मंगलवार, 6 जुलाई 2010

भैसों के साथ वाहन चोरी का भी करने लगे थे धंधा

-पुलिस ने आठ लोगों के साथ वाहन पकडे़, तीन मौके से फरार 
बठिंडा। पिछले कुछ साल से दूध की कीमतों में हो रही बेहताश बढ़ोतरी ने भैसों के दाम में भी उछाल ला दिया। मात्र दस हजार रुपये में मिलने वाले भैस का मूल्य २५ हजार क्या पहुंचा, चोरों ने घरों में सेध मारने की बजाय भैसों को चोरी करना शुरू कर दिया। इसमें भी तसल्ली नहीं हुई तो उक्त लोगों ने वाहनों को चोरी कर बेचने का धंधा भी शुरू कर दिया। पुलिस के अनुसार उक्त लोग पंजाब सहित आसपास के क्षेत्र से कई वाहन चोरी कर आगे बेच चुके हैं।  चोरों ने जिले में एक नहीं बल्कि दर्जनों भैसे व वाहन चोरी कर आगे बेचकर मोटी कमाई की लेकिन हो रही भैसे व वाहन चोरी की घटनाओं ने पुलिस की नाक में दम कर दिया। इसके चलते अब तक सो रही पुलिस ने गिरोह की तलाश शुरू कर दी व गत दिवस इस गिरोह के कई  सदस्यों को धर दबोचा। इन लोगों के पास कई वाहन व हथियार भी बरामद किए गए है। गिरोह का पर्दाफाश करने में नथाना पुलिस ने सफलता हासिल की। नथाना पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है,जबकि तीन सदस्य मौके पर फरार होने में सफल रहे। पुलिस ने गिरोह के ११ सदस्यों पर मामला दर्ज कर फरार तीनों आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार उक्त गिरोह किसी घर में डाका मारने की योजना तैयार कर रहा था। इस गिरोह के सदस्य बठिंडा के अलावा जिले के समीप क्षेत्रों के रहने वाले हैं। पुलिस ने उक्त गिरोह से चार मोटरसाईकिल, एक कार व दो १२ बोर देसी पिस्तौल व छह जिंदा कारतूस बरामद किए है। जानकारी अनुसार नथाना थाना के एसआई हरजीत सिंह ने बताया कि महानगर में पिछले लंबे समय से विभिन्न क्षेत्रों से वाहन चोरी होने की घटनाएं घटित हो रही थी। इन घटनाएं घटित होने से जिला पुलिस काफी समय से इस वाहन चोर गिरोह की तलाश में जुटी हुई थी। जिला पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति पर केस दायर कर कार्रवाई शुरु की हुई थी। पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई में खुलासा हुआ कि कुछ  लोगों ने एक गिरोह बना रखा है जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे  हैं। एसआई हरजीत सिंह ने बताया कि आरोपी रेमश सिंह पुत्र बहादुर सिंह, हरदीप सिंह पुत्र जीत सिंह, गगनदीप सिंह पुत्र बचितर सिंह, सुखेदव सिंह पुत्र हरनाम सिंह, बलजीत सिंह पुत्र मेजर सिंह, बलविंद्र सिंह पुत्र सीता सिंह, तेजू सिंह पुत्र  जंगीर सिंह, जसवंत सिंह पुत्र  ताना सिंह, लक्ष्मण सिंह पुत्र नछतर सिंह, कुलविंद्र सिंह पुत्र रेमश सिंह व सलीम खां पुत्र नवाब खां ने मिलकर एक गिरोह का गठन कर रखा था, जोकि पिछले लंबे समय से महानगर में  वाहन चोरी घटनाओ को अंजाम दे रहा है। पुलिस द्वारा की जा रही जांच पड़ताल में  यह भी पता चला है कि उक्त गिरोह सबसे पहले जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्र से भैसे चोरी करता था और उन्हें आगे बेच देता था, अब तक उक्त गिरोह सैकड़ो भैसें चोरी कर चुके हैं। उन्होने बताया कि भैसे चोरी करते हुए इस गिरोह के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उन्हें ने शहर से वाहन चोरी करना शुरु कर दिये। उन्होने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली की उक्त गिरोह विगत दिवस हथियारों से लेंस होकर किसी घर में डाका मारने की योजना बना रहे थे। पुलिस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर गिरोह के आठ सदस्यों को मौके पर काबू कर लिया, जबकि तीन सदस्य मौके पर फरार होने में सफल रहे। गिरोह सदस्यों से पूछताछ करने पर  एक कार, चार मोटरसाईकिल व दो देसी पिस्तौल व छह जिंदा कारतूस बरामद किए है। नथाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए गिरोह के सभी सदस्यों पर आईपीसी की धारा ३९९,४०२,४११ केञ् तहत मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

राष्ट्रीय स्तर के शिविर में भाग लेंगी सेंट जेवियर की छात्राएं

मन में पूरा विश्वास लेकर चल रही है,  लक्ष्य है अंतिम 16 सदस्यीय टीम में पहुंचना
पूरे पंजाब से तीन लडकियों का हुआ चुनाव,  वो भी बठिंडा की लड़कियां
बठिंडा : शहर का नाम खेल जगत में समय समय पर अलग अलग खेल प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेकर अपनी प्रतिभा लोहा मनवाने वाले खिलाड़ियों ने विश्व स्तर पर रोशन किया है। इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए स्थानीय सेंट जेवियर कान्वेंट स्कूल की तीन छात्राओं ने हैंडबाल के राष्ट्रीय स्तर के कैंप में अपना स्थान बनाया है, जो आज से हरियाणा के जिला सिरसा में शुरू होने जा रहा है। यह कैंप करीबन 42 दिन तक चलेगा, जिसमें देश भर से 25 महिला खिलाड़ी भाग लेंगी, और अपने हुनर का लोहा मनवाते हुए अंतिम 16 में अपनी जगह बनाएंगी। बहरहाल, बठिंडा वासियों व खेल प्रेमियों के लिए दिलचस्प बात तो यह है कि इस शिविर में भाग लेने वाली 25 महिला खिलाड़ियों में से तीन तो केवल बठिंडा स्थित सेंट जेवियर स्कूल की हैं, अगर वो इस शिविर में सफल होती हैं तो वो भारतीय टीम के साथ कैमरून की धरती पर अपने हुनर का लोहा मनवाने पहुंचेगी, जिस से देश का ही नहीं बल्कि राज्य व जिले का भी नाम रोशन होगा।

इस बाबत जानकारी देते हुए कोच दविंद्र पाल सिंह ने बताया कि इससे पहले अनमोल कौर ढिल्लों, अजशनजोत चीमा व नवप्रीत कौर मान सिरसा में 27 मई से 24 जून तक आयोजित किया गया, राष्ट्रीय स्तरीय शिविर में भाग ले चुकी हैं, और आज से सिरसा में शुरू होने वाले एक और शिविर में भाग लेने जा रही हैं, जो 42 दिन तक चलेगा। जिसके बाद कैमरून में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए एक सोलह सदस्यीय टीम चुनी जाएगी। उन्होंने बताया कि इन्होंने शिविर के लिए कड़ी तैयारी की है, और इनको खुद पर पूरा भरोसा है कि अंतिम 16 में वो अपनी जगह बनाकर बठिंडा लौटेंगी।

औरतों के हक से खिलवाड़

एक मजबूत जनतंत्र में महिलाओं के मुद्दे को कितनी आसानी से समुदाय के कर्णधारों के हवाले छोड़ दिया गया। उन्हें आज तक बराबरी का पूर्ण नागरिक अधिकार क्यों नहीं मिल पाया, जिसमें वे अपने मसले संविधान प्रदत्त कानूनों के मातहत निपटाएं। आजादी के 62 साल बाद भी यह स्थिति क्यों बनी हुई है। समुदाय विशेष के धर्मगुरुओं, मौलवियों या कर्णधारों के हाथों उसके सदस्यों के भविष्य का फैसला करने का अधिकार होना चाहिए, यह मांग तो खाप पंचायतों की भी है कि वे अपनी परंपरानुसार कानून का इस्तेमाल कर सकें। ये खाप पंचायतें और समुदाय आधारित संस्थाएं- जो धार्मिक वैधता भी हासिल होने का दावा करती हैं, पहले से ही महिलाओं पर नियंत्रण की ढेरों नीतियां और नियम बनाए हुए हैं। सरकार और प्रशासन के लोग ऐसे मामलों में आसानी से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, यह कह कर कि यह धार्मिक मामला है। हाशिए के सभी लोगों के लिए जिसमें महिलाएं भी हैं, मुक्तिदायी कानूनों की जरूरत है। ये मुक्तिदायी कानून सभी को बराबर का हक दें और समुदायों की मनमानी नहीं चलने पाए। महिलाएं सर्वप्रथम एक व्यक्ति, एक नागरिक हों न कि एक समुदाय या धर्मविशेष की सदस्य। ध्यान देने लायक बात है कि भारत जैसे बहुधर्मीय मुल्क में ही नहीं सऊदी अरब जैसे मुस्लिम बहुल मुल्क में भी मुस्लिम महिलाओं के बीच नई जागृति आने के संकेत मिल रहे हैं। पिछले दिनों खबर आई थी कि किस तरह सऊदी में धार्मिक पुलिस के खिलाफ बढ़ते गुस्से का असर उजागर हो रहा है। पता चला कि एक महिला ने तो एक धार्मिक पुलिस पर गोली चलाई थी।
दरअसल, जबरन लोगों को काबू में रखने की एक सीमा होती है और देर-सवेर इसका प्रतिरोध होता ही है। वह प्रतिरोध कितना सुनियोजित, मजबूत और प्रभावी होगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि लोग कितने संगठित होंगे।

