बठिंडा। बठिंडा की केंद्रीय जेल में एक कैदी की मौत हो गई। पुलिस ने कार्रवाई के बाद शव को परिजनों के हवाले कर दिया है। मृतक कैदी के परिजनों ने जेल में विक्की की मौत का जिम्मेवार जेल प्रबंधन की लापरवाही है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। जानकारी अनुसार विक्रमजीत विक्की अमृतसरिया निवासी प्रताप नगर एनडीपीएस एक्ट केस के तहत बठिंडा की जेल में बंद था। जिसे जेल में आए हुए कुछ दिन ही हुए थे की सोमवार को जेल में मौत हो गई। विक्रमजीत सिंह के परिजनों का आरोप है कि विक्रमजीत की मौत जेल प्रबंधन की लापरवाही से हुई है। उनका कहना था कि विक्रमजीत को एलर्जी की समस्या था। जिसके चलते उसकी दवा चल रही थी। जो विक्रञ्मजीत सिंह अक्सर खाना खाने से लेता था। गत दिवस वह दवा देने के लिये जेल में गये थे लेकिन जेल अधिकारियों ने उन्हें दवा देने से इंकार कर दिया। जिसके चलते विक्रमजीत की हालत खराब होने पर उसकी मौत हो गई। उधर विक्रमजीत की मौत के मामले में जांच के लिये तीन डाक्टरों का पैनल गठित किया गया। जिसमें डा. केके, डा. गुरमीत व डा. चावला को शामिल किया गया है। जो शव का पोस्टमार्टम करेंगे। डीसी गुरकृतकृपाल सिंह ने इसके इलावा मामले की जांच एसडीएम केपीएस माही को सौंपी है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है।
बेशकीमती गाड़ियां व प्रेस लेबल
शहर में बहुसंख्या में घूम रही हैं बेशकीमती गाड़ियां, जिन पर लिखा है प्रेस। हैरत की बात तो यह है कि संवाददाता वर्ग खुद भी असमंजस में है कि आखिर इतनी बेशकीमती गाड़ियां आखिर किस मीडिया ग्रुप की हैं। शीशों पर आल इंडिया परमिट की तरह प्रेस का लेबल चस्पाकर घूमने वाली गाड़ियां, मीडिया में काम करने वालों के लिए कई सालों से अनसुलझी पहेली की तरह हैं। जी हां, शहर में घूम रही हैं ऐसी दर्जनों बेशकीमती गाड़ियां, जिन पर लिखा है प्रेस, और कोई नहीं जानता प्रेस का लेबल लगा घूम रही इन बेशकीमती गाड़ियों के काले शीशों के उस पार आखिर है कौन। यह कौन पिछले कई सालों से मीडिया कर्मियों के लिए गणित का सवाल बन चुका है।
सूत्र बताते हैं कि मीडिया जगत तो इस लिए स्तम्ब है, क्योंकि मीडिया कर्मी अच्छी तरह जानते हैं, बठिंडा के इक्का दुक्का मीडियाकर्मियों को छोड़कर बठिंडा के किसी भी मीडिया कर्मी के पास ऐसे वाहन नहीं, जिनकी कीमत सात आठ लाख के आंकड़ों को पार करती हो। इस तरह कुछ अज्ञात लोगों का प्रेस लेवल लगाकर घूमना, शहर वासियों के लिए भी किसी मुसीबत का कारण बन सकता है, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस कर्मी गाड़ी पर प्रेस लिखा देकर वाहन को बेलगाम घूमने की आजादी दे देते हैं। डर कहीं यही आजादी, किसी दिन मुसीबत न बन जाए। याद रहे कि काफी महीने पहले दिल्ली के समीप पुलिस ने एक आतंकवादियों को जानकारी मुहैया करवाने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया था, जो खुद को संवाददाता बताकर शहर में संवेदनशील इलाकों में बड़े आराम से आ जा सकता है।
अगर ऐसा दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में हो सकता है तो बठिंडे जैसे महानगर में क्यों नहीं, क्या हम सांप निकलने के बाद लकीर को पीटने की आदत त्याग के लिए तैयार नहीं। क्या हम उठते हुए धूएं को देखकर कुछ नहीं करना चाहते, जब तक वो भयानक आग में न तब्दील हो जाए। पिछले दिनों स्थानीय एक मल्टीप्लेक्स में पहुंचे फिल्म अभिनेता जिम्मी शेरगिल ने कहा था कि पायरेसी से एकत्र होने वाला पैसा आतंकवाद को जाता है, क्या प्रेस का लेबल रेवड़ियों की तरह बांटना किसी पायरेसी से कम है। क्या पता कोई प्रेस का लेबल लगाकर काले शीशों के पीछे कुछ काले कारनामों की संरचना कर रहा हो। काला धन हमेशा काले कारोबार में इस्तेमाल होता है, और काले धन ही किसी भी देश के विनाश के लिए कारण बनता है।
आज से कुछ साल पहले तत्कालीन डीआईजी ने प्रेस वालों से उनके वाहनों के नम्बर मांगे थे। मीडिया कर्मियों ने बड़े उत्साह के साथ अपने वाहनों के नम्बर उक्त विभाग को लिखकर भेजे थे, शायद तब भी मीडिया कर्मी इस समस्या को लेकर चिंतित थे। लेकिन वो योजना पूरी तरह लागू न हो सकी, कुछ मीडिया कर्मियों की बजाय से। मीडिया कर्मियों की ओर से भेजी गई सूचियों को देखने के बाद यकीनन तत्कालीन शीर्ष पदस्थ पुलिस अधिकारी हैरत में एक बार तो जरूर पड़ा होगा, यह देखकर कि जो सूची आई है, उस में ज्यादातर वाहन दो पहिया है, और उनकी गाड़ी के आगे से गुजरने वाली गाड़ियां तो बेशकीमती होती हैं, जिन पर लिखा होता है प्रेस।
इसमें भी कोई दो राय नहीं, मीडिया में काम करने वाले कुछ लोगों ने अपने रिश्तेदारों को भी प्रेस लिखवाकर घूमने का परमिट दे रखा है। कुछ ऐसे ही मीडिया कर्मी मीडिया के बुद्धजीवियों के लिए समस्या बने हुए हैं। भले ही उनकी मात्रा मीडिया कम है, लेकिन मीडिया का अक्स बिगाड़ने में वो काफी कारगार सिद्ध हो रहे हैं। मैं नितिन सिंगला, साथी कुलवंत हैप्पी के साथ गुडईवनिंग पंजाब का सच बठिंडा।
Saturday, July 10, 2010
गुटबाजी के बीच बटी भाजपा को चाहिए तारनहार
बठिंडा। भारतीय जनता पार्टी के अंदर की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है, फिलहाल इसमें जिला बठिंडा की इकाई भी इससे अछूती नहीं रही है। आपसी गुटबाजी और दल में विभाजित भाजपा के नेता अपने हितों को साधने के लिए एक दूसरे पर आरोप जड़ने में लगे हैं। भाजपा की लडा़ई की स्थिति यह है कि एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए वह मीडिया का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। इस हालत से भी भयावह स्थति यह है कि वर्तमान में भाजपा के सदस्यों व पदाधिकारियों में आपसी तालमेल ही नहीं है, इसका ताजा उदाहरण वर्तमान में भाजपा की तरफ से घोषित ट्रेडिग सेल के पदाधिकारियों के बारे में स्थानीय नेताओं की किसी तरह की जानकारी न होना है। एक तरफ इस सेल का प्रदेश संयोजक मोहनलाल गर्ग को बनाया गया है लेकिन स्थानीय नेता इस तरह के सेल का गठन होने से ही इंकार कर रहे हैं। जबकि मोहन लाल को २३ जून को इस सेल का प्रदेश संयोजक बनाया था जिसकी बकायदा घोषणा जालंधर में आयोजित भाजपा बैठक में की गई थी।
इस बाबत गुटबाजी का आलम यह है कि जिला भाजपा में सक्रिय चार गुटों में जिला शहरी प्रधान श्यामलाल बांसल को पदमुक्त करना व बचाना है। इसी रणनीति के तहत सभी गुट अपना प्रधान बनाने के लिए जहां पार्टी की तरफ से उच्च स्तर पर लिए फैसलों को मानने से इंकार कर रहे हैं वही हाईकमान के पास एक दूसरे की शिकायते सरेआम करने में लगे हैं। गौरतलब है कि एक साल पहले पूर्व भाजपा शहरी प्रधान नरिंदर मित्तल को हाईकमान के खिलाफ मोर्चा खोलने पर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इसके बाद शहर में धन संपदा से संपन्न प्रधान के तौर पर श्यामलाल बांसल को चुना गया। वर्तमान में भाजपा के अंदर बांसल की कारगुजारी को लेकर असंतोष तीन गुट जता रहे हैं जबकि बांसल का समथर्न करने वाला एक गुट उनके बचाव में चल रहा है। अब जो गुट उन्हें हटाने की बात करता है उसके खिलाफ प्रधान गुट अपनी मुहिम शुरू कर देता है। इसमें देखा जाए तो वतर्मान में नगर निगम में डिप्टी मेयर तरसेम गोयल, भाजपा के पुराने नेता परमिंदर गोयल, नगर सुधार ट्रस्ट के पू्र्व चेयरमैन मोहन लाल गर्ग, नगर सुधार ट्रस्ट के वतर्मान चेयरमैन अशोक भारती जैसे नेता अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास कर रहे हैं।
इन लोगों के पास एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए बेतुके तर्क भी बहुत है। मसलन एक हारा एमसी ट्रस्ट का चेयरमैन कैसे बना दिया, एक हारा एमसी ट्रेड विंग का संयोजक कैसे बनाया आदि। इसके साथ ही कुछ भाजपा नेता इस तरह के भी है जिन्हे नई जिला इकाई में स्थान नहीं दिया तो उन्होंने बगावती तेवर दिखाने के लिए प्रधान विरोधी गुटों को संरक्षण देने के साथ उन्हें भड़काने का काम शुरू कर रखा है। फिलहाल इस तरह की स्थित से गुजर रही भाजपा अपनी नैया कैसे पार लगाएगी समझ से परे है। भाजपा में हालात यह है कि केंद्रीय समिति की तरफ से मंहगाई के खिलाफ बंद सफल बनाने के आदेश को भी स्थानीय कुछ नेताओं ने मानने से इंकार कर दिया और बंद वाले दिन घरों में दुबक कर बैठे रहे। एक तरफ भाजपा के नेता गुटबाजी की किसी संभावना से इंकार कर रहे हैं वही अप्रत्यक्ष तौर पर कुछ लोग मीडिया में खबरे उछालने के लिए ऐडी़ चोटी का जोर लगाते हैं।
इसमें दूसरे को कैसे नीचा दिखाना है यह कला इन नेताओं को भलीभांती आती है। फिलहाल मैं तो इन भाजपा नेताओं को एक ही सलाह दूंगा कि अगर मन की कसक निकालनी है तो खुले मैदान में आ जाओं, आपने पहले भी तो हाईकमान पर भ्रष्ट्रचार के आरोप लगाने के लिए मान्नीय नरिंदर मित्तल को बली का बकरा बनाया है, बेचारों को भाजपा से बाहर निकलवाने के बाद कभी उनका हाल तक पूंछने नहीं गए अब जब आप के साथ भेदभाव हो रहा है तो परदे के पीछे छिपकर तीर चला रहे हो? वीर हो तो नरिंदर मित्तल बन जाओं और मन की भडा़स जमकर निकाल लो। कम से कम इस तरह की घुटन से तो छुटकारा मिलेगा। ऐसा नहीं कर सकते तो पहले ही हासिये पर पहुंच चुकी भाजपा का कुछ ख्याल कर उसे मजबूत करने की तरफ ध्यान दो। हाईकमान भी इस हालात में पहुंच चुकी जिला इकाई को कोई तारनहार दे दे ताकि नेतृत्व वहीन भाजपा में नई जान डाली जा सके।
-हरिदत्त जोशी
घर में सेंधमारी कर सोने के गहने व नकदी चोरी की
बठिंडाः गत दिवस को कुछ अज्ञात चोरों ने बठिंडा जिले के गांव सिवियां में स्थित एक घर में सेंधमारी कर घर से सोने के गहने व कुछ नगदी चोरी कर ली है। पुलिस ने घर के मालिक के बयानों के आधार पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धारा 457, 380 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। जानकारी अनुसार थाना नहियांवाला पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में सुखवीर सिंह ने बताया कि 8 व 9 जुलाई की रात्रि कोई अज्ञात व्यक्ति उनके घर में घुसकर सोने केगहने व नकदी चुरा ले गया। पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
जान से मारने की कोशिश, आठ नामजद
बठिंडाः तलवंडी साबो पुलिस ने पुरानी रंजिश के चलते आरोपियों द्वारा शिकायतकर्ता पर फायरिंग कर उसे धमकाने के मामले में आठ आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने सभी व्यक्तिञ्यों पर मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरु कर दी है, लेकिन पुलिस ने अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की है। जानकारी अनुसार तलवंडी साबो पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में सेवा सिंह ने बताया कि आरोपियों ने उसे चारों ओर से घेर लिया। वह खेत में पानी लगाने की तैयारी में था। इस दौरान आरोपियों ने हवाई फायरिंग कर उसे धमकियां दी। पुलिस ने सभी आरोपियो पर मामला दर्ज कर लिया है।
सरकारी बंदूक से किए हवाई फायर
बठिंडाः नथाना केगांव गंगा में स्टेट बैंक आफ पटियाला में तैनात वाचमैन कम चपरासी ने बैंक की सरकारी बंदूक से दो हवाई फायर किये, फरार हो गया। पुलिस ने बैंक के एजीएम के बयानों के आधार पर आरोपी केखिलाफ केस दर्ज कर लिया है। नथाना पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में स्टेट बैंक आफ पटियाला के सहायक जनरल मैनेजर ने बताया कि जसवंत सिंह वाचमैन कम पीयुन बैंक की नथाना ब्रांच में तैनात है, ने गत दिवस गांव गंगा में बैंक की बंदूक से दो हवाई फायर किये गये, जिससे गांव के लोगों में दहशत का माहौल पैदा हो गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 336, 25,54,59ए असला एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
महिला के गले से उड़ाई चेन
बठिंडाः शहर में लूटपाट करने वाले गिरोह ने अपना आंतक जारी रखते हुए विगत दिवस को स्थानीय बिरला मिल कालोनी में एक मोटरसाइकिल पर सवार अज्ञात युवकों ने अपने घर के आगे झाडू़ लगा रही एक महिला के गले से सोने की चैन झपट कर घटनास्थल से फरार हो गये। कोतवाली पुलिस ने महिला के बयान के आधार अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 356,34 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। जानकारी अनुसार कोतवाली पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में गुरसेवक सिंह ने बताया कि भ् जुलाई को सुबह साढ़े छह बजे उसकी पत्नी अपने मकान के गेट के आगे झाड़ू लगा रही थी। इस दौरान एक मोटरसाइकिल पर सवार दो युवक आकर रुके, उसकी पत्नी के गले में पहनी सोने की चैन झपट कर ले गये। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
जान से मारने की कोशिश, आठ नामजद
