Wednesday, July 14, 2010

महानगरी में नहीं सुधर रही है सड़कों की स्थिति, हादसों की भरमार

-करोड़ों खर्च करने पर भी नहीं हो सका है सड़कों की दशा में सुधार
-हर साल बढ़ रहा है सड़कों पर ट्रैफिक, नहीं हो रहा है सड़कों का विस्तार  
बठिंडा। महानगर बठिंडा में दो सोसायटी ऐसी है जो सड़क हादसों में घायल लोगों को तत्काल चकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाती है। इसमें सहारा जन सेवा और नौजवान वैलफेयर सोसायटी प्रमुख है। इन दोनों संस्थानों की तरफ से अस्पतालों में पहुंचाने वाले मरीजों की बात करे तो प्रतिदिन १२ से १३ लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं इसमें कई लोग मर भी जाते हैं। हर साल बठिंडा जिले में ही छह सौ के करीब लोग हादसों में अपाहिज होते हैं तो सौ के करीब मौत के मुंह में चले जाते हैं। इन हादसों के लिए ट्रैफिक अव्यवस्था के साथ हमारी डामाडोल सड़के काफी हद तक जिम्मेवार है। हमारी सड़कें  देश की आजादी के  बाद क्या कुछ हुआ है और क्या हो रहा है, उसका सही आईना हैं।
मकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट द्वारा अप्रैल में जारी की गई रिपोर्ट के  अनुसार, लगभग आठ करोड़ लोग शहरों की मलिन बस्तियों में रहते हैं। ये वे लोग हैं, जो रोजी-रोटी के  लिए शहरों में आए हैं। इनके  लिए न चमकती-दमकती मोटरगाडिय़ां हैं और न एयरकंञ्डीशंड लो-फ्लोर बसें। ये पैदल, साइकिल और यदा-कदा मोटर बाइक पर दिखते हैं। सडक़ों पर  इनके  लिए सुरक्षित पृथक लेन राज्य के अधितक महामार्गो में भी नहीं हैं। जहां हैं भी, वहां पाकिग    और सामान बेचने के  लिए उन पर व्यापारियों या रेहड़ी चालकों ने कब्जा कर रखा है। पुलिस को हफ्ते से मतलब है, उनकी सुरक्षा से नहीं। ऐसे में उक्त लोग सड़कों पर आवागमन करने के लिए मजबूर होते हैं व यदाकदा हादसों का शिकार हो जाते हैं। वर्तमान में अगर हादसे के शिकार लोगों की तादाद देखे तो इसी तरह के लोग बड़ी गाडि़यों का शिकार होते हैं। सार्वजनिक परिवहन में लगातार गिरावट आ रही है। वर्ष १९९४ में यातायात में सार्वजनिक परिवहन का हिस्सा ४० प्रतिशत था, जो अभी ३० प्रतिशत हो गया है, परंतु निजी गाड़ियों की संチया लगातार  बढ़ती जा रही है। नए-नए मॉडल रोज आ रहे हैं, जो आकार की दृष्टि से पहले की अपेक्षा काफी बडे़ हैं। भीड़भाड़ के  समय १९९४ की अपेक्षा आज सडक़ पर ५० प्रतिशत अधिक गाड़ियां आ गई हैं। वर्ष २०२० आते-आते आज की तुलना में तिगुनी गाड़ियां सडक़ों पर दिखेंगी। दूसरी तरफ सड़कों का आकार व स्थिति वही चालिस साल पहले वाली बनी हुई है। इससे हादसे को बढ़ते है साथ ही यातायात जाम होने की समस्या निरंतर बनी रहती है।
समाज के  एक छोटे से तबके  को राष्ट्रीय आय का अधिकांश प्राप्त हो रहा है। इसी का परिणाम है कि महंगाई के  दिनों में भी कारों की खरीदारी धड़ल्ले से बढ़ रही है। पिछले वर्ष मई में देश भर में १,१३,८१० गाड़ियां बिकीं, जबकि इस साल मई में १,१४,४८१ गाड़ियों की बिक्रञ्ी हुई। बठिंडा में ही हर साल सैकड़ों नए वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं। एशिया में भारत मोटर वाहनों का तीसरा  बड़ा बाजार बन गया है। नव धनाढ्य परिवारों में औसतन दो से तीन मोटर गाडिय़ां हैं। पार्किंग को लेकर आए दिन गली-मुहल्लों के साथ बाजारों में हिंसक झड़पें होने लगी हैं। गाड़ीवालों की मनोवृति भी अलग-सी है। सड़कों पर अंधाधुंध गाडिय़ां चलाना आम बात है। पांच लाख रुपये की गाड़ी वाला पांच कौड़ी वाले आदमी की परवाह नहीं करता है और सामने आने पर गाड़ी भी नहीं रोक ता है। परिवहन के  कायदे-कानूनों को ये नवधनाढ्य धता बताते हैं। रसूख और पैसे वाले इन लोगों का कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। ऐसे में, सडक़ों की हालत में बहुत सुधार संभव नहीं है, भले ही सरकार जितने भी पैसे लगाए और इरादे करे। भ्रष्टाचार का दैत्य भारी बाधा है। सड़कों में कानून की अवहेलना कर शराब पीकर वाहन चलाना आम बात है वही इस बाबत बने कडे़ नियमों की पालना भी लोग नहीं करते हैं। इन धनाढ़य लोगों को अगर पुलिस कभी गलती से हाथ डाल लेती है तो पैसे दिखाकर आसानी से निकल जाते हैं। जब कानून पैसे के दम पर जेब में रखा जा सकता है तो फिर नियमों को मानने व उनकी पालना करने की जरूरत नहीं होती है, ऐसे में अगर उक्त लोग किसी गली मुहल्ले में किसी के बच्चे को कुचल दे या फिर मजदूर को फेट मार दे तो उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं होती है।
ऐसी मानसिकता से ग्रस्त हो चुके समाज में ट्रैफिक नियमों को लागू करना डेढ़ी खीर से कम नहीं है। इसके इलावा महानगरों में ट्रकों व कारों की संख्या में भारी वृद्धि के साथ अप्रशिक्षित चालकों की भरमार हो रही है। परिवहन विभाग में भी तय नियम को तोड़कर किसी को भी लाइसेंस जारी कर दिया जाता है अब कार व ट्रक के कुछ फक्सन आते हो और गाड़ी दौड़ती है तो वह सुगमता से ड्राइवर की डिग्री ले लेता है इसके बाद वह सड़क में कुछ भी करने का लाइसेंस भी हासिल कर लेता है? वर्तमान में सड़क हादसों को रोकने के लिए सड़क प्रबंधन को बेहतर बनाने के साथ ट्रैफिक नियमों की सख्ती से पालना करवाना जरूरी है । हमारे यहां इसका अभाव है। नशे में धुत्त चालकों की संख्या व उनसे होने वाले हादसे बढ़ रहे हैं, अब पुलिस चाहे जो दावे करे। 

विशाल मैगामार्ट ने दी ३० छात्रों को पैलेसमेंट


-बाबा फरीद संस्थान में आयोजित किया गया विशाल कैंप   
बठिंडा। बाबा फरीद ग्रुप आप इंस्टीच्यूशन की तरफ से साल २०१० पलेसमेंट को समर्पित नारे को हकीकत में बदलने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के अधीन संस्था में मैगा जाब फेयर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें ३८ कंपनियों ने हिस्सा लिया व इसके बाद लगातार विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों की प्लेसमेंट ड्रइव का आयोजन करवाया जा रहा है। इस कड़ी के तहत  ११ जुलाई को संस्था में विशाल मैगा मार्ट ग्रुप की तरफ से एक प्लेसमेंट ड्राइव  करवाई गई। जिक्रयोग्य है कि विशाल मैगामार्ट कंपनी देश की प्रसिद्ध कंपनी है जिसके बठिंडा सहित देश के लगभग सभी बडे़ शहरों में स्टोर खोल रखे हैं। 
संस्था में आयोजित प्लेसमेंट ड्राइव में बाबा फरीद संस्था के साथ इस क्षेत्र की दूसरी संस्थाओं के छात्रों ने भी हिस्सा लिया। इस कैंप का मुख्य लक्ष्य संस्था के छात्रों के इलावा मालवा के विभिन्न क्षेत्रों में बेरोजगारों को रोजगार प्रदान करना है। इस प्लेसमेंट ड्राइव में सौ से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया। विशाल मैगामार्ट कंपनी के जयवीर सिंह ने संस्था की तरफ से किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की व छात्रों की योग्यता पर भी संतुष्टी जताई। इस कैंप में तीस छात्रों का चुनाव बतौर स्टोर मैनेजर के तौर पर की गई जो देश के विभिन्न हिस्सों में काम करेंगे। इसमें छात्रों की योग्यता के आधार पर उन्हें दो लाश से साढे़ तीन लाख रुपये का वार्षिक पैकेज दिया जाएगा। बाबा फरीद संस्थान के प्रबंधकीय निर्देशक गुरमीत सिंह धालीवाल ने चुने गए छात्रों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि संस्था इस तरह के प्रयास आगे भी जारी रखेगी जिससे शिक्षा हासिल कर रोजगार की तलाश करने वाले सौकड़ों छात्रों को लाभ मिलेगा। 


Tuesday, July 13, 2010

दुकान से नौ लाख का माल चोरी

-पुलिस कर रही है घटना की जांच
बठिंडा। चोर गिरोह के सदस्यों ने चोरी की वारदात को अंजाम देते हुए स्थानीय अमरीक सिंह रोड़ पर स्थित एक सेनटरी हार्ड वेयर की दुकान में घात लगाकर लाखों रुपये का सामान गायब कर दिया। अज्ञात लोगों ने वारदात को अंजाम देने से पहले दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरों को तोड़ डाला। भारी मात्रा में सामान चुरा ले गये। चोरी हुए माल की कीमत नौ लाख बताई जाती है। घटना स्थल पर पहुंची पुलिस व डॉग स्कावड ने घटना की जांच शुरूञ् कर दी है। जानकारी अनुसार पुलिस को दिये बयानों में अमरीक सिंह रोड़ पर स्थित राज कुञ्मार एंड सन्स केञ् मालिक राज कुञ्मार ने बताया कि उसकेञ् सेंनटरी हार्ड वेयर की दुकान है। वह रोजाना की तरह सोमवार को अपनी दुकान बंद करकेञ् गया था। मंगलवार को जब उन्होंने दुकान का शट्टर खोला तो अंदर सारा सामान बिखरा पड़ा था, भारी मात्रा में सामान गायब था। दुकान मालिक ने बताया कि उनकी दुकान केञ् पीछे एक खाली प्लाट लगता है। जहां से अज्ञात लोग उनकी दुकान में पीछे केञ् रास्ते दाखिल होकर वारदात को अंजाम दे गये। अज्ञात लोगों ने दुकान में लगे सीसीटीवी कैञ्मरों को तोडऩे केञ् बाद चोरी की वारदात को अंजाम दिया। चोरी हुए सामान की कीमत ऽ लाख रुपये बताई जा रही है। मौकेञ् पर पहुंची पुलिस ने वारदात वाली जगह का निरीक्षण किया, दुकान मालिक केञ् बयानों केञ् आधार पर अज्ञात लोगों केञ् खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस घटना की गहनता से जांच कर रही है।


लोगों को मिलावटी देसी घी बेचते दो काबू

बठिंडा। सिविल लाइन पुलिस ने स्थानीय चंदसर बस्ती में लोगों को मिलावटी देसी घी बेचने वाले दो व्यक्तियों को काबू किया है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा ४२० के तहत मामला दर्ज कर लिया है। जानकारी अनुसार पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि आरोपी राजू व शाम निवासी चंदसर बस्ती इलाके के भोले-भाले लोगों को देसी घी में डालडा घी की मिलावट करके बेचते हैं। पुलिस ने मौके पर दोनों आरोपियों को काबू कर पुलिस के हवाले कर दिया है।


तेजधार हथियारों से वृद्ध की हत्या
बठिंडा। जिले के गांव कोठागुरु में अज्ञात व्यक्तिञ् ने तेजधार हथियारों से एक वृद्ध की हत्या कर दी। पुलिस ने मृतक के भाई के बयानों केञ् आधार पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। जानकारी अनुसार दयालपुरा पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में नछार सिंह निवासी कोठागुरु ने बताया कि उसका भाई बलवीर सिंह उससे झगड़ा कर अलग मकान में रहता है। सोमवार रात्रि किसी अज्ञात व्यक्ति ने तेजधार हथियारों से उसके भाई की हत्या कर दी। आरोपी वारदात को अंजाम देकर फरार हो गया। पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धारा ३०२ के तहत मामला दर्ज कर लिया है।


घर से हजारों की नकदी व सामान चोरी
बठिंडा। भुच्चो मंडी के एक घर में घुसकर अज्ञात व्यक्ति हजारों की नकदी, सोना, मोबाइल फोन चुरा ले गये। पुलिस ने घर केञ् मालिक के बयानों के आधार पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धारा ४५७,३८० के तहत मामला दर्ज कर लिया है। जानकारी अनुसार नथाना पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में पवन कुमार ने बताया कि सोमवार की रात्रि कोई अज्ञात व्यक्ति उसके घर में घुसकर १५००० की नकदी, एक चांदी की राखी, दो सोने के टोपस, एक मोबाइल फोन चुरा ले गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

लेखक राम सरूप अणखी की पुस्तक हड्डी बैठा पिंड रीलीज

बठिंडा। आज टीचर्स होम में पंजाबी के प्रसिद्ध लेखक स्वर्गीय रामस्वरूप अनखी द्वारा लिखित पुस्तक ''हड्डीं बैठे पिंड'' इंकमटैक्स कमिश्नर स.हरजीत सिंह सोही ने रिलीज की जिनका साथ प्रसिद्ध मार्कसवादी  आलोचक सुरजीत गिल, जगमोहन कौशल तथा स्वर्गीय अनखी के सुपुत्र प्रोफेसर क्रांतिपाल तथा प्रसिद्ध गीत लेखक अमरदीप गिल ने दिया। पुस्तक और इसके लेखक स्वर्गीय रामस्वरूप अनखी के जीवन बारे अपने विचार श्रोताओं से सांझे करते हुए मुख्य मेहमान स.हरजीत सिंह सोही ने कहा कि स्वर्गीय अनखी का पंजाबी साहित्य में स्थान अंग्रेजी के नावलकार हार्डी के स्तर का है जिन्होंने अपने लेखों में समय, स्थान तथा आसपास का बाखूबी चित्रण किया है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में मालवा के जिन गांवों का जिक्र अपनी एक विलक्षण शैली में अनखी ने किया है ऐसा वृतांत पाठक को अंत तक अपने साथ बांधे रखता है ऐसा समान बहुत कम लेखकों के हिस्से आता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में जब भी मालवा क्षेत्र के जन-जीवन बारे कोई बात चलेगी या कोई खोज की जायेगी तो रामस्वरूप अनखी का नाम बार-बार सामने आता रहेगा। यह पुस्तक लोक गीत प्रकाशन ने प्रोड्डैकर क्रांतिपाल के प्रयत्न से तैयार की है।

