लुधियाना। पुलिस की ओर से ट्रैवल एजेंट्स के खिलाफ पर्चा दर्ज करने का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा। पुलिस ने 15 से ज्यादा नई एफआईआर दर्ज कर करीब 20 लोगों को नामजद किया है। इसके अलावा कई एजेंट्स के दफ्तरों की चेकिंग की और 97 के करीब एजेंट्स का रिकाॅर्ड भी चेक किया।
गौर हो कि पुलिस की ओर से नए साल के पहले ही दिन 100 से ज्यादा पर्चे दर्ज कर 200 से ज्यादा ट्रैवल एजेंट्स को नामजद किया गया था। इन पर साढ़े पांच करोड़ से ठगी के आरोप हैं। इन मामले में से कुछ में सामने आया कि शातिर एजेंट्स ने इन दिनों नया फंडा अपनाया हुआ है। वे अमेरिका, इंग्लैंड, यूरोप, कनाडा, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में वर्क परमिट लगवाने के नाम पर लोगों से 20-20 लाख रुपए फाइल प्रोसेसिंग से लेकर सेटिंग तक का ले लेते हैं। इसके बाद सिंगापुर से 30 हजार में फर्जी वीजा स्टीकर लेकर ग्राहक के पासपोर्ट पर लगाकर थमा देते हैं। जब वो उसे लेकर एयरपोर्ट पर पहुंचते तो ठगी का पता चलता है।
एयरपोर्ट पहुंचने पर ठगी का होता था खुलासा
वहीं, विदेश भेजने के नाम पर ठगी रोकने के लिए पुलिस द्वारा एफआईआर तो दर्ज की जा रही हैं, लेकिन इन फर्जी ट्रैवेल एजेंट्स की असली और फर्जी की पहचान के लिए कोई समाधान नहीं है। क्योंकि वो लोगों को वीजा ही फर्जी थमा रहे हैं। हालात ये हैं कि जिन एजेंट्स ने खुद को सरकारी दस्तावेज पूरे कर रजिस्टर करवाया है, उन पर भी पर्चे दर्ज हैं। एेसे में शातिर ठगों से लोगों को कैसे बचाया जाए, इसके लिए खुद पुलिस व प्रशासन परेशान हैं। आकंड़ों की बात करें तो पिछले तीन सालों में पुलिस द्वारा 90 के करीब पर्चे ट्रैवेल एजेंट्स पर दर्ज किए हैं, जिन्होंने करीब 4 करोड़ की ठगी मारी थी। इसके अलावा लुधियाना जिले में 789 ट्रैवेल एजेंट्स ने खुद को जिला प्रशासन के रिकाॅर्ड में दर्ज करवा रखा है।
दफ्तरों में टांग दिए फर्जी लाइसेंस : लोगों को गुमराह करने के लिए ट्रैवल एजेंट्स द्वारा दफ्तरों में फर्जी लाइसेंस बनाकर टांगे जा रहे हैं। उन पर जो नंबर लिखे हैं, वो भी लाइसेंस की तरह फर्जी हैं। हालांकि पुलिस व प्रशासन द्वारा एेसी कोई सुविधा नहीं दी गई कि लोग एजेंट्स का लाइसेंस नंबर चेक कर सकें कि वो असली है या नकली। लेकिन अगर कोई एजेंट ठगता है तो उसके खिलाफ शिकायत लोग लुधियाना पुलिस की cp.ldh.police@punjab.gov.in पर कर सकते हैं, जिन पर तुरंत पर्चा दर्ज होगा।
ये हुए एजेंट्स के शिकार
- हैबोवाल निवासी गुरजीत सिंह ने बताया कि उनके दोस्त ने वीजा तो लगवा लिया और कनाडा के नाम पर 21 लाख रूपए दे दिए। लेकिन जब वीजा लेकर एयरपोर्ट गए तो वहां उसे पुलिस ने पकड़ लिया, क्योंकि वीजा नकली था। उक्त मामले में 2 साल पहले एफआईआर दर्ज करवाई थी, लेकिन पैसे आज तक नहीं मिले।
- राजेश नगर निवासी राहुल ने बताया कि महिला एजेंट उनकी दुकान पर आती थी, जिसने उन्हें व उनके दोस्त को विदेश भेजने के नाम पर 12.66 लाख रुपए ले लिये, लेकिन बाद में न विदेश भेजा न पैसे लौटाए। लिहाजा अब उस पर एफआईआर दर्ज करवाई गई है।
ये बरतें सावधानियां
- वीजा स्टेट्स और असलियत जांचने के लिए केंद्र सरकार की वेबसाइट indianvisaonline.gov.in पर अपना फाइल नंबर और आईडी नंबर भरकर उसके असली नकली होने का भी पता लगा सकते हैं। इसके बाद ही एजेंट को पेमेंट करें।
- जॉब ऑफर देने वाले एजेंट का रजिस्ट्रेशन देखें
- भारत सरकार की निर्धारित बीस हजार रुपये फीस ही दें।
- एजेंट को करने वाली पेमेंट को चेक के जरिए करें और उसकी रसीद जरूर लें।
- वीजा लगने के बाद पासपोर्ट, कान्ट्रेक्ट व एजेंट का ब्योरा परिजनों के पास छोड़ें।
- केंद्र सरकार की टोल फ्री हेल्पलाइन - 1800113090
- एजेंट के कहने पर किसी भी खाली पेपर पर हस्ताक्षर न करें।
जिन एजेंट्स ने रजिस्टर करवा रखा है, उन्हें भी चेक कर रहे हैं। अगर किसी को एजेंट्स से दिक्कत आती है तो शिकायत ईमेल करे, तुंरत पर्चा दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा लोग खुद भी एजेंट के बारे में पड़ताल करें और सही एजेंट के पास ही जाएं, जिन्हें सरकार से मंजूरी मिली हो। क्योंकि अगर वो ठगी करते हैं तो उन्हें पकड़ना भी आसान होगा। -राकेश अग्रवाल, पुलिस कमिश्नर