बठिंडाः तलवंडी साबो पुलिस ने पुरानी रंजिश के चलते आरोपियों द्वारा शिकायतकर्ता पर फायरिंग कर उसे धमकाने के मामले में आठ आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने सभी व्यक्तिञ्यों पर मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरु कर दी है, लेकिन पुलिस ने अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की है। जानकारी अनुसार तलवंडी साबो पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में सेवा सिंह ने बताया कि आरोपियों ने उसे चारों ओर से घेर लिया। वह खेत में पानी लगाने की तैयारी में था। इस दौरान आरोपियों ने हवाई फायरिंग कर उसे धमकियां दी। पुलिस ने सभी आरोपियो पर मामला दर्ज कर लिया है।
सरकारी बंदूक से किए हवाई फायर
बठिंडाः नथाना केगांव गंगा में स्टेट बैंक आफ पटियाला में तैनात वाचमैन कम चपरासी ने बैंक की सरकारी बंदूक से दो हवाई फायर किये, फरार हो गया। पुलिस ने बैंक के एजीएम के बयानों के आधार पर आरोपी केखिलाफ केस दर्ज कर लिया है। नथाना पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में स्टेट बैंक आफ पटियाला के सहायक जनरल मैनेजर ने बताया कि जसवंत सिंह वाचमैन कम पीयुन बैंक की नथाना ब्रांच में तैनात है, ने गत दिवस गांव गंगा में बैंक की बंदूक से दो हवाई फायर किये गये, जिससे गांव के लोगों में दहशत का माहौल पैदा हो गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 336, 25,54,59ए असला एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
महिला के गले से उड़ाई चेन
बठिंडाः शहर में लूटपाट करने वाले गिरोह ने अपना आंतक जारी रखते हुए विगत दिवस को स्थानीय बिरला मिल कालोनी में एक मोटरसाइकिल पर सवार अज्ञात युवकों ने अपने घर के आगे झाडू़ लगा रही एक महिला के गले से सोने की चैन झपट कर घटनास्थल से फरार हो गये। कोतवाली पुलिस ने महिला के बयान के आधार अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 356,34 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। जानकारी अनुसार कोतवाली पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में गुरसेवक सिंह ने बताया कि भ् जुलाई को सुबह साढ़े छह बजे उसकी पत्नी अपने मकान के गेट के आगे झाड़ू लगा रही थी। इस दौरान एक मोटरसाइकिल पर सवार दो युवक आकर रुके, उसकी पत्नी के गले में पहनी सोने की चैन झपट कर ले गये। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
आज सफल है, मंथली गुरूमंत्र
सुबह सुबह आम आदमी एनपी अपने दूध वाले पर रौब झाड़ते हुए कहता है कि आजकल दूध काफी पतला आ रहा है और कुछ मिले होने का भी शक है। एनपी की बात को ठेंगा दिखाते हुए दूध वाला कहता है, आपको दूध लेना है तो लो, वरना किसी ओर से लगवा लो, दूध तो ऐसा ही मिलेगा। एनपी सिंह कहां कम था उसने दूध वाले के पैर निकाले के लिए कहा, तुमको पता नहीं, मैं सेहत विभाग में हूँ, तेरे दूध का सैंपल भरवा दूंगा। सेर को सवा सेर मिल गया, दूध वाला बोला...तेरे सेहत विभाग को हर महीने पैसे भेजता हूँ, मंथली देते हूँ, किसकी हिम्मत है, जो मेरे दूध का सैंपल भरे। दूध वाले के पैरों तले से तो जमीं नहीं सरकी, लेकिन एनपी के होश छू मंत्र हो गए। आज मंथली का जमाना है, आज के युग में सही काम करने वाले को भी मंथली भेजनी पड़ती है। मंथली लेने में सेहत विभाग ही नहीं, अन्य विभाग भी कम नहीं। जैसे मोबाइल के बिन आज व्यक्ति खुद को अधूरा समझता है, वैसे ही ज्यादातर सरकारी उच्च पदों पर बैठे अधिकारी खुद को मंथली बिना अधूरा सा महूसस करते हैं। बुरा काम करने वाले तो मंथली देते ही हैं, लेकिन यहां तो अच्छा उत्पाद बनाने वालों को भी मंथली देनी पड़ती है। शहर के एक व्यस्त बाजार में बेहद प्रसिद्ध मिठाई की दुकान के मालिक को केवल इस लिए मंथली देनी पड़ती है, क्योंकि वो सरकारी पचड़े में पड़ना नहीं चाहता, जबकि उसके उत्पाद अच्छे है, सर्वोत्तम हैं। मगर वो एक बात अच्छी तरह जानता है कि अगर पैसा घटिया माल को अच्छा साबित कर सकता है तो कोई भी सरकारी अधिकारी अच्छे माल को बुरा साबित कर सकता है। शहर में जाली रजिस्ट्रियों के तमाम मामले आए दिन सुर्खियों में आते हैं, वो भी तो मंथलियों के नतीजे हैं, वरना किसी की रजिस्ट्री किसी ओर के नाम कैसे चढ़ सकती है। गलती एक बार होती है, बार बार नहीं, मगर मंथली एक ऐसा गुरमंत्र है, जो गलत वस्तु को सही सिद्ध कर देगा, जिसकी लाठी उसकी भैंस साबित कर देगा। मंथली की मोह जाल से तो पत्रकारिता जगत के लोग भी अछूते नहीं, सुनने में तो यहां तक आया है कि सेहत विभाग से लेकर तहसील तक से पत्रकारिता की दुनिया के कुछ लोगों को मंथली आती है, शायद बुराई पर पर्दा डाले रखने के लिए। पैसे की दौड़ ने मानव को किसी भट्ठी में झोंक दिया, वो आज खुद भी नहीं समझ पा रहा, आखिर उनकी दौड़ कहां तक है? जबकि वो भली भांति जानता है कि अंतिम समय मिलने वाले कफन के जेब भी नहीं होती। जब एक आम आदमी ने कारोबारी रूप में मोटरसाईकल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाले वर्ग के एक व्यक्ति से पूछा कि तुम्हारे वाहनों की हालत इतनी खास्ता होने के बावजूद भी क्या ट्रैफिक पुलिस तुम्हारा चालान नहीं भरती, तो वो बड़े खुशनुमा मिजाज में कहता है, आप से क्या चोरी, एसोसिएशन हर महीने तीस साल रुपए का माथा टेकती है, तब जाकर हरी झंडी मिलती है सड़कों पर। ज्यादातर सरकारी विभागों का आलम तो ऐसा है कि पैसा फेंको...मैं कुछ भी करूंगा। एक किस्सा याद आ रहा है, जो पासपोर्ट विभाग से जुड़ा हुआ है। पासपोर्ट बनाने के लिए कॉमन मैन कतार में खड़ा अपनी बारी का इंतजार कर रहा था, एजेंट आते थे, और काम करवा कर चले जाते थे, लेकिन वो बाहर कतार में खड़ा इंतजार करता रहा। जब उसकी बारी आई तो उसने अपने कागजात मैडम के आगे किए, मैडम ने कागजातों को टोटलने के बाद कहा..बच्चे का पता पहचान पत्र कहां है, कॉमन मैन कहता है, मैं उसका पिता हूँ, मेरा पता ही तो उसका पता है। लेकिन हम कैसे मानें कि यह तुम्हारा सही पता है। तो कॉमन मैन कहता है कि मेरा पता इस विभाग की ओर से पहले चैक किया गया है, और पासपोर्ट भी यहां से ही जारी हुआ है। मगर वो मैडम एक बात पर ही अटकी रही, बच्चे का पता पहचान पत्र लेकर आओ। कॉमन मैन चिंता में डूब वहां से उलटे कदम निकल लिया, यह सोचते हुए आखिर कौन सा पता। सरकारी दफ्तरों में एजेंटों की घुसपैठ भी तो मंथली के गुरुमंत्र की ताजा मिसाल है। मंथली के गुरुमंत्र ने आम आदमी के हितों को पैरों तले कुचलकर रख दिया।
कुलवंत हैप्पी
76967-13601
गर्मी से एक की मौत, दो बीमार
बठिंडा : बारिश न होने के कारण शहर में तापमान कम होने का नाम नहीं ले रहा। इस गर्मी के कारण गत रात्रि एक व्यक्ति की गर्मी लगने से मौत हो गई जबकि एक बच्ची समेत दो बीमार लोगों को सहारा जन सेवा ने अस्पताल में भर्ती करवाया। मिली जानकारी के अनुसार गत रात्रि उक्त संस्था को सूचना मिली कि स्थानीय रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर एक पर एक वृद्ध गंभीर हालत में पड़ा हुआ है। सूचित मिलते ही संस्था ने उस वृद्ध को स्थानीय सिविल अस्पताल के संकटकालीन वार्ड में दाखिल करवाया, लेकिन उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। संस्था सूत्रों ने बताया कि एक पांच वर्षीय बच्ची गीता को सूचना मिलने पर इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां उसका इलाज चल रहा है, और उसकी तबीयत में सुधार हो रहा है। उन्होंने बताया कि उक्त बच्ची गर्मी लगने के कारण बुरी तरह बीमार हो गई थी, लेकिन उसकी मां के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपनी बच्ची का इलाज करवा सके। किसी ने उसकी स्थिति के बारे में संस्था को सूचित किया। जिसके बाद उसको इलाज हेतु अस्पताल में दाखिल करवाया गया। इसके अलावा स्थानीय नहर के समीप एक युवक के बेहोश अवस्था में पड़े होने की सूचना संस्था को मिली। संस्था के कार्यकर्ता घटनास्थल पर पहुंचे, और बेहोशी की हालत में पड़े युवक को उठाकर स्थानीय सिविल अस्पताल में ले आए। अब उसकी स्थिति आगे से बेहतर है, जिसकी शिनाख्त अनिल कुमार पुत्र महादेव निवासी थर्मल कालोनी हुई है।
जनसंख्या दिवस पर आयोजित किया सेमिनार
बठिंडा : स्थानीय टीचर्स होम में सेहत व परिवार भलाई विभाग की ओर से आज विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। इस मौके पर शहर की प्रमुख संस्थाओं के अलावा शहर के प्रमुख डॉक्टरों व अन्य लोगों विशेष तौर पर न्यौता दिया गया। इस सेमिनार में मुख्यातिथि के तौर पर सिविल सर्जन डा.इंद्र दयाल गोयल पहुंचे। सेमिनार को संबोधित करते हुए डा. जगजीत सिंह ने कहा कि अगर जनसंख्या पॉलिसी को पूरी तरह से लागू कर दिया जाए तो लोगों की जरूरतें पूरी होने के साथ साथ जनसंख्या पर भी काबू पाया जा सकता है। औरत को बच्चे पैदा करने की मशीन समझने की मानसिकता से ऊपर उठना होगा, नहीं तो बढ़ती जनसंख्या किसी भयानक विस्फोट से कम न होगी। सेमिनार में विभिन्न वक्ताओं ने जनसंख्या से होने वाले विनाशों पर खुलकर प्रकाश डाला। इस मौके पर बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए समाज में जागरूकता फैलाने जैसे मुद्दों को बड़े जोर शोर से उठाया गया। वक्ताओं ने कहा कि निरंतर बढ़ रही जनसंख्या के कारण बेरोजगारी, भुखमारी व लूट मार जैसी समस्याओं में वृद्धि हो रही है, जिसके कारण समाज में अशांति का माहौल बनता जा रहा है। बढ़ती महंगाई को मद्देनजर रखते हुए आज छोटे परिवार सुखी परिवार जैसे विचारों पर चलने वाले लोग ही सुखी जीवन जी सकेंगे। इस दौरान आने वाले लोगों को प्रेरित करने के लिए संदेशवाहक चित्रों की एक प्रदर्शनी लगाई गई। सेहत विभाग की ओर से आयोजित सेमिनार में पुरुषों के मुकाबले युवतियों व महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा थी।
इस मौके अन्य शख्सियतों के अलावा डा. रघुवीर सिंह रंधावा, डा. जगजीत सिंह, डा.राकेश गुप्ता, समाज सेवी श्रीमति राज गुप्ता, नरेंद्र बस्सी, राकेश नरूला, सुनील सिंगला, रमणीक वालिया आदि उपस्थित थे। इस मौके पर महंत गुरबंता दास नर्सिंग कालेज की छात्राओं की ओर से छोटे व बड़े परिवार की तुलना करते हुए एक लघु व्यंग पेश किया गया। इसके साथ ही एएनएम ट्रेनिंग स्कूल बठिंडा की छात्राओं ने जनसंख्या के संबंध में अपने विचार रखे। ज्ञात रहे कि जुलाई 1987 में विश्व की जनसंख्या पांच अरब थी, जो 2009 में पांच अरब 50 करोड़ तक पहुंची और अब 6 अरब 82 करोड़ 53 लाख के आंकड़े को छू रही है।
इस मौके अन्य शख्सियतों के अलावा डा. रघुवीर सिंह रंधावा, डा. जगजीत सिंह, डा.राकेश गुप्ता, समाज सेवी श्रीमति राज गुप्ता, नरेंद्र बस्सी, राकेश नरूला, सुनील सिंगला, रमणीक वालिया आदि उपस्थित थे। इस मौके पर महंत गुरबंता दास नर्सिंग कालेज की छात्राओं की ओर से छोटे व बड़े परिवार की तुलना करते हुए एक लघु व्यंग पेश किया गया। इसके साथ ही एएनएम ट्रेनिंग स्कूल बठिंडा की छात्राओं ने जनसंख्या के संबंध में अपने विचार रखे। ज्ञात रहे कि जुलाई 1987 में विश्व की जनसंख्या पांच अरब थी, जो 2009 में पांच अरब 50 करोड़ तक पहुंची और अब 6 अरब 82 करोड़ 53 लाख के आंकड़े को छू रही है।
हेमकुंड दर्शनों के लिए गए दो संगतों की दर्दनाक मौत
बठिंडा। तीन दिन पहले हेमकुंड साहिब में दर्शनों के लिए गए बठिंडा के दो श्रद्धालुओं की चमोली के पास हुए हादसे में मौत हो गई। दोनों मृतकों के शवों को आज बठिंडा लाया गया जिनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। जानकारी अनुसार बठिंडा के घुंदे गाँव से एक ही परिवार के तीन व्यक्ति श्री हेमकुंड साहिब के दर्शनों के लिए सात जुलाई को रेलमार्ग से निकले थे। ऋषिकेश में मेयर सिंह पुत्र त्रिलोक सिंह, जसवंत सिंह पुत्र कर्म सिंह व दर्शनसिंह ने हेमकुंड साहिब के लिए नौ जुलाई की सांय बस पकड़ी। इस दौरान जब उक्त लोग चमोली के पास पहुंचे तो मेयर सिंह को उल्टीयां होने लगी। इस दौरान जसवंत सिंह ने उसे संभालने के लिए बस की खिडक़ी से अपना सिर बाहर निकाला तो एक मोड पर पहाड़ी से दोनों टकरा गए। इसमें मेयर सिंह की मौके पर मौत हो गई जबकि जसवंत सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया। उन्हें स्थानीय चमोली अस्पताल पहुंचाया लेकिन वहां जसवंत को मृत घोषित कर दिया गया। दोनों मृतकों की देह को दर्शन सिंह बठिंडा लेकर आया। मेयर सिंह की आयु ४५ साल केञ् करीब है जबकि घर में पत्नी सहित दो लड़केञ् व एक लड़की है। इसी तरह जसवंत सिंह की आयु ४२ साल के करीब है जबकि उसका १७ साल का एक लड़का है। दोनों मृतक गांव घुंदे में आरएमपी डाक्टर है। दोनों मृतकों को बाद दोपहर अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान गांव के सभी गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