एमपी ड्राइवर के बेटों पर लगाया परेशान करने का आरोप

-एसएसपी ने दिए मामले की जांच करने के आदेश  
बठिंडा। परसराम नगर वासी तरसेम सिंह पुत्र रणधीर सिंह ने एसएसपी को दी शिकायत में आरोप लगाया कि फरीदकोट के सांसद के एक ड्राइवर का बेटा करमजीत सिंह और अवतार सिंह उन्हें बिना कारण परेशान करते हैं। इसमें सांसद का ड्राइवर सोहन सिंह पंजाब पुलिस में कर्मी है। उक्त लोग बिना कारण उन्हें परेशान करने के लिए पुलिस के पास झूठी शिकायते दर्ज करवा देते हैं जिसमें पुलिस भी उन्हें परेशान करती है। तरसेम सिंह का कहना है कि वह मार्किंटिग करता है, इस दौरान उक्त लोग उसे रास्ते में रोककर जान से मारने की धमकी देते हैं जब भी वह उनका विरोध करता है तो उसे झूठे मामले में फंसाकर थाने में अवैध तौर पर बंद करवा देते हैं। यह सिलसिला पिछले लंबे समय से चल रहा है लेकिन पुलिस उन्हें इंसाफ नहीं दे रही है। पिछले चार साल से उक्त लोग उसे व उसके परिजनों को परेशान कर रहा है। उन्होंने एसएसपी बठिंडा से उक्त लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने व उन्हें इंसाफ दिलवाने की मांग की है। शिकायत पर एसएसपी सुखचैन सिंह ने थाना कनाल चौकी को जांच के अदेश दिए है।      

दो कार चालकों ने दो बच्चियों को कुचला, एक की मौत

-कार चालक हादसे को अंजाम देकर मौके से फरार 
बठिंडा। बाबा दीप सिंह नगर में एक कार चालक ने छह साल के बच्चे को कुचल दिया, जिससे उसकी कुछ समय बाद मौत हो गई। जानकारी अनुसार बाबा दीप सिंह नगर में दैनिक मजदूरी करने वाले छोटू लाल अपनी पत्नी उर्मिला और छह साल के बेटे जसवीर सिंह को लेकर राशन कार्ड की फोटो बनाने के लिए जा रहे थे। इसमें बच्चा साइकिल पर सवार था जबकि अभिभावक पैदल जा रहे थे। इसी दौरान एक तेज गति कार चालक ने बच्चे को टक्करमार कर घायल कर दिया। आसपास के लोगों के इकट्ठे होने के बाद कार चालक बच्चे को उसके परिजनों के साथ सिविल अस्पताल ले गए, लेकिन कुछ समय बाद बच्चे की मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद आरोपी कार चालक वाहन छोड़कर मौके से फरार हो गया। इसकी जानकारी स्थानीय वर्धमान चौकी को दी गई। इसमें जांच पड़ताल की जा रही है। सामाचार लिखे जाने तक आरोपी के खिलाफ किसी तरह का मामला दर्ज नहीं किया जा सका था। मृतक बच्चे के पिता छोटू लाल ने आरोप लगाया कि पुलिस मामले में समझौता करने के दबाब डाल रही है जबकि आरोपी की पहचान होने के बावजूद उसके खिलाफ किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही है। 
एक अन्य मामले में बीबी वाला चौक पर एक १२ साल की बच्ची को कार चालक ने टक्कर मारकर घायल कर दिया। इस दौरान वह सड़क के किनारे बने फटुपाथ पर बैठी थी। घायल लड़की की एक लात टूट गई। उसकी पहचान मोना रानी वासी टीचर कालोनी केञ् तौर पर हुई है। उसके पिता दैनिक मजदूरी कर परिवार का पालन कर रहा था। सहारा जन सेवा के कार्यकर्ताओं ने लड़की को अस्पताल में दाखिल करवाकर उपचार शुरू करवाया।  

नशा तस्करी का भांडाफोड़ होने के भय में कर दी हत्या

 -कंडक्टर को जहरीली चीज खिलाकर नहर में फैका
-दो माह बाद हत्या के केस से उठा पूरा रहस्य, आरोपी फरार 
बठिंडा। दो माह पहले जस्सी बागवाली में मिले शव का रहस्य आखिरकार खुलकर सामने आ गया। इस मामले में नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले ड्राइवर ने अपने कंडक्टर की मात्र इसलिए हत्या कर दी कि उसका राज वह पुलिस को बताने जा रहा था। फिलहाल दो माह तक केस की जांच पड़ताल करने के बाद पुलिस ने आरोपी ड्राइवर के खिलाफ हत्या का केस दायर कर उसे गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी शुरू कर दी है।
जानकारी अनुसार गुरचरण सिंह वासी भुच्चो कलां ट्रक ड्राइवरी का काम करता था। वह पंजाब से व्यापारियों का सामान लेकर गुजरात व राजस्थान  ले जाता था। इसी दौरान उसने राजस्थान से अफीम व भु्‌की ट्रक में सामान के साथ लादकर लाने का काम शुरू कर दिया। ड्राइवर गुरचरण के साथ देश सिंह वासी तुंगवाली कंडक्टर का काम करता था। पहले तो देश सिंह को उसके धंधे के बारे में किसी तरह की जानकारी नहीं थी लेकिन दो माह पहले उसे इसकी भनक लग गई। इसमें उसने गुरचरण सिंह से उक्त धंधा बंद करने को कहा, जब वह नहीं माना तो उसने इसकी जानकारी ट्रक मालिक व पुलिस को देने की चेतावनी दे दी। इसी बात से रंजिश में आए गुरचरण सिंह ने उसे रास्ते से हटाने की साजिश रची। इसके लिए १४ मई को गुरचरण सिंह ने देश सिंह को अपने साथ गुजरात जाने के लिए कहा। रास्ते में १५ मई २०१० को देश सिंह को जहरीली दवा पिलाकर बेहोश कर दिया व उसे जस्सी बागवाली नहर में फैक दिया। एक दिन बाद उसका शव नहर से सहारा जन सेवा ने बरामद किया था। मामले में पुलिस शक के आधार पर केस की जांच में जुट गई लेकिन उसकी हत्या का खुलासा नहीं हो पा रहा था जबकि ड्राइवर गुरचरण सिंह भी पुलिस को गुमराह करता रहा। पुलिस ने कंडक्टर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहरीली चीज खिलाने की पुष्टी के बाद ड्राइवर के खिलाफ पुख्ता सबूत हासिल कर लिए। इस केस में ड्राइवर पुलिस की गिरफ्त से बाहर है जबकि पुलिस की एक टीम का गठन कर उसे गिरफ्तार करने के लिए छापामारी की जा रही है।      

मानसून की पहली मुसलाधार बरसात से ही सहम गया सीवर

-सीवरेज बोर्ड के दावे कई क्षेत्रों में हो गए खोखले, लोगों को झेलनी पड़ी परेशानी
-सीवरेज व्यवस्था के सुधार को लेकर किए जा चुके हैं करोड़ों रुपया खर्च
बठिंडा। मानसून की पहली बरसात से ही बदहाल सीवर सहम उठा। आषाढ़ माह में महज दो घंटे हुई बारिश की बौछार से शहर में  ड्डैञ्ले सीवर लाइन की सांस अटक गई। श्रावण की झड़ी अभी बाकी है। खैर मनाइए कि तीन माह से सूखी धरती की गोद ने पानी गिरते ही इसे सोख लिया। नहीं तो शहर 'पानी-पानी' हो जाता। करीब ४० दिनों से चल रहे डीसिल्टिंग अभियान ने निगम की लाज बचा ली। अलबत्ता निकम्मे सीवरेज बोर्ड की कलई खुल गई। करोड़ों रुपये के  प्रोजेक्ट को हाथ में लेकर बैठा सीवरेज बोर्ड इसे लेकर खेल खेलने में मस्त है, जबकि सुखवीर बादल के सपनों की महानगरी बदहाल सीवर से पस्त है। लोकसभा चुनावों में उपमुख्यमंत्री सुखवीर बादल ने दावा किया था कि बठिंडा की सड़कों को चंडीगढ़ की तर्ज पर सीवरेज प्रणाली से ऐसा बनाया जाएगा जिसमें पानी की एक बूंद भी खड़ी नहीं हो सकेगी। 
राज्य में जहां पिछले एक सप्ताह से बरसाती पानी के कहर ढां रखा है वही बठिंडा में इस दौरान पानी की एक बूंद भी नहीं पड़ी थी लेकिन सोमवार को एकाएक पानी बरसा लेकिन कुछ समय बाद ही सड़कों में पानी भर गया। बाहरी क्षेत्र में कीचड़ व गंदगी की भरमार ने लोगों को नाक में कपडे़ रखने के लिए मजबूर कर दिया। यह आलम बठिंडा वासियों के साथ पहली बार नहीं हो रहा है बल्कि पिछले दो दशक से नगर कौंसिल व बाद में बनी नगर निगम के अधिकारी करोड़ों रुपये के प्रोजेक्टों पर हर साल काम करते हैं। शहर की सीवरेज लाईनों को साफ करने के साथ नए सिरे से बनाने के कागजी दावे जोर शोर से होते हैं लेकिन स्थिति वहीं पुरानी रहती है। हाल में नगर निगम महानगर में सीवरेज सफाई के लिए आधुनिक मशीनों की खरीद का दावा कर रहा है। प्रेसर मशीनों से सीवरेज के अंदर जमी गाद व पालीथीन तक के कागज कुछ समय में ही बाहर होंगे व इसमें नगर निगम को कर्मचारियों की भारी भरकम फौज भी नहीं रखनी पडे़गी। बरसात से पहले नगर निगम के साथ सीवरेज बोर्ड की बैठकों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के  अलावा सीवर के  अपग्रेडेशन पर भी सीवरेज बोर्ड ने खूब सिरखपाई की। बरसाती पानी केञ् निकासी को लेकर प्रोजेक्ट बनाने को अब और तब शुरू  करने का वादा किया गया, लेकिन बात अभी भी कागजों में सीमित है। 

सड़कों का हुआ भारी नुकसान

दूसरी तरफ पंजाब के  कई स्थानों पर आई बरसात और बाढ़ के  कारण लोक निर्माण विभाग द्वारा शहरों व गांवों में बनाई गई लिंक और प्लान सडक़ों का भी नुकसान होने की संभावना है। सरकार से आदेश मिलने के  बाद लोक निर्माण के  अधिकारी होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाने में लगे हैं। लेकिन लिंक सडक़ों पर पानी खड़ा होने के  चलते विभाग को नुकसान का आकलन करने में काफी परेशानी हो रही है। बताया जाता है कि इससे विभाग द्वारा बनाई गई करोड़ों रुपये की सड़कें  पानी की भेंट चढ़ गई।
बरसात के  चलते पंजाब के  कई स्थानों पर बाढ़ आ गई। जिस कारण लोगों व सरकार का काफी नुकसान हुआ है। इस दौरान लोक निर्माण विभाग  द्वारा बनाई गई सडक़ों पर भी असर पड़ा है। इसके  चलते सरकार द्वारा लोक निर्माण विभाग के  अधिकारियों को खराब होने वाली सडक़ों के  बारे में जानकारी जुटाने को आदेश दिया गया है। जानकारों के  मुताबिक बरनाला, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, संगरूञ्र , रोपड़ , मोहाली, मानसा, लुधियाना जिलों में बाढ़ व बरसात के  पानी को लेकर खराब होने वाली सडक़ों का डाटा तैयार करने में अधिकारी जुट गए है। 

बारिश से खेतों को मिली संजीवनी

काफी दिनों से धोखा दे रहा मानसून क्षेत्र पर आखिरकार मेहरबान हो गया है। क्षेत्र में शुरू  हुई रिमझिम बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं वहीं आम लोगों ने भी गर्मी व उमस से काफी राहत महसूस की। गौरतलब है कि मालवा के कई क्षेत्रों में बारिश नहीं हो रही थी। मानसून में बिना बारिश लोगों की परेशानी बढ़ रही थी। बारिश न होने से मानसून का भटकना था। पटियाला, बरनाला, समराला में भारी बारिश से मानसून का दबाव क्षेत्र बदल गया था। अब बठिंडा क्षेत्र में बारिश हुई तो संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में बारिश देखने को मिलेगी। बिना बारिश किसान कुञ्छ ज्यादा ही विचलित थे। बरसात न होने से किसानों की धान की फसल सूख रही थी। भूजल स्तर भी गिरता जा रहा था। किसानों को बिजली के  अलावा डीजल इंजन का इस्तेमाल कर अपनी फसल को पानी मुहैया करवाना पड़ रहा था। इंद्रदेव प्रसन्न हुए और क्षेत्र में बारिश हुई। बारिश से जहां पारा करीब ४० डिग्री रहा था। बारिश न होने से ३० डिग्री तापमान हो गया। तापमान गिरने से बिजली की खपत में भी कमी आई है। बारिश का दौर मंगलवार की सुबह तक जारी रहा। विभिन्न इलाकों में बारिश अलग-अलग गति से हुई। 

Monday, July 12, 2010

जतिंदर शर्मा ने इमानदारी का दिया परिचय

मिशाल---इमानदारी अभी भी जिंदा हैः रेलवे जक्शन बठिंडा में ड्राइवर के तौर पर कायर्रत जतिंदर शर्मा ने इमानदारी के परिचय देते हुए एक व्यक्ति के उपयोगी दस्तावेज व २१ हजार रुपये के करीब ड्राफ्ट वापिस किए। उक्त सामान उन्हें रेलवे स्टेशन बठिंडा में गिरा मिला था। इन दस्तावेजों में लिखे फोन नंबर पर संपर्क साधकर उन्हें सूचित किया व गुम दस्तावेज वापिस किए। जतिंदर शर्मा डेरा सच्चा सौदा सिरसा के श्रद्धालु और ग्रीन बिग्रेड के सक्रिय सदस्य भी है। 

अबैकस से बढ़ेगी बच्चों में समझने की क्षमता

-रामां मंडी में शार्प ब्रेनस सेंटर की शुरूञ्आत हुई 
रामां मंडी(बठिंडा)। बच्चों के दिमाग को तेज व तीव्र विकसित करने के लिए अबैकस शिक्षा पद्धति प्रदान कर रही चैलेंजर्स अबेकस एजुकेशन चंडीगढ़ ने रामां मंडी की एसएसडी धर्मशाला में एक समागम आयोजित कर शार्प ब्रेनस सेंटर का शुभारंभ किया। समागम के  मुख्य मेहमान स्टार प्लस कानवेंट स्कूल  चेयरमैन श्री विजय लहरी थे।
चैलेंजर्स ग्रुप  संजीव कुञ्मार ने इस मौ पर बताया कि अबैकस एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है जिससे एक छोटा सा बच्चा पल भर में इतनी बड़ी बड़ी गणनाएं कर लेता है जो बड़े बड़े व्यक्ति कैलकुलेटर के माध्यम से भी नहीं कर सकते। इस शिक्षा प्रणाली का दूसरी कक्षा से लेकर नौंवी कक्षा तक के विद्यार्थी लाभ उठा सकते है। इस पद्धति से न केवल बच्चे का दिमाग विकसित होता है बल्कि सोचने-समझने व सही लिखने की क्षमता का विकास भी होता है। 
शार्प ब्रेनस के डायरेक्टर रंजीव गोयल ने अब रामां मंडी व आस पास के क्षेत्र के बच्चों को अबैकस शिक्षा के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बच्चे स्थानीय शहर में ही मेंटल मैथ से जोड, घटाव, गुणा व विभाजन आदि के र्फामूले आसानी से सीख सकेंगे। 
समागम के दौरान रामपुरा फूल से आए विद्यार्थी दिवांश गर्ग, खुशी गर्ग, पीयषू गोयल, मुस्कान गर्ग एवं भुच्चो मंडी से ईशिता गर्ग, विपुल गर्ग, अंकिता गर्ग, ध्रुव सिंगला, अनुपम मित्तल व दीपांशू मित्तल ने लाइव डेमो के दौरान बड़ी बड़ी केल्कुलेशनों को सैंकडों में हल कर सभी लोगों को अचंभित कर दिया। मुख्य मेहमान श्री विजय लहरी ने सभी बच्चों को पुरस्कार भेंट कर सम्मानित भी किया। इस मौके अन्य के अतिरिक्त समाज सेवी सुरेश कांसल, एडवोकेट सुवेग गर्ग, कमल बांसल, तरुण कुञ्मार, जवहार लाल, जगननाथ सिंगला आदि भी मौजूद थे। 



वन विभाग सुस्त, वन माफिया हुआ चुस्त

-रातों रात काट दिए जाते हैं कीमती पेड़, नहीं कसा जा रहा शिकंजा
बठिंडा। एक तरफ जहां नन्हीं छांव मुहिम के  अंतर्गत सांसद हरसिमरत कौर बादल पौधों को प्रसाद के  रूञ्प में वितरित कर चारों ओर हरियाली लाने की सपने देते जा रही हैं। वहीं वन मंत्री तीक्ष्ण सूद ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाए जाने की बात कहते हैं। वर्तमान में बरसात के सीजन में राज्य भर में लाखों पौधे लगाने के लिए अभियान छेड़ने का दावा किया जा रहा है पर वृक्षों की अंधाधुंध कटाई जारी है। रात को चोरी हो रहे कीमती पेड़ उक्त  मुहिमों पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है। वन माफिया लगातार वृक्ष काटने में लगा है, और वन विभाग आंखें बंद कर बैठा है। इससे पर्यावरण को तो नुकसान हो ही रहा है वही पहले से कम हो रहे रकबे का प्रतिशत भी घटता जा रहा है। वन विभाग ने कुछ समय पहले सभी आरा संचालकों की बैठक कर उनके लाइसेंस बनाने का अभियान शुरू किया था व इसमें कई आरा संचालकों को चेतावनी भी दी गई थी कि वह इस तरह की तस्करी करने वालों को संरक्षम प्रदान करने से बाज आए, लेकिन इसके बावजूद इस धंधे को बेलगाम संरक्षण मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि वन माफिया द्वारा लगातार कटाई जारी है। जबकि संबंधित विभाग मूक दर्शक बन कर सब कुछ देख रहा है। कई स्थानों पर तो वाइल्ड लाइफ द्वारा लगाई गई कंटीली तार भी चुरा ली गई है। बठिंडा के  आस-पास पड़ते गांव बीडबहिमण, बीड़तलाब, भुच्चों कलां, भूस मंडी, गोनियाना रोड  के  आसपास वन विभाग की जमीन पूरी तरह से माफियां के शिकंजे में है, जिसमें रातो रात दर्जनों पेड़ काटकर बेच दिए जाते हैं व इसकी कानों का किसी को खबर तक नहीं हो पाती है। कई मामले तो ऐसे हैं जिसमें पहले बने खेतों में प्लांट काटने के बाद रास्ता देने के लिए वन विभाग की जमीन से सैकड़ों पेड काटकर बेच दिए गए है। विभाग ने कई व्यक्तियों पर लकड़ी काटने के जुर्म में मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया था लेकिन यहां वृक्षों को चुराने वालों को नहीं रोका जा सका है। गांव निवासियों का कहना है कि नन्हीं छांव मुहिम तभी साकार होगी जब विभाग के  अधिकारी अपनी जिम्मेवारी समझेंगे। 

स्कूल के इर्दगिर्द घूमने वालों पर कसा जाएगा शिकंजा

 -शिक्षा संस्थानों के बाहर खडे़ होकर करते है लड़कियों से छेड़खानी
-पुलिस विशेष अभियाम शुरू कर गुंडा तत्वों पर लगाम कसेगी   
बठिंडा। महानगर के मध्य ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाने के साथ स्कूली छात्राओं से छेड़खानी करने वाले गुंडा तत्वों व वाहन चालकों की अब खैर नहीं है, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस ने अब शहर के  स्कूलों के  इर्दगिर्द छुट्टी के  समय गलत इरादे से घूमने वाले वाहन चालकों पर शिकंजा कसने का फैसला लिया है। जानकारी अनुसार महानगर में इन दिनों स्कूलों व कालेजों के इलावा विभिन्न चौकों में आवारगर्दी करने वाले नौजवानों का ताता लगा रहता है। इसमें शिक्षा संस्थान लगने के साथ छुट्टी के समय लड़कियों को छेड़ने व उनपर अभद्र कमेंट कसने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस बाबत अभिभावकों की तरफ से पुलिस के पास निरंतर शिकायते आ रही थी। ट्रैफिक पुलिस के लिए उक्त आवारा युवक इस मायने में भी सिरदर्दी खड़ी कर रहे है कि इसमें ज्यादातर बिना नंबर वाले वाहनों, साइलेंसर खोल कर ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले मोटरसाइकिलों के अलावा बेहद तेज गति से चलने का काम किया जाता है जिससे ध्वनी प्रदूषण के साथ हादसों की संभावना बनी रहती है। इससे पहले इंटी गुंडा स्टाफ के मार्फत पुलिस इस तरह के तत्वों पर शिकंजा कसने का काम कर रही थी लेकिन कुछ समय से उक्त अभियान रुका पड़ा है जिससे असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। फिलहाल पुलिस ने आने वाले दिनों में इस अभियान को जारी रखने का फैसला लिया है। इसमें अचानक नाके  लगा कर वाहनों की जांच भी की जाएगी ताकि आम आदमी के  लिए परेशानी बने हुड़दंगबाजों पर शिकंजा कसा जा सके । पुलिस इसमें शहर वासियों से भी सहयोग लेगी। फिलहाल पुलिस की इस मुहिम से आम लोगों को राहत मिलने के साथ ट्रैफिक व्यवस्था में परेशानी दूर करने में सहयोग मिलेगा।  

केंद्रीय जेल में कैदी की मौत

-जेल प्रबंधन की लापरवाही से हुई विक्की की मौत- परिजन
बठिंडा। बठिंडा की केंद्रीय जेल में एक कैदी की मौत हो गई। पुलिस ने कार्रवाई के बाद शव को परिजनों के हवाले कर दिया है। मृतक कैदी के परिजनों ने जेल में विक्की की मौत का जिम्मेवार जेल प्रबंधन की लापरवाही है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। जानकारी अनुसार  विक्रमजीत विक्की अमृतसरिया निवासी प्रताप नगर एनडीपीएस एक्ट केस के तहत बठिंडा की जेल में बंद था। जिसे जेल में आए हुए कुछ दिन ही हुए थे की सोमवार को जेल में मौत हो गई। विक्रमजीत सिंह के परिजनों का आरोप है कि विक्रमजीत की मौत जेल प्रबंधन की लापरवाही से हुई है। उनका कहना था कि विक्रमजीत को एलर्जी की समस्या था। जिसके चलते उसकी दवा चल रही थी। जो विक्रञ्मजीत सिंह अक्सर खाना खाने से लेता था। गत दिवस वह दवा देने के लिये जेल में गये थे लेकिन जेल अधिकारियों ने उन्हें दवा देने से इंकार कर दिया। जिसके चलते विक्रमजीत की हालत खराब होने पर उसकी मौत हो गई। उधर विक्रमजीत की मौत के मामले में जांच के लिये तीन डाक्टरों का पैनल गठित किया गया। जिसमें  डा. केके, डा. गुरमीत व डा. चावला को शामिल किया गया है। जो शव का पोस्टमार्टम करेंगे। डीसी गुरकृतकृपाल सिंह ने इसके इलावा मामले की जांच एसडीएम केपीएस माही को सौंपी है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है।

बेशकीमती गाड़ियां व प्रेस लेबल

शहर में बहुसंख्या में घूम रही हैं बेशकीमती गाड़ियां, जिन पर लिखा है प्रेस। हैरत की बात तो यह है कि संवाददाता वर्ग खुद भी असमंजस में है कि आखिर इतनी बेशकीमती गाड़ियां आखिर किस मीडिया ग्रुप की हैं। शीशों पर आल इंडिया परमिट की तरह प्रेस का लेबल चस्पाकर घूमने वाली गाड़ियां, मीडिया में काम करने वालों के लिए कई सालों से अनसुलझी पहेली की तरह हैं। जी हां, शहर में घूम रही हैं ऐसी दर्जनों बेशकीमती गाड़ियां, जिन पर लिखा है प्रेस, और कोई नहीं जानता प्रेस का लेबल लगा घूम रही इन बेशकीमती गाड़ियों के काले शीशों के उस पार आखिर है कौन। यह कौन पिछले कई सालों से मीडिया कर्मियों के लिए गणित का सवाल बन चुका है।

सूत्र बताते हैं कि मीडिया जगत तो इस लिए स्तम्ब है, क्योंकि मीडिया कर्मी अच्छी तरह जानते हैं, बठिंडा के इक्का दुक्का मीडियाकर्मियों को छोड़कर बठिंडा के किसी भी मीडिया कर्मी के पास ऐसे वाहन नहीं, जिनकी कीमत सात आठ लाख के आंकड़ों को पार करती हो। इस तरह कुछ अज्ञात लोगों का प्रेस लेवल लगाकर घूमना, शहर वासियों के लिए भी किसी मुसीबत का कारण बन सकता है, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस कर्मी गाड़ी पर प्रेस लिखा देकर वाहन को बेलगाम घूमने की आजादी दे देते हैं। डर कहीं यही आजादी, किसी दिन मुसीबत न बन जाए। याद रहे कि काफी महीने पहले दिल्ली के समीप पुलिस ने एक आतंकवादियों को जानकारी मुहैया करवाने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया था, जो खुद को संवाददाता बताकर शहर में संवेदनशील इलाकों में बड़े आराम से आ जा सकता है।

अगर ऐसा दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में हो सकता है तो बठिंडे जैसे महानगर में क्यों नहीं, क्या हम सांप निकलने के बाद लकीर को पीटने की आदत त्याग के लिए तैयार नहीं। क्या हम उठते हुए धूएं को देखकर कुछ नहीं करना चाहते, जब तक वो भयानक आग में न तब्दील हो जाए। पिछले दिनों स्थानीय एक मल्टीप्लेक्स में पहुंचे फिल्म अभिनेता जिम्मी शेरगिल ने कहा था कि पायरेसी से एकत्र होने वाला पैसा आतंकवाद को जाता है, क्या प्रेस का लेबल रेवड़ियों की तरह बांटना किसी पायरेसी से कम है। क्या पता कोई प्रेस का लेबल लगाकर काले शीशों के पीछे कुछ काले कारनामों की संरचना कर रहा हो। काला धन हमेशा काले कारोबार में इस्तेमाल होता है, और काले धन ही किसी भी देश के विनाश के लिए कारण बनता है। 

आज से कुछ साल पहले तत्कालीन डीआईजी ने प्रेस वालों से उनके वाहनों के नम्बर मांगे थे। मीडिया कर्मियों ने बड़े उत्साह के साथ अपने वाहनों के नम्बर उक्त विभाग को लिखकर भेजे थे, शायद तब भी मीडिया कर्मी इस समस्या को लेकर चिंतित थे। लेकिन वो योजना पूरी तरह लागू न हो सकी, कुछ मीडिया कर्मियों की बजाय से। मीडिया कर्मियों की ओर से भेजी गई सूचियों को देखने के बाद यकीनन तत्कालीन शीर्ष पदस्थ पुलिस अधिकारी हैरत में एक बार तो जरूर पड़ा होगा, यह देखकर कि जो सूची आई है, उस में ज्यादातर वाहन दो पहिया है, और उनकी गाड़ी के आगे से गुजरने वाली गाड़ियां तो बेशकीमती होती हैं, जिन पर लिखा होता है प्रेस।

इसमें भी कोई दो राय नहीं, मीडिया में काम करने वाले कुछ लोगों ने अपने रिश्तेदारों को भी प्रेस लिखवाकर घूमने का परमिट दे रखा है। कुछ ऐसे ही मीडिया कर्मी मीडिया के बुद्धजीवियों के लिए समस्या बने हुए हैं। भले ही उनकी मात्रा मीडिया कम है, लेकिन मीडिया का अक्स बिगाड़ने में वो काफी कारगार सिद्ध हो रहे हैं। मैं नितिन सिंगला, साथी कुलवंत हैप्पी के साथ गुडईवनिंग पंजाब का सच बठिंडा।

Saturday, July 10, 2010

गुटबाजी के बीच बटी भाजपा को चाहिए तारनहार

बठिंडा। भारतीय जनता पार्टी के अंदर की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है, फिलहाल इसमें जिला बठिंडा की इकाई भी इससे अछूती नहीं रही है। आपसी गुटबाजी और दल में विभाजित भाजपा के नेता अपने हितों को साधने के लिए एक दूसरे पर आरोप जड़ने में लगे हैं। भाजपा की लडा़ई की स्थिति यह है कि एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए वह मीडिया का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। इस हालत से भी भयावह स्थति यह है कि  वर्तमान में  भाजपा के सदस्यों व पदाधिकारियों में आपसी तालमेल ही नहीं है, इसका ताजा उदाहरण वर्तमान में भाजपा की तरफ से घोषित ट्रेडिग सेल के पदाधिकारियों के बारे में स्थानीय नेताओं की किसी तरह की जानकारी न होना है। एक तरफ इस सेल का प्रदेश संयोजक मोहनलाल गर्ग को बनाया गया है लेकिन स्थानीय नेता इस तरह के सेल का गठन होने से ही इंकार कर रहे हैं। जबकि मोहन लाल को २३ जून को इस सेल का प्रदेश संयोजक बनाया था जिसकी बकायदा घोषणा जालंधर में आयोजित भाजपा बैठक में की गई थी। 
इस बाबत गुटबाजी का आलम यह है कि जिला भाजपा में सक्रिय चार गुटों में जिला शहरी प्रधान श्यामलाल बांसल को पदमुक्त करना व बचाना है। इसी रणनीति के तहत सभी गुट अपना प्रधान बनाने के लिए जहां पार्टी की तरफ से उच्च स्तर पर लिए फैसलों को मानने से इंकार कर रहे हैं वही हाईकमान के पास एक दूसरे की शिकायते सरेआम करने में लगे हैं। गौरतलब है कि एक साल पहले पूर्व भाजपा शहरी प्रधान नरिंदर मित्तल को हाईकमान के खिलाफ मोर्चा खोलने पर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इसके बाद शहर में धन संपदा से संपन्न प्रधान के तौर पर श्यामलाल बांसल को चुना गया। वर्तमान में भाजपा के अंदर बांसल की कारगुजारी को लेकर असंतोष तीन गुट जता रहे हैं जबकि बांसल का समथर्न करने वाला एक गुट उनके बचाव में चल रहा है। अब जो गुट उन्हें हटाने की बात करता है उसके खिलाफ प्रधान गुट अपनी मुहिम शुरू कर देता है। इसमें देखा जाए तो वतर्मान में नगर निगम में डिप्टी मेयर तरसेम गोयल, भाजपा के पुराने नेता परमिंदर गोयल, नगर सुधार ट्रस्ट के पू्र्व चेयरमैन मोहन लाल गर्ग, नगर सुधार ट्रस्ट के वतर्मान चेयरमैन अशोक भारती जैसे नेता अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास कर रहे हैं।
 इन लोगों के पास एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए बेतुके तर्क भी बहुत है। मसलन एक हारा एमसी ट्रस्ट का चेयरमैन कैसे बना दिया, एक हारा एमसी ट्रेड विंग का संयोजक कैसे बनाया आदि। इसके साथ ही कुछ भाजपा नेता इस तरह के भी है जिन्हे नई जिला इकाई में स्थान नहीं दिया तो उन्होंने बगावती तेवर दिखाने के लिए प्रधान विरोधी गुटों को संरक्षण देने के साथ उन्हें भड़काने का काम शुरू कर रखा है। फिलहाल इस तरह की स्थित से गुजर रही भाजपा अपनी नैया कैसे पार लगाएगी समझ से परे है। भाजपा में हालात यह है कि केंद्रीय समिति की तरफ से मंहगाई के खिलाफ बंद सफल बनाने के आदेश को भी स्थानीय कुछ नेताओं ने मानने से इंकार कर दिया और बंद वाले दिन घरों में दुबक कर बैठे रहे। एक तरफ भाजपा के नेता गुटबाजी की किसी संभावना से इंकार कर रहे हैं वही अप्रत्यक्ष तौर पर कुछ लोग मीडिया में खबरे उछालने के लिए ऐडी़ चोटी का जोर लगाते हैं। 
इसमें दूसरे को कैसे नीचा दिखाना है यह कला इन नेताओं को भलीभांती आती है। फिलहाल मैं तो इन भाजपा नेताओं को एक ही सलाह दूंगा कि अगर मन की कसक निकालनी है तो खुले मैदान में आ जाओं,  आपने पहले भी तो हाईकमान पर भ्रष्ट्रचार के आरोप लगाने के लिए मान्नीय नरिंदर मित्तल को बली का बकरा बनाया है, बेचारों को भाजपा से बाहर निकलवाने के बाद कभी उनका हाल तक पूंछने नहीं गए अब जब आप के साथ  भेदभाव हो रहा है तो परदे के पीछे छिपकर तीर चला रहे हो? वीर हो तो नरिंदर मित्तल बन जाओं और मन की भडा़स जमकर निकाल लो। कम से कम इस तरह की घुटन से तो छुटकारा मिलेगा। ऐसा नहीं कर सकते तो पहले ही हासिये पर पहुंच चुकी भाजपा का कुछ ख्याल कर उसे मजबूत करने की तरफ ध्यान दो। हाईकमान भी इस हालात में पहुंच चुकी जिला इकाई को कोई तारनहार दे दे ताकि नेतृत्व वहीन भाजपा में नई जान डाली जा सके। 
-हरिदत्त जोशी    

घर में सेंधमारी कर सोने के गहने व नकदी चोरी की

बठिंडाः गत दिवस को कुछ अज्ञात चोरों ने बठिंडा जिले के गांव सिवियां में स्थित एक घर में सेंधमारी कर घर से सोने के गहने व कुछ नगदी चोरी कर ली है। पुलिस ने घर के मालिक के बयानों के आधार पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धारा 457, 380 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। जानकारी अनुसार थाना नहियांवाला पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में सुखवीर सिंह ने बताया कि 8 व 9 जुलाई की रात्रि कोई अज्ञात व्यक्ति उनके घर में घुसकर सोने केगहने व नकदी चुरा ले गया। पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

जान से मारने की कोशिश, आठ नामजद
बठिंडाः तलवंडी साबो पुलिस ने पुरानी रंजिश के चलते आरोपियों द्वारा शिकायतकर्ता पर फायरिंग कर उसे धमकाने के मामले में आठ आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने सभी व्यक्तिञ्यों पर मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरु कर दी है, लेकिन पुलिस ने अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की है। जानकारी अनुसार तलवंडी साबो पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में सेवा सिंह ने बताया कि आरोपियों ने उसे चारों ओर से घेर लिया। वह खेत में पानी लगाने की तैयारी में था। इस दौरान आरोपियों ने हवाई फायरिंग कर उसे धमकियां दी। पुलिस ने सभी आरोपियो पर मामला दर्ज कर लिया है।



सरकारी बंदूक से किए हवाई फायर
बठिंडाः नथाना केगांव गंगा में स्टेट बैंक आफ पटियाला में तैनात वाचमैन कम चपरासी ने बैंक की सरकारी बंदूक से दो हवाई फायर किये, फरार हो गया। पुलिस ने बैंक के एजीएम के बयानों के आधार पर आरोपी केखिलाफ केस दर्ज कर लिया है। नथाना पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में स्टेट बैंक आफ पटियाला के सहायक जनरल मैनेजर ने बताया कि जसवंत सिंह वाचमैन कम पीयुन बैंक की नथाना ब्रांच में तैनात है, ने गत दिवस गांव गंगा में बैंक की बंदूक से दो हवाई फायर किये गये, जिससे गांव के लोगों में दहशत का माहौल पैदा हो गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 336, 25,54,59ए असला एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।


महिला के गले से उड़ाई चेन 
बठिंडाः शहर में लूटपाट करने वाले गिरोह ने अपना आंतक जारी रखते हुए विगत दिवस को स्थानीय बिरला मिल कालोनी में एक मोटरसाइकिल पर सवार अज्ञात युवकों ने अपने घर के आगे झाडू़ लगा रही एक महिला के गले से सोने की चैन झपट कर घटनास्थल से फरार हो गये। कोतवाली पुलिस ने महिला के बयान के आधार अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 356,34 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। जानकारी अनुसार कोतवाली पुलिस को दर्ज करवाई शिकायत में गुरसेवक सिंह ने बताया कि भ् जुलाई को सुबह साढ़े छह बजे उसकी पत्नी अपने मकान के गेट के आगे झाड़ू लगा रही थी। इस दौरान एक मोटरसाइकिल पर सवार दो युवक आकर रुके, उसकी पत्नी के गले में पहनी सोने की चैन झपट कर ले गये। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

आज सफल है, मंथली गुरूमंत्र

सुबह सुबह आम आदमी एनपी अपने दूध वाले पर रौब झाड़ते हुए कहता है कि आजकल दूध काफी पतला आ रहा है और कुछ मिले होने का भी शक है। एनपी की बात को ठेंगा दिखाते हुए दूध वाला कहता है, आपको दूध लेना है तो लो, वरना किसी ओर से लगवा लो, दूध तो ऐसा ही मिलेगा। एनपी सिंह कहां कम था उसने दूध वाले के पैर निकाले के लिए कहा, तुमको पता नहीं, मैं सेहत विभाग में हूँ, तेरे दूध का सैंपल भरवा दूंगा। सेर को सवा सेर मिल गया, दूध वाला बोला...तेरे सेहत विभाग को हर महीने पैसे भेजता हूँ, मंथली देते हूँ, किसकी हिम्मत है, जो मेरे दूध का सैंपल भरे। दूध वाले के पैरों तले से तो जमीं नहीं सरकी, लेकिन एनपी के होश छू मंत्र हो गए। आज मंथली का जमाना है, आज के युग में सही काम करने वाले को भी मंथली भेजनी पड़ती है। मंथली लेने में सेहत विभाग ही नहीं, अन्य विभाग भी कम नहीं। जैसे मोबाइल के बिन आज व्यक्ति खुद को अधूरा समझता है, वैसे ही ज्यादातर सरकारी उच्च पदों पर बैठे अधिकारी खुद को मंथली बिना अधूरा सा महूसस करते हैं। बुरा काम करने वाले तो मंथली देते ही हैं, लेकिन यहां तो अच्छा उत्पाद बनाने वालों को भी मंथली देनी पड़ती है। शहर के एक व्यस्त बाजार में बेहद प्रसिद्ध मिठाई की दुकान के मालिक को केवल इस लिए मंथली देनी पड़ती है, क्योंकि वो सरकारी पचड़े में पड़ना नहीं चाहता, जबकि उसके उत्पाद अच्छे है, सर्वोत्तम हैं। मगर वो एक बात अच्छी तरह जानता है कि अगर पैसा घटिया माल को अच्छा साबित कर सकता है तो कोई भी सरकारी अधिकारी अच्छे माल को बुरा साबित कर सकता है। शहर में जाली रजिस्ट्रियों के तमाम मामले आए दिन सुर्खियों में आते हैं, वो भी तो मंथलियों के नतीजे हैं, वरना किसी की रजिस्ट्री किसी ओर के नाम कैसे चढ़ सकती है। गलती एक बार होती है, बार बार नहीं, मगर मंथली एक ऐसा गुरमंत्र है, जो गलत वस्तु को सही सिद्ध कर देगा, जिसकी लाठी उसकी भैंस साबित कर देगा। मंथली की मोह जाल से तो पत्रकारिता जगत के लोग भी अछूते नहीं, सुनने में तो यहां तक आया है कि सेहत विभाग से लेकर तहसील तक से पत्रकारिता की दुनिया के कुछ लोगों को मंथली आती है, शायद बुराई पर पर्दा डाले रखने के लिए। पैसे की दौड़ ने मानव को किसी भट्ठी में झोंक दिया, वो आज खुद भी नहीं समझ पा रहा, आखिर उनकी दौड़ कहां तक है? जबकि वो भली भांति जानता है कि अंतिम समय मिलने वाले कफन के जेब भी नहीं होती। जब एक आम आदमी ने कारोबारी रूप में मोटरसाईकल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाले वर्ग के एक व्यक्ति से पूछा कि तुम्हारे वाहनों की हालत इतनी खास्ता होने के बावजूद भी क्या ट्रैफिक पुलिस तुम्हारा चालान नहीं भरती, तो वो बड़े खुशनुमा मिजाज में कहता है, आप से क्या चोरी, एसोसिएशन हर महीने तीस साल रुपए का माथा टेकती है, तब जाकर हरी झंडी मिलती है सड़कों पर। ज्यादातर सरकारी विभागों का आलम तो ऐसा है कि पैसा फेंको...मैं कुछ भी करूंगा। एक किस्सा याद आ रहा है, जो पासपोर्ट विभाग से जुड़ा हुआ है। पासपोर्ट बनाने के लिए कॉमन मैन कतार में खड़ा अपनी बारी का इंतजार कर रहा था, एजेंट आते थे, और काम करवा कर चले जाते थे, लेकिन वो बाहर कतार में खड़ा इंतजार करता रहा। जब उसकी बारी आई तो उसने अपने कागजात मैडम के आगे किए, मैडम ने कागजातों को टोटलने के बाद कहा..बच्चे का पता पहचान पत्र कहां है, कॉमन मैन कहता है, मैं उसका पिता हूँ, मेरा पता ही तो उसका पता है। लेकिन हम कैसे मानें कि यह तुम्हारा सही पता है। तो कॉमन मैन कहता है कि मेरा पता इस विभाग की ओर से पहले चैक किया गया है, और पासपोर्ट भी यहां से ही जारी हुआ है। मगर वो मैडम एक बात पर ही अटकी रही, बच्चे का पता पहचान पत्र लेकर आओ। कॉमन मैन चिंता में डूब वहां से उलटे कदम निकल लिया, यह सोचते हुए आखिर कौन सा पता। सरकारी दफ्तरों में एजेंटों की घुसपैठ भी तो मंथली के गुरुमंत्र की ताजा मिसाल है। मंथली के गुरुमंत्र ने आम आदमी के हितों को पैरों तले कुचलकर रख दिया।

कुलवंत हैप्पी
76967-13601  

गर्मी से एक की मौत, दो बीमार

बठिंडा : बारिश न होने के कारण शहर में तापमान कम होने का नाम नहीं ले रहा। इस गर्मी के कारण गत रात्रि एक व्यक्ति की गर्मी लगने से मौत हो गई जबकि एक बच्ची समेत दो बीमार लोगों को सहारा जन सेवा ने अस्पताल में भर्ती करवाया। मिली जानकारी के अनुसार गत रात्रि उक्त संस्था को सूचना मिली कि स्थानीय रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर एक पर एक वृद्ध गंभीर हालत में पड़ा हुआ है। सूचित मिलते ही संस्था ने उस वृद्ध को स्थानीय सिविल अस्पताल के संकटकालीन वार्ड में दाखिल करवाया, लेकिन उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। संस्था सूत्रों ने बताया कि एक पांच वर्षीय बच्ची गीता को सूचना मिलने पर इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां उसका इलाज चल रहा है, और उसकी तबीयत में सुधार हो रहा है। उन्होंने बताया कि उक्त बच्ची गर्मी लगने के कारण बुरी तरह बीमार हो गई थी, लेकिन उसकी मां के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपनी बच्ची का इलाज करवा सके। किसी ने उसकी स्थिति के बारे में संस्था को सूचित किया। जिसके बाद उसको इलाज हेतु अस्पताल में दाखिल करवाया गया। इसके अलावा स्थानीय नहर के समीप एक युवक के बेहोश अवस्था में पड़े होने की सूचना संस्था को मिली। संस्था के कार्यकर्ता घटनास्थल पर पहुंचे, और बेहोशी की हालत में पड़े युवक को उठाकर स्थानीय सिविल अस्पताल में ले आए। अब उसकी स्थिति आगे से बेहतर है, जिसकी शिनाख्त अनिल कुमार पुत्र महादेव निवासी थर्मल कालोनी हुई है।

जनसंख्या दिवस पर आयोजित किया सेमिनार

बठिंडा : स्थानीय टीचर्स होम में सेहत व परिवार भलाई विभाग की ओर से आज विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। इस मौके पर शहर की प्रमुख संस्थाओं के अलावा शहर के प्रमुख डॉक्टरों व अन्य लोगों विशेष तौर पर न्यौता दिया गया। इस सेमिनार में मुख्यातिथि के तौर पर सिविल सर्जन डा.इंद्र दयाल गोयल पहुंचे। सेमिनार को संबोधित करते हुए डा. जगजीत सिंह ने कहा कि अगर जनसंख्या पॉलिसी को पूरी तरह से लागू कर दिया जाए तो लोगों की जरूरतें पूरी होने के साथ साथ जनसंख्या पर भी काबू पाया जा सकता है। औरत को बच्चे पैदा करने की मशीन समझने की मानसिकता से ऊपर उठना होगा, नहीं तो बढ़ती जनसंख्या किसी भयानक विस्फोट से कम न होगी। सेमिनार में विभिन्न वक्ताओं ने जनसंख्या से होने वाले विनाशों पर खुलकर प्रकाश डाला। इस मौके पर बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए समाज में जागरूकता फैलाने जैसे मुद्दों को बड़े जोर शोर से उठाया गया। वक्ताओं ने कहा कि निरंतर बढ़ रही जनसंख्या के कारण बेरोजगारी, भुखमारी व लूट मार जैसी समस्याओं में वृद्धि हो रही है, जिसके कारण समाज में अशांति का माहौल बनता जा रहा है। बढ़ती महंगाई को मद्देनजर रखते हुए आज छोटे परिवार सुखी परिवार जैसे विचारों पर चलने वाले लोग ही सुखी जीवन जी सकेंगे। इस दौरान आने वाले लोगों को प्रेरित करने के लिए संदेशवाहक चित्रों की एक प्रदर्शनी लगाई गई। सेहत विभाग की ओर से आयोजित सेमिनार में पुरुषों के मुकाबले युवतियों व महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा थी।
इस मौके अन्य शख्सियतों के अलावा डा. रघुवीर सिंह रंधावा, डा. जगजीत सिंह, डा.राकेश गुप्ता, समाज सेवी श्रीमति राज गुप्ता, नरेंद्र बस्सी, राकेश नरूला, सुनील सिंगला, रमणीक वालिया आदि उपस्थित थे। इस मौके पर महंत गुरबंता दास नर्सिंग कालेज की छात्राओं की ओर से छोटे व बड़े परिवार की तुलना करते हुए एक लघु व्यंग पेश किया गया। इसके साथ ही एएनएम ट्रेनिंग स्कूल बठिंडा की छात्राओं ने जनसंख्या के संबंध में अपने विचार रखे। ज्ञात रहे कि जुलाई 1987 में विश्व की जनसंख्या पांच अरब थी, जो 2009 में पांच अरब 50 करोड़ तक पहुंची और अब 6 अरब 82 करोड़ 53 लाख के आंकड़े को छू रही है।


हेमकुंड दर्शनों के लिए गए दो संगतों की दर्दनाक मौत

-बठिंडा में बाद दोपहर किया गया अंतिम संस्कार 
बठिंडा। तीन दिन पहले हेमकुंड साहिब में दर्शनों के लिए गए बठिंडा के दो श्रद्धालुओं की चमोली के पास हुए हादसे में मौत हो गई। दोनों मृतकों के शवों को आज बठिंडा लाया गया जिनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। जानकारी अनुसार बठिंडा के घुंदे गाँव से एक ही परिवार के तीन व्यक्ति श्री हेमकुंड साहिब के दर्शनों के लिए सात जुलाई को रेलमार्ग से निकले थे। ऋषिकेश में मेयर सिंह पुत्र त्रिलोक सिंह, जसवंत सिंह पुत्र कर्म सिंह व दर्शनसिंह ने हेमकुंड साहिब के लिए नौ जुलाई की सांय बस पकड़ी। इस दौरान जब उक्त लोग चमोली के पास पहुंचे तो मेयर सिंह  को उल्टीयां होने लगी। इस दौरान जसवंत सिंह ने उसे संभालने के लिए बस की खिडक़ी से अपना सिर बाहर निकाला तो एक मोड पर पहाड़ी से दोनों टकरा गए। इसमें मेयर सिंह की मौके पर मौत हो गई जबकि जसवंत सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया। उन्हें स्थानीय चमोली अस्पताल पहुंचाया लेकिन वहां जसवंत को मृत घोषित कर दिया गया। दोनों मृतकों की देह को दर्शन सिंह बठिंडा लेकर आया। मेयर सिंह की आयु ४५ साल केञ् करीब है जबकि घर में पत्नी सहित दो लड़केञ् व एक लड़की है। इसी तरह जसवंत सिंह की आयु ४२ साल के करीब है जबकि उसका १७ साल का एक लड़का है। दोनों मृतक गांव घुंदे में आरएमपी डाक्टर है। दोनों मृतकों को बाद दोपहर अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान गांव के सभी गणमान्य लोग उपस्थित रहे।  

Friday, July 9, 2010

तहसील परिसर में सरेआम खेला जा रहा है कि गुंडागर्दी का खेल

-खबर प्रकाशित होने केञ् बाद प्रतिनिधियों को धमकाने का सिलसिला
-पुलिस मामले में बरत रही है ढिलापन, आरोपी गिरफ्त से बाहर 
बठिंडा। भ्रष्टाचार के दलदल में धसी बठिंडा तहसील परिसर का कोई बालो बारिस नजर नहीं आ रहा है। वर्तमान में तहसील परिसर के अंदर गुंडागर्दी का नंगा नाच सरेआम खेला जा रहा है लेकिन इसे रोकने के लिए किसी तरह का प्रयास नहीं किया जा रहा है। तहसील परिसर में दलाली का धंधा करने वाले कुञ्छ असामाजिक तत्वों की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि गत दिवस उन्होंने तहसील परिसर में भ्रष्टाचार संबंधी सामाचार प्रकाशित होने के बाद वहां बनाए गए पंजाब का सच के अस्थायी उपकार्यालय में तोड़फोड़ की व वहां रखे सामान को चोरी कर लिया। यही नहीं इसमें बैठने वाले प्रतिनिधियों को जान से मारने की धमकी दी गई। इस बाबत तहसील चौकी में मामला दर्ज करवाया गया जिसमें पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए मुहिम चलाने की बात कर रही है लेकिन खबर लिखे जाने तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका था। 
जानकारी अनुसार तहसील परिसर में प्रशासकीय अधिकारियों की मिलीभगत से रजिस्ट्री करवाने के नाम पर गौरखधंधा चल रहा है। इसमें सरकार को लाखों रुपये की चपत लगाई जा रही है जबकि मामले में सब कुछ जानकर भी किसी के खिलाफ कानूनी व विभागीय कार्रवाई नहीं की जा रही है। पंजाब का सच अखबार की तरफ से पिछले दो दिनों से तहसील परिसर में होने वाले घौटाले व भ्रष्टाचार को लेकर सामाचार प्रकाशित किया जा रहा है। इसके बाद परिसर में गौरखधंधा करने वाले लोगों में हड़कंप का माहौल बना हुआ है। तहसील में बिना जांच के नक्शा बनाने वाले कई लोग अपनी सीट से गायब है जबकि तहसीलदार सहित अन्य अधिकारी इस गंभीर मामले में किसी तरह की जुबान खोलने को तैयार नहीं है। तहसील दफ्तर में कुछ लोगों ने लोगों की जेब काटने के लिए बकायदा एक गिरोह का निर्माण कर रखा है। इस गिरोह में शामिल लोग जहां बिना जांच पड़ताल के नक्शा पास करवाते है वही तहसील में पडे़ एक खाली प्लांट के सामने ही सभी रजिस्टरी करवाने वालों की फोटो खीचकर सरकारी दस्तावेज में लगा दिये जाते हैं। उक्त पूरा गौरखधंधा तहसीलदार व नायब तहसीलदार के सामने होता है लेकिन इसमें अभी तक किसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की हिमायत नहीं की गई है। फिलहाल इस गौरखधंधे का खुलासा होने के बाद वहां तैनात कुछ तत्वों ने पंजाब का सच अखबार के अस्थायी दफ्तर को निशाना बनाया व वहां लगे बोर्ड को हटाने के साथ दफ्तर में तोड़फोड़ की गई। वही वहां काम करने वाले प्रतिनिधि को जान से मारने की धमकी दी गई है। इसमें तहसील परिसर केञ् एक दो वकील, नक्शा नवीस व रजिस्टरी लिखने वाला एक व्यक्ति प्रत्यक्ष तौर पर शामिल है। मामले में संबंधित थाना केञ् अधिकारी दावा कर रहे हैं कि दफ्तर में बोर्ड हटाने  व तोड़फोड करने वाले आरोपियों की तलाश के लिए जांच चल रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर मामले में किसी तरह की कानूनी कार्रवाई आज तक नहीं की गई है।        

बठिंडा इकाई ने दिया सुखबीर को अनूठा तोहफा

रक्तदान शिविर में सैंकड़ों ने किया रक्तदान
बठिंडा : स्थानीय बरनाला रोड़ पर स्थित एक पैलेस में आज शिअद की ओर से उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के जन्मदिन पर एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन कर अपने तेज तर्रार युवा नेता को एक अनूठा तोहफा दिया। इस मौके पर शिअद के शीर्ष पदस्थ नेताओं ने अपना रक्तदान कर शिविर का शुभारंभ किया। पैलेस के एसी हाल में, जहां रक्तदान करने लिए कई बिस्तर लगाए गए थे, रक्तदान को लेकर युवाओं से अधेड़ उम्र के व्यक्तियों में गर्मजोशी देखने लायक थी। ज्ञात रहे कि आज बठिंडा के अलावा भी कुछ अन्य जिलों में सुखबीर सिंह बादल को जन्मदिन का अनूठा तोहफा देने के लिए शिअद कार्यकर्ताओं की ओर से रक्तदान शिविरों का आयोजन किया गया है। पार्टी वर्करों की इस पहल से रक्तदान अंदोलन को बहुत बड़ा फायदा पहुंचेगा।
इस शिविर में बाद दोपहर एक बजे तक लगभग 700 वर्करों ने स्वेच्छा से रक्तदान के लिए अपना नाम दर्ज करवाया दिया था। इस मौके पर रक्तदानियों में उत्साह देखने लायक था। रक्त एकत्र करने के लिए सिविल सर्जन डा. इंद्रदयाल गोयल की अगुवाई में पहुंची अलग अलग टीमों ने बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई जबकि जिला रेड क्रास बठिंडा की ओर से रक्तदानियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। इस मौके पर जानकारी देते हुए जिला प्रेस सचिव ओपी शर्मा ने बताया कि बठिंडा के अलावा मानसा व मुक्तसर में भी रक्तदान शिविर आयोजित किए गए। उन्होंने बताया कि रक्तदान शिविर कार्यकर्ताओं ने अपने स्तर पर आयोजित किए हैं, इसके लिए पार्टी हाईकमान की ओर से कोई विशेष हिदायतें नहीं थी।
इस मौके पर जिला प्रधान सिकंदर सिंह मलूका, अमरजीत सिंह सिद्धू, गुरा सिंह तुंगवाली, दर्शन सिंह कोटफत्ता, सरूप सिंगला, जगदीप सिंह नकई, बलजीत सिंह बीड़ बह्मण, तरसेम गोयल आदि ने विशेष तौर से उपस्थित हो रक्तदानी कार्यकर्ताओं का हौसला अफजाई की।

शिअद ने किया रक्तदान संस्थाएं बनाने का एलान 
बठिंडा : रक्तदान की जरूरत को मद्देनजर रखते हुए शिरोमणि अकाली दल की ओर से जिले के हर गांव में संकटकालीन रक्तदानी संस्था की स्थापना की जाए। यह घोषणा आज स्थानीय एक पैलेस में शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के जन्मदिवस पर आयोजित एक रक्तदान शिविर को संबोधित करते हुए शिअद के जिला प्रधान सिकंदर सिंह मलूका ने की।
इस मौके पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल जिला इकाई व यूथ विंग शिअद की ओर से जिले के हर गांव में एक संकटकालीन रक्तदानी संस्था की स्थापना की जाए, जो जरूरतमंद गरीब लोगों को जरूरत पड़ने पर रक्त मुहैया करवाएगी। श्री मलूका ने कहा कि यह फैसला आज के रक्तदान शिविर में पार्टी वर्करों के उत्साह को देखते हुए उनकी सलाह के बाद किया गया है।
इस मौके पर मास्टर हरमंदर सिंह सिद्धू, गुरप्रीत सिंह मलूका, सुखदेव सिंह बाहिया, दलजीत सिंह बराड़, भुपेंद्र सिंह भुल्लर, राजेंद्र कुमार राजू, टेक सिंह खालसा, बलजीत सिंह सरां, राजेंद्र सिंह सिद्धू, मनजीत सिंह, निर्मल सिंह संधू आदि कार्यकर्ता मौजूद थे।

महानगरों में तेजी से फैल रहा है चोर गिरोह का आतंक

-वाहन चोरी करने वाले गिरोह पर पुलसिया शिकंजा भी नहीं दिला सका राहत
-घरों में सेधमारी कर लूट लिया जाता है नगदी व सोना  
बठिंडा। पिछले दो माह में राज्य भर में वाहन चोर गिरोह के ३६ के करीब लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, इसमें बठिंडा जिले में ही १६ के करीब गिरोह  सदस्यों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। इस बावजूद राज्य में प्रतिदिन एक सौ के करीब विभिन्न स्थानों से चोरी हो रहे हैं। चोरों के निशाने पर सार्वजनिक स्थानों के इलावा लोगों के घर होते हैं। आखिर पुलिस की संतर्कता के बावजूद गिरोह लोगों की नाक में दम कर रहा है। इससे यही साबित होता है कि पुलिस या तो फर्जी गिरोह पकड़ रही है या फिर जो लोग पकडे़ जा रहे हैं वह मात्र गिरोह के गुर्गे है व इनके आका अभी भी पीछे से गिरोह का संचालन कर रहे हैं। वर्तमान में चोरी रूपी रावण के जितने सिर पुलिस काटने का दावा कर रही है उसके मुकाबले उतने ही सिर फिर से निकल आते हैं। कुल मिलाकर राज्य में व्यापारियों के साथ आम लोगों की नाक में चोर गिरोह ने दम कर रखा है। इसमें लोग स्वंय को किसी भी स्थान पर सुरक्षित महूसस नहीं कर रहे हैं। 
पुलिस के आला अधिकारियों व राज्य के गृह विभाग को इस गंभीर मसले पर सोचने की जरूरत है। अगर पुलिस रिकार्ड पर ही गौर करे तो राज्य में  जितने भी अपराधिक मामले दर्ज हुए है उसमें चोरी के सर्वाधिक मामले हैं। कोई भी व्यक्ति अपना वाहन लेकर घर से बाहर निकलता है तो उसकी सबसे बड़ी चिंता उसे सुरक्षित स्थान में खड़ा करने की रहती है। कार, जीप, मोटरसाइकिल से लेकर सामान्य साइकिल मालिक के आंख झपकते ही चोरी हो जाती है। देखने वाला देखता रह जाता है। गिरोह के शातीर सदस्य इतने एक्सपर्ट है कि वह पलक झपकते ही किसी भी गाड़ी का ताला खोलने के साथ उसे स्टार्ट कर भागने में कुछ मिनट से भी कम का समय लगाते हैं। यही नहीं वाहनों को पलक झपकते ही शहर की सीमाओं से बाहर धकेल दिया जाता है व कुछ घंटों में ही गाडि़यों के नंबर व रंग तबदील कर गुप्त स्टोरों में भेज दिया जाता है। इसके बाद इन वाहनों को उसका मालिक भी नहीं पहचान सकता है। इसके बाद इन वाहनों को औने पौने दाम में खरीदने वाले लोगों की तलाश शुरू होती है। जिसमें दिल्ली, फरीदाबाद जैसे महानगरों में इनके खरीदार भी मिल जाते हैं।
पंजाब में पिछले दिनों पुलिस ने पांच स्थानों पर वाहन चोरी करने वाले गिरोह को दबोचा। इस गिरोह में शामिल ज्यादातर लोग नौजवान वर्ग से संबंधित थे। उक्त लोग अपने शौक पूरे करने के लिए इस तरह के गिरोह बनाते हैं। इसमें गिरोह का एक सरगना बनाया जाता है जो वाहन चोरी का पूरा हिसाब रखने के साथ इन्हे बेचने के लिए बाजार की तलाश करता है। बाजार में मंहगे वाहनों को ५० प्रतिशत से भी कम मूल्य में बेचकर मिलने वाले पैसे को आपस में बांट लिया जाता है।  गिरोह के सदस्यों के बारे में पुलिस के पास किसी तरह की पुख्ता जानकारी न होने व प्रमुख बाजारों में तैनात सुरक्षा कर्मचारियों के पास इस बाबत किसी तरह का रिकार्ड न होने के कारण उक्त लोग सुगमता से अपनी कारगुजारी को अंजाम देते हैं। 
यही नहीं अगर वाहन चोरी होने वाले व्यक्ति की तरफ से पुलिस थानों में तत्काल रिपोर्ट भी दर्ज करवा दी जाए तो पुलिस एक्शन लेने में ही कई घंटे लगा देती है जिससे चोरी का वाहन आसानी से शहर की सीमा से बाहर निकल जाता है। बाजारों में सरेआम घूमने वाले इन गिरोह के सदस्यों का पहरावा किसी जेंटलमैन से कम नहीं होता है चोरी करने वाली जगह पर ग्रुप में घूमते हैं। इसमें एक व्यक्ति वाहन के मालिक पर पूरी नजर रखता है तो दूसरा वाहन का ताला खोलने का काम करता है। इस दौरान थोड़ा से संदेह होने पर उक्त लोग सुगमता से गायब हो जाते हैं। फिलहाल राज्य में वाहन चोर गिरोह के साथ दुकानों व घरों में सेधमारी कर सामान चोरी करने वाले गिरोह ने भी लोगों को बेचैन कर रखा है। सूने घरों की जानकारी हासिल होते ही गिरोह के सदस्य वहां सेधमारी कर लेते हैं। उक्त लोगों के पास इससे पहले घर में रखे सामान न नगदी की भी पूरी जानकारी पहुंच जाती है। 
इस काम में घर के किसी नजदीकी व जानकार के साथ गिरोह के सदस्य दोस्ती करने के साथ पूरी जानकारी हासिल कर लेते हैं व मौका मिलते ही घर में रखी नगदी, गहने व अन्य कीमती सामान को चोरी कर लिया जाता है। घरों व दुकानों में चोरी की घटनाओं के पीछे अकेला गिरोह काम नहीं करता है बल्कि कई मामले तो ऐसे भी है जो इंश्योरेंस हासिल करने या फिर घर के किसी सदस्य की तरफ से सहयोगी से पैसे एठने के लिए अंजाम तक पहुंचाए गए है। पुलिस के आला अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि नशे की लत पूरी करने के साथ आलीशान गाडि़यों में घूमने व मंहगे शौक पूरा करने की लालसा नौजवानों को आपराधिक घटनाओं की तरफ खीच रही है।

चोर गिरोह ने साफ किया चार स्थानों से हाथ 

बठिंडा। जिले में चोर गिरोह ने अपना आतंक जारी रखते हुए चार स्थानों में हाथ साफ कर दिया। इसमें  घर के बाहर खड़ी एक महिंदरा गाड़ी के साथ एक मोटरसाइकिल चोरी कर लिया गया। इसी तरह खेत में खड़ी मोटरों में से ताबा चोरी करने का मामला भी सामने आया है, इसमें पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। जिले में भगता गांव में एक दुकान की दीवार तोड़कर ही साढे़ तीन लाख रुपये का सामान व नगदी उड़ा दी गई। इन मामलों में पुलिस जांच में जुटी है लेकिन अभी तक किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
जानकारी अनुसार मान पैट्रोल पंप के पास स्थित घुमियारा वाली गली में प्रमोद कुमार ने अपनी महिंदरा पिकअप गाड़ी रात के समय खड़ी की जिसकी कीमत ढांई लाख रुपये के करीब थी। सुबह जब उन्होंने देखा तो गाड़ी घर के बाहर से चोरी हो चुकी थी। होटल बाहिया फोर्ट के पास स्थित माता रानी वाली गली के पास अनील कुमार ने अपना मोटरसाइकिल बजाज-१०० खड़ा किया, कुछ समय बाद उक्त वाहन को कोई चोरी करके ले गया। भगता गांव की निर्मला देवी की कोठा गुरुका रोड पर जरनल स्टोर खोल रखा था। इस दुकान की दीवार को रात के समय चोरों ने तोड़ दिया व दुकान के अंदर रखे एक लाख ५७ हजार रुपये के सामान के साथ गुलक में रखे  एक लाख ८० रुपये की नगदी चोरी कर ली। शुक्रवार की सुबह उक्त लोगों को इस चोरी का पता चला तो उन्होंने पुलिस को सूचित किया।

लाठियों से पीटकर लूटा

बठिंडा। भगताभाईका गांव में रहने वाले जसविंदर सिंह अपने साथियों के साथ जब दुकान की तरफ जा रहा था तो दाना मंडी गांव गिदड़ के पास १६ के करीब लोगों ने लाठियों से लेस होकर जानलेवा हमला कर दिया। लूट की नियत से किए हमले में जसविंदर सिंह के साथ उसके साथी हरजिंदर सिंह व कमलजीत सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। उक्त लोगों को घायल कर दो मोबाइल, एक सोने की चैन छीनकर फरार हो गए। उक्त सामान की कीमत  ३६ हजार ५०० रुपये के करीब है। पुलिस ने शिकायतकर्ता के बयान पर नूरदीप, जसविंदर सिंह, सिकंदर सिंह, अमनदीप सिंह, कुञ्लदीप सिंह, जगतार सिंह, हरवंश सिंह, भिंदर सिंह, हैपी, हरजीत सिंह वीरा व दो अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दायर कर जांच शुरू कर दी है। मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।

मोटरों से ताबा चोरी करने वाले दो गिरफ्तार 

बठिंडा। पुलिस ने ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के खेत में लगी मोटरों से ताबा चोरी कर बेचने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए लोगों के पास से २४ किलो ताबा मौके से बरामद किया गया है। जानकारी अनुसार कोतवाली पुलिस को सूचना मिली थी कि कोठा गुरु वासी  हरप्रीत सिंह व बल्लू सिंह गांव में किसानों की मोटर में लगे ताबा चोरी करने का धंधा कर रहे हैं। इसमें अब तक उक्त लोग सौ के करीब किसानों को निशाना बना चुके थे। पुलिस के एसआई अजैब सिंह ने सूचना के आधार पर  दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर घर में रखे २४ किलोग्राम ताबा बरामद किया है।  

Wednesday, July 7, 2010

तहसील दफ्तर में मचा हडकंप, घपलेबाजों ने बनाई जुडली

-फोटोग्राफर को धमकियां दी जान से मारने को कहा   
-जिला प्रशासन अभी भी सो रहा है कुंभकरणी नींद, घपलेबाजों की पौ बहार 
बठिंडा। पंजाब की तहसील परिसरों में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर पंजाब का सच अखबार की तरफ से सामाचार प्रकाशित करने के बाद घपलेबाजों में हडकंप का माहौल बन गया है। बुधवार को पूरा दिन घपलेबाजों की जुड़ली सामाचार को लेकर अपनी चमड़ी बचाने में जुटे रहे। तहसील में फर्जीवाडा चलाने वाले एक व्यक्ति ने तो यहां तक कह दिया कि जब कैप्टन और बादल को भ्रष्ट्राचार करने से नहीं रोक सके तो हमे क्या रोक लेंगे। इसके बाद अखबार के फोटोग्राफर सतपाल शर्मा को भी तहसील परिसर में एक नक्शा बनाने वाले व्यक्ति ने जान से मारने की धमकी दी व खबर प्रकाशित करने के परिणाम भुगतने की धमकी दी। इस मामले की शिकायत स्थानीय थाना को लिखित तौर पर की गई। फिलहाल बुधवार को तहसील परिसर में पूरा दिन भ्रष्ट्राचार को संरक्षण देने वाले लोग अपने आकाओं के पास जाकर अपनी चमड़ी बचाने की गुहार लगाते रहे। फिलहाल मामले में प्रशासन की तरफ से अभी तक किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।
गौरतलब है कि पंजाब का सच अखबार ने मंगलवार को तहसील परिसर में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को लेकर सामाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसमें कहा गया था कि किसी भी सरकार ने ईमानदारी से इस गौरखधंधे को रोकने का प्रयास नहीं किया है। वतर्मान में हालात यह है कि तहसील दफ्तरों में नीचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इसमें जहां अधिकारी और कर्मचारी अपनी जेबें भरने में लगे हैं वही सरकार को हर साल करोड़ों की चपत लगती है। दो नंबर में होने वाली कमाई का ही नतीजा है कि इस विभाग में एक अर्जी नवीस से लेकर सामान्य क्लर्क  भी लाखों की कमाई कर आलीशान बंगलों के  मालिक बने हुए है। इसमें एक नक्शा बनाने वाला व्यक्ति को ऐसा है जिसने लाइसेंस तो किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर ले रखा है लेकिन काम वह दूसरे से करवा रहा है। इस तरह के एक नहीं कई मामले हैं जिसमें लोगों ने पैसे कमाने के लिए नए-नए धंधे कानून को छीके पर टांगकर शुरू कर रखे हैं।  
तहसील दफ्तर में तो प्राइवेट स्तर पर रजिस्ट्री लिखने वाले ही लाखों में खेलते हैं। इस मामले में भ्रष्टाचार को उच्च अधिकारी से लेकर नीचले स्तर पर राजनेता जमकर प्रोत्साहन देते हैं। यही कारण है कि अगर जिला इकाई में सत्ता पक्ष से जुड़ा कोई भी समारोह हो या फिर सरकारी समागम किया जाए सबसे अधिक बगार (अवैध वसूली के  पैसे से समागम का खर्च) पूरा करने का जिम्मा इसी विभाग पर होता है। तहसील दफ्तर में प्रतिदिन डेढ़ सौ के करीब रजिस्ट्री, इंतकाल और बयाने किए जाते हैं। सामान्य तौर पर जिला प्रशासन की तरफ से हर क्षेत्र में जमीनों की खरीद और बिक्री करने के लिए सरकारी मूल्य निर्धारित कर रखे हैं। दूसरी तरफ जिले में क्षेत्र में मिलने वाली सुविधा के  अनुसार व्यापारी व प्रार्पटी डीलर जमीन को मोटे दाम में बेच देता है। इसमें एक जमीन जो दस से १५ हजार रुपये प्रतिगज बेची गई उसमें स्टाप ड्यूटी व आयकर बचाने के लिए मिलीभगत कर जमीन को मात्र एक हजार रुपये प्रति गज बिका दिखा दिया जाता है।

पुलिस कांस्टेबल को लगी दो गोलियां, मामला संदिग्ध

कांस्टेबल की हालत गंभीर, जांच जारी
बठिंडा। दाना मंडी के पास स्थित पुरानी कोतवाली वाली जगह पर बने माल खाने में ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस मुलाजिम गंभीर हालत में मिला है। उसके शरीर में दो गोलियां लगी हुई है जिससे उसकी हालत काफी गंभीर बनी हुई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरंभिक जांच में जहां मामला आत्महत्या की कोशिश का जान पड़ता है वही पुलिस उस पर किसी तरह के हमले की संभावना से भी इंकार नहीं कर रही है। घायल पुलिस कमर्चारी कोर्ट परिसर में संमन लेकर जाने का काम करता था। फिलहाल पुलिस मामले को लेकर सकते में है और इस बाबत किसी तरह का खुलासा करने से कतरा रही है। अभी तक पुलिस तय नहीं कर पाई कि उक्त  मामला इरादन हत्या का है या आत्महत्या की कोशिश का है। फिलहाल घायल कांस्टेबल अजायब सिंह की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। उधर, सिविल अस्पताल में अजायब सिंह को शुरुआती दौर में संभालने वाले डॉक्टरों का कहना है कि व्यकत्ति की हालत काफी गंभीर है जिससे उसका बचना मुश्किल है, क्योंकि एक गोली उसके सिर पर लगी है। 
जानकारी अनुसार बुधवार सुबह लगभग सात सात बजे के करीब आसपास के लोगों ने सूचना दी कि मालखाने में कांस्टेबल अजायब सिंह निवासी लाल सिंह बस्ती खून से लथपथ पड़ा है। उसके सिर व पेट के पास दो गोलियां लगी है। सहारा जन सेवा केञ् कार्यकर्ताओं ने मौके पर पहुंचकर गंभीर रूप से पडे़ कांस्टेबल को सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया। यहां पर एक घंटे तक प्राथमिक उपचार देने के बाद उसकी स्थिति को देखते हुए उसको आदेश अस्पताल रैफर कर दिया गया है।
इस मामले पुलिस का कहना है कि मामले की फिलहाल जांच की जा रही है और अजायब सिंह की स्थिति सुधरने का इंतजार कर रहे है। उसकी तरफ से किसी तरह का बयान देने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। सूत्रों की माने तो मामला हत्या करने की साजिश का भी हो सकता है, क्योंकि उसके  एक गोली पेट के  समीप लगी है, और दूसरी गोली उसके  सिर में लगी है। सूत्र बताते हैं कि व्यक्ति  खुद को दो बार गोली नहीं मार सकता जबकि पुलिस अभी इस मामले में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। दफ्तर में तैनात अन्य कर्मचारियों का कहना है कि अजायब सिंह सुबह अपनी ड्यूटी पर रोजमर्रा की तरह आया था, लेकिन उसके  बाद क्या हुआ इस बारे में कोई बोलने को तैयार नहीं। 

शायद उलझन में इंद्रदेव

जब वो मल्हार राग में शिव स्तुति गाती है तो इंद्रदेव इतने खुश होते हैं कि पूरे क्षेत्र को जलमग्न कर देते हैं। उसका जन्म गजियाबाद के एक अमीर परिवार में हुआ था और उसका ब्याह भी एक अमीर घर में, लेकिन वो सादगी भरा जीवन जीने में विश्वास करती थी, वो आज जिन्दा है या नहीं पता नहीं, लेकिन जब इंद्रदेव को खुश करना होता तो लोग उसके द्वार जाते थे। कुछ ऐसा ही किस्सा बता रहा था संकट मोचन मंदिर के निकट एक बिजली की दुकान पर एक भद्र पुरुष। आज से पहले तानसेन के बारे में तो सुना था कि वो दीपक राग गाकर दीए जला देते थे, लेकिन उक्त किस्सा पहली दफा सुनने में आया, हो सकता है सच भी हो और काल्पनिक भी। मगर हम इंद्रदेव को मनाने के लिए तरह तरह के ढंग तो अपनाते ही हैं। मुझे याद है जब हम गांव में रहते थे, सावन का महीना बीतते वाला होता, और गांव में एक बूंद पानी तक न टपकता, तब लोग इंद्र देव को खुश करने के लिए डेरा बाबा भगवान दास में पहुंचकर चावलों का यज्ञ करते, और इंद्रदेव खुश हो भी जाता था। इस डेरे का इतिहास भी तो बारिश से जुड़ा हुआ है। एक बार की बात है कि गांव में बारिश नहीं हो रही थी, और लोग इंद्र देव को मनाने के लिए तरह तरह के पैंतरे अजमा रहे थे। इन दिनों गांव के खेतों में एक साधु आया हुआ था, गांवों ने उनसे बिनती बगैरह किया, उन्होंने संतों के कहने अनुसार सब कुछ किया। जब गांव वासी डेरे में पहुंचे तो संत बोले 'तुम लोग छत्रियां क्यों नहीं लेकर आए, लोग चकित रह गए, धूप चढ़ी हुई है, बादलों का नामोनिशान नहीं, संत कहीं पागल तो नहीं हो गया। जैसे यज्ञ खत्म होने के किनारे पहुंचा तो बादल ऐसे बरसे कि गांव वासी संत के चरणों में जा गिरे। यह तो बस एक विश्वास की बात है, अगर विश्वास है तो धन्ने भगत जैसे पत्थरों से भगवान के दीदार कर लेते हैं। पिछले दो दिनों से इंद्रदेव बठिंडा में बरसने के लिए उतावला है, लेकिन न जाने क्या सोच कर खुद को रोके हुए है। हो सकता है कि बठिंडा नगर निगम व नहरी विभाग की खामियों से इंद्रदेव अच्छी तरह अवगत हैं। पिछले हफ्ते इंद्रदेव ने बठिंडा वासियों को खुश करने की छोटी सी कोशिश की थी, लेकिन नतीजा शहर में अधिकतर क्षेत्रों में बारिश का पानी जमा हो गया। लोगों को आने जाने में दिक्कतें पेश आने लगी। इतना ही नहीं, कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में तो बारिश के पानी के कारण रजबाहे टूट गए, किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गई। इंद्रदेव तो पिछले दो दिन से निरंतर बरसने के मूड में है, लेकिन नहरी विभाग व नगर निगम की कार्यगुजारी के चलते इंद्रदेव का बरसना भी लोगों पर भारी पड़ सकता है। वैसे इंद्रदेव ने लोगों को थोड़ी सी राहत देने के लिए हवाओं में नमी भर दी है। पंजाब में अब तक इंद्रदेव जहां जहां अभी तक बरसा है, वहां से फसलों के बर्बाद होने की ख़बर आ रही हैं, चाहे वो पटिआला हो या दोआबे का क्षेत्र। सरकारों व निगमों की कार्यगुजारी के बाद इंद्रदेव को एक कुम्हार की कहानी याद आ रही होगी, या तो बर्तन वाली या फिर फसल वाली। एक कुम्हार के दो बेटियां होती हैं, दोनों की शादी एक ही गांव में हुई होती है, एक बार उन से मिलने के लिए कुम्हार उस गांव जाता है। पहली बेटी से मिलता है जो एक कुम्हार के साथ ही ब्याही होती है, वो खुश है कि उसके बर्तन सूखने वाले हैं, और इंद्रदेव नहीं बरसे। वो यहां अपनी दूसरी बेटी के घर जाता जो एक किसान को ब्याही होती है। वो दुखी है, क्योंकि इंद्रदेव अभी तक बरसा नहीं था। वो अपने पिता से कहती है कि दुआ करो रब्ब से बारिश हो जाए। कुम्हार असमंजस में पड़ जाता है कि आखिर किस को बचा लूं और किसको डुबो दूं। कुछ ऐसी ही स्थिति में शायद इंद्रदेव उलझा हुआ है।

कुलवंत हैप्पी
76967-13601

Tuesday, July 6, 2010

भैसों के साथ वाहन चोरी का भी करने लगे थे धंधा

-पुलिस ने आठ लोगों के साथ वाहन पकडे़, तीन मौके से फरार 
बठिंडा। पिछले कुछ साल से दूध की कीमतों में हो रही बेहताश बढ़ोतरी ने भैसों के दाम में भी उछाल ला दिया। मात्र दस हजार रुपये में मिलने वाले भैस का मूल्य २५ हजार क्या पहुंचा, चोरों ने घरों में सेध मारने की बजाय भैसों को चोरी करना शुरू कर दिया। इसमें भी तसल्ली नहीं हुई तो उक्त लोगों ने वाहनों को चोरी कर बेचने का धंधा भी शुरू कर दिया। पुलिस के अनुसार उक्त लोग पंजाब सहित आसपास के क्षेत्र से कई वाहन चोरी कर आगे बेच चुके हैं।  चोरों ने जिले में एक नहीं बल्कि दर्जनों भैसे व वाहन चोरी कर आगे बेचकर मोटी कमाई की लेकिन हो रही भैसे व वाहन चोरी की घटनाओं ने पुलिस की नाक में दम कर दिया। इसके चलते अब तक सो रही पुलिस ने गिरोह की तलाश शुरू कर दी व गत दिवस इस गिरोह के कई  सदस्यों को धर दबोचा। इन लोगों के पास कई वाहन व हथियार भी बरामद किए गए है। गिरोह का पर्दाफाश करने में नथाना पुलिस ने सफलता हासिल की। नथाना पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है,जबकि तीन सदस्य मौके पर फरार होने में सफल रहे। पुलिस ने गिरोह के ११ सदस्यों पर मामला दर्ज कर फरार तीनों आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार उक्त गिरोह किसी घर में डाका मारने की योजना तैयार कर रहा था। इस गिरोह के सदस्य बठिंडा के अलावा जिले के समीप क्षेत्रों के रहने वाले हैं। पुलिस ने उक्त गिरोह से चार मोटरसाईकिल, एक कार व दो १२ बोर देसी पिस्तौल व छह जिंदा कारतूस बरामद किए है। जानकारी अनुसार नथाना थाना के एसआई हरजीत सिंह ने बताया कि महानगर में पिछले लंबे समय से विभिन्न क्षेत्रों से वाहन चोरी होने की घटनाएं घटित हो रही थी। इन घटनाएं घटित होने से जिला पुलिस काफी समय से इस वाहन चोर गिरोह की तलाश में जुटी हुई थी। जिला पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति पर केस दायर कर कार्रवाई शुरु की हुई थी। पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई में खुलासा हुआ कि कुछ  लोगों ने एक गिरोह बना रखा है जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे  हैं। एसआई हरजीत सिंह ने बताया कि आरोपी रेमश सिंह पुत्र बहादुर सिंह, हरदीप सिंह पुत्र जीत सिंह, गगनदीप सिंह पुत्र बचितर सिंह, सुखेदव सिंह पुत्र हरनाम सिंह, बलजीत सिंह पुत्र मेजर सिंह, बलविंद्र सिंह पुत्र सीता सिंह, तेजू सिंह पुत्र  जंगीर सिंह, जसवंत सिंह पुत्र  ताना सिंह, लक्ष्मण सिंह पुत्र नछतर सिंह, कुलविंद्र सिंह पुत्र रेमश सिंह व सलीम खां पुत्र नवाब खां ने मिलकर एक गिरोह का गठन कर रखा था, जोकि पिछले लंबे समय से महानगर में  वाहन चोरी घटनाओ को अंजाम दे रहा है। पुलिस द्वारा की जा रही जांच पड़ताल में  यह भी पता चला है कि उक्त गिरोह सबसे पहले जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्र से भैसे चोरी करता था और उन्हें आगे बेच देता था, अब तक उक्त गिरोह सैकड़ो भैसें चोरी कर चुके हैं। उन्होने बताया कि भैसे चोरी करते हुए इस गिरोह के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उन्हें ने शहर से वाहन चोरी करना शुरु कर दिये। उन्होने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली की उक्त गिरोह विगत दिवस हथियारों से लेंस होकर किसी घर में डाका मारने की योजना बना रहे थे। पुलिस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर गिरोह के आठ सदस्यों को मौके पर काबू कर लिया, जबकि तीन सदस्य मौके पर फरार होने में सफल रहे। गिरोह सदस्यों से पूछताछ करने पर  एक कार, चार मोटरसाईकिल व दो देसी पिस्तौल व छह जिंदा कारतूस बरामद किए है। नथाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए गिरोह के सभी सदस्यों पर आईपीसी की धारा ३९९,४०२,४११ केञ् तहत मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

राष्ट्रीय स्तर के शिविर में भाग लेंगी सेंट जेवियर की छात्राएं

मन में पूरा विश्वास लेकर चल रही है,  लक्ष्य है अंतिम 16 सदस्यीय टीम में पहुंचना
पूरे पंजाब से तीन लडकियों का हुआ चुनाव,  वो भी बठिंडा की लड़कियां
बठिंडा : शहर का नाम खेल जगत में समय समय पर अलग अलग खेल प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेकर अपनी प्रतिभा लोहा मनवाने वाले खिलाड़ियों ने विश्व स्तर पर रोशन किया है। इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए स्थानीय सेंट जेवियर कान्वेंट स्कूल की तीन छात्राओं ने हैंडबाल के राष्ट्रीय स्तर के कैंप में अपना स्थान बनाया है, जो आज से हरियाणा के जिला सिरसा में शुरू होने जा रहा है। यह कैंप करीबन 42 दिन तक चलेगा, जिसमें देश भर से 25 महिला खिलाड़ी भाग लेंगी, और अपने हुनर का लोहा मनवाते हुए अंतिम 16 में अपनी जगह बनाएंगी। बहरहाल, बठिंडा वासियों व खेल प्रेमियों के लिए दिलचस्प बात तो यह है कि इस शिविर में भाग लेने वाली 25 महिला खिलाड़ियों में से तीन तो केवल बठिंडा स्थित सेंट जेवियर स्कूल की हैं, अगर वो इस शिविर में सफल होती हैं तो वो भारतीय टीम के साथ कैमरून की धरती पर अपने हुनर का लोहा मनवाने पहुंचेगी, जिस से देश का ही नहीं बल्कि राज्य व जिले का भी नाम रोशन होगा।

इस बाबत जानकारी देते हुए कोच दविंद्र पाल सिंह ने बताया कि इससे पहले अनमोल कौर ढिल्लों, अजशनजोत चीमा व नवप्रीत कौर मान सिरसा में 27 मई से 24 जून तक आयोजित किया गया, राष्ट्रीय स्तरीय शिविर में भाग ले चुकी हैं, और आज से सिरसा में शुरू होने वाले एक और शिविर में भाग लेने जा रही हैं, जो 42 दिन तक चलेगा। जिसके बाद कैमरून में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए एक सोलह सदस्यीय टीम चुनी जाएगी। उन्होंने बताया कि इन्होंने शिविर के लिए कड़ी तैयारी की है, और इनको खुद पर पूरा भरोसा है कि अंतिम 16 में वो अपनी जगह बनाकर बठिंडा लौटेंगी।

औरतों के हक से खिलवाड़

एक मजबूत जनतंत्र में महिलाओं के मुद्दे को कितनी आसानी से समुदाय के कर्णधारों के हवाले छोड़ दिया गया। उन्हें आज तक बराबरी का पूर्ण नागरिक अधिकार क्यों नहीं मिल पाया, जिसमें वे अपने मसले संविधान प्रदत्त कानूनों के मातहत निपटाएं। आजादी के 62 साल बाद भी यह स्थिति क्यों बनी हुई है। समुदाय विशेष के धर्मगुरुओं, मौलवियों या कर्णधारों के हाथों उसके सदस्यों के भविष्य का फैसला करने का अधिकार होना चाहिए, यह मांग तो खाप पंचायतों की भी है कि वे अपनी परंपरानुसार कानून का इस्तेमाल कर सकें। ये खाप पंचायतें और समुदाय आधारित संस्थाएं- जो धार्मिक वैधता भी हासिल होने का दावा करती हैं, पहले से ही महिलाओं पर नियंत्रण की ढेरों नीतियां और नियम बनाए हुए हैं। सरकार और प्रशासन के लोग ऐसे मामलों में आसानी से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, यह कह कर कि यह धार्मिक मामला है। हाशिए के सभी लोगों के लिए जिसमें महिलाएं भी हैं, मुक्तिदायी कानूनों की जरूरत है। ये मुक्तिदायी कानून सभी को बराबर का हक दें और समुदायों की मनमानी नहीं चलने पाए। महिलाएं सर्वप्रथम एक व्यक्ति, एक नागरिक हों न कि एक समुदाय या धर्मविशेष की सदस्य। ध्यान देने लायक बात है कि भारत जैसे बहुधर्मीय मुल्क में ही नहीं सऊदी अरब जैसे मुस्लिम बहुल मुल्क में भी मुस्लिम महिलाओं के बीच नई जागृति आने के संकेत मिल रहे हैं। पिछले दिनों खबर आई थी कि किस तरह सऊदी में धार्मिक पुलिस के खिलाफ बढ़ते गुस्से का असर उजागर हो रहा है। पता चला कि एक महिला ने तो एक धार्मिक पुलिस पर गोली चलाई थी।
दरअसल, जबरन लोगों को काबू में रखने की एक सीमा होती है और देर-सवेर इसका प्रतिरोध होता ही है। वह प्रतिरोध कितना सुनियोजित, मजबूत और प्रभावी होगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि लोग कितने संगठित होंगे।

राशन कार्ड न देने से भड़के लोग, डिपो होल्डर के खिलाफ की नारेबाजी

-डिपो होल्डर ने कहा इंस्पेटर के आने के बाद जारी होंगे कार्ड 
बठिंडा। दुग्गल पैलेस के पास स्थित राशन डिपो में अनियमियतताओं को लेकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसमें लोगों ने आरोप लगाया कि डिपो संचालक मनमाने ढंग से काम करता है व लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कुछ समय पहले जिला खुराक विभाग की तरफ से राशन कार्ड जारी किए गए थे। इसमें डिपो होल्डर के पास सैकड़ों कार्ड बकाया पडे़ हैं लेकिन वह इन्हें जारी करने में आनाकानी की जा रही है। डिपो होल्डर करतार सिंह से जब संपर्क किया जाता है तो कहा जाता है कि विभाग के इस्पेक्टर आकर कार्ड वितरित करेगा। इसमें लोगों को प्रतिदिन डिपो में बुला लिया जाता है लेकिन उन्हें हर बार निराशा का सामना करना पड़ रहा है।
ईलाका वासी सूरज ने बताया कि दुग्गल पैलेस के पास स्थित गुरुकुल रोड पर करतार सिंह डिपो होल्डर को नए राशन कार्ड देने के लिए कई बार लोगों ने गुहार लगाई लेकिन इसमें किसी तरह की सफलता नहीं मिल सकी। अन्य दिनों की तरह आज मंगलवार को जब इलाके के ६० के करीब परिवार वहां पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि फूड सप्लाई विभाग का इंस्पेक्टर जब आएगा को कार्ड वितरित किए जाएंगे। इसके बाद वहां खडे़ लोगों ने एक घंटे तक इंतजार किया लेकिन किसी तरह की सफलता नहीं मिलने पर लोगों ने वहां खडे़ होकर नारेबाजी करना शुरू कर दी। इसमें डिपो होल्डर के साथ प्रशासकीय अधिकारियों के खिलाफ भी नारेबाजी की गई। लोगों ने प्रशासन से इस बाबत लोगों को पेश आ रही परेशानी का तत्काल हल निकालने की मांग रखी।  

तहसील दफ्तर बने भ्रष्टाचार के अड्डे, लगती है करोडो की चपत

-सरकार चाहकर भी नहीं कर पाती है कानूनी कार्रवाई 
-लुधियाना कांड में जिला प्रशासन की कारगुजारी भी आ चुकी है  शक के दायरे में  
हरिदत्त जोशी 
बठिंडा। पंजाब की तहसील परिसरों में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को रोकने के लिए किसी भी सरकार ने ईमानदारी से प्रयास नहीं किया है। वतर्मान में हालात यह है कि तहसील दफ्तरों में नीचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक भ्रष्ट्राचार का बौलबाला है। इसमें जहां अधिकारी और कमर्चारी अपनी जेबे भरने में लगे हैं वही सरकार को हर साल करोडों की चपत लगती है। दो नंबर में होने वाली कमाई का ही नतीजा है कि इस विभाग में एक अर्जी नवीस से लेकर सामान्य कलर्क भी लाखों की कमाई कर आलीशान बंगलों के मालिक बने हुए है। 
कई तहसील दफ्तरों में तो प्राइवेट स्तर पर रजिस्ट्री लिखने वाले ही लाखों में खेलते हैं। इस मामले में भ्रष्ट्रचार को उच्च अधिकारी से लेकर नीचले स्तर पर राजनेता जमकर प्रोत्साहन देते हैं। यही कारण है कि अगर जिला इकाई में सत्तापक्ष से जुडा़ कोई भी समारोह हो या फिर सरकारी समागम किया जाए सबसे अधिक बगार (अवैध वसूली के पैसे से समागम का खर्च) पूरा करने का जिम्मा इसी विभाग पर होता है। अब भ्रष्ट्रचार की बात तो हम कर रहे हैं लेकिन  यह होता कैसे हैं इसके बारे में कही जिक्र नहीं हुआ है, चलो हम बताते है कि तहसील दफ्तर में दो नंबर की कमाई कैसे की जाती है।एक जिला स्तर के तहसील दफ्तर में  प्रतिदिन डेढ़ सौ के करीब रजिस्ट्री, इंतकाल और बयाने किए जाते हैं। 
सामान्य तौर पर जिला प्रशासन की तरफ से हर क्षेत्र में जमीनों की खरीद और बिक्री करने के लिए सरकारी मूल्य निर्धारित कर रखे हैं। दूसरी तरफ जिले में क्षेत्र में मिलने वाली सुविधा के अनुसार व्यापारी व प्रार्पटी डीलर जमीन को मोटे दाम में बेच देता है। इसमें एक जमीन जो दस से १५ हजार रुपये प्रतिगज बेची गई उसमें स्टाप ड्यूटी व आयकर बचाने के लिए मिलीभगत कर जमीन को मात्र एक हजार रुपये प्रति गज बिका दिखा दिया जाता है। इस तरह लाखों रुपये की सरकारी फीस सीधे तौर पर चोरी कर ली जाती है। इस काम के बदले तहसील दफ्तर में रजिस्ट्री करने वाले कमर्चारी व अधिकारियों को एक मुस्त राशि दो नंबर में दी जाती है। इस तरह एक अनुमान के अनुसार एक तहसील दफ्तर में प्रतिदिन दो से तीन लाख रुपये की अवैध कमाई की जाती है। इसमें अधिकारी व  कर्मचारी तो एक माह में करोड़ो कमा लेते हैं लेकिन सरकार को इससे दो गुणा चपत लगा दी जाती है। अब सवाल उठता है कि करोडों की कमाई में हिस्सा किस-किस को जाता है। सीधा जा जबाव मिलेगा इसमें हिस्सेदारी कई लोगों की होती है। तभी तो जिला प्रशासन कभी भी इस अवैध कमाई को रोकने का प्रयास नहीं करता और विभागीय स्तर पर भी इस विभाग के खिलाफ आज तक कानूनी कार्र्वाई नहीं हो सकी है। एक साल पहले लधियाना जिले में तहसीलदार और राजनेताओं के बीच तकरारबाजी और मारपीट की घटना अखबारों की सुरखी में रही। 
इसमें एक जमीन को लेकर तहसीलदार की पिटाई की गई कि वह जमीन के कम मूल्य पर रजिस्ट्री करने को तैयार नहीं हो रहा था। सभी दूध के धुले नहीं होते, मामला जांच की दायरे में आया तो पता चला कि राज्य की अन्य तहसीलों की तरह वहां भी पैसे बटोरने का गौरखधंधा जोर शोर से चलता है इसमें हिस्सेदारी डीसी दफ्तर तक पहुंचती है। वहां से सरकार में बैठे लोगों को भी हिस्सा पहुंचता है। अखिर सरकारी खजाने को लूटने वाली इन गतिविधियों को प्रोत्साहन देने वाले लोग किसी एक दल से नहीं जुडे़ है बलिक हर राजनीतिक दल ने अपने सरकार गठन के बाद इस भ्रष्ट्रचार को हवा दी है और अपनी जेबे भरी है। दिखावे के लिए कानून बने लेकिन वह भी भारी जबाव में कागजों तक ही सिमटकर रह गए। जब तहसील में बैठे अधिकारी व कर्मचारी मोटी कमाई करने में लगे है तो वहां अरजीनवीस, स्टाम पेपर बेचने वाले कर्मी से लेकर नक्शा बनाने वाले भी लोगों को जमकर लूटने का धंधा करते हैं। 
रजिस्ट्री लिखने वाले लोग सीधा पैसा लोगों से लेकर अधिकारियों तक पहुंचाते हैं। इसमें बकायदा रजिस्ट्री करवाने को कहा जाता है कि पूरे खर्च के साथ तहसीलदार का हिस्सा उन्हें देना पडे़गा। इस तरह की अवैध कमाई के धंधे में हो रही बेसुमार कमाई का नतीजा है कि यहां सरकार से मात्र दस हजार रुपये प्रतिमाह वेतन लेने वाला कर्मचारी भी आज लाखों की जमीन व मकान का मालिक है। इस मामले में आयकर विभाग ने भी कभी इन मगरमच्छों पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं की है। अगर इन लोगों की जायदाद और आय की जांच की जाए तो होने वाले गोलमाल का पता चल सकता है। दूसरी तरफ सरकार को भी भ्रष्ट्रचार का अड्डा बन रहे इस विभाग पर शिकंजा कसने के लिए सारथर्क कदम उठाना पडे़गा। अगर सरकार राज्य की सभी तहसील दफ्तरों की अवैध कमाई पर लगाम कस ले तो राज्य के विकास के लिए फंड जुटाने को दूसरों के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पडे़गी। इसके साथ ही सरकार व जिला प्रशासन को यहां की गतिविधियों को प्रादर्शी बनाना होगा। तहसील परिसर में बैठे दूसरे लोगों पर शिकंजा कसना होगा जो प्रत्यक्ष तौर पर इस धंधे को प्रोत्साहन दे रहे हैं। जमीनों की रजिस्ट्री के लिए प्लाट की फोटो खिचवाने का प्रावधान है लेकिन तहसील के साथ एक प्लांट पर ही सभी को खडा़ कर फोटो खीचकर दो सौ रुपये बटोर लिए जाते हैं, जिससे गलत रजिस्ट्री करवाने के धंधे को प्रोत्साहन मिलता है। 
अधिकारी पैसे के लालच में इतने अंधे हो जाते हैं कि वह गवाह के साथ रजिस्ट्री कागज में दर्ज आदमी का भी पता नहीं लगाते बलिक सीधी रजिस्ट्री कर मामले की इतिश्री कर देते हैं। इसका विपरित प्रभाव यह पडा़ कि हजारों मामले फ्रजी रजिस्ट्री के सामने आ चुके हैं। इसमें भी पैसे ले देकर तहसीलदार से लेकर हर एक आसानी से  बच जाता है जो इसके लिए प्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेवार होता है। 

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