चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने कोरोना वैक्सीनेशन से परहेज करने वाले और वैक्सीन नहीं लगवाने वाले सेहत विभाग के कर्मियों के प्रति रुख कड़ा कर लिया है। सेहत विभाग के प्रयासों के बावजूद सेहत कर्मी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए शुरू की गई कोविड टीकाकरण मुहिम में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। ऐसे कर्मचारियों को लेकर सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि जिन सेहत कर्मियों ने टीका नहीं लगवाया है, अगर वे भविष्य में संक्रमण के शिकार हो जाते हैं तो पूरे इलाज का खर्च उनको खुद उठाना होगा। ऐसे कर्मचारी एकांतवास अवकाश का लाभ लेने के भी पात्र नहीं होंगे।
सेहत विभाग ने कहा, कोरोना के शिकार होने पर नहीं मिलेगा एकांतवास अवकाश
सिद्धू ने कुछ दिनों में कोरोना के मामलों में हुई वृद्धि का हवाला देते हुए कहा कि 20 फरवरी को 358 केस सामने आए थे और राज्य में 3000 के करीब कोविड के सक्रिय मामले हो गए हैं। जबकि तीन सप्ताह पहले केवल 2000 मामले ही थे। किसी भी अभूतपूर्व स्थिति से निपटने के लिए सभी सेहत कर्मियों का टीकाकरण होना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि पंजाब देश के उन छह राज्यों में से एक है जहां कोविड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इसे कोरोना की दूसरी लहर की तरह मानते हुए हमें पूरी तरह तैयार रहना चाहिए। कोरोना के मामलों में और वृद्धि होने की आशंका है। उन्होंने सेहत कर्मचारियों से अपील की कि उन्हें बिना किसी झिझक जल्द से जल्द टीका लगवाना चाहिए।
सिद्धू ने टीकाकरण की कम दर पर ¨चता जताते हुए कहा कि अब तक राज्य में 2.06 लाख सेहत कर्मचारियों और 1.82 लाख अग्रिम पंक्ति के वर्करों ने कोरोना टीकाकरण के लिए नाम दर्ज करवाया है। इनमें से करीब 79,000 (38 फीसद) सेहत कर्मचारियों और 4,000 अन्य वर्करों ने टीका लगवाया है जो काफी कम है। अब तक पंजाब में टीकाकरण के दुष्प्रभाव का कोई मामला सामने नहीं आया है।
न्होंने कहा कि टीकाकरण की पहली खुराक लेने की आखिरी तारीख को 19 फरवरी से बढ़ाकर 25 फरवरी कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि वैसे तो सभी को संक्रमण का खतरा है लेकिन सेहत कर्मचारियों को मरीजों से संक्रमित होने का खतरा और भी अधिक होता है।
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