Friday, July 9, 2010
तहसील परिसर में सरेआम खेला जा रहा है कि गुंडागर्दी का खेल
-खबर प्रकाशित होने केञ् बाद प्रतिनिधियों को धमकाने का सिलसिला
-पुलिस मामले में बरत रही है ढिलापन, आरोपी गिरफ्त से बाहर
बठिंडा। भ्रष्टाचार के दलदल में धसी बठिंडा तहसील परिसर का कोई बालो बारिस नजर नहीं आ रहा है। वर्तमान में तहसील परिसर के अंदर गुंडागर्दी का नंगा नाच सरेआम खेला जा रहा है लेकिन इसे रोकने के लिए किसी तरह का प्रयास नहीं किया जा रहा है। तहसील परिसर में दलाली का धंधा करने वाले कुञ्छ असामाजिक तत्वों की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि गत दिवस उन्होंने तहसील परिसर में भ्रष्टाचार संबंधी सामाचार प्रकाशित होने के बाद वहां बनाए गए पंजाब का सच के अस्थायी उपकार्यालय में तोड़फोड़ की व वहां रखे सामान को चोरी कर लिया। यही नहीं इसमें बैठने वाले प्रतिनिधियों को जान से मारने की धमकी दी गई। इस बाबत तहसील चौकी में मामला दर्ज करवाया गया जिसमें पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए मुहिम चलाने की बात कर रही है लेकिन खबर लिखे जाने तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका था।
जानकारी अनुसार तहसील परिसर में प्रशासकीय अधिकारियों की मिलीभगत से रजिस्ट्री करवाने के नाम पर गौरखधंधा चल रहा है। इसमें सरकार को लाखों रुपये की चपत लगाई जा रही है जबकि मामले में सब कुछ जानकर भी किसी के खिलाफ कानूनी व विभागीय कार्रवाई नहीं की जा रही है। पंजाब का सच अखबार की तरफ से पिछले दो दिनों से तहसील परिसर में होने वाले घौटाले व भ्रष्टाचार को लेकर सामाचार प्रकाशित किया जा रहा है। इसके बाद परिसर में गौरखधंधा करने वाले लोगों में हड़कंप का माहौल बना हुआ है। तहसील में बिना जांच के नक्शा बनाने वाले कई लोग अपनी सीट से गायब है जबकि तहसीलदार सहित अन्य अधिकारी इस गंभीर मामले में किसी तरह की जुबान खोलने को तैयार नहीं है। तहसील दफ्तर में कुछ लोगों ने लोगों की जेब काटने के लिए बकायदा एक गिरोह का निर्माण कर रखा है। इस गिरोह में शामिल लोग जहां बिना जांच पड़ताल के नक्शा पास करवाते है वही तहसील में पडे़ एक खाली प्लांट के सामने ही सभी रजिस्टरी करवाने वालों की फोटो खीचकर सरकारी दस्तावेज में लगा दिये जाते हैं। उक्त पूरा गौरखधंधा तहसीलदार व नायब तहसीलदार के सामने होता है लेकिन इसमें अभी तक किसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की हिमायत नहीं की गई है। फिलहाल इस गौरखधंधे का खुलासा होने के बाद वहां तैनात कुछ तत्वों ने पंजाब का सच अखबार के अस्थायी दफ्तर को निशाना बनाया व वहां लगे बोर्ड को हटाने के साथ दफ्तर में तोड़फोड़ की गई। वही वहां काम करने वाले प्रतिनिधि को जान से मारने की धमकी दी गई है। इसमें तहसील परिसर केञ् एक दो वकील, नक्शा नवीस व रजिस्टरी लिखने वाला एक व्यक्ति प्रत्यक्ष तौर पर शामिल है। मामले में संबंधित थाना केञ् अधिकारी दावा कर रहे हैं कि दफ्तर में बोर्ड हटाने व तोड़फोड करने वाले आरोपियों की तलाश के लिए जांच चल रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर मामले में किसी तरह की कानूनी कार्रवाई आज तक नहीं की गई है।
बठिंडा इकाई ने दिया सुखबीर को अनूठा तोहफा
रक्तदान शिविर में सैंकड़ों ने किया रक्तदान
बठिंडा : स्थानीय बरनाला रोड़ पर स्थित एक पैलेस में आज शिअद की ओर से उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के जन्मदिन पर एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन कर अपने तेज तर्रार युवा नेता को एक अनूठा तोहफा दिया। इस मौके पर शिअद के शीर्ष पदस्थ नेताओं ने अपना रक्तदान कर शिविर का शुभारंभ किया। पैलेस के एसी हाल में, जहां रक्तदान करने लिए कई बिस्तर लगाए गए थे, रक्तदान को लेकर युवाओं से अधेड़ उम्र के व्यक्तियों में गर्मजोशी देखने लायक थी। ज्ञात रहे कि आज बठिंडा के अलावा भी कुछ अन्य जिलों में सुखबीर सिंह बादल को जन्मदिन का अनूठा तोहफा देने के लिए शिअद कार्यकर्ताओं की ओर से रक्तदान शिविरों का आयोजन किया गया है। पार्टी वर्करों की इस पहल से रक्तदान अंदोलन को बहुत बड़ा फायदा पहुंचेगा।
इस शिविर में बाद दोपहर एक बजे तक लगभग 700 वर्करों ने स्वेच्छा से रक्तदान के लिए अपना नाम दर्ज करवाया दिया था। इस मौके पर रक्तदानियों में उत्साह देखने लायक था। रक्त एकत्र करने के लिए सिविल सर्जन डा. इंद्रदयाल गोयल की अगुवाई में पहुंची अलग अलग टीमों ने बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई जबकि जिला रेड क्रास बठिंडा की ओर से रक्तदानियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। इस मौके पर जानकारी देते हुए जिला प्रेस सचिव ओपी शर्मा ने बताया कि बठिंडा के अलावा मानसा व मुक्तसर में भी रक्तदान शिविर आयोजित किए गए। उन्होंने बताया कि रक्तदान शिविर कार्यकर्ताओं ने अपने स्तर पर आयोजित किए हैं, इसके लिए पार्टी हाईकमान की ओर से कोई विशेष हिदायतें नहीं थी।
इस मौके पर जिला प्रधान सिकंदर सिंह मलूका, अमरजीत सिंह सिद्धू, गुरा सिंह तुंगवाली, दर्शन सिंह कोटफत्ता, सरूप सिंगला, जगदीप सिंह नकई, बलजीत सिंह बीड़ बह्मण, तरसेम गोयल आदि ने विशेष तौर से उपस्थित हो रक्तदानी कार्यकर्ताओं का हौसला अफजाई की।
शिअद ने किया रक्तदान संस्थाएं बनाने का एलान
बठिंडा : रक्तदान की जरूरत को मद्देनजर रखते हुए शिरोमणि अकाली दल की ओर से जिले के हर गांव में संकटकालीन रक्तदानी संस्था की स्थापना की जाए। यह घोषणा आज स्थानीय एक पैलेस में शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के जन्मदिवस पर आयोजित एक रक्तदान शिविर को संबोधित करते हुए शिअद के जिला प्रधान सिकंदर सिंह मलूका ने की।
इस मौके पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल जिला इकाई व यूथ विंग शिअद की ओर से जिले के हर गांव में एक संकटकालीन रक्तदानी संस्था की स्थापना की जाए, जो जरूरतमंद गरीब लोगों को जरूरत पड़ने पर रक्त मुहैया करवाएगी। श्री मलूका ने कहा कि यह फैसला आज के रक्तदान शिविर में पार्टी वर्करों के उत्साह को देखते हुए उनकी सलाह के बाद किया गया है।
इस मौके पर मास्टर हरमंदर सिंह सिद्धू, गुरप्रीत सिंह मलूका, सुखदेव सिंह बाहिया, दलजीत सिंह बराड़, भुपेंद्र सिंह भुल्लर, राजेंद्र कुमार राजू, टेक सिंह खालसा, बलजीत सिंह सरां, राजेंद्र सिंह सिद्धू, मनजीत सिंह, निर्मल सिंह संधू आदि कार्यकर्ता मौजूद थे।
महानगरों में तेजी से फैल रहा है चोर गिरोह का आतंक
-वाहन चोरी करने वाले गिरोह पर पुलसिया शिकंजा भी नहीं दिला सका राहत
-घरों में सेधमारी कर लूट लिया जाता है नगदी व सोना
बठिंडा। पिछले दो माह में राज्य भर में वाहन चोर गिरोह के ३६ के करीब लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, इसमें बठिंडा जिले में ही १६ के करीब गिरोह सदस्यों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। इस बावजूद राज्य में प्रतिदिन एक सौ के करीब विभिन्न स्थानों से चोरी हो रहे हैं। चोरों के निशाने पर सार्वजनिक स्थानों के इलावा लोगों के घर होते हैं। आखिर पुलिस की संतर्कता के बावजूद गिरोह लोगों की नाक में दम कर रहा है। इससे यही साबित होता है कि पुलिस या तो फर्जी गिरोह पकड़ रही है या फिर जो लोग पकडे़ जा रहे हैं वह मात्र गिरोह के गुर्गे है व इनके आका अभी भी पीछे से गिरोह का संचालन कर रहे हैं। वर्तमान में चोरी रूपी रावण के जितने सिर पुलिस काटने का दावा कर रही है उसके मुकाबले उतने ही सिर फिर से निकल आते हैं। कुल मिलाकर राज्य में व्यापारियों के साथ आम लोगों की नाक में चोर गिरोह ने दम कर रखा है। इसमें लोग स्वंय को किसी भी स्थान पर सुरक्षित महूसस नहीं कर रहे हैं।
पुलिस के आला अधिकारियों व राज्य के गृह विभाग को इस गंभीर मसले पर सोचने की जरूरत है। अगर पुलिस रिकार्ड पर ही गौर करे तो राज्य में जितने भी अपराधिक मामले दर्ज हुए है उसमें चोरी के सर्वाधिक मामले हैं। कोई भी व्यक्ति अपना वाहन लेकर घर से बाहर निकलता है तो उसकी सबसे बड़ी चिंता उसे सुरक्षित स्थान में खड़ा करने की रहती है। कार, जीप, मोटरसाइकिल से लेकर सामान्य साइकिल मालिक के आंख झपकते ही चोरी हो जाती है। देखने वाला देखता रह जाता है। गिरोह के शातीर सदस्य इतने एक्सपर्ट है कि वह पलक झपकते ही किसी भी गाड़ी का ताला खोलने के साथ उसे स्टार्ट कर भागने में कुछ मिनट से भी कम का समय लगाते हैं। यही नहीं वाहनों को पलक झपकते ही शहर की सीमाओं से बाहर धकेल दिया जाता है व कुछ घंटों में ही गाडि़यों के नंबर व रंग तबदील कर गुप्त स्टोरों में भेज दिया जाता है। इसके बाद इन वाहनों को उसका मालिक भी नहीं पहचान सकता है। इसके बाद इन वाहनों को औने पौने दाम में खरीदने वाले लोगों की तलाश शुरू होती है। जिसमें दिल्ली, फरीदाबाद जैसे महानगरों में इनके खरीदार भी मिल जाते हैं।
पंजाब में पिछले दिनों पुलिस ने पांच स्थानों पर वाहन चोरी करने वाले गिरोह को दबोचा। इस गिरोह में शामिल ज्यादातर लोग नौजवान वर्ग से संबंधित थे। उक्त लोग अपने शौक पूरे करने के लिए इस तरह के गिरोह बनाते हैं। इसमें गिरोह का एक सरगना बनाया जाता है जो वाहन चोरी का पूरा हिसाब रखने के साथ इन्हे बेचने के लिए बाजार की तलाश करता है। बाजार में मंहगे वाहनों को ५० प्रतिशत से भी कम मूल्य में बेचकर मिलने वाले पैसे को आपस में बांट लिया जाता है। गिरोह के सदस्यों के बारे में पुलिस के पास किसी तरह की पुख्ता जानकारी न होने व प्रमुख बाजारों में तैनात सुरक्षा कर्मचारियों के पास इस बाबत किसी तरह का रिकार्ड न होने के कारण उक्त लोग सुगमता से अपनी कारगुजारी को अंजाम देते हैं।
यही नहीं अगर वाहन चोरी होने वाले व्यक्ति की तरफ से पुलिस थानों में तत्काल रिपोर्ट भी दर्ज करवा दी जाए तो पुलिस एक्शन लेने में ही कई घंटे लगा देती है जिससे चोरी का वाहन आसानी से शहर की सीमा से बाहर निकल जाता है। बाजारों में सरेआम घूमने वाले इन गिरोह के सदस्यों का पहरावा किसी जेंटलमैन से कम नहीं होता है चोरी करने वाली जगह पर ग्रुप में घूमते हैं। इसमें एक व्यक्ति वाहन के मालिक पर पूरी नजर रखता है तो दूसरा वाहन का ताला खोलने का काम करता है। इस दौरान थोड़ा से संदेह होने पर उक्त लोग सुगमता से गायब हो जाते हैं। फिलहाल राज्य में वाहन चोर गिरोह के साथ दुकानों व घरों में सेधमारी कर सामान चोरी करने वाले गिरोह ने भी लोगों को बेचैन कर रखा है। सूने घरों की जानकारी हासिल होते ही गिरोह के सदस्य वहां सेधमारी कर लेते हैं। उक्त लोगों के पास इससे पहले घर में रखे सामान न नगदी की भी पूरी जानकारी पहुंच जाती है।
इस काम में घर के किसी नजदीकी व जानकार के साथ गिरोह के सदस्य दोस्ती करने के साथ पूरी जानकारी हासिल कर लेते हैं व मौका मिलते ही घर में रखी नगदी, गहने व अन्य कीमती सामान को चोरी कर लिया जाता है। घरों व दुकानों में चोरी की घटनाओं के पीछे अकेला गिरोह काम नहीं करता है बल्कि कई मामले तो ऐसे भी है जो इंश्योरेंस हासिल करने या फिर घर के किसी सदस्य की तरफ से सहयोगी से पैसे एठने के लिए अंजाम तक पहुंचाए गए है। पुलिस के आला अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि नशे की लत पूरी करने के साथ आलीशान गाडि़यों में घूमने व मंहगे शौक पूरा करने की लालसा नौजवानों को आपराधिक घटनाओं की तरफ खीच रही है।
चोर गिरोह ने साफ किया चार स्थानों से हाथ
बठिंडा। जिले में चोर गिरोह ने अपना आतंक जारी रखते हुए चार स्थानों में हाथ साफ कर दिया। इसमें घर के बाहर खड़ी एक महिंदरा गाड़ी के साथ एक मोटरसाइकिल चोरी कर लिया गया। इसी तरह खेत में खड़ी मोटरों में से ताबा चोरी करने का मामला भी सामने आया है, इसमें पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। जिले में भगता गांव में एक दुकान की दीवार तोड़कर ही साढे़ तीन लाख रुपये का सामान व नगदी उड़ा दी गई। इन मामलों में पुलिस जांच में जुटी है लेकिन अभी तक किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
जानकारी अनुसार मान पैट्रोल पंप के पास स्थित घुमियारा वाली गली में प्रमोद कुमार ने अपनी महिंदरा पिकअप गाड़ी रात के समय खड़ी की जिसकी कीमत ढांई लाख रुपये के करीब थी। सुबह जब उन्होंने देखा तो गाड़ी घर के बाहर से चोरी हो चुकी थी। होटल बाहिया फोर्ट के पास स्थित माता रानी वाली गली के पास अनील कुमार ने अपना मोटरसाइकिल बजाज-१०० खड़ा किया, कुछ समय बाद उक्त वाहन को कोई चोरी करके ले गया। भगता गांव की निर्मला देवी की कोठा गुरुका रोड पर जरनल स्टोर खोल रखा था। इस दुकान की दीवार को रात के समय चोरों ने तोड़ दिया व दुकान के अंदर रखे एक लाख ५७ हजार रुपये के सामान के साथ गुलक में रखे एक लाख ८० रुपये की नगदी चोरी कर ली। शुक्रवार की सुबह उक्त लोगों को इस चोरी का पता चला तो उन्होंने पुलिस को सूचित किया।
लाठियों से पीटकर लूटा
बठिंडा। भगताभाईका गांव में रहने वाले जसविंदर सिंह अपने साथियों के साथ जब दुकान की तरफ जा रहा था तो दाना मंडी गांव गिदड़ के पास १६ के करीब लोगों ने लाठियों से लेस होकर जानलेवा हमला कर दिया। लूट की नियत से किए हमले में जसविंदर सिंह के साथ उसके साथी हरजिंदर सिंह व कमलजीत सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। उक्त लोगों को घायल कर दो मोबाइल, एक सोने की चैन छीनकर फरार हो गए। उक्त सामान की कीमत ३६ हजार ५०० रुपये के करीब है। पुलिस ने शिकायतकर्ता के बयान पर नूरदीप, जसविंदर सिंह, सिकंदर सिंह, अमनदीप सिंह, कुञ्लदीप सिंह, जगतार सिंह, हरवंश सिंह, भिंदर सिंह, हैपी, हरजीत सिंह वीरा व दो अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दायर कर जांच शुरू कर दी है। मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
मोटरों से ताबा चोरी करने वाले दो गिरफ्तार
बठिंडा। पुलिस ने ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के खेत में लगी मोटरों से ताबा चोरी कर बेचने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए लोगों के पास से २४ किलो ताबा मौके से बरामद किया गया है। जानकारी अनुसार कोतवाली पुलिस को सूचना मिली थी कि कोठा गुरु वासी हरप्रीत सिंह व बल्लू सिंह गांव में किसानों की मोटर में लगे ताबा चोरी करने का धंधा कर रहे हैं। इसमें अब तक उक्त लोग सौ के करीब किसानों को निशाना बना चुके थे। पुलिस के एसआई अजैब सिंह ने सूचना के आधार पर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर घर में रखे २४ किलोग्राम ताबा बरामद किया है।
Wednesday, July 7, 2010
तहसील दफ्तर में मचा हडकंप, घपलेबाजों ने बनाई जुडली
-फोटोग्राफर को धमकियां दी जान से मारने को कहा
-जिला प्रशासन अभी भी सो रहा है कुंभकरणी नींद, घपलेबाजों की पौ बहार
बठिंडा। पंजाब की तहसील परिसरों में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर पंजाब का सच अखबार की तरफ से सामाचार प्रकाशित करने के बाद घपलेबाजों में हडकंप का माहौल बन गया है। बुधवार को पूरा दिन घपलेबाजों की जुड़ली सामाचार को लेकर अपनी चमड़ी बचाने में जुटे रहे। तहसील में फर्जीवाडा चलाने वाले एक व्यक्ति ने तो यहां तक कह दिया कि जब कैप्टन और बादल को भ्रष्ट्राचार करने से नहीं रोक सके तो हमे क्या रोक लेंगे। इसके बाद अखबार के फोटोग्राफर सतपाल शर्मा को भी तहसील परिसर में एक नक्शा बनाने वाले व्यक्ति ने जान से मारने की धमकी दी व खबर प्रकाशित करने के परिणाम भुगतने की धमकी दी। इस मामले की शिकायत स्थानीय थाना को लिखित तौर पर की गई। फिलहाल बुधवार को तहसील परिसर में पूरा दिन भ्रष्ट्राचार को संरक्षण देने वाले लोग अपने आकाओं के पास जाकर अपनी चमड़ी बचाने की गुहार लगाते रहे। फिलहाल मामले में प्रशासन की तरफ से अभी तक किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।
गौरतलब है कि पंजाब का सच अखबार ने मंगलवार को तहसील परिसर में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को लेकर सामाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसमें कहा गया था कि किसी भी सरकार ने ईमानदारी से इस गौरखधंधे को रोकने का प्रयास नहीं किया है। वतर्मान में हालात यह है कि तहसील दफ्तरों में नीचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इसमें जहां अधिकारी और कर्मचारी अपनी जेबें भरने में लगे हैं वही सरकार को हर साल करोड़ों की चपत लगती है। दो नंबर में होने वाली कमाई का ही नतीजा है कि इस विभाग में एक अर्जी नवीस से लेकर सामान्य क्लर्क भी लाखों की कमाई कर आलीशान बंगलों के मालिक बने हुए है। इसमें एक नक्शा बनाने वाला व्यक्ति को ऐसा है जिसने लाइसेंस तो किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर ले रखा है लेकिन काम वह दूसरे से करवा रहा है। इस तरह के एक नहीं कई मामले हैं जिसमें लोगों ने पैसे कमाने के लिए नए-नए धंधे कानून को छीके पर टांगकर शुरू कर रखे हैं।
तहसील दफ्तर में तो प्राइवेट स्तर पर रजिस्ट्री लिखने वाले ही लाखों में खेलते हैं। इस मामले में भ्रष्टाचार को उच्च अधिकारी से लेकर नीचले स्तर पर राजनेता जमकर प्रोत्साहन देते हैं। यही कारण है कि अगर जिला इकाई में सत्ता पक्ष से जुड़ा कोई भी समारोह हो या फिर सरकारी समागम किया जाए सबसे अधिक बगार (अवैध वसूली के पैसे से समागम का खर्च) पूरा करने का जिम्मा इसी विभाग पर होता है। तहसील दफ्तर में प्रतिदिन डेढ़ सौ के करीब रजिस्ट्री, इंतकाल और बयाने किए जाते हैं। सामान्य तौर पर जिला प्रशासन की तरफ से हर क्षेत्र में जमीनों की खरीद और बिक्री करने के लिए सरकारी मूल्य निर्धारित कर रखे हैं। दूसरी तरफ जिले में क्षेत्र में मिलने वाली सुविधा के अनुसार व्यापारी व प्रार्पटी डीलर जमीन को मोटे दाम में बेच देता है। इसमें एक जमीन जो दस से १५ हजार रुपये प्रतिगज बेची गई उसमें स्टाप ड्यूटी व आयकर बचाने के लिए मिलीभगत कर जमीन को मात्र एक हजार रुपये प्रति गज बिका दिखा दिया जाता है।
-जिला प्रशासन अभी भी सो रहा है कुंभकरणी नींद, घपलेबाजों की पौ बहार
बठिंडा। पंजाब की तहसील परिसरों में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर पंजाब का सच अखबार की तरफ से सामाचार प्रकाशित करने के बाद घपलेबाजों में हडकंप का माहौल बन गया है। बुधवार को पूरा दिन घपलेबाजों की जुड़ली सामाचार को लेकर अपनी चमड़ी बचाने में जुटे रहे। तहसील में फर्जीवाडा चलाने वाले एक व्यक्ति ने तो यहां तक कह दिया कि जब कैप्टन और बादल को भ्रष्ट्राचार करने से नहीं रोक सके तो हमे क्या रोक लेंगे। इसके बाद अखबार के फोटोग्राफर सतपाल शर्मा को भी तहसील परिसर में एक नक्शा बनाने वाले व्यक्ति ने जान से मारने की धमकी दी व खबर प्रकाशित करने के परिणाम भुगतने की धमकी दी। इस मामले की शिकायत स्थानीय थाना को लिखित तौर पर की गई। फिलहाल बुधवार को तहसील परिसर में पूरा दिन भ्रष्ट्राचार को संरक्षण देने वाले लोग अपने आकाओं के पास जाकर अपनी चमड़ी बचाने की गुहार लगाते रहे। फिलहाल मामले में प्रशासन की तरफ से अभी तक किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।
गौरतलब है कि पंजाब का सच अखबार ने मंगलवार को तहसील परिसर में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को लेकर सामाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसमें कहा गया था कि किसी भी सरकार ने ईमानदारी से इस गौरखधंधे को रोकने का प्रयास नहीं किया है। वतर्मान में हालात यह है कि तहसील दफ्तरों में नीचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इसमें जहां अधिकारी और कर्मचारी अपनी जेबें भरने में लगे हैं वही सरकार को हर साल करोड़ों की चपत लगती है। दो नंबर में होने वाली कमाई का ही नतीजा है कि इस विभाग में एक अर्जी नवीस से लेकर सामान्य क्लर्क भी लाखों की कमाई कर आलीशान बंगलों के मालिक बने हुए है। इसमें एक नक्शा बनाने वाला व्यक्ति को ऐसा है जिसने लाइसेंस तो किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर ले रखा है लेकिन काम वह दूसरे से करवा रहा है। इस तरह के एक नहीं कई मामले हैं जिसमें लोगों ने पैसे कमाने के लिए नए-नए धंधे कानून को छीके पर टांगकर शुरू कर रखे हैं।
तहसील दफ्तर में तो प्राइवेट स्तर पर रजिस्ट्री लिखने वाले ही लाखों में खेलते हैं। इस मामले में भ्रष्टाचार को उच्च अधिकारी से लेकर नीचले स्तर पर राजनेता जमकर प्रोत्साहन देते हैं। यही कारण है कि अगर जिला इकाई में सत्ता पक्ष से जुड़ा कोई भी समारोह हो या फिर सरकारी समागम किया जाए सबसे अधिक बगार (अवैध वसूली के पैसे से समागम का खर्च) पूरा करने का जिम्मा इसी विभाग पर होता है। तहसील दफ्तर में प्रतिदिन डेढ़ सौ के करीब रजिस्ट्री, इंतकाल और बयाने किए जाते हैं। सामान्य तौर पर जिला प्रशासन की तरफ से हर क्षेत्र में जमीनों की खरीद और बिक्री करने के लिए सरकारी मूल्य निर्धारित कर रखे हैं। दूसरी तरफ जिले में क्षेत्र में मिलने वाली सुविधा के अनुसार व्यापारी व प्रार्पटी डीलर जमीन को मोटे दाम में बेच देता है। इसमें एक जमीन जो दस से १५ हजार रुपये प्रतिगज बेची गई उसमें स्टाप ड्यूटी व आयकर बचाने के लिए मिलीभगत कर जमीन को मात्र एक हजार रुपये प्रति गज बिका दिखा दिया जाता है।
पुलिस कांस्टेबल को लगी दो गोलियां, मामला संदिग्ध
कांस्टेबल की हालत गंभीर, जांच जारी
बठिंडा। दाना मंडी के पास स्थित पुरानी कोतवाली वाली जगह पर बने माल खाने में ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस मुलाजिम गंभीर हालत में मिला है। उसके शरीर में दो गोलियां लगी हुई है जिससे उसकी हालत काफी गंभीर बनी हुई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरंभिक जांच में जहां मामला आत्महत्या की कोशिश का जान पड़ता है वही पुलिस उस पर किसी तरह के हमले की संभावना से भी इंकार नहीं कर रही है। घायल पुलिस कमर्चारी कोर्ट परिसर में संमन लेकर जाने का काम करता था। फिलहाल पुलिस मामले को लेकर सकते में है और इस बाबत किसी तरह का खुलासा करने से कतरा रही है। अभी तक पुलिस तय नहीं कर पाई कि उक्त मामला इरादन हत्या का है या आत्महत्या की कोशिश का है। फिलहाल घायल कांस्टेबल अजायब सिंह की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। उधर, सिविल अस्पताल में अजायब सिंह को शुरुआती दौर में संभालने वाले डॉक्टरों का कहना है कि व्यकत्ति की हालत काफी गंभीर है जिससे उसका बचना मुश्किल है, क्योंकि एक गोली उसके सिर पर लगी है।
जानकारी अनुसार बुधवार सुबह लगभग सात सात बजे के करीब आसपास के लोगों ने सूचना दी कि मालखाने में कांस्टेबल अजायब सिंह निवासी लाल सिंह बस्ती खून से लथपथ पड़ा है। उसके सिर व पेट के पास दो गोलियां लगी है। सहारा जन सेवा केञ् कार्यकर्ताओं ने मौके पर पहुंचकर गंभीर रूप से पडे़ कांस्टेबल को सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया। यहां पर एक घंटे तक प्राथमिक उपचार देने के बाद उसकी स्थिति को देखते हुए उसको आदेश अस्पताल रैफर कर दिया गया है।
इस मामले पुलिस का कहना है कि मामले की फिलहाल जांच की जा रही है और अजायब सिंह की स्थिति सुधरने का इंतजार कर रहे है। उसकी तरफ से किसी तरह का बयान देने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। सूत्रों की माने तो मामला हत्या करने की साजिश का भी हो सकता है, क्योंकि उसके एक गोली पेट के समीप लगी है, और दूसरी गोली उसके सिर में लगी है। सूत्र बताते हैं कि व्यक्ति खुद को दो बार गोली नहीं मार सकता जबकि पुलिस अभी इस मामले में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। दफ्तर में तैनात अन्य कर्मचारियों का कहना है कि अजायब सिंह सुबह अपनी ड्यूटी पर रोजमर्रा की तरह आया था, लेकिन उसके बाद क्या हुआ इस बारे में कोई बोलने को तैयार नहीं।
शायद उलझन में इंद्रदेव
जब वो मल्हार राग में शिव स्तुति गाती है तो इंद्रदेव इतने खुश होते हैं कि पूरे क्षेत्र को जलमग्न कर देते हैं। उसका जन्म गजियाबाद के एक अमीर परिवार में हुआ था और उसका ब्याह भी एक अमीर घर में, लेकिन वो सादगी भरा जीवन जीने में विश्वास करती थी, वो आज जिन्दा है या नहीं पता नहीं, लेकिन जब इंद्रदेव को खुश करना होता तो लोग उसके द्वार जाते थे। कुछ ऐसा ही किस्सा बता रहा था संकट मोचन मंदिर के निकट एक बिजली की दुकान पर एक भद्र पुरुष। आज से पहले तानसेन के बारे में तो सुना था कि वो दीपक राग गाकर दीए जला देते थे, लेकिन उक्त किस्सा पहली दफा सुनने में आया, हो सकता है सच भी हो और काल्पनिक भी। मगर हम इंद्रदेव को मनाने के लिए तरह तरह के ढंग तो अपनाते ही हैं। मुझे याद है जब हम गांव में रहते थे, सावन का महीना बीतते वाला होता, और गांव में एक बूंद पानी तक न टपकता, तब लोग इंद्र देव को खुश करने के लिए डेरा बाबा भगवान दास में पहुंचकर चावलों का यज्ञ करते, और इंद्रदेव खुश हो भी जाता था। इस डेरे का इतिहास भी तो बारिश से जुड़ा हुआ है। एक बार की बात है कि गांव में बारिश नहीं हो रही थी, और लोग इंद्र देव को मनाने के लिए तरह तरह के पैंतरे अजमा रहे थे। इन दिनों गांव के खेतों में एक साधु आया हुआ था, गांवों ने उनसे बिनती बगैरह किया, उन्होंने संतों के कहने अनुसार सब कुछ किया। जब गांव वासी डेरे में पहुंचे तो संत बोले 'तुम लोग छत्रियां क्यों नहीं लेकर आए, लोग चकित रह गए, धूप चढ़ी हुई है, बादलों का नामोनिशान नहीं, संत कहीं पागल तो नहीं हो गया। जैसे यज्ञ खत्म होने के किनारे पहुंचा तो बादल ऐसे बरसे कि गांव वासी संत के चरणों में जा गिरे। यह तो बस एक विश्वास की बात है, अगर विश्वास है तो धन्ने भगत जैसे पत्थरों से भगवान के दीदार कर लेते हैं। पिछले दो दिनों से इंद्रदेव बठिंडा में बरसने के लिए उतावला है, लेकिन न जाने क्या सोच कर खुद को रोके हुए है। हो सकता है कि बठिंडा नगर निगम व नहरी विभाग की खामियों से इंद्रदेव अच्छी तरह अवगत हैं। पिछले हफ्ते इंद्रदेव ने बठिंडा वासियों को खुश करने की छोटी सी कोशिश की थी, लेकिन नतीजा शहर में अधिकतर क्षेत्रों में बारिश का पानी जमा हो गया। लोगों को आने जाने में दिक्कतें पेश आने लगी। इतना ही नहीं, कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में तो बारिश के पानी के कारण रजबाहे टूट गए, किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गई। इंद्रदेव तो पिछले दो दिन से निरंतर बरसने के मूड में है, लेकिन नहरी विभाग व नगर निगम की कार्यगुजारी के चलते इंद्रदेव का बरसना भी लोगों पर भारी पड़ सकता है। वैसे इंद्रदेव ने लोगों को थोड़ी सी राहत देने के लिए हवाओं में नमी भर दी है। पंजाब में अब तक इंद्रदेव जहां जहां अभी तक बरसा है, वहां से फसलों के बर्बाद होने की ख़बर आ रही हैं, चाहे वो पटिआला हो या दोआबे का क्षेत्र। सरकारों व निगमों की कार्यगुजारी के बाद इंद्रदेव को एक कुम्हार की कहानी याद आ रही होगी, या तो बर्तन वाली या फिर फसल वाली। एक कुम्हार के दो बेटियां होती हैं, दोनों की शादी एक ही गांव में हुई होती है, एक बार उन से मिलने के लिए कुम्हार उस गांव जाता है। पहली बेटी से मिलता है जो एक कुम्हार के साथ ही ब्याही होती है, वो खुश है कि उसके बर्तन सूखने वाले हैं, और इंद्रदेव नहीं बरसे। वो यहां अपनी दूसरी बेटी के घर जाता जो एक किसान को ब्याही होती है। वो दुखी है, क्योंकि इंद्रदेव अभी तक बरसा नहीं था। वो अपने पिता से कहती है कि दुआ करो रब्ब से बारिश हो जाए। कुम्हार असमंजस में पड़ जाता है कि आखिर किस को बचा लूं और किसको डुबो दूं। कुछ ऐसी ही स्थिति में शायद इंद्रदेव उलझा हुआ है।
कुलवंत हैप्पी
76967-13601
Tuesday, July 6, 2010
भैसों के साथ वाहन चोरी का भी करने लगे थे धंधा
-पुलिस ने आठ लोगों के साथ वाहन पकडे़, तीन मौके से फरार
बठिंडा। पिछले कुछ साल से दूध की कीमतों में हो रही बेहताश बढ़ोतरी ने भैसों के दाम में भी उछाल ला दिया। मात्र दस हजार रुपये में मिलने वाले भैस का मूल्य २५ हजार क्या पहुंचा, चोरों ने घरों में सेध मारने की बजाय भैसों को चोरी करना शुरू कर दिया। इसमें भी तसल्ली नहीं हुई तो उक्त लोगों ने वाहनों को चोरी कर बेचने का धंधा भी शुरू कर दिया। पुलिस के अनुसार उक्त लोग पंजाब सहित आसपास के क्षेत्र से कई वाहन चोरी कर आगे बेच चुके हैं। चोरों ने जिले में एक नहीं बल्कि दर्जनों भैसे व वाहन चोरी कर आगे बेचकर मोटी कमाई की लेकिन हो रही भैसे व वाहन चोरी की घटनाओं ने पुलिस की नाक में दम कर दिया। इसके चलते अब तक सो रही पुलिस ने गिरोह की तलाश शुरू कर दी व गत दिवस इस गिरोह के कई सदस्यों को धर दबोचा। इन लोगों के पास कई वाहन व हथियार भी बरामद किए गए है। गिरोह का पर्दाफाश करने में नथाना पुलिस ने सफलता हासिल की। नथाना पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है,जबकि तीन सदस्य मौके पर फरार होने में सफल रहे। पुलिस ने गिरोह के ११ सदस्यों पर मामला दर्ज कर फरार तीनों आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार उक्त गिरोह किसी घर में डाका मारने की योजना तैयार कर रहा था। इस गिरोह के सदस्य बठिंडा के अलावा जिले के समीप क्षेत्रों के रहने वाले हैं। पुलिस ने उक्त गिरोह से चार मोटरसाईकिल, एक कार व दो १२ बोर देसी पिस्तौल व छह जिंदा कारतूस बरामद किए है। जानकारी अनुसार नथाना थाना के एसआई हरजीत सिंह ने बताया कि महानगर में पिछले लंबे समय से विभिन्न क्षेत्रों से वाहन चोरी होने की घटनाएं घटित हो रही थी। इन घटनाएं घटित होने से जिला पुलिस काफी समय से इस वाहन चोर गिरोह की तलाश में जुटी हुई थी। जिला पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति पर केस दायर कर कार्रवाई शुरु की हुई थी। पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई में खुलासा हुआ कि कुछ लोगों ने एक गिरोह बना रखा है जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। एसआई हरजीत सिंह ने बताया कि आरोपी रेमश सिंह पुत्र बहादुर सिंह, हरदीप सिंह पुत्र जीत सिंह, गगनदीप सिंह पुत्र बचितर सिंह, सुखेदव सिंह पुत्र हरनाम सिंह, बलजीत सिंह पुत्र मेजर सिंह, बलविंद्र सिंह पुत्र सीता सिंह, तेजू सिंह पुत्र जंगीर सिंह, जसवंत सिंह पुत्र ताना सिंह, लक्ष्मण सिंह पुत्र नछतर सिंह, कुलविंद्र सिंह पुत्र रेमश सिंह व सलीम खां पुत्र नवाब खां ने मिलकर एक गिरोह का गठन कर रखा था, जोकि पिछले लंबे समय से महानगर में वाहन चोरी घटनाओ को अंजाम दे रहा है। पुलिस द्वारा की जा रही जांच पड़ताल में यह भी पता चला है कि उक्त गिरोह सबसे पहले जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्र से भैसे चोरी करता था और उन्हें आगे बेच देता था, अब तक उक्त गिरोह सैकड़ो भैसें चोरी कर चुके हैं। उन्होने बताया कि भैसे चोरी करते हुए इस गिरोह के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उन्हें ने शहर से वाहन चोरी करना शुरु कर दिये। उन्होने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली की उक्त गिरोह विगत दिवस हथियारों से लेंस होकर किसी घर में डाका मारने की योजना बना रहे थे। पुलिस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर गिरोह के आठ सदस्यों को मौके पर काबू कर लिया, जबकि तीन सदस्य मौके पर फरार होने में सफल रहे। गिरोह सदस्यों से पूछताछ करने पर एक कार, चार मोटरसाईकिल व दो देसी पिस्तौल व छह जिंदा कारतूस बरामद किए है। नथाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए गिरोह के सभी सदस्यों पर आईपीसी की धारा ३९९,४०२,४११ केञ् तहत मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।
राष्ट्रीय स्तर के शिविर में भाग लेंगी सेंट जेवियर की छात्राएं
मन में पूरा विश्वास लेकर चल रही है, लक्ष्य है अंतिम 16 सदस्यीय टीम में पहुंचना
पूरे पंजाब से तीन लडकियों का हुआ चुनाव, वो भी बठिंडा की लड़कियां
बठिंडा : शहर का नाम खेल जगत में समय समय पर अलग अलग खेल प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेकर अपनी प्रतिभा लोहा मनवाने वाले खिलाड़ियों ने विश्व स्तर पर रोशन किया है। इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए स्थानीय सेंट जेवियर कान्वेंट स्कूल की तीन छात्राओं ने हैंडबाल के राष्ट्रीय स्तर के कैंप में अपना स्थान बनाया है, जो आज से हरियाणा के जिला सिरसा में शुरू होने जा रहा है। यह कैंप करीबन 42 दिन तक चलेगा, जिसमें देश भर से 25 महिला खिलाड़ी भाग लेंगी, और अपने हुनर का लोहा मनवाते हुए अंतिम 16 में अपनी जगह बनाएंगी। बहरहाल, बठिंडा वासियों व खेल प्रेमियों के लिए दिलचस्प बात तो यह है कि इस शिविर में भाग लेने वाली 25 महिला खिलाड़ियों में से तीन तो केवल बठिंडा स्थित सेंट जेवियर स्कूल की हैं, अगर वो इस शिविर में सफल होती हैं तो वो भारतीय टीम के साथ कैमरून की धरती पर अपने हुनर का लोहा मनवाने पहुंचेगी, जिस से देश का ही नहीं बल्कि राज्य व जिले का भी नाम रोशन होगा।इस बाबत जानकारी देते हुए कोच दविंद्र पाल सिंह ने बताया कि इससे पहले अनमोल कौर ढिल्लों, अजशनजोत चीमा व नवप्रीत कौर मान सिरसा में 27 मई से 24 जून तक आयोजित किया गया, राष्ट्रीय स्तरीय शिविर में भाग ले चुकी हैं, और आज से सिरसा में शुरू होने वाले एक और शिविर में भाग लेने जा रही हैं, जो 42 दिन तक चलेगा। जिसके बाद कैमरून में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए एक सोलह सदस्यीय टीम चुनी जाएगी। उन्होंने बताया कि इन्होंने शिविर के लिए कड़ी तैयारी की है, और इनको खुद पर पूरा भरोसा है कि अंतिम 16 में वो अपनी जगह बनाकर बठिंडा लौटेंगी।
औरतों के हक से खिलवाड़
एक मजबूत जनतंत्र में महिलाओं के मुद्दे को कितनी आसानी से समुदाय के कर्णधारों के हवाले छोड़ दिया गया। उन्हें आज तक बराबरी का पूर्ण नागरिक अधिकार क्यों नहीं मिल पाया, जिसमें वे अपने मसले संविधान प्रदत्त कानूनों के मातहत निपटाएं। आजादी के 62 साल बाद भी यह स्थिति क्यों बनी हुई है। समुदाय विशेष के धर्मगुरुओं, मौलवियों या कर्णधारों के हाथों उसके सदस्यों के भविष्य का फैसला करने का अधिकार होना चाहिए, यह मांग तो खाप पंचायतों की भी है कि वे अपनी परंपरानुसार कानून का इस्तेमाल कर सकें। ये खाप पंचायतें और समुदाय आधारित संस्थाएं- जो धार्मिक वैधता भी हासिल होने का दावा करती हैं, पहले से ही महिलाओं पर नियंत्रण की ढेरों नीतियां और नियम बनाए हुए हैं। सरकार और प्रशासन के लोग ऐसे मामलों में आसानी से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, यह कह कर कि यह धार्मिक मामला है। हाशिए के सभी लोगों के लिए जिसमें महिलाएं भी हैं, मुक्तिदायी कानूनों की जरूरत है। ये मुक्तिदायी कानून सभी को बराबर का हक दें और समुदायों की मनमानी नहीं चलने पाए। महिलाएं सर्वप्रथम एक व्यक्ति, एक नागरिक हों न कि एक समुदाय या धर्मविशेष की सदस्य। ध्यान देने लायक बात है कि भारत जैसे बहुधर्मीय मुल्क में ही नहीं सऊदी अरब जैसे मुस्लिम बहुल मुल्क में भी मुस्लिम महिलाओं के बीच नई जागृति आने के संकेत मिल रहे हैं। पिछले दिनों खबर आई थी कि किस तरह सऊदी में धार्मिक पुलिस के खिलाफ बढ़ते गुस्से का असर उजागर हो रहा है। पता चला कि एक महिला ने तो एक धार्मिक पुलिस पर गोली चलाई थी।
दरअसल, जबरन लोगों को काबू में रखने की एक सीमा होती है और देर-सवेर इसका प्रतिरोध होता ही है। वह प्रतिरोध कितना सुनियोजित, मजबूत और प्रभावी होगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि लोग कितने संगठित होंगे।
दरअसल, जबरन लोगों को काबू में रखने की एक सीमा होती है और देर-सवेर इसका प्रतिरोध होता ही है। वह प्रतिरोध कितना सुनियोजित, मजबूत और प्रभावी होगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि लोग कितने संगठित होंगे।
राशन कार्ड न देने से भड़के लोग, डिपो होल्डर के खिलाफ की नारेबाजी
-डिपो होल्डर ने कहा इंस्पेटर के आने के बाद जारी होंगे कार्ड
बठिंडा। दुग्गल पैलेस के पास स्थित राशन डिपो में अनियमियतताओं को लेकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसमें लोगों ने आरोप लगाया कि डिपो संचालक मनमाने ढंग से काम करता है व लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कुछ समय पहले जिला खुराक विभाग की तरफ से राशन कार्ड जारी किए गए थे। इसमें डिपो होल्डर के पास सैकड़ों कार्ड बकाया पडे़ हैं लेकिन वह इन्हें जारी करने में आनाकानी की जा रही है। डिपो होल्डर करतार सिंह से जब संपर्क किया जाता है तो कहा जाता है कि विभाग के इस्पेक्टर आकर कार्ड वितरित करेगा। इसमें लोगों को प्रतिदिन डिपो में बुला लिया जाता है लेकिन उन्हें हर बार निराशा का सामना करना पड़ रहा है।
ईलाका वासी सूरज ने बताया कि दुग्गल पैलेस के पास स्थित गुरुकुल रोड पर करतार सिंह डिपो होल्डर को नए राशन कार्ड देने के लिए कई बार लोगों ने गुहार लगाई लेकिन इसमें किसी तरह की सफलता नहीं मिल सकी। अन्य दिनों की तरह आज मंगलवार को जब इलाके के ६० के करीब परिवार वहां पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि फूड सप्लाई विभाग का इंस्पेक्टर जब आएगा को कार्ड वितरित किए जाएंगे। इसके बाद वहां खडे़ लोगों ने एक घंटे तक इंतजार किया लेकिन किसी तरह की सफलता नहीं मिलने पर लोगों ने वहां खडे़ होकर नारेबाजी करना शुरू कर दी। इसमें डिपो होल्डर के साथ प्रशासकीय अधिकारियों के खिलाफ भी नारेबाजी की गई। लोगों ने प्रशासन से इस बाबत लोगों को पेश आ रही परेशानी का तत्काल हल निकालने की मांग रखी।
तहसील दफ्तर बने भ्रष्टाचार के अड्डे, लगती है करोडो की चपत
-सरकार चाहकर भी नहीं कर पाती है कानूनी कार्रवाई
-लुधियाना कांड में जिला प्रशासन की कारगुजारी भी आ चुकी है शक के दायरे में
हरिदत्त जोशी
बठिंडा। पंजाब की तहसील परिसरों में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को रोकने के लिए किसी भी सरकार ने ईमानदारी से प्रयास नहीं किया है। वतर्मान में हालात यह है कि तहसील दफ्तरों में नीचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक भ्रष्ट्राचार का बौलबाला है। इसमें जहां अधिकारी और कमर्चारी अपनी जेबे भरने में लगे हैं वही सरकार को हर साल करोडों की चपत लगती है। दो नंबर में होने वाली कमाई का ही नतीजा है कि इस विभाग में एक अर्जी नवीस से लेकर सामान्य कलर्क भी लाखों की कमाई कर आलीशान बंगलों के मालिक बने हुए है।
कई तहसील दफ्तरों में तो प्राइवेट स्तर पर रजिस्ट्री लिखने वाले ही लाखों में खेलते हैं। इस मामले में भ्रष्ट्रचार को उच्च अधिकारी से लेकर नीचले स्तर पर राजनेता जमकर प्रोत्साहन देते हैं। यही कारण है कि अगर जिला इकाई में सत्तापक्ष से जुडा़ कोई भी समारोह हो या फिर सरकारी समागम किया जाए सबसे अधिक बगार (अवैध वसूली के पैसे से समागम का खर्च) पूरा करने का जिम्मा इसी विभाग पर होता है। अब भ्रष्ट्रचार की बात तो हम कर रहे हैं लेकिन यह होता कैसे हैं इसके बारे में कही जिक्र नहीं हुआ है, चलो हम बताते है कि तहसील दफ्तर में दो नंबर की कमाई कैसे की जाती है।एक जिला स्तर के तहसील दफ्तर में प्रतिदिन डेढ़ सौ के करीब रजिस्ट्री, इंतकाल और बयाने किए जाते हैं।
सामान्य तौर पर जिला प्रशासन की तरफ से हर क्षेत्र में जमीनों की खरीद और बिक्री करने के लिए सरकारी मूल्य निर्धारित कर रखे हैं। दूसरी तरफ जिले में क्षेत्र में मिलने वाली सुविधा के अनुसार व्यापारी व प्रार्पटी डीलर जमीन को मोटे दाम में बेच देता है। इसमें एक जमीन जो दस से १५ हजार रुपये प्रतिगज बेची गई उसमें स्टाप ड्यूटी व आयकर बचाने के लिए मिलीभगत कर जमीन को मात्र एक हजार रुपये प्रति गज बिका दिखा दिया जाता है। इस तरह लाखों रुपये की सरकारी फीस सीधे तौर पर चोरी कर ली जाती है। इस काम के बदले तहसील दफ्तर में रजिस्ट्री करने वाले कमर्चारी व अधिकारियों को एक मुस्त राशि दो नंबर में दी जाती है। इस तरह एक अनुमान के अनुसार एक तहसील दफ्तर में प्रतिदिन दो से तीन लाख रुपये की अवैध कमाई की जाती है। इसमें अधिकारी व कर्मचारी तो एक माह में करोड़ो कमा लेते हैं लेकिन सरकार को इससे दो गुणा चपत लगा दी जाती है। अब सवाल उठता है कि करोडों की कमाई में हिस्सा किस-किस को जाता है। सीधा जा जबाव मिलेगा इसमें हिस्सेदारी कई लोगों की होती है। तभी तो जिला प्रशासन कभी भी इस अवैध कमाई को रोकने का प्रयास नहीं करता और विभागीय स्तर पर भी इस विभाग के खिलाफ आज तक कानूनी कार्र्वाई नहीं हो सकी है। एक साल पहले लधियाना जिले में तहसीलदार और राजनेताओं के बीच तकरारबाजी और मारपीट की घटना अखबारों की सुरखी में रही।
इसमें एक जमीन को लेकर तहसीलदार की पिटाई की गई कि वह जमीन के कम मूल्य पर रजिस्ट्री करने को तैयार नहीं हो रहा था। सभी दूध के धुले नहीं होते, मामला जांच की दायरे में आया तो पता चला कि राज्य की अन्य तहसीलों की तरह वहां भी पैसे बटोरने का गौरखधंधा जोर शोर से चलता है इसमें हिस्सेदारी डीसी दफ्तर तक पहुंचती है। वहां से सरकार में बैठे लोगों को भी हिस्सा पहुंचता है। अखिर सरकारी खजाने को लूटने वाली इन गतिविधियों को प्रोत्साहन देने वाले लोग किसी एक दल से नहीं जुडे़ है बलिक हर राजनीतिक दल ने अपने सरकार गठन के बाद इस भ्रष्ट्रचार को हवा दी है और अपनी जेबे भरी है। दिखावे के लिए कानून बने लेकिन वह भी भारी जबाव में कागजों तक ही सिमटकर रह गए। जब तहसील में बैठे अधिकारी व कर्मचारी मोटी कमाई करने में लगे है तो वहां अरजीनवीस, स्टाम पेपर बेचने वाले कर्मी से लेकर नक्शा बनाने वाले भी लोगों को जमकर लूटने का धंधा करते हैं।
रजिस्ट्री लिखने वाले लोग सीधा पैसा लोगों से लेकर अधिकारियों तक पहुंचाते हैं। इसमें बकायदा रजिस्ट्री करवाने को कहा जाता है कि पूरे खर्च के साथ तहसीलदार का हिस्सा उन्हें देना पडे़गा। इस तरह की अवैध कमाई के धंधे में हो रही बेसुमार कमाई का नतीजा है कि यहां सरकार से मात्र दस हजार रुपये प्रतिमाह वेतन लेने वाला कर्मचारी भी आज लाखों की जमीन व मकान का मालिक है। इस मामले में आयकर विभाग ने भी कभी इन मगरमच्छों पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं की है। अगर इन लोगों की जायदाद और आय की जांच की जाए तो होने वाले गोलमाल का पता चल सकता है। दूसरी तरफ सरकार को भी भ्रष्ट्रचार का अड्डा बन रहे इस विभाग पर शिकंजा कसने के लिए सारथर्क कदम उठाना पडे़गा। अगर सरकार राज्य की सभी तहसील दफ्तरों की अवैध कमाई पर लगाम कस ले तो राज्य के विकास के लिए फंड जुटाने को दूसरों के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पडे़गी। इसके साथ ही सरकार व जिला प्रशासन को यहां की गतिविधियों को प्रादर्शी बनाना होगा। तहसील परिसर में बैठे दूसरे लोगों पर शिकंजा कसना होगा जो प्रत्यक्ष तौर पर इस धंधे को प्रोत्साहन दे रहे हैं। जमीनों की रजिस्ट्री के लिए प्लाट की फोटो खिचवाने का प्रावधान है लेकिन तहसील के साथ एक प्लांट पर ही सभी को खडा़ कर फोटो खीचकर दो सौ रुपये बटोर लिए जाते हैं, जिससे गलत रजिस्ट्री करवाने के धंधे को प्रोत्साहन मिलता है।
अधिकारी पैसे के लालच में इतने अंधे हो जाते हैं कि वह गवाह के साथ रजिस्ट्री कागज में दर्ज आदमी का भी पता नहीं लगाते बलिक सीधी रजिस्ट्री कर मामले की इतिश्री कर देते हैं। इसका विपरित प्रभाव यह पडा़ कि हजारों मामले फ्रजी रजिस्ट्री के सामने आ चुके हैं। इसमें भी पैसे ले देकर तहसीलदार से लेकर हर एक आसानी से बच जाता है जो इसके लिए प्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेवार होता है।
Monday, July 5, 2010
बाहरी इलाको में नहीं दिखाई दिया बंद का कोई असर
-स्कूल रहे पूर्ण तौर पर बंद, लोगों को झेलनी पड़ी परेशानी
बठिंडा। ईंधन की कीमतों में हुई वृद्धि के खिलाफ बीजेपी सहित तमाम विपक्षी दलों की ओर से आयोजित भारत बंद से सोमवार को पंजाब सहित देश के विभिन्न हिस्सों में आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। बंद का बस सेवा के साथ उड़ानों और रेल सेवाओं पर भी असर पड़ा है। पंजाब में बसों का आवागमन बंद रहा जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। बठिंडा सहित राज्य के प्रमुख जिलों में शहरी इलाकों में बंद का असर रहा लेकिन ग्रामीण व बाहरी क्षेत्र में इसका असर न के बराबर रहा। बीजेपी समेत विपक्ष के कई नेता सडक़ों पर उतर चुके हैं और जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। दूसरी तरफ सुरक्षा के लिहाज से सभी स्कूलों व कालेजों ने सोमवार को छुट्टी की घोषणा कर दी थी। वही आपात सेवाएं बिना किसी रुकावट के चलती रही। लखनऊ में बीजेपी नेता अरुण जेटली और मुख्तयार अब्बास नकवी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने शहर के प्रमुख बाजारों में सरकार का पुतला जलाया व बढ़ी कीमतों को तत्काल वापिस लेने की मांग रखी। इस दौरान किसी तरह की अनहोनी को टालने के लिए सुरक्षा के कडे़ इंतजाम किए गए थे। वही पुलिस पार्टी विभिन्न स्थानों में गश्त लगाती रही। पंजाब के बस अड्डों से बसों का संचालन सुबह से प्रभावित है। यहां कई जगहों पर विभिन्न दलों के कायकर्ताओं ने रेल सेवाओं को भी बाधित करने का प्रयास किया। दूसरी तरफ बठिंडा शहर के कुछ इलाकों में बाजार और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद हैं जबकि बाहरी क्षेत्रों में काम धंधा रोजमर्जा की तरह चल रहा है। धोबी बाजार में भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया व सरकार का पुतला जलाया। इस दौरान सुरक्षा के कडे़ इंतजाम रहे। बंद का शिव सेना सहित कई दलों ने समर्थन किया था। मुंबई में बीजेपी के सीनियर नेता किरीट सोमैया समेत पार्टी के कई कार्यकर्ताओं को सोमवार को उस समय हिरासत में ले लिया गया जब वे ट्रेनों को रोकने की कोशिश कर रहे थे। पुणे में बंद समर्थकों ने कई जगहों पर पथराव किया और 12 बसों को नुकसान पहुंचाया। बिहार में भी बंद का व्यापक असर दिख रहा है। पटना समेत राज्य के कई क्षेत्रों में बंद समर्थकों ने रेलमार्ग और सड़क जाम कर बसों और ट्रेनों की आवाजाही को रोकने की कोशिश की। पटना के राजेंद्रनगर टर्मिनल के पास महिला बंद समर्थकों ने दानापुर-हावड़ा एक्सप्रेस को घंटों रोके रखा। बाद में पुलिस ने बंद समर्थकों को पटरी से हटाया और फिर यह रेलगाड़ी रवाना हो पाई। यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में बंद के कारण सभी प्राइवेट स्कूलों को सोमवार को बंद कर दिया गया है। बंद के कारण राज्यभर में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं। रेल प्रशासन ने रेलवे पुलिस बल को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। प्रदर्शनकारियों के स्टेशन पर आते ही रेलगाड़ियों का परिचालन बंद करने का निर्देश दिया गया है।
हमें महंगाई से बचाने के लिए बंद कितना सार्थक
हरिदत्त जोशी
बठिंडा। दस साल से मंहगाई निरंतर बढ़ रही है, सरकार के साथ विपक्ष लंबे समय तक चुप्पी साधकर बैठा रहा लेकिन आज एकाएक भाजपा ने दूसरे दलों के साथ भारत बंद की घोषणा कर दी। इससे पहले भाजपा के साथ पूरे विपक्ष की चुप्पी यूपीए सरकार की मनमानी का समर्थन करते रहे जिसका नतीजा यह रहा है कि दाले बीस रुपये से एक सौ बीस रुपये तक पहुंच गई और रसोई गैस का सिलेंडर दो सौ से पौने चार सौ तक पहुंच गया। अगर समय पर यूपीए सरकार की मनमानी रोकी होती तो देश की जनता इतनी बेहाल नहीं होती। लोकतंत्र में संघर्ष और अपना विरोध जताने का सभी को अधिकार है लेकिन इस अधिकार की भी कुछ सीमाएं है जिसे लाघकर आप किसी का हित नहीं कर सकते हैं। हाल में आप और हमको महंगाई से बचाने के लिए जनता के हितैषी आज सडक़ों पर उतर आए हैं। उनका कहना है कि अगर आज सारी दुकानें बंद रहें और गाड़ियां नहीं चलें तो महंगाई कम हो जाएगी। इसके लिए वे रेलवे स्टेशनों और सड़कों पर रुकावटें खड़ी कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि आज देश भर में कोई भी पहिया न चले। जो लोग इस बात को नहीं मानते कि बंद आयोजित करने से कोई फर्क पडता है, उनको ये सबक सिखाने के लिए तैयार खडे़ हैं। अब इन नौसखियों को कौन समझाएं कि लोगों को आंदोलन के लिए भड़काने वाले उनके दिग्गज सरकार के साथ मिले हुए है। सरकार की हर गतिविधि और निर्देशों में उनकी सहमती होती है अब आगे कुछ राज्यों में चुनाव हा और जनता को बेवकूञ्फ बनाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं जो न तो देश के हित में है और न ही लोगों के हित में है। टेलीविजन खोलकर देखों तो खबरे आ रही है कि प्रदर्शनकारियों ने देश भर में हो हल्ला मचाया ,उन लोगों को थप्पड़ मारे जो ट्रेन पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। कहीं-कहीं वे बसों पर पथराव कर रहे हैं, कहीं-कहीं टायरों की हवा निकाल रहे हैं ताकि सडक़ों पर यातायात रुक जाए। पंजाब में तो बस सेवाएं ही बंद कर दी, इसमें लाखों लोग आवागमन नहीं कर पा रहे हैं। हजारों लोग ऐसे है जो अपना इलाज करवाने के लिए सीएमसी, डीएमसी या फिर पीजीआई में जाते हैं। अगर इन लोगों का शारीरिक नुकसान होता है तो इसकी जिम्मेवारी किसकी होगी। क्या मंहगाई रोकने के इस ड्रामे से मंहगाई रूक जाएगी, कभी नहीं। न तो यूपीए सरकार गिरेगी और न ही मंहगाई रूपी दानव कम होगा। इन सभी दलों के नेता अभी घरों में सुस्ता रहे हैं और टीवी चैनलों पर ये तस्वीरें देखकर हर्षित हो रहे हैं। वाह, क्या कमाल कर दिया। सडक़ों पर गाडिय़ों की कतार लग गई है। लोग परेशान हैं कि आगे भी नहीं जा सकते, पीछे भी नहीं। लेकिन यह तो इनकी सजा है जो इन हितैषियों ने उनके लिए मुकर्रर की है। इन लोगों के डर से सभी लोग घरों में सिमट गए, स्कूल बंद हो गए। सड़कें जाम हो गईं और मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि इस बंद से न महंगाई डरेगी न सरकार। तो ऐसे कितने भी बंद करा लो, यह यूपीए सरकार तो रहेगी और साथ में महंगाई भी रहेगी। लेकिन क्या यह जरूरी है कि महंगाई से परेशान जनता इस बंद नाम के तमाशे के कारण और परेशान हो।
हल स्थाई हो, अस्थाई नहीं
कुछ महीने पहले देश की एक अदालत ने केंद्र से राय मांगी थी कि क्या वेश्यावृत्ति को मान्यता दे दी जाए, यानि इसको अपराध के दायरे से बाहर कर दिया जाए, क्योंकि देश में वेश्यावृत्ति बढ़ती जा रही है। इस मुद्दे पर अदालत द्वारा केंद्र से राय मांगने का सीधा अर्थ है, अगर किसी चीज को कानून रोकने में असफल हो रहा है तो उसको मान्य दे दी जाए, ताकि अदालत का भी कीमत समय बच जाए। किसी मुश्किल का कितना साधारण हल है, कि उसको वैध करार दे दिया जाए, जिसको रोकने में कानून असफल है। कोर्ट ने एक बार भी केंद्र से नहीं कहा कि वेश्यावृत्ति की पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए एक टीम का गठन किया जाए। कोर्ट ने सवाल नहीं उठाया कि क्यों कभी पुलिस प्रशासन ने कोर्ट में वेश्यावृत्ति में लिप्त महिलाओं के दूसरे पक्ष को उजागर नहीं किया। आखिर वेश्यावृत्ति हो क्यों रही है? आखिर क्यों देश की महिलाएं अपने जिस्म की नुमाईश लगा रही हैं?। अगर कोर्ट इन सवालों में से एक भी सवाल को केंद्र से पूछती तो केंद्र अदालती कटघरे में आ खड़ा नजर आता, क्योंकि वेश्यावृत्ति के बढ़ते रुझान के लिए हमारी सरकारें भी जिम्मेदार हैं, जो निम्न वर्ग को केवल वोटों के लिए इस्तेमाल करती हैं और उनके उत्थान के लिए कोई कार्य नहीं करती। ऐसे में पेट की आग बुझाने के लिए गरीब घरों की महिलाएं लोगों के बिस्तर गर्म करने के लिए निकल पड़ती हैं। अब तो वेश्यावृत्ति में कालेज की लड़कियां भी शुमार हो रही हैं, कारण है कि वो सुविधाओं भरी जिन्दगी जीना चाहती हैं। हम समस्याओं को जड़ से नहीं बल्कि बाहरी स्तर से हल करने के तरीके खोजते हैं। अभी कल की ही बात है, मेरा किसी काम को लेकर धोबियाना रोड़ पर जाना हुआ, श्री गुरूनानक देव स्कूल के पास सड़क पर दोनों तरफ आने जाने के लिए एक आधिकारिक रास्ता है, लेकिन उसको प्रशासन ने बंद कर दिया। बंद करने का कोई भी छोटा मोटा कारण हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि किसी नेता के आगमन पर उसको बंद किया हो, और फिर प्रशासन को खुलवाना भूल गया हो। प्रशासन ने वो रास्ता तो बेरियर लगाकर बंद कर दिया, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस के पास कर्मचारियों की कमी तो हो सकती है, पर बेरियरों की नहीं। इसका अंदाजा पॉलिथीनों की तरह जगह जगह बिखरे पड़े मुसीबतों को जन्म दे रहे बेरियरों से लगाया जा सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि वो रास्ता हादसों का कारण बन रहा हो इसलिए बंद कर दिया गया, लेकिन क्या ऐसा करना जायज है, अगर जायज है तो बरनाला रोड़ को सबसे पहले बंद कर देना चाहिए, जिसको खूनी रास्ते के नाम से भी पुकारा जाता है। प्रशासन ने उक्त दस बारह फुट के रास्ते को बंद कर दिया, लेकिन लोगों ने एक फूट चौड़ा रास्ता उससे थोड़ा से आगे डिवाईडर तोड़कर बना लिया। शायद प्रशासन भूल गया कि नदी के बहा को कभी दीवारें निकालकर नहीं रोका जा सकता, क्योंकि पानी अपने रास्ते खुद बनाना जानता है। जनता भी पानी के बहा जैसी है। गलियों में बने हम्प भी इसी बात की ताजा उदाहरण हैं। स्थानीय शहरी इलाकों की गलियों में बने हम्प लोगों के वाहनों की स्पीड को तो कम नहीं कर पा रहे, लेकिन लोगों का ध्यान जरूर खींच रहे हैं। जब मनचले वहां आकर जोर से ब्रेक मारते हैं, और ब्रेक लगने के वक्त निकालने वाली वाहन के पुर्जों की आवाज लोगों का ध्यान खींचती है। हम समस्या की जड़ को खत्म करने की बजाय बाहरी स्तर पर काम करते हैं, जिनके नतीजे हमेशा ही शून्य रहते हैं। मानो लो, देश भर के सरकारी स्कूलों की चारदीवारी को आलीशान बना दिया जाए, क्या वो देश की शिक्षा प्रणाली के दुरुस्त होने का प्रमाण होगा, नहीं क्योंकि वो सुधार केवल बाहरी रूप से हुआ है। अगर देश की शिक्षा प्रणाली का सुधार करना है तो उसकी जड़, मतलब टीचर को ऐसे प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए कि वो एक पढ़े लिखे इंसान के साथ एक समझदार व्यक्ति को स्कूल से बाहर रुखस्त करे। वरना देश की अदालत हर बार किसी न किसी अपराध को अपराध मुक्त करने पर सरकार से राय मांगेगी।
कुलवंत हैप्पी
76967-13601
Sunday, July 4, 2010
उत्तरांचली परिवारों के हितों की रक्षा करेगी अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभाः घनश्याली
बठिंडा में अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आयोजित
बठिंडा। अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा पंजाब प्रदेश इकाई की बैठक टीचर होम में प्रदेश प्रधान ज्ञानदेव घनश्याली की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में प्रदेश कायर्कारिणी के सभी सदस्यों ने हिस्सा लिया। इसमें सवर्सम्मित से प्रस्ताव परित कर जिला स्तर पर महासभा इकाईयों का गठन करने का फैसला लिया गया। प्रदेश प्रधान श्री धनश्याली ने राष्ट्रीय अधिवेशन कोटद्वार में परित किए गए प्रस्तावों की जानकारी दी वही प्रदेश स्तर पर इकाई को ओर मजबूत करने पर बल दिया।महासचिव नंदन सिंह रावत ने प्रदेश सदस्यों का स्वागत करते हुए उत्तरांचली धर्म मंडल के पदाधिकारियों की तरफ से बैठक आयोजित करवाने के लिए धन्यवाद किया। उन्होने कहा कहा कि अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा राष्ट्रीय स्तर पर उत्तरांचली परिवारों के हितों की रक्षा के लिए काम कर रही है। देश भर में लाखों लोग इस संस्था से जुडे़ है जिसमें देश के नामी व्यापारियों, बुदि्धजीवों, विज्ञानिकों के इलावा राजनेता शामिल है। उत्तरांचल के विकास के साथ उनकी समस्या के निवारण के लिए संस्था विभिन्न स्थानों में काम कर रही है। वतर्मान में पंजाब के विभिन्न हिस्सों में महासभा ने अपनी पैठ बनाई है जिसमें हाल में पटियाला में उत्तरांचल के लिए बंद होने वाली बस को फिर से शुरू करवाने के लिए संघर्ष शुरू किया गया जिसका नतीजा यह निकला कि सरकार को बंद की गई बस को दो जुलाई को फिर से शुरू करनी पडी़। इस तरह के कई आंदोलन चलाए गए जो आगे भी जारी रहेंगे। उन्होंने बताया कि लोगों की सुविधा के लिए महासभा की प्रदेश बेवसाइट भी लांच की जा रही है। प्रदेश प्रधान ज्ञान देव घनसयाली ने कहा कि राज्य में महासभा को मजबूत करने के लिए जिला स्तर पर इकाईयां गठित कर उन्हें मजबूत किया जाए। इसके लिए प्रदेश कार्यकारी के सभी सदस्यों को काम करना होगा।
बैठक के दौरान कोषाध्यक्ष भगत सिंह भंडारी ने लेखाजोखा पेश किया। बैठक में प्रमुख तौर पर लुधियाना में महासभा की नवीन इकाई के सभी सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। इसमें प्रमुख तौर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव सिंह नेगी, सचिव राजेश नेगी, संयोजक परमेश प्रसाद मैठानी, बृज मोहन सिंह रावत, देवी प्रसाद डंगवाल, उपनयन सिंह पवार, मुख्य सलाहकार सुरिंदर सिंह चौनाल, उपाध्यक्ष हरि सिंह नेगी, सचिव संतन सिंह, मिडिया प्रमुख हरिदत्त जोशी ने हिस्सा लिया। इसके इलावा उत्तरांचली धर्म मंडल के पदाधिकारियों ने सभी सदस्यों का धन्यवाद किया।
आखिर पीली पत्रकारिता के प्रोत्साहन के लिए कौन जिम्मेवार ?
हरिदत्त जोशी
आजकल सामान्य तौर पर सुनने को मिल जाता है कि पत्रकारिता के क्षेत्र में गिरावट आ गई है। पीली पत्रिकारिता निरंतर हावी हो रही है। पत्रकारिता लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का रुतबा खोने की कगार में खडी़ है। आखिर यह सब क्यों हुआ और इसके लिए कौन जिम्मेवार है। इसका अवलोकन करना समय की जरूरत है। भौतिकवादी युग में लोगों की जरूरत और आकांशा भी निरंतर बढी़ है, देखादेखी हर इंसान पैसों से लबालब होना चाहता है। अब इसके लिए जायज और नायायज रास्ता अखि्तयार करना पडे़ तो वह करने को तैयार है।
पंजाब की बात करे तो पहले पहल राज्य में चलने वाले अखबार अपने प्रतिनिधियों को पैसा नहीं देते थे बिल्क उन्हें विज्ञापन से मिलने वाले कमिशन में से ही अपना खर्च निकालना होता था। अस्सी के दशक में पंजाब में आतंकवाद का दौर था ऐसे में व्यापार का बुरा हाल था और विज्ञापन हासिल करना इतना सुगम नहीं था, ऐसे में शुरू हुआ, पत्रकारों का खबर भेजने के लिए प्रयुक्त होने वाले साधनों का खर्च खबर प्रकाशित करवाने की दिलचस्पी रखने वाले लोगों से पैसा वसूल करने का धंधा। यह धंधा धीरे-धीरे हर अखबार के प्रतिनिधि ने करना शुरू कर दिया। जो आगे खबर प्रकाशित करने या फिर रोकने के नाम पर पैसे वसूली का धंधा बन गया। धीरे-धीरे पीली पत्रकारिता ने अपना असर दिखाना शुरू किया।
एक दशक पहले राज्य से बाहर के अखबारों ने पंजाब में पैर जमाए तो उन्होंने अखबार के प्रतिनिधियों को बेहतर वेतन देना शुरू कर दिया और इसके बाद इस धंधे (पीली पत्रकारिता) पर कुछ लगाम लगी लेकिन पत्रकारों के एक वर्ग ने इस धंधे को जारी रखा । हाल की घडी़ जिस तरह से हर अखबार का मलिक खबरों की मौलिकता से ज्यादा विज्ञापनों की तादाद व उससे बटोरे जाने वाले पैसे को अधिक महत्ता देने लगा है उसने पत्रकारिता के मूल्यों की कदर करने वाले पत्रकारों को निराश जरूर किया। मुझे याद है कुछ समय पहले पंजाब में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव,जिसमें अखबार के मालिकों से लेकर स्थानीय पत्रकारों में राजनितिक दलों से पैसे बटोरने की होड़ शुरू हुई, संपादक स्तर पर बडी़ डिलिंग हुई, दल की पूरी मुहिम करोडो़ में खरीदी गई, इसमें जिस दल ने ज्यादा पैसा दिया वह अखबारों में ज्यादा चमका, कई दलों की स्थिति तो ऐसी हो गई कि वह कई बडे़ अखबारों में छपने को तरसने लगे। यहां मेरा मकसद किसी अखबार विशेष या फिर समूह की नितियों को उजागर करना नहीं है बलि्क मैं पीली पत्रकारिता के लिए जाने-अनजाने तैयार होने वाले माहौल के बारे में अवगत करवाना चाहता हूं जब पत्रकार को अखबार का संपादक या फिर स्थानीय संवाददाता विज्ञापन के नाम पर जायज व नाजायज वसूली को कहता है तो वह आगे उसे दूसरों की जेब काटने से कैसे रोकेगा। यही नहीं इसके बाद खबरे बिकना संभाविक है। कई स्थानों में इलेक्ट्रोनिक व प्रिंट मिडिया के कुछ प्रतिनिधियों को ब्लैकमेलिंग करते पकडा़ गया। इससे पत्रकार व पत्रकारिता की बदनामी ही हुई है जिसने अखबारों की विश्वसनियता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया है।
लोग अखबार को बिकाऊ माल कहने लगे है जो खासकर ऐसे वर्ग के लिए चिंताजनक है जो अभी भी पत्रकारिता के मूल्यों को पहचानते है और उनकी कदर करते हैं। पत्रकारिता पेशा सेवा के साथ एक बडी़ राष्ट्रीय जिम्मेवारी का हिस्सा है, जिसने लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बनकर उसकी नींव को मजबूत किया है। इस विश्वास को बनाए रखने की जिम्मेवारी हर राष्ट्र भक्त की बनती है जो इसमें पत्रकार भी अपनी जिम्मेवारी से भाग नहीं सकते हैं। आज इमानदारी से पत्रकारिता में आ रही गिरावट को रोकने के लिए चिंतन की जरूरत है। इसमें ऊपरी स्तर पर अखबार के मालिक से लेकर संपादक व निचले स्तर के कर्मचारी को विचार करना होगा। पत्रकारिता की शान इसके सम्मान और विश्वास के आधार पर टिकी है, अगर लोगों ने इसका सम्मान करने के साथ विश्वास करना छोड़ दिया तो अखबार एक पंपलेट बनकर रह जाएगा जिसे लोग देखते तो है पर विश्वास नहीं करते और रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं।
पंजाब की बात करे तो पहले पहल राज्य में चलने वाले अखबार अपने प्रतिनिधियों को पैसा नहीं देते थे बिल्क उन्हें विज्ञापन से मिलने वाले कमिशन में से ही अपना खर्च निकालना होता था। अस्सी के दशक में पंजाब में आतंकवाद का दौर था ऐसे में व्यापार का बुरा हाल था और विज्ञापन हासिल करना इतना सुगम नहीं था, ऐसे में शुरू हुआ, पत्रकारों का खबर भेजने के लिए प्रयुक्त होने वाले साधनों का खर्च खबर प्रकाशित करवाने की दिलचस्पी रखने वाले लोगों से पैसा वसूल करने का धंधा। यह धंधा धीरे-धीरे हर अखबार के प्रतिनिधि ने करना शुरू कर दिया। जो आगे खबर प्रकाशित करने या फिर रोकने के नाम पर पैसे वसूली का धंधा बन गया। धीरे-धीरे पीली पत्रकारिता ने अपना असर दिखाना शुरू किया।
एक दशक पहले राज्य से बाहर के अखबारों ने पंजाब में पैर जमाए तो उन्होंने अखबार के प्रतिनिधियों को बेहतर वेतन देना शुरू कर दिया और इसके बाद इस धंधे (पीली पत्रकारिता) पर कुछ लगाम लगी लेकिन पत्रकारों के एक वर्ग ने इस धंधे को जारी रखा । हाल की घडी़ जिस तरह से हर अखबार का मलिक खबरों की मौलिकता से ज्यादा विज्ञापनों की तादाद व उससे बटोरे जाने वाले पैसे को अधिक महत्ता देने लगा है उसने पत्रकारिता के मूल्यों की कदर करने वाले पत्रकारों को निराश जरूर किया। मुझे याद है कुछ समय पहले पंजाब में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव,जिसमें अखबार के मालिकों से लेकर स्थानीय पत्रकारों में राजनितिक दलों से पैसे बटोरने की होड़ शुरू हुई, संपादक स्तर पर बडी़ डिलिंग हुई, दल की पूरी मुहिम करोडो़ में खरीदी गई, इसमें जिस दल ने ज्यादा पैसा दिया वह अखबारों में ज्यादा चमका, कई दलों की स्थिति तो ऐसी हो गई कि वह कई बडे़ अखबारों में छपने को तरसने लगे। यहां मेरा मकसद किसी अखबार विशेष या फिर समूह की नितियों को उजागर करना नहीं है बलि्क मैं पीली पत्रकारिता के लिए जाने-अनजाने तैयार होने वाले माहौल के बारे में अवगत करवाना चाहता हूं जब पत्रकार को अखबार का संपादक या फिर स्थानीय संवाददाता विज्ञापन के नाम पर जायज व नाजायज वसूली को कहता है तो वह आगे उसे दूसरों की जेब काटने से कैसे रोकेगा। यही नहीं इसके बाद खबरे बिकना संभाविक है। कई स्थानों में इलेक्ट्रोनिक व प्रिंट मिडिया के कुछ प्रतिनिधियों को ब्लैकमेलिंग करते पकडा़ गया। इससे पत्रकार व पत्रकारिता की बदनामी ही हुई है जिसने अखबारों की विश्वसनियता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया है।
लोग अखबार को बिकाऊ माल कहने लगे है जो खासकर ऐसे वर्ग के लिए चिंताजनक है जो अभी भी पत्रकारिता के मूल्यों को पहचानते है और उनकी कदर करते हैं। पत्रकारिता पेशा सेवा के साथ एक बडी़ राष्ट्रीय जिम्मेवारी का हिस्सा है, जिसने लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बनकर उसकी नींव को मजबूत किया है। इस विश्वास को बनाए रखने की जिम्मेवारी हर राष्ट्र भक्त की बनती है जो इसमें पत्रकार भी अपनी जिम्मेवारी से भाग नहीं सकते हैं। आज इमानदारी से पत्रकारिता में आ रही गिरावट को रोकने के लिए चिंतन की जरूरत है। इसमें ऊपरी स्तर पर अखबार के मालिक से लेकर संपादक व निचले स्तर के कर्मचारी को विचार करना होगा। पत्रकारिता की शान इसके सम्मान और विश्वास के आधार पर टिकी है, अगर लोगों ने इसका सम्मान करने के साथ विश्वास करना छोड़ दिया तो अखबार एक पंपलेट बनकर रह जाएगा जिसे लोग देखते तो है पर विश्वास नहीं करते और रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं।
Saturday, July 3, 2010
सेहत विभाग की कुंभकरणी नींद ने दाईयों के बुलंद किए हौसले
-दो दिनों में तीन लड़के के भ्रूण मारकर नालों में डाले गए
-अवैध संबंधों से जन्मे बच्चे की हत्या करने की प्रवृति
-पुलिस मामले की जांच में जुटी, आरोपी पकड़ से बाहर
बठिंडा। एक तरफ जहां कन्या हत्या को रोकने के लिए सरकार के साथ जिला प्रशासन ने विशेष मुहिम चलाई व इसमें काफी हद तक रोक भी लगी है लेकिन वर्तमान में पिछले कुछ दिनों से बठिंडा जिले में घटित हो रही लड़के भ्रूण की हत्या ने सबको चकित करके रख दिया है। इस तरह की घटनाओं ने एक ओर बात को बल दिया है कि जिले में ग्रामीण क्षेत्रों के इलावा बाहरी बस्तियों में रहने वाले डाक्टर व दाईयां अवैध गर्भपात करने का धंधा जोर शोर से कर रही है। सेहत विभाग को इन घटनाओं से सबक लेकर इस तरह के असामाजिक तत्वों पर लगाम कसने की जरूरत है । सेहत विभाग की नींद और जिला प्रशासन की लापरवाही का नतीजा ही है कि दो दिन में तीन लड़के के भ्रूण विभिन्न स्थानों से बरामद किए गए है। इसी कड़ी में शनिवार को रामा मंडी के सरकारी बाग में खेल रहे बच्चों को उस समय हाथ पांव की पड़ गई, जब उन्होंने नाले में एक भ्रूण को देखा। घटना की खबर मंडी में जंगल की आग की तरह फैल गई। सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची, जिन्होंने लोगों की मदद से भ्रूण को नाले से बाहर निकलवाया। मौके पर मौजूद लोगों के बताने के अनुसार रोज की तरह आज भी आसपास के बच्चे सरकारी बाग में खेल रहे थे, अचानक उनकी निगाह उक्त भ्रूण पर पड़ी, जिसे देखकर उनके चेहरों का रंग उड़ गया, और उन्होंने तुरंत घर पहुंच अपने परिजनों को बताया। जिसके बाद पुलिस को सूचित किया और पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची।
पुलिस ने भ्रूण को बाहर निकाला और आगे की कार्यवाई के लिए साथ ले लिया। बताया जा रहा है कि उक्त भ्रूण एक लड़के का था, जो देखने में नौ महीनों का लग रहा है। ज्ञात रहे कि स्थानीय सरकारी बाग में पूरी मंडी का गंदा पानी आता है, हो सकता है कि उक्त बच्चा अवैध रिश्तों की उपज हो, और इज्जत बचाने के लिए गर्भपात करवाया गया है। मामले को लेकर पुलिस सखते में है। पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है व स्थानीय डॉक्टरों से भी पूछताछ की जा रही है। गौरतलब है कि बठिंडा जिले में पिछले दो दिनों में यह तीसरा भ्रूण है, और हैरानी बात तो यह है कि तीनों के तीनों भ्रूण लडकों के हैं। दूसरी तरफ समाज शास्त्री व प्रशासन इस तरह की घटनाओं को लेकर चिंतित है। समाज सेवक व सहारा जन सेवा के प्रधान विजय गोयल का कहना है कि समाज में कन्या की पेट में हत्या की घटनाओं के पीछे समाज की तुच्छ मानसिकता का पता चलता है लेकिन वर्तमान में लड़कों की पेट में हत्या के पीछे सबसे बड़ा कारण अवैध संबंधों को माना जा सकता है। अवैध संबंधों के चलते पैदा होने वाले बच्चे को या तो पेट में मार दिया जा रहा है या फिर उसके जन्म होते ही उसे मौत के मुंह में सुला दिया जा रहा है। इस तरह की प्रवृति पर रोक लगाने के लिए समाज में जागृति लाने के साथ पुलिस व जिला प्रशासन को मुस्तैद होना पडेगा। इसमें हत्या करने वाले लोगों को पकड़ने के लिए तह तक जाना जरुरी है।
पुलिस ने भ्रूण को बाहर निकाला और आगे की कार्यवाई के लिए साथ ले लिया। बताया जा रहा है कि उक्त भ्रूण एक लड़के का था, जो देखने में नौ महीनों का लग रहा है। ज्ञात रहे कि स्थानीय सरकारी बाग में पूरी मंडी का गंदा पानी आता है, हो सकता है कि उक्त बच्चा अवैध रिश्तों की उपज हो, और इज्जत बचाने के लिए गर्भपात करवाया गया है। मामले को लेकर पुलिस सखते में है। पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है व स्थानीय डॉक्टरों से भी पूछताछ की जा रही है। गौरतलब है कि बठिंडा जिले में पिछले दो दिनों में यह तीसरा भ्रूण है, और हैरानी बात तो यह है कि तीनों के तीनों भ्रूण लडकों के हैं। दूसरी तरफ समाज शास्त्री व प्रशासन इस तरह की घटनाओं को लेकर चिंतित है। समाज सेवक व सहारा जन सेवा के प्रधान विजय गोयल का कहना है कि समाज में कन्या की पेट में हत्या की घटनाओं के पीछे समाज की तुच्छ मानसिकता का पता चलता है लेकिन वर्तमान में लड़कों की पेट में हत्या के पीछे सबसे बड़ा कारण अवैध संबंधों को माना जा सकता है। अवैध संबंधों के चलते पैदा होने वाले बच्चे को या तो पेट में मार दिया जा रहा है या फिर उसके जन्म होते ही उसे मौत के मुंह में सुला दिया जा रहा है। इस तरह की प्रवृति पर रोक लगाने के लिए समाज में जागृति लाने के साथ पुलिस व जिला प्रशासन को मुस्तैद होना पडेगा। इसमें हत्या करने वाले लोगों को पकड़ने के लिए तह तक जाना जरुरी है।
यहां बताना जरूरी है कि जिले में शहरी क्षेत्रों की बस्तियों व ग्रामीण इलाकों में तैनात डाक्टर व दाईयां अवैध ढंग से गर्भपात करने का गौरखधंधा बेलगाम कर रही है। पांच से दस हजार रुपये की वसूली के लिए इस तरह के काम उक्त लोग सुगमता से कर देते हैं। जिले में कुछ दाईयां तो ऐसी है जो घरों में या फिर क्लिनिंक में सभी नियम कायदों को दरकिनार कर गर्भपात करते हैं व पुलिस की नजर से बचने के लिए भ्रूण को मिट्टी में दबा देते हैं वही मौका मिलने पर उसे किसी गंदे नाले व बहती नहर में फैक देते हैं, जो बहता हुआ आगे निकल जाता है व इसमें शक भी नहीं हो पाता है।
Friday, July 2, 2010
रक्षक से भक्षक तक
सर जी, वो कहता है कि उसको एसी चाहिए घर के लिए। वो का मतलब था डॉक्टर, क्योंकि मोबाइल पर किसी से संवाद करने वाला व्यक्ति एक उच्च दवा कंपनी का प्रतिनिधि था, जो शहर में उस कंपनी का कारोबार देखता था। इस बात को आज कई साल हो गए, शायद आज उसके संवाद में एसी की जगह एक नैनो कार आ गई होगी या फिर से भी ज्यादा महंगी कोई वस्तु आ गई होगी, क्योंकि शहर में लगातार खुल रहे अस्पताल बता रहे हैं कि शहर में मरीजों की संख्या बढ़ चुकी है, जिसके चलते दवा कारोबार में इजाफा तो लाजमी हुआ होगा।
आप सोच रहें होंगे कि मैं क्या पहेली बुझा रहा हूँ, लेकिन यह किस्सा आम आदमी की जिन्दगी को बेहद प्रभावित करता है, क्योंकि इस किस्सा में भगवान को खरीदा जा रहा है। चौंकिए मत! आम आदमी की भाषा में डॉक्टर भी तो भगवान का रूप है, और उक्त किस्सा एक डॉक्टर को लालच देकर खरीदने का ही तो है। कितनी हैरानी की बात है कि पैसे मोह से बीमार डॉक्टर शारीरिक तौर पर बीमार व्यक्तियों का इलाज कर रहे हैं।
इस में कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि दवा कंपनियों के पैसे से एशोआराम की जिन्दगी गुजारने वाले ज्यादातर डॉक्टर अपनी पसंदीदा कंपनियों की दवाईयाँ ही लिखकर देते हैं, जिसकी मार पड़ती है आम आदमी पर, क्योंकि दवा कंपनियां डॉक्टर को दी जाने वाली सुविधाओं का खर्च भी तो अपने ही उत्पादों से निकालेंगी।
पैसे के मोह से ग्रस्त डॉक्टरी पेशा भी बुरी तरह बर्बाद हो चुका है, अब इस पेशे में ईमानदार लोग इतने बचें, जितना आटे में नमक या फिर समुद्र किनारे नजर आने वाला आईसबर्ग (हिमखंड), ज्ञात रहे कि आइसबर्ग का 90 फीसदी हिस्सा पानी में होता है, और दस फीसदी पानी के बाहर, जो नजर आता है।
अब ज्यादातर डॉक्टरों का मकसद मरीजों को ठीक करना नहीं, बल्कि रेगुलर ग्राहक बनाना है, ताकि उनकी रोजी रोटी चलती रहे, और वो जिन्दगी को पैसे के पक्ष से सुरक्षित कर लें, पैसे की लत ऐसी लग गई है कि आम लोग सरकारी नौकरियाँ तलाशते हैं, डॉक्टर खुद के अस्पताल खोलने के बारे में सोचते हैं। मुझे याद है, जब मेरी माता श्री बीमार हुई थी, उसका मानसा के एक सरकारी अस्पताल से चल रहा था, वो पहले से चालीस फीस ठीक हो गई थी, अचानक उस युवा डॉक्टर ने सरकारी नौकरी छोड़कर खुद को अस्पताल खोल लिया, और मेरी माता की दवाई अब उसके अस्पताल से आनी शुरू हो गई, वो पहले महीने भर में बुलाता था, अब हफ्ते भर में। और मोटी फीस लेने लगा था, लेकिन कुछ हफ्तों बाद उसकी तबीयत फिर से पहले जैसी हो गई, क्योंकि अब उस डॉक्टर का मकसद खुद की आमदन बढ़ाना था, ना कि मरीज को तंदरुस्त कर घर भेजना।
लोगों ने डॉक्टर को भगवान की उपमा दी है, लेकिन अब उस भगवान के मन में इतना खोट आ गया है कि अब वो भगवान अपने दर पर आने वाले मानवों के अंगों की तस्करी करने से भी पीछे नहीं हट रहा। इतना ही नहीं, कभी कभी तो भगवान इतना क्रूर हो जाता है कि शव को भी बिन पैसे परिजनों के हवाले नहीं करता। और तो और रक्त के लिए भी अब वो निजी ब्लड बैंकों की पर्चियां काटने लगा है, आम आदमी का शोषण अब उसकी आदत में शुमार हो गया है। अपनी रक्षक की छवि को उसने भक्षक की छवि में बदल दिया।
कुलवंत हैप्पी
76967-13601
आप सोच रहें होंगे कि मैं क्या पहेली बुझा रहा हूँ, लेकिन यह किस्सा आम आदमी की जिन्दगी को बेहद प्रभावित करता है, क्योंकि इस किस्सा में भगवान को खरीदा जा रहा है। चौंकिए मत! आम आदमी की भाषा में डॉक्टर भी तो भगवान का रूप है, और उक्त किस्सा एक डॉक्टर को लालच देकर खरीदने का ही तो है। कितनी हैरानी की बात है कि पैसे मोह से बीमार डॉक्टर शारीरिक तौर पर बीमार व्यक्तियों का इलाज कर रहे हैं।
इस में कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि दवा कंपनियों के पैसे से एशोआराम की जिन्दगी गुजारने वाले ज्यादातर डॉक्टर अपनी पसंदीदा कंपनियों की दवाईयाँ ही लिखकर देते हैं, जिसकी मार पड़ती है आम आदमी पर, क्योंकि दवा कंपनियां डॉक्टर को दी जाने वाली सुविधाओं का खर्च भी तो अपने ही उत्पादों से निकालेंगी।
पैसे के मोह से ग्रस्त डॉक्टरी पेशा भी बुरी तरह बर्बाद हो चुका है, अब इस पेशे में ईमानदार लोग इतने बचें, जितना आटे में नमक या फिर समुद्र किनारे नजर आने वाला आईसबर्ग (हिमखंड), ज्ञात रहे कि आइसबर्ग का 90 फीसदी हिस्सा पानी में होता है, और दस फीसदी पानी के बाहर, जो नजर आता है।
अब ज्यादातर डॉक्टरों का मकसद मरीजों को ठीक करना नहीं, बल्कि रेगुलर ग्राहक बनाना है, ताकि उनकी रोजी रोटी चलती रहे, और वो जिन्दगी को पैसे के पक्ष से सुरक्षित कर लें, पैसे की लत ऐसी लग गई है कि आम लोग सरकारी नौकरियाँ तलाशते हैं, डॉक्टर खुद के अस्पताल खोलने के बारे में सोचते हैं। मुझे याद है, जब मेरी माता श्री बीमार हुई थी, उसका मानसा के एक सरकारी अस्पताल से चल रहा था, वो पहले से चालीस फीस ठीक हो गई थी, अचानक उस युवा डॉक्टर ने सरकारी नौकरी छोड़कर खुद को अस्पताल खोल लिया, और मेरी माता की दवाई अब उसके अस्पताल से आनी शुरू हो गई, वो पहले महीने भर में बुलाता था, अब हफ्ते भर में। और मोटी फीस लेने लगा था, लेकिन कुछ हफ्तों बाद उसकी तबीयत फिर से पहले जैसी हो गई, क्योंकि अब उस डॉक्टर का मकसद खुद की आमदन बढ़ाना था, ना कि मरीज को तंदरुस्त कर घर भेजना।
लोगों ने डॉक्टर को भगवान की उपमा दी है, लेकिन अब उस भगवान के मन में इतना खोट आ गया है कि अब वो भगवान अपने दर पर आने वाले मानवों के अंगों की तस्करी करने से भी पीछे नहीं हट रहा। इतना ही नहीं, कभी कभी तो भगवान इतना क्रूर हो जाता है कि शव को भी बिन पैसे परिजनों के हवाले नहीं करता। और तो और रक्त के लिए भी अब वो निजी ब्लड बैंकों की पर्चियां काटने लगा है, आम आदमी का शोषण अब उसकी आदत में शुमार हो गया है। अपनी रक्षक की छवि को उसने भक्षक की छवि में बदल दिया।
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