राशन कार्ड न देने से भड़के लोग, डिपो होल्डर के खिलाफ की नारेबाजी

-डिपो होल्डर ने कहा इंस्पेटर के आने के बाद जारी होंगे कार्ड 
बठिंडा। दुग्गल पैलेस के पास स्थित राशन डिपो में अनियमियतताओं को लेकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसमें लोगों ने आरोप लगाया कि डिपो संचालक मनमाने ढंग से काम करता है व लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कुछ समय पहले जिला खुराक विभाग की तरफ से राशन कार्ड जारी किए गए थे। इसमें डिपो होल्डर के पास सैकड़ों कार्ड बकाया पडे़ हैं लेकिन वह इन्हें जारी करने में आनाकानी की जा रही है। डिपो होल्डर करतार सिंह से जब संपर्क किया जाता है तो कहा जाता है कि विभाग के इस्पेक्टर आकर कार्ड वितरित करेगा। इसमें लोगों को प्रतिदिन डिपो में बुला लिया जाता है लेकिन उन्हें हर बार निराशा का सामना करना पड़ रहा है।
ईलाका वासी सूरज ने बताया कि दुग्गल पैलेस के पास स्थित गुरुकुल रोड पर करतार सिंह डिपो होल्डर को नए राशन कार्ड देने के लिए कई बार लोगों ने गुहार लगाई लेकिन इसमें किसी तरह की सफलता नहीं मिल सकी। अन्य दिनों की तरह आज मंगलवार को जब इलाके के ६० के करीब परिवार वहां पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि फूड सप्लाई विभाग का इंस्पेक्टर जब आएगा को कार्ड वितरित किए जाएंगे। इसके बाद वहां खडे़ लोगों ने एक घंटे तक इंतजार किया लेकिन किसी तरह की सफलता नहीं मिलने पर लोगों ने वहां खडे़ होकर नारेबाजी करना शुरू कर दी। इसमें डिपो होल्डर के साथ प्रशासकीय अधिकारियों के खिलाफ भी नारेबाजी की गई। लोगों ने प्रशासन से इस बाबत लोगों को पेश आ रही परेशानी का तत्काल हल निकालने की मांग रखी।  

तहसील दफ्तर बने भ्रष्टाचार के अड्डे, लगती है करोडो की चपत

-सरकार चाहकर भी नहीं कर पाती है कानूनी कार्रवाई 
-लुधियाना कांड में जिला प्रशासन की कारगुजारी भी आ चुकी है  शक के दायरे में  
हरिदत्त जोशी 
बठिंडा। पंजाब की तहसील परिसरों में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को रोकने के लिए किसी भी सरकार ने ईमानदारी से प्रयास नहीं किया है। वतर्मान में हालात यह है कि तहसील दफ्तरों में नीचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक भ्रष्ट्राचार का बौलबाला है। इसमें जहां अधिकारी और कमर्चारी अपनी जेबे भरने में लगे हैं वही सरकार को हर साल करोडों की चपत लगती है। दो नंबर में होने वाली कमाई का ही नतीजा है कि इस विभाग में एक अर्जी नवीस से लेकर सामान्य कलर्क भी लाखों की कमाई कर आलीशान बंगलों के मालिक बने हुए है। 
कई तहसील दफ्तरों में तो प्राइवेट स्तर पर रजिस्ट्री लिखने वाले ही लाखों में खेलते हैं। इस मामले में भ्रष्ट्रचार को उच्च अधिकारी से लेकर नीचले स्तर पर राजनेता जमकर प्रोत्साहन देते हैं। यही कारण है कि अगर जिला इकाई में सत्तापक्ष से जुडा़ कोई भी समारोह हो या फिर सरकारी समागम किया जाए सबसे अधिक बगार (अवैध वसूली के पैसे से समागम का खर्च) पूरा करने का जिम्मा इसी विभाग पर होता है। अब भ्रष्ट्रचार की बात तो हम कर रहे हैं लेकिन  यह होता कैसे हैं इसके बारे में कही जिक्र नहीं हुआ है, चलो हम बताते है कि तहसील दफ्तर में दो नंबर की कमाई कैसे की जाती है।एक जिला स्तर के तहसील दफ्तर में  प्रतिदिन डेढ़ सौ के करीब रजिस्ट्री, इंतकाल और बयाने किए जाते हैं। 
सामान्य तौर पर जिला प्रशासन की तरफ से हर क्षेत्र में जमीनों की खरीद और बिक्री करने के लिए सरकारी मूल्य निर्धारित कर रखे हैं। दूसरी तरफ जिले में क्षेत्र में मिलने वाली सुविधा के अनुसार व्यापारी व प्रार्पटी डीलर जमीन को मोटे दाम में बेच देता है। इसमें एक जमीन जो दस से १५ हजार रुपये प्रतिगज बेची गई उसमें स्टाप ड्यूटी व आयकर बचाने के लिए मिलीभगत कर जमीन को मात्र एक हजार रुपये प्रति गज बिका दिखा दिया जाता है। इस तरह लाखों रुपये की सरकारी फीस सीधे तौर पर चोरी कर ली जाती है। इस काम के बदले तहसील दफ्तर में रजिस्ट्री करने वाले कमर्चारी व अधिकारियों को एक मुस्त राशि दो नंबर में दी जाती है। इस तरह एक अनुमान के अनुसार एक तहसील दफ्तर में प्रतिदिन दो से तीन लाख रुपये की अवैध कमाई की जाती है। इसमें अधिकारी व  कर्मचारी तो एक माह में करोड़ो कमा लेते हैं लेकिन सरकार को इससे दो गुणा चपत लगा दी जाती है। अब सवाल उठता है कि करोडों की कमाई में हिस्सा किस-किस को जाता है। सीधा जा जबाव मिलेगा इसमें हिस्सेदारी कई लोगों की होती है। तभी तो जिला प्रशासन कभी भी इस अवैध कमाई को रोकने का प्रयास नहीं करता और विभागीय स्तर पर भी इस विभाग के खिलाफ आज तक कानूनी कार्र्वाई नहीं हो सकी है। एक साल पहले लधियाना जिले में तहसीलदार और राजनेताओं के बीच तकरारबाजी और मारपीट की घटना अखबारों की सुरखी में रही। 
इसमें एक जमीन को लेकर तहसीलदार की पिटाई की गई कि वह जमीन के कम मूल्य पर रजिस्ट्री करने को तैयार नहीं हो रहा था। सभी दूध के धुले नहीं होते, मामला जांच की दायरे में आया तो पता चला कि राज्य की अन्य तहसीलों की तरह वहां भी पैसे बटोरने का गौरखधंधा जोर शोर से चलता है इसमें हिस्सेदारी डीसी दफ्तर तक पहुंचती है। वहां से सरकार में बैठे लोगों को भी हिस्सा पहुंचता है। अखिर सरकारी खजाने को लूटने वाली इन गतिविधियों को प्रोत्साहन देने वाले लोग किसी एक दल से नहीं जुडे़ है बलिक हर राजनीतिक दल ने अपने सरकार गठन के बाद इस भ्रष्ट्रचार को हवा दी है और अपनी जेबे भरी है। दिखावे के लिए कानून बने लेकिन वह भी भारी जबाव में कागजों तक ही सिमटकर रह गए। जब तहसील में बैठे अधिकारी व कर्मचारी मोटी कमाई करने में लगे है तो वहां अरजीनवीस, स्टाम पेपर बेचने वाले कर्मी से लेकर नक्शा बनाने वाले भी लोगों को जमकर लूटने का धंधा करते हैं। 
रजिस्ट्री लिखने वाले लोग सीधा पैसा लोगों से लेकर अधिकारियों तक पहुंचाते हैं। इसमें बकायदा रजिस्ट्री करवाने को कहा जाता है कि पूरे खर्च के साथ तहसीलदार का हिस्सा उन्हें देना पडे़गा। इस तरह की अवैध कमाई के धंधे में हो रही बेसुमार कमाई का नतीजा है कि यहां सरकार से मात्र दस हजार रुपये प्रतिमाह वेतन लेने वाला कर्मचारी भी आज लाखों की जमीन व मकान का मालिक है। इस मामले में आयकर विभाग ने भी कभी इन मगरमच्छों पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं की है। अगर इन लोगों की जायदाद और आय की जांच की जाए तो होने वाले गोलमाल का पता चल सकता है। दूसरी तरफ सरकार को भी भ्रष्ट्रचार का अड्डा बन रहे इस विभाग पर शिकंजा कसने के लिए सारथर्क कदम उठाना पडे़गा। अगर सरकार राज्य की सभी तहसील दफ्तरों की अवैध कमाई पर लगाम कस ले तो राज्य के विकास के लिए फंड जुटाने को दूसरों के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पडे़गी। इसके साथ ही सरकार व जिला प्रशासन को यहां की गतिविधियों को प्रादर्शी बनाना होगा। तहसील परिसर में बैठे दूसरे लोगों पर शिकंजा कसना होगा जो प्रत्यक्ष तौर पर इस धंधे को प्रोत्साहन दे रहे हैं। जमीनों की रजिस्ट्री के लिए प्लाट की फोटो खिचवाने का प्रावधान है लेकिन तहसील के साथ एक प्लांट पर ही सभी को खडा़ कर फोटो खीचकर दो सौ रुपये बटोर लिए जाते हैं, जिससे गलत रजिस्ट्री करवाने के धंधे को प्रोत्साहन मिलता है। 
अधिकारी पैसे के लालच में इतने अंधे हो जाते हैं कि वह गवाह के साथ रजिस्ट्री कागज में दर्ज आदमी का भी पता नहीं लगाते बलिक सीधी रजिस्ट्री कर मामले की इतिश्री कर देते हैं। इसका विपरित प्रभाव यह पडा़ कि हजारों मामले फ्रजी रजिस्ट्री के सामने आ चुके हैं। इसमें भी पैसे ले देकर तहसीलदार से लेकर हर एक आसानी से  बच जाता है जो इसके लिए प्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेवार होता है। 

सोमवार, 5 जुलाई 2010

बाहरी इलाको में नहीं दिखाई दिया बंद का कोई असर

-स्कूल रहे पूर्ण तौर पर बंद, लोगों को झेलनी पड़ी परेशानी  
बठिंडा। ईंधन की कीमतों में हुई वृद्धि के  खिलाफ बीजेपी सहित तमाम विपक्षी दलों की ओर से आयोजित भारत बंद से सोमवार को पंजाब सहित देश के  विभिन्न हिस्सों में आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। बंद का बस सेवा के साथ उड़ानों और रेल सेवाओं पर भी असर पड़ा है। पंजाब में बसों का आवागमन बंद रहा जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। बठिंडा सहित राज्य के प्रमुख जिलों में शहरी इलाकों में बंद का असर रहा लेकिन ग्रामीण व बाहरी क्षेत्र में इसका असर न के बराबर रहा। बीजेपी समेत विपक्ष के कई नेता सडक़ों पर उतर चुके हैं और जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। दूसरी तरफ सुरक्षा के लिहाज से सभी स्कूलों व कालेजों ने सोमवार को छुट्टी की घोषणा कर दी थी। वही आपात सेवाएं बिना किसी रुकावट के चलती रही। लखनऊ में बीजेपी नेता अरुण जेटली और मुख्तयार अब्बास नकवी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने शहर के प्रमुख बाजारों में सरकार का पुतला जलाया व बढ़ी कीमतों को तत्काल वापिस लेने की मांग रखी। इस दौरान किसी तरह की अनहोनी को टालने के लिए सुरक्षा के कडे़ इंतजाम किए गए थे। वही पुलिस पार्टी विभिन्न स्थानों में गश्त लगाती रही। पंजाब के बस अड्डों से बसों का संचालन सुबह से प्रभावित है। यहां कई जगहों पर विभिन्न दलों के  कायकर्ताओं ने रेल सेवाओं को भी बाधित करने का प्रयास किया। दूसरी तरफ बठिंडा शहर के कुछ  इलाकों में बाजार और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद हैं जबकि बाहरी क्षेत्रों में काम धंधा रोजमर्जा की तरह चल रहा है। धोबी बाजार में भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया व सरकार का पुतला जलाया। इस दौरान सुरक्षा के कडे़ इंतजाम रहे। बंद का शिव सेना सहित कई दलों ने समर्थन किया था। मुंबई में बीजेपी के सीनियर नेता किरीट सोमैया समेत पार्टी के कई कार्यकर्ताओं को सोमवार को उस समय हिरासत में ले लिया गया जब वे ट्रेनों को रोकने की कोशिश कर रहे थे। पुणे में बंद समर्थकों ने कई जगहों पर पथराव किया और 12 बसों को नुकसान पहुंचाया। बिहार में भी बंद का व्यापक असर दिख रहा है। पटना समेत राज्य के  कई क्षेत्रों में बंद समर्थकों ने रेलमार्ग और सड़क जाम कर बसों और ट्रेनों की आवाजाही को रोकने की कोशिश की। पटना के राजेंद्रनगर टर्मिनल के पास महिला बंद समर्थकों ने दानापुर-हावड़ा एक्सप्रेस को घंटों रोके रखा। बाद में पुलिस ने बंद समर्थकों को पटरी से हटाया और फिर यह रेलगाड़ी रवाना हो पाई। यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में बंद के कारण सभी प्राइवेट स्कूलों को सोमवार को बंद कर दिया गया है। बंद के  कारण राज्यभर में सुरक्षा के  व्यापक प्रबंध किए गए हैं। रेल प्रशासन ने रेलवे पुलिस बल को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। प्रदर्शनकारियों के स्टेशन पर आते ही रेलगाड़ियों का परिचालन बंद करने का निर्देश दिया गया है। 

हमें महंगाई से बचाने के लिए बंद कितना सार्थक

हरिदत्त जोशी
बठिंडा। दस साल से मंहगाई निरंतर बढ़ रही है, सरकार के साथ विपक्ष लंबे समय तक चुप्पी साधकर बैठा रहा लेकिन आज एकाएक भाजपा ने दूसरे दलों के साथ भारत बंद की घोषणा कर दी। इससे पहले भाजपा के साथ पूरे विपक्ष की चुप्पी यूपीए सरकार की मनमानी का समर्थन करते रहे जिसका नतीजा यह रहा है कि दाले बीस रुपये से एक सौ बीस रुपये तक पहुंच गई और रसोई गैस का सिलेंडर दो सौ से पौने चार सौ तक पहुंच गया। अगर समय पर यूपीए सरकार की मनमानी रोकी होती तो देश की जनता इतनी बेहाल नहीं होती। लोकतंत्र में संघर्ष और अपना विरोध जताने का सभी को अधिकार है लेकिन इस अधिकार की भी कुछ  सीमाएं है जिसे लाघकर आप किसी का हित नहीं कर सकते हैं। हाल में आप और हमको महंगाई से बचाने के  लिए जनता के  हितैषी आज सडक़ों पर उतर आए हैं। उनका कहना है कि अगर आज सारी दुकानें बंद रहें और गाड़ियां नहीं चलें तो महंगाई कम हो जाएगी। इसके  लिए वे रेलवे स्टेशनों और सड़कों पर रुकावटें खड़ी कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि आज देश भर में कोई भी पहिया न चले। जो लोग इस बात को नहीं मानते कि बंद आयोजित करने से कोई फर्क  पडता है, उनको ये सबक सिखाने के लिए तैयार खडे़ हैं। अब इन नौसखियों को कौन समझाएं कि लोगों को आंदोलन के लिए भड़काने वाले उनके दिग्गज सरकार के साथ मिले हुए है। सरकार की हर गतिविधि और निर्देशों में उनकी सहमती होती है अब आगे कुछ  राज्यों में चुनाव हा और जनता को बेवकूञ्फ बनाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं जो न तो देश के हित में है और न ही लोगों के हित में है। टेलीविजन खोलकर देखों तो खबरे आ रही है कि प्रदर्शनकारियों ने देश भर में हो हल्ला मचाया ,उन लोगों को थप्पड़ मारे जो ट्रेन पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। कहीं-कहीं वे बसों पर पथराव कर रहे हैं, कहीं-कहीं टायरों की हवा निकाल रहे हैं ताकि सडक़ों पर यातायात रुक जाए। पंजाब में तो बस सेवाएं ही बंद कर दी, इसमें लाखों लोग आवागमन नहीं कर पा रहे हैं। हजारों लोग ऐसे है जो अपना इलाज करवाने के लिए सीएमसी, डीएमसी या फिर पीजीआई में जाते हैं। अगर इन लोगों का शारीरिक नुकसान होता है तो इसकी जिम्मेवारी किसकी होगी। क्या मंहगाई रोकने के इस ड्रामे से मंहगाई रूक जाएगी, कभी नहीं। न तो यूपीए सरकार गिरेगी और न ही मंहगाई रूपी दानव कम होगा।  इन सभी दलों के नेता अभी घरों में सुस्ता रहे हैं और टीवी चैनलों पर ये तस्वीरें देखकर हर्षित हो रहे हैं। वाह, क्या कमाल कर दिया। सडक़ों पर गाडिय़ों की कतार लग गई है। लोग परेशान हैं कि आगे भी नहीं जा सकते, पीछे भी नहीं। लेकिन यह तो इनकी सजा है जो इन हितैषियों ने उनके  लिए मुकर्रर की है। इन लोगों के डर से सभी लोग घरों में सिमट गए, स्कूल बंद हो गए। सड़कें  जाम हो गईं और मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि इस बंद से न महंगाई डरेगी न सरकार। तो ऐसे कितने भी बंद करा लो, यह यूपीए सरकार तो रहेगी और साथ में महंगाई भी रहेगी। लेकिन क्या यह जरूरी है कि महंगाई से परेशान जनता इस बंद नाम के तमाशे के कारण और परेशान हो।

हल स्थाई हो, अस्थाई नहीं

कुछ महीने पहले देश की एक अदालत ने केंद्र से राय मांगी थी कि क्या वेश्यावृत्ति को मान्यता दे दी जाए, यानि इसको अपराध के दायरे से बाहर कर दिया जाए, क्योंकि देश में वेश्यावृत्ति बढ़ती जा रही है। इस मुद्दे पर अदालत द्वारा केंद्र से राय मांगने का सीधा अर्थ है, अगर किसी चीज को कानून रोकने में असफल हो रहा है तो उसको मान्य दे दी जाए, ताकि अदालत का भी कीमत समय बच जाए। किसी मुश्किल का कितना साधारण हल है, कि उसको वैध करार दे दिया जाए, जिसको रोकने में कानून असफल है। कोर्ट ने एक बार भी केंद्र से नहीं कहा कि वेश्यावृत्ति की पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए एक टीम का गठन किया जाए। कोर्ट ने सवाल नहीं उठाया कि क्यों कभी पुलिस प्रशासन ने कोर्ट में वेश्यावृत्ति में लिप्त महिलाओं के दूसरे पक्ष को उजागर नहीं किया। आखिर वेश्यावृत्ति हो क्यों रही है? आखिर क्यों देश की महिलाएं अपने जिस्म की नुमाईश लगा रही हैं?। अगर कोर्ट इन सवालों में से एक भी सवाल को केंद्र से पूछती तो केंद्र अदालती कटघरे में आ खड़ा नजर आता, क्योंकि वेश्यावृत्ति के बढ़ते रुझान के लिए हमारी सरकारें भी जिम्मेदार हैं, जो निम्न वर्ग को केवल वोटों के लिए इस्तेमाल करती हैं और उनके उत्थान के लिए कोई कार्य नहीं करती। ऐसे में पेट की आग बुझाने के लिए गरीब घरों की महिलाएं लोगों के बिस्तर गर्म करने के लिए निकल पड़ती हैं। अब तो वेश्यावृत्ति में कालेज की लड़कियां भी शुमार हो रही हैं, कारण है कि वो सुविधाओं भरी जिन्दगी जीना चाहती हैं। हम समस्याओं को जड़ से नहीं बल्कि बाहरी स्तर से हल करने के तरीके खोजते हैं। अभी कल की ही बात है, मेरा किसी काम को लेकर धोबियाना रोड़ पर जाना हुआ, श्री गुरूनानक देव स्कूल के पास सड़क पर दोनों तरफ आने जाने के लिए एक आधिकारिक रास्ता है, लेकिन उसको प्रशासन ने बंद कर दिया। बंद करने का कोई भी छोटा मोटा कारण हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि किसी नेता के आगमन पर उसको बंद किया हो, और फिर प्रशासन को खुलवाना भूल गया हो। प्रशासन ने वो रास्ता तो बेरियर लगाकर बंद कर दिया, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस के पास कर्मचारियों की कमी तो हो सकती है, पर बेरियरों की नहीं। इसका अंदाजा पॉलिथीनों की तरह जगह जगह बिखरे पड़े मुसीबतों को जन्म दे रहे बेरियरों से लगाया जा सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि वो रास्ता हादसों का कारण बन रहा हो इसलिए बंद कर दिया गया, लेकिन क्या ऐसा करना जायज है, अगर जायज है तो बरनाला रोड़ को सबसे पहले बंद कर देना चाहिए, जिसको खूनी रास्ते के नाम से भी पुकारा जाता है। प्रशासन ने उक्त दस बारह फुट के रास्ते को बंद कर दिया, लेकिन लोगों ने एक फूट चौड़ा रास्ता उससे थोड़ा से आगे डिवाईडर तोड़कर बना लिया। शायद प्रशासन भूल गया कि नदी के बहा को कभी दीवारें निकालकर नहीं रोका जा सकता, क्योंकि पानी अपने रास्ते खुद बनाना जानता है। जनता भी पानी के बहा जैसी है। गलियों में बने हम्प भी इसी बात की ताजा उदाहरण हैं। स्थानीय शहरी इलाकों की गलियों में बने हम्प लोगों के वाहनों की स्पीड को तो कम नहीं कर पा रहे, लेकिन लोगों का ध्यान जरूर खींच रहे हैं। जब मनचले वहां आकर जोर से ब्रेक मारते हैं, और ब्रेक लगने के वक्त निकालने वाली वाहन के पुर्जों की आवाज लोगों का ध्यान खींचती है। हम समस्या की जड़ को खत्म करने की बजाय बाहरी स्तर पर काम करते हैं, जिनके नतीजे हमेशा ही शून्य रहते हैं। मानो लो, देश भर के सरकारी स्कूलों की चारदीवारी को आलीशान बना दिया जाए, क्या वो देश की शिक्षा प्रणाली के दुरुस्त होने का प्रमाण होगा, नहीं क्योंकि वो सुधार केवल बाहरी रूप से हुआ है। अगर देश की शिक्षा प्रणाली का सुधार करना है तो उसकी जड़, मतलब टीचर को ऐसे प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए कि वो एक पढ़े लिखे इंसान के साथ एक समझदार व्यक्ति को स्कूल से बाहर रुखस्त करे। वरना देश की अदालत हर बार किसी न किसी अपराध को अपराध मुक्त करने पर सरकार से राय मांगेगी।
कुलवंत हैप्पी 
76967-13601 

रविवार, 4 जुलाई 2010

उत्तरांचली परिवारों के हितों की रक्षा करेगी अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभाः घनश्याली

बठिंडा में अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आयोजित  
बठिंडा। अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा पंजाब प्रदेश इकाई की बैठक टीचर होम में प्रदेश प्रधान ज्ञानदेव घनश्याली की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में प्रदेश कायर्कारिणी के सभी सदस्यों ने हिस्सा लिया। इसमें सवर्सम्मित से प्रस्ताव परित कर जिला स्तर पर महासभा इकाईयों का गठन करने का फैसला लिया गया। प्रदेश प्रधान श्री धनश्याली ने राष्ट्रीय अधिवेशन कोटद्वार में परित किए गए प्रस्तावों की जानकारी दी वही प्रदेश स्तर पर इकाई को ओर मजबूत करने पर बल दिया।
महासचिव  नंदन सिंह रावत ने प्रदेश सदस्यों का स्वागत करते हुए उत्तरांचली धर्म मंडल के पदाधिकारियों की तरफ से बैठक आयोजित करवाने के लिए धन्यवाद किया। उन्होने कहा कहा कि अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा राष्ट्रीय स्तर पर उत्तरांचली परिवारों के हितों की रक्षा के लिए काम कर रही है। देश भर में लाखों लोग इस संस्था से जुडे़ है जिसमें देश के नामी व्यापारियों, बुदि्धजीवों, विज्ञानिकों के इलावा राजनेता शामिल है। उत्तरांचल के विकास के साथ उनकी समस्या के निवारण के लिए संस्था विभिन्न स्थानों में काम कर रही है। वतर्मान में पंजाब के विभिन्न हिस्सों में महासभा ने अपनी पैठ बनाई है जिसमें हाल में पटियाला में उत्तरांचल के लिए बंद होने वाली बस को फिर से शुरू करवाने के लिए संघर्ष शुरू किया गया जिसका नतीजा यह निकला कि सरकार को बंद की गई बस को दो जुलाई को फिर से शुरू करनी पडी़। इस तरह के कई आंदोलन चलाए गए जो आगे भी जारी रहेंगे। उन्होंने बताया कि लोगों की सुविधा के लिए महासभा की प्रदेश बेवसाइट भी लांच की जा रही है। प्रदेश प्रधान ज्ञान देव घनसयाली ने कहा कि राज्य में महासभा को मजबूत करने के लिए जिला स्तर पर इकाईयां गठित कर उन्हें मजबूत किया जाए। इसके लिए प्रदेश कार्यकारी के सभी सदस्यों को काम करना होगा।
बैठक के दौरान कोषाध्यक्ष भगत सिंह भंडारी ने लेखाजोखा पेश किया। बैठक में प्रमुख तौर पर लुधियाना में महासभा की नवीन इकाई के सभी सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। इसमें प्रमुख तौर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव सिंह नेगी,  सचिव राजेश नेगी, संयोजक परमेश प्रसाद मैठानी, बृज मोहन सिंह रावत, देवी प्रसाद डंगवाल, उपनयन सिंह पवार,  मुख्य सलाहकार सुरिंदर सिंह चौनाल, उपाध्यक्ष हरि सिंह नेगी, सचिव संतन सिंह, मिडिया प्रमुख हरिदत्त जोशी ने हिस्सा लिया। इसके इलावा उत्तरांचली धर्म मंडल के पदाधिकारियों ने सभी सदस्यों का धन्यवाद किया।      

आखिर पीली पत्रकारिता के प्रोत्साहन के लिए कौन जिम्मेवार ?

हरिदत्त जोशी
आजकल सामान्य तौर पर सुनने को मिल जाता है कि पत्रकारिता के क्षेत्र में गिरावट आ गई है। पीली पत्रिकारिता निरंतर हावी हो रही है। पत्रकारिता लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का रुतबा खोने की कगार में खडी़ है। आखिर यह सब क्यों हुआ और इसके लिए कौन जिम्मेवार है। इसका अवलोकन करना समय की जरूरत है। भौतिकवादी युग में लोगों की जरूरत और आकांशा भी निरंतर बढी़ है, देखादेखी हर इंसान पैसों से लबालब होना चाहता है। अब इसके लिए जायज और नायायज रास्ता अखि्तयार करना पडे़ तो वह करने को तैयार है।
पंजाब की बात करे तो पहले पहल राज्य में चलने वाले अखबार अपने प्रतिनिधियों को पैसा नहीं देते थे बिल्क उन्हें विज्ञापन से मिलने वाले कमिशन में से ही अपना खर्च निकालना होता था। अस्सी के दशक में पंजाब में आतंकवाद का दौर था ऐसे में व्यापार का बुरा हाल था और विज्ञापन हासिल करना इतना सुगम नहीं था, ऐसे में शुरू हुआ, पत्रकारों का खबर भेजने के लिए प्रयुक्त होने वाले साधनों का खर्च खबर प्रकाशित करवाने की दिलचस्पी रखने वाले लोगों से पैसा वसूल करने का धंधा। यह धंधा धीरे-धीरे हर अखबार के प्रतिनिधि ने करना शुरू कर दिया। जो आगे खबर प्रकाशित करने या फिर रोकने के नाम पर पैसे वसूली का धंधा बन गया। धीरे-धीरे पीली पत्रकारिता ने अपना असर दिखाना शुरू किया।
एक दशक पहले राज्य से बाहर के अखबारों ने पंजाब में पैर जमाए तो उन्होंने अखबार के प्रतिनिधियों को बेहतर वेतन देना शुरू कर दिया और इसके बाद इस धंधे (पीली पत्रकारिता) पर कुछ लगाम लगी लेकिन पत्रकारों के एक वर्ग ने इस धंधे को जारी रखा । हाल की घडी़ जिस तरह से हर अखबार का मलिक खबरों की मौलिकता से ज्यादा विज्ञापनों की तादाद व उससे बटोरे जाने वाले पैसे को अधिक महत्ता देने लगा है उसने पत्रकारिता के मूल्यों की कदर करने वाले पत्रकारों को निराश जरूर किया। मुझे याद है कुछ समय पहले पंजाब में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव,जिसमें अखबार के मालिकों से लेकर स्थानीय पत्रकारों में राजनितिक दलों से पैसे बटोरने की होड़ शुरू हुई, संपादक स्तर पर बडी़ डिलिंग हुई, दल की पूरी मुहिम करोडो़ में खरीदी गई, इसमें जिस दल ने ज्यादा पैसा दिया वह अखबारों में ज्यादा चमका, कई दलों की स्थिति तो ऐसी हो गई कि वह कई बडे़ अखबारों में छपने को तरसने लगे। यहां मेरा मकसद किसी अखबार विशेष या फिर समूह की नितियों को उजागर करना नहीं है बलि्क मैं पीली पत्रकारिता के लिए जाने-अनजाने तैयार होने वाले माहौल के बारे में अवगत करवाना चाहता हूं जब पत्रकार को अखबार का संपादक या फिर स्थानीय संवाददाता विज्ञापन के नाम पर जायज व नाजायज वसूली को कहता है तो वह आगे उसे दूसरों की जेब काटने से कैसे रोकेगा। यही नहीं इसके बाद खबरे बिकना संभाविक है। कई स्थानों में इलेक्ट्रोनिक व प्रिंट मिडिया के कुछ प्रतिनिधियों को ब्लैकमेलिंग करते पकडा़ गया। इससे पत्रकार व पत्रकारिता की बदनामी ही हुई है जिसने अखबारों की विश्वसनियता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया है।
लोग अखबार को बिकाऊ माल कहने लगे है जो खासकर ऐसे वर्ग के लिए चिंताजनक है जो अभी भी पत्रकारिता के मूल्यों को पहचानते है और उनकी कदर करते हैं। पत्रकारिता पेशा सेवा के साथ एक बडी़ राष्ट्रीय जिम्मेवारी का हिस्सा है, जिसने लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बनकर उसकी नींव को मजबूत किया है। इस विश्वास को बनाए रखने की जिम्मेवारी हर राष्ट्र भक्त की बनती है जो इसमें पत्रकार भी अपनी जिम्मेवारी से भाग नहीं सकते हैं। आज इमानदारी से पत्रकारिता में आ रही गिरावट को रोकने के लिए चिंतन की जरूरत है। इसमें ऊपरी स्तर पर अखबार के मालिक से लेकर संपादक व निचले स्तर के कर्मचारी को विचार करना होगा। पत्रकारिता की शान इसके सम्मान और विश्वास के आधार पर टिकी है, अगर लोगों ने इसका सम्मान करने के साथ विश्वास करना छोड़ दिया तो अखबार एक पंपलेट बनकर रह जाएगा जिसे लोग देखते तो है पर विश्वास नहीं करते और रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं। 

शनिवार, 3 जुलाई 2010

सेहत विभाग की कुंभकरणी नींद ने दाईयों के बुलंद किए हौसले

-दो दिनों में तीन लड़के के भ्रूण मारकर नालों में डाले गए 
-अवैध संबंधों से जन्मे बच्चे की हत्या करने की प्रवृति 
-पुलिस मामले की जांच में जुटी, आरोपी पकड़ से बाहर 
बठिंडा। एक तरफ जहां कन्या हत्या को रोकने के लिए सरकार के साथ जिला प्रशासन ने विशेष मुहिम चलाई व इसमें काफी हद तक रोक भी लगी है लेकिन वर्तमान में पिछले कुछ दिनों से बठिंडा जिले में घटित हो रही लड़के भ्रूण की हत्या ने सबको चकित करके रख दिया है। इस तरह की घटनाओं ने एक ओर बात को बल दिया है कि जिले में ग्रामीण क्षेत्रों के इलावा बाहरी बस्तियों में रहने वाले डाक्टर व दाईयां अवैध गर्भपात करने का धंधा जोर शोर से कर रही है। सेहत विभाग को इन घटनाओं से सबक लेकर इस तरह के असामाजिक तत्वों पर लगाम कसने की जरूरत है । सेहत विभाग की नींद और जिला प्रशासन की लापरवाही का नतीजा ही है कि दो दिन में तीन लड़के के भ्रूण विभिन्न स्थानों से बरामद किए गए है। इसी कड़ी में शनिवार को रामा मंडी के  सरकारी बाग में खेल रहे बच्चों को उस समय हाथ पांव की पड़ गई, जब उन्होंने नाले में एक भ्रूण को देखा। घटना की खबर मंडी में जंगल की आग की तरह फैल गई। सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके  पर पहुंची, जिन्होंने लोगों की मदद से भ्रूण को नाले से बाहर निकलवाया। मौके  पर मौजूद लोगों के  बताने के  अनुसार रोज की तरह आज भी आसपास के  बच्चे सरकारी बाग में खेल रहे थे, अचानक उनकी निगाह उक्त  भ्रूण पर पड़ी, जिसे देखकर उनके  चेहरों का रंग उड़ गया, और उन्होंने तुरंत घर पहुंच अपने परिजनों को बताया। जिसके  बाद पुलिस को सूचित किया और पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची।
 पुलिस ने भ्रूण को बाहर निकाला और आगे की कार्यवाई के  लिए साथ ले लिया। बताया जा रहा है कि उक्त  भ्रूण एक लड़के  का था, जो देखने में नौ महीनों का लग रहा है। ज्ञात रहे कि स्थानीय सरकारी बाग में पूरी मंडी का गंदा पानी आता है, हो सकता है कि उक्त  बच्चा अवैध रिश्तों की उपज हो, और इज्जत बचाने के  लिए गर्भपात करवाया गया है। मामले को लेकर पुलिस सखते में है। पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है व स्थानीय डॉक्टरों से भी पूछताछ की जा रही है। गौरतलब है कि बठिंडा जिले में पिछले दो दिनों में यह तीसरा भ्रूण है, और हैरानी बात तो यह है कि तीनों के  तीनों भ्रूण लडकों के  हैं। दूसरी तरफ समाज शास्त्री व प्रशासन इस तरह की घटनाओं को लेकर चिंतित है। समाज सेवक व सहारा जन सेवा के प्रधान विजय गोयल का कहना है कि समाज में कन्या की पेट में हत्या की घटनाओं के पीछे समाज की तुच्छ मानसिकता का पता चलता है लेकिन वर्तमान में लड़कों की पेट में हत्या के  पीछे सबसे बड़ा कारण अवैध संबंधों को माना जा सकता है। अवैध संबंधों के चलते पैदा होने वाले बच्चे को या तो पेट में मार दिया जा रहा है या फिर उसके जन्म होते ही उसे मौत के मुंह में सुला दिया जा रहा है। इस तरह की प्रवृति पर रोक लगाने के लिए समाज में जागृति लाने के साथ पुलिस व जिला प्रशासन को मुस्तैद होना पडेगा। इसमें हत्या करने वाले लोगों को पकड़ने के लिए तह तक जाना जरुरी है।  
यहां बताना जरूरी  है कि जिले में शहरी क्षेत्रों की बस्तियों व ग्रामीण इलाकों में तैनात डाक्टर व दाईयां अवैध ढंग से गर्भपात करने का गौरखधंधा बेलगाम कर रही है। पांच से दस हजार रुपये की वसूली के लिए इस तरह के काम उक्त लोग सुगमता से कर देते हैं। जिले में कुछ  दाईयां तो ऐसी है जो घरों में या फिर क्लिनिंक में सभी नियम कायदों को दरकिनार कर गर्भपात करते हैं व पुलिस की नजर से बचने के लिए भ्रूण को मिट्टी में दबा देते हैं वही मौका मिलने पर उसे किसी गंदे नाले व बहती नहर में फैक देते हैं, जो बहता हुआ आगे निकल जाता है व इसमें शक भी नहीं हो पाता है।   


शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

रक्षक से भक्षक तक

सर जी, वो कहता है कि उसको एसी चाहिए घर के लिए। वो का मतलब था डॉक्टर, क्योंकि मोबाइल पर किसी से संवाद करने वाला व्यक्ति एक उच्च दवा कंपनी का प्रतिनिधि था, जो शहर में उस कंपनी का कारोबार देखता था। इस बात को आज कई साल हो गए, शायद आज उसके संवाद में एसी की जगह एक नैनो कार आ गई होगी या फिर से भी ज्यादा महंगी कोई वस्तु आ गई होगी, क्योंकि शहर में लगातार खुल रहे अस्पताल बता रहे हैं कि शहर में मरीजों की संख्या बढ़ चुकी है, जिसके चलते दवा कारोबार में इजाफा तो लाजमी हुआ होगा।

आप सोच रहें होंगे कि मैं क्या पहेली बुझा रहा हूँ, लेकिन यह किस्सा आम आदमी की जिन्दगी को बेहद प्रभावित करता है, क्योंकि इस किस्सा में भगवान को खरीदा जा रहा है। चौंकिए मत! आम आदमी की भाषा में डॉक्टर भी तो भगवान का रूप है, और उक्त किस्सा एक डॉक्टर को लालच देकर खरीदने का ही तो है। कितनी हैरानी की बात है कि पैसे मोह से बीमार डॉक्टर शारीरिक तौर पर बीमार व्यक्तियों का इलाज कर रहे हैं।

इस में कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि दवा कंपनियों के पैसे से एशोआराम की जिन्दगी गुजारने वाले ज्यादातर डॉक्टर अपनी पसंदीदा कंपनियों की दवाईयाँ ही लिखकर देते हैं, जिसकी मार पड़ती है आम आदमी पर, क्योंकि दवा कंपनियां डॉक्टर को दी जाने वाली सुविधाओं का खर्च भी तो अपने ही उत्पादों से निकालेंगी।

पैसे के मोह से ग्रस्त डॉक्टरी पेशा भी बुरी तरह बर्बाद हो चुका है, अब इस पेशे में ईमानदार लोग इतने बचें, जितना आटे में नमक या फिर समुद्र किनारे नजर आने वाला आईसबर्ग (हिमखंड), ज्ञात रहे कि आइसबर्ग का 90 फीसदी हिस्सा पानी में होता है, और दस फीसदी पानी के बाहर, जो नजर आता है।

अब ज्यादातर डॉक्टरों का मकसद मरीजों को ठीक करना नहीं, बल्कि रेगुलर ग्राहक बनाना है, ताकि उनकी रोजी रोटी चलती रहे, और वो जिन्दगी को पैसे के पक्ष से सुरक्षित कर लें, पैसे की लत ऐसी लग गई है कि आम लोग सरकारी नौकरियाँ तलाशते हैं, डॉक्टर खुद के अस्पताल खोलने के बारे में सोचते हैं। मुझे याद है, जब मेरी माता श्री बीमार हुई थी, उसका मानसा के एक सरकारी अस्पताल से चल रहा था, वो पहले से चालीस फीस ठीक हो गई थी, अचानक उस युवा डॉक्टर ने सरकारी नौकरी छोड़कर खुद को अस्पताल खोल लिया, और मेरी माता की दवाई अब उसके अस्पताल से आनी शुरू हो गई, वो पहले महीने भर में बुलाता था, अब हफ्ते भर में। और मोटी फीस लेने लगा था, लेकिन कुछ हफ्तों बाद उसकी तबीयत फिर से पहले जैसी हो गई, क्योंकि अब उस डॉक्टर का मकसद खुद की आमदन बढ़ाना था, ना कि मरीज को तंदरुस्त कर घर भेजना।

लोगों ने डॉक्टर को भगवान की उपमा दी है, लेकिन अब उस भगवान के मन में इतना खोट आ गया है कि अब वो भगवान अपने दर पर आने वाले मानवों के अंगों की तस्करी करने से भी पीछे नहीं हट रहा। इतना ही नहीं, कभी कभी तो भगवान इतना क्रूर हो जाता है कि शव को भी बिन पैसे परिजनों के हवाले नहीं करता। और तो और रक्त के लिए भी अब वो निजी ब्लड बैंकों की पर्चियां काटने लगा है, आम आदमी का शोषण अब उसकी आदत में शुमार हो गया है। अपनी रक्षक की छवि को उसने भक्षक की छवि में बदल दिया।

कुलवंत हैप्पी
76967-13601

नई किताब 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान'रीलिज की

नई किताब 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान'रीलिज की
बठिंडा। हिन्दी, संस्कृत  व गढ़वाल भाषा में करीबन दस किताबें लिख चुके पंडित बीडी भास्कर की नई किताब 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान' का विमोचन समारोह शुक्रवर को शहर के एक निजी होटल में किया गया। समारोह में होटल एशोसिएशन बठिंडा के अध्यक्ष सतीश अरोड़ा मुख्यातिथि के तौर पर शामिल रहे। अरोड़ा ने लेखक वीडी भास्कर द्वारा लिखी गई नई किताब को रीलिज किया व किताब की विशेषता के बारे में लोगों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस होटल जैसे कार्य में जहां आम व्यक्ति सोचना बंद कर देता है, वहीं से लेखक वीडी भास्कर ने इस कार्य को शुरु किया है। उन्होने बताया कि वीडी भास्कर द्वारा लिखी गई उनकी नई पुस्तक 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान' होटलों में काम करने वाले लोगों के  अलावा इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वालों के  लिए भी एक अद्भुत पुस्तक साबित होगी। समारोह के अंत में होटल एशोसिएशन द्वारा वीडी भास्कर को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। समागम में प्रमुख तौर पर विक्रमजीत सिंह बाहीया के अलावा एशोसिएशन के कार्यकर्ता रमेश सरदाना, अनिल ठाकुर, चमन सिंह, डा. नवदीप सिंह, आई.एस. घुमन रिटा, एम.एस. सजवान, रूपन कटारिया, बीएस सन्धू आदि विशेष तौर पर शामिल हुए।
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बाबा फरीद ग्रुप ने डेमीनोज पीजा कंपनी का पेलेसमेंट ड्राईव करवाया 
बठिंडा। बाबा फरीद गु्प आँफ इंस्टीट्यूशन में फास्ट ड्डूड क्षेत्र की प्रसिद्ध कंपनी डेमीनोज पीजा की तरफ से पेलस्टमेंट ड्राईव की गई। इस बाबत जानकारी देते हुए संस्था के एमडी गुरमीत सिंह धालीवाल ने बताया कि नए शैक्षाणिक से संस्थान में इस प्रकार कोर्स, बी.एस.सी, बीएससी,एटीएचएम, पीजी जैसे आदि नए कोर्स शुरु किए जा रहे है। इन्हे कोर्स की आज के युग में बड़ी मांग है। श्री धालीवाल ने बताया कि डेमीनोज कंपनी ने वी एटीएचएम ने प्लेसमैंट का आधार बनाया हुआ है। इन प्रकार की कंपनियों के साथ संस्था के संबंध बने पर भविष्य में यह कंञ्पनियां संस्थान में आती रहेगी व एटीएचएम वर्ग कोर्स संस्था से पास करने वाले छात्राओं को रोजगार उपलब्ध करवाने में मदद करेगी।  इस  पेलस्टमेंट ड्राईव में पंजाब के अलावा शिमला, अंबाला, कैथल, हशियारपुर, कांगड़ा मंडी, दिल्ली, हिसार, हनुमानगढ़, बीकनेर आदि क्षेत्रों से भारी संख्या में उम्मीदवार पहुंचे। इस दौरान २५ उम्मीदवारों को  आफर लैटर भी दिए गए। संस्था के पेलस्टमैंट अफसर गौरव ने बताया कि यह कोर्स पास करने वाले छात्रो को उक्त मैनजमैंट की तरफ से ट्रेनिंग दी जायेगी व इनकी सालान वेतन दो लाख के करीब होगा।
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भाखड़ा नहर से मिले तीन शव व भ्रूण
बठिंडा : बठिंडा-सरदूलगढ़ रोड़ स्थित गांव कुसला से होकर गुजरने वाली भाखड़ा नहर से एक छह सात माह के नर भ्रूण के अलावा तीन अज्ञात लोगों की गली सड़ी लाशें बरामद हुई हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय समाज सेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसायटी को सूचना मिली कि बठिंडा-सरदूलगढ़ रोड़ स्थित भाखड़ा नहर में तीन लाशें व एक भ्रूण फंसा हुआ है। सूचना मिलने के बाद संस्था के कार्यकर्ता तरसेम सिंह, विक्की, कमल वर्मा, शिवम शर्मा आदि घटनास्थल गांव कुसला पहुंचे, और उन्होंने जोड़कियां थाना प्रभारी कर्मजीत सिंह की देखरेख में नहर से तीन लाशें व एक नर भ्रूण को बाहर निकाला और लाशों व भ्रूण को पोस्टमार्टम के लिए सरदूलगढ़ के सिविल अस्पताल में भेज दिया। संस्था प्रमुख सोनू महेश्वरी ने बताया कि लाशें करीबन 15-20 दिन पुरानी थी, जिनकी शिनाख्त हो पाना बेहद मुश्किल है। उन्होंने बताया कि एक लाश की बाजू पर इंग्लिश में जेओटीई व शेयर लिखा हुआ था।

नहर से मिली नवजात बच्चे की लाश :
निकटवर्ती गांव तिओना में उस समय हतप्रभ की स्थिति पैदा हो गई, जब गांव से होकर गुजरने वाली नहर में जा रही एक नवजात बच्चे की लाश पर कुछ गांवों वासियों की निगाह पड़ी। उन्होंने तुरंत एक समाज सेवी संस्था को मोबाइल फोन द्वारा सूचित किया। संस्था के कार्यकर्ता ने मौके पर पहुंचकर नवजात बच्चे को नहर से बाहर निकाला, लेकिन वो मरा हुआ था।

एकत्र की जानकारी के अनुसार वक्त था सुबह दस बजे का, जब स्थानीय समाज सेवी संस्था सहारा जन सेवा को सूचना मिली कि गांव तिओना की नहर में एक नवजात शिशु का शव जा रहा है। संस्था ने सूचना मिलते ही अपने कार्यकर्ता जग्गा सिंह की नेतृत्व में अपनी टीम को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया। मौके पर पहुंच कर संस्था वर्करों ने बच्चे को बाहर निकाला, जो मृत था। संस्था के कार्यकर्ता बच्चे को पोस्टमार्टम के लिए बठिंडा के सिविल अस्पताल ले आए। ज्ञात रहे कि उक्त शव नवजात लड़के का है।

माहौल भड़काऊ गीतों पर लगे पाबंदी

गीत संगीत के लिए बने सेंसर बोर्ड 
बठिंडा : पंजाबी गीत संगीत वारिस हीर की बदौलत अश्लीलता से बाहर निकालकर साफ सुधरे माहौल में पहुंचा ही था कि पंजाबी गायक बब्बू मान के गीतों ने उसका रुख क्रांतिकारी गीतों की तरफ मोड़ दिया। इसका इतना बुरा प्रभाव पड़ा कि अच्छी सोच क्रिएट करने की बजाय गीत विवादों को क्रिएट करने लगे हैं। लोगों के मनों में मोहब्बत का बीज बोने की बजाय नरफत के खार बोए जा रहे हैं, जिससे स्थिति किसी भी समय विस्फोटक साबित हो सकती है।

गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से बब्बू मान द्वारा लाला लाजपत राय को लेकर गाया गीत आलोचनाओं का निरंतर शिकार हो रहा है। अभी बब्बू मान का मामला सिमटा नहीं था कि कुछ हिन्दु सामाजिक संगठनों ने म्यूजिक चैनलों पर प्रसारित होने वाले गीत असीं तां यारों फैन हां बाबे भिंडरांवाले दे' को लेकर एतराज जता दिया। कुछ संगठन तो इस गीत को पूरी तरह बैन करवाने की मांग भी उठा रहे हैं।

लोगों को सचेत करने की बात तो कोई बुरी बात नहीं, लेकिन पुराने जख्मों को कुरेदना व किसी हिंसक भावनाओं को फिर से उत्पन्न करना के बेहद बुरी बात है, क्योंकि विवादित बातें समाज को टुकड़ों में बांटकर रख देती हैं। अब पंजाब के कई गायक ऐसे गीत गा रहे हैं, जो किसी न किसी वर्ग को निशाना बनाकर गाए जा रहे हैं। जैसे कि पिछले दिनों रिलीज हुई राज कांकड़ा की एलबम का गीत 'तुसीं उन्हां दे गलां विच्च हार पाउंदे रहे' आदि गीत। इस गीत में भगत सिंह की सराहना की गई तो दूसरी तरफ देश के राष्ट्रपिता की खुलकर धज्जियां उड़ाई गई हैं।

आज ऐसे तमाम गीत टेलीविजनों पर बज रहे हैं, जो सामाजिक भाईचारे को ठेस पहुंचा रहे हैं। इस बाबत जब विश्व हिन्दु परिषद के शीर्ष नेता सुखपाल सिंह सरां का कहना है कि आज के युवा गायक घटिया मानसिकता की उपज गीत गाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को नफरत फैलाने वाले गीतों पर रोक लगानी चाहिए। एक अन्य बुद्धजीवि का मानना है कि पंजाबी संगीत के लिए हिन्दी फिल्मों की तरह एक सेंसर बोर्ड होना चाहिए, जो गीत कंटेंट को देखकर ही रिलीज करे।

गुरुवार, 1 जुलाई 2010

बाजारवाद में ढलता सदी का महानायक

इसमें कोई शक नहीं कि रुपहले पर्दे पर अपने रौबदार एवं दमदार किरदारों के लिए हमेशा ही वाहवाही बटोरने वाला सदी का महानायक अमिताभ बच्चन अब बाजारवाद में ढलता जा रहा है, या कहूं वो पूरी तरह इसमें रमा चुका है। ऐसा लगता है कि या तो बाजार को अमिताभ की लत लग गई या फिर अमिताभ को बाजार की।

एक समय था जब अमिताभ की जुबां से निकले हुए शब्द लोगों के दिल-ओ-दिमाग में सीधे उतर जाते थे, उस वक्त के उतरे हुए शब्द आज भी उनकी जुबां पर बिल्कुल पहले की तरह तारोताजा हैं। उस समय कि दी यंग एंग्री मैन की छवि को आज का बिग बी टक्कर नहीं दे सकता। सत्य तो ये है कि आज का बिग बी तो उसके सामने बिल्कुल बौना नजर आता है।

सदी के इस महानायक का हाल एक शराबी जैसा हो गया है, जिसको देखकर कभी समझ नहीं आती कि शराब को वो पी रहा है या फिर शराब उसको पी रही है। आज बाजार अमिताभ को खा रहा है या अमिताभ बाजार को समझ नहीं आ रहा है, बस सिलसिला दिन प्रति दिन चल रहा है। असल बात तो यह है कि बीस तीस साल पुराना लम्बू और आज के बिग बी या अमिताभ बच्चन में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है।

जहां बीस तीस साल पहले लम्बू बड़े पर्दे पर गरीबों दबे कुचले लोगों की आवाज बनता या उनका प्रतिनिधित्व करता हुआ एक दी यंग एंग्री मैन बन गया था, वहीं आज का अमिताभ बच्चन एक पूंजीवादी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हुए बाजार के लिए वस्तु बनकर रह गया या फिर टैग बनकर रह गया।

आज का बिग बी किसी को याद नहीं, अगर याद है तो सब को बीस तीस साल पुराना वो ऊर्जावान और शक्तिशाली अमिताभ बच्चन या फिर विजय दीना नाथ चौहान। जिसकी आवाज लोगों के कानों में आज भी गूंजती है, जिसके होने का आज भी अहसास होता है। वो कई साल पुराना हो चुका है, लेकिन आज भी तारोताजा है खेतों में लगी हुई सब्जियों की भांति। इस बात की पुष्टि तो पिछ्ले दिनों बिग बॉस के पहले दिन ही हो गई थी, जब बिग बी के सामने आने वाले बिग बॉस के मेहमान कल वाले अमित जी को याद कर रहे थे, जब अमिताभ उनकी उम्र का हुआ करता था। इन प्रतियोगियों को आज का अमित तो दिखाई ही नहीं देता। आज का बिग बी तो दी यंग एग्री मैन के कारण दौड़ रहा है।

अमिताभ बच्चन के 'दी यंग एंग्री मैन' से 'बिग बी' बनने के पीछे शायद '90 के दशक दौरान हुआ घाटा ही है, इसके बाद जब अमिताभ फिर से उदय हुआ तो उसका नया रूप था बिग बी। उसने विजय दीना नाथ चौहान का पल्लू छोड़ दिया, और खुद को बिग बी में ढाल लिया। जो अब पैसे की कीमत को समझने लगा था, उसको समझ आ गया था कि अब उसको बाजारवाद में ढलना होगा, नहीं तो वो खत्म हो जाएगा। किसी ने सत्य ही कहा है कि पैसा कुछ नहीं, अगर समझो तो खुदा से कम नहीं।

बीपीएल के विज्ञापन से विज्ञापन जगत में कदम रखने के बाद अमिताभ ने कई उत्पादों की बिक्री को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया, जिसके साथ अमिताभ का नाम जुड़ गया, उसका नसीबा खुल गया। इस दौर में अमिताभ पैसा खींच रहा है खुद के लिए और कुछ कारोबारी कंपनियों के लिए। शायद इस लिए लोगों के जेहन में दी यंग एंग्री मैन का नया रूप नहीं उतर रहा, बिग बी भा रहा है तो उसके पिछले युग के कारण, वैसे भी भारत में एक धारणा तो है कि आदमी अपने पिछले जन्मों का किया हुआ इस जन्म में खाता है, वैसे भी अमिताभ बच्चन का बिग बी दूसरा जन्म ही है।

कुलवंत हैप्पी
76967-13601

जेल गार्द एसो. ने किया रोष प्रदर्शन

जेल गार्द एसो. ने किया रोष प्रदर्शन
बठिंडा : पिछले छह माह से जेल गार्द के लांगरियों को वेतन न मिलने, पिछले दो सालों से वर्दी न मिलने व कर्मचारियों की अवैध बदली करने को लेकर विभाग से खफा पंजाब जेल गार्द एसोसिएशन ने स्थानीय केंद्रीय जेल में रोष प्रदर्शन किया। गौर तलब है कि विगत 18 जून को एसोसिएशन की ओर से फिरोजपुर सर्कल में धरना देकर चेतावनी दी गई थी, अगर सरकार व विभाग ने उनकी मांगों पर गौर न किया तो फिर से एक जुलाई को रोष प्रदर्शन किया जाएगा। अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे अपने साथियों को संबोधित करते हुए एसोसिएशन के वक्ताओं ने कहा कि अगर सरकार व विभाग उनकी मांगों को नहीं मानता तो संघर्ष को तेज किया जाए। वक्ताओं ने अपने हकों की रक्षा के लिए अपने साथियों को प्रेरित किया। इस मौके पर जानकारी देते हुए एसोसिएशन के प्रधान लखवीर सिंह ने बताया कि उनकी मांगों में जेल गार्द की भर्ती की योग्यता 12वीं की जाए, जो आठवीं है, जेल गार्द को पंजाब पुलिस की तरह गजटिड छुट्टियों की एवज में 13वां वेतन दिया जाए। इसके अलावा जेल गार्द के लांगरियों को पिछले छह माह से जो वेतन नहीं दिया गया, वो दिया जाए व पिछले दो साल से नहीं दी गई वर्दियां दी जाएं। इस मौके पर बलदेव सिंह मेहराज, कर्म सिंह व गुरनैब सिंह आदि साथी उपस्थित थे।

तीन दिवसीय भूख हड़ताल शुरू
बठिंडा : आज स्थानीय मिनी सचिवालय के बाहर जंगलात विभाग फील्ड वर्कर्स यूनियन बठिंडा की ओर से अपनी मांगों को लेकर तीन दिवसीय भूख हड़ताल की शुरूआत की गई। इस मौके पर जानकारी देते हुए जिलाध्यक्ष ने बताया कि वन विभाग बठिंडा की ओर से कर्मचारियों को पिछले चार माह से वेतन नहीं दिया गया, जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति बेहद पतली होती जा रही है। यूनियन नेताओं ने वन विभाग बठिंडा के आला अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग के उक्त अधिकारी दिन के उजाले में लूट रहे हैं और सरकार को आए दिन लाखों का चूना लगा रहे हैं। यूनियन के राज्याध्यक्ष जसवीर सिंह जंगीराणा ने बताया कि यहाँ हो रही लूटमार के बाबत विजिलेंस को भी जानकारी है, लेकिन अभी तक आरोपियों के विरुद्ध कोई ठोस कारवाई नहीं हुई, जिसके कारण अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं।

माइक्रोटेक की डीलर मीट
बठिंडा : स्थानीय बरनाला रोड़ स्थित एक रिजोर्ट में बिजली यंत्र बनाने वाली कंपनी माइक्रोटेक की ओर से एक डीलर मीट का आयोजन किया गया, जिसमें बठिंडा व आस पास के क्षेत्र से संबंधित डीलरों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर कुबेर का खजाना स्कीम के तहत लक्की ड्रा निकाले गए। मीट डीलरों का मनोरंजन करने के लिए रंगारंग प्रोग्राम का आयोजन भी किया गया, जिसमें पंजाबी हासरास कलाकार भजना अमली व उसकी साथी कलाकार ने खूब रंग बांधा। इस मौके पर बठिंडा के राजेंद्र कोहली व दवेंद्र कोहली को विशेष तौर पर सम्मानित किया गया।


सड़क हादसे में चार घायल
बठिंडा : पिछले 24 घंटों के दौरान शहर के विभिन्न क्षेत्रों में हुए सड़क हादसों में करीबन चार लोगों के घायल होने की सूचना मिली है, जिनको उपचार के लिए सहारा जन सेवा द्वारा स्थानीय सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जानकारी के अनुसार संस्था को सूचना मिली कि स्थानीय थर्मल फाटक के समीप एक नौजवान घायल अवस्था में पड़ा हुआ है। सूचना मिलते ही संस्था के कार्यकर्ताओं ने घायल युवक आजाद सिंह को स्थानीय सिविल अस्पताल में भरती करवाया। वहीं स्थानीय चंदसर बस्ती में एक मोटर साइकिल की टक्कर से रिक्षा चालक सुखदेव सिंह घायल हो गया, जिसको उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इसके अलावा बीवी वाला चौंक के समीप एक स्कूटर चालक को बचाने के चक्कर में कार सड़क डिवाईडर के साथ टकरा गई, जिसके कारण कार चालक सुखदेव सिंह सिद्धू बुरी तरह घायल हो गया। उधर, स्थानीय बादल रोड़ पर दो मोटर साइकिलों की आपसी भिंड़त में एक मोटर साइकिल चालक गिरधारी लाल बुरी तरह घायल हो गया, जिसको इलाज हेतु अस्पताल में दाखिल करवाया गया।

आसरा को दान किया शव सुरक्षा फ्रिज
बठिंडा : बठिंडा शहर की समाज सेवी संस्था आसरा वेलफेयर सोसायटी बठिंडा की सेवा भावना को देखते हुए बठिंडा के समाज सेवक बनवारी लाल बांसल ने संस्था को समाज सेवा हेतु शव सुरक्षा फ्रिज भेंट किया। संस्था प्रमुख रमेश मेहता ने बताया कि उक्त शव सुरक्षा फ्रिज को स्थानीय बीवी वाला रोड़ स्थित रामबाग में रख दिया गया। इस मौके पर संस्था के देवराज बांसल, विनोद गोयल, गोरा बांसल, हनीष मेहता, बसंत भट्ट, संदीप उपस्थित थे।

बुधवार, 30 जून 2010

वीडी भास्कर की नई किताब शीघ्र

बठिंडा : हिन्दी, संस्कृत व गढ़वाल भाषा में करीबन दस किताबें लिख चुके पंडित वीडी भास्कर की नई किताब 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान' का विमोचन शुक्रवार को होने जा रहा है। इस समारोह में शिरकत करने के लिए बठिंडा पधारे श्री भास्कर ने संध्या दैनिक 'पंजाब का सच' के  साथ चर्चा करते हुए बताया कि उनको लेखन का शौक बचपन से ही था। उन्हें लिखने का शौक बाल सभाओं में मंच संलाचन करते करते पड़ा। आगे श्री भास्कर बताते हैं कि 1980 में उनकी पहली हिन्दी किताब नाटक 'पापी पेट का सवाल' आई, जिसको पाठकों ने बेहद स्नेह दिया। उन्होंने अपने उपरोक्त नाटक का मंचन देश भर के कई राज्यों में गढ़वाल भाषा नाटक व संगीत परिषद के बैनर तले 1985 से 2000 तक किया। एक सवाल का जवाब देते हुए उत्तरांचल साहित्य सभा के भास्कर पुरस्कार से सम्मानित श्री भास्कर बताते हैं कि आजकल वो नए नए होटलों में अतिथि प्रवक्ता के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जिसके कारण वो नाटक मंचन से दूर हो गए, अगर ईश्वर ने चाहा तो वो जल्द से फिर 
रंगमंच की ओर लौटेंगे। नरसिंह रहस्य, आपकी सफलता का महामंत्र, चमत्कार को नमस्कार व कब क्यों और कैसे (संस्कृत) जैसी तमाम पुस्तकें लिख चुके श्री भास्कर कहते हैं कि उनकी नई पुस्तक 'होटलों में अनिवार्य ज्ञान' होटलों में काम करने वाले लोगों के अलावा इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वालों के लिए भी एक अद्भुत पुस्तक है, जो शीघ्र ही बाजार में होगी।

मंहगाई को लेकर भाजपा का थाली खटकाओ प्रदर्शन

-केंद्र सरकार पर गरीबों को खत्म करने का आरोप लगाया
-बढे़ तेल के दामों को तत्काल वापिस लेने की मांग 
बठिंडा। भारतीय जनता पार्टी ने मंहगाई को लेकर जिला स्तर पर मिनी सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इसमें केंद्र सरकार की तरफ से रसोई गैस, डीजल व पैट्रोल की कीमतों में की गई बढ़ोतरी की अलोचना कर इसे तत्काल वापिस लेने की मांग की गई। इस दौरान थालियां लेकर मंहगाई के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजाने को कहा गया। विरोध प्रदर्शन में भाजपा की तरफ से भीड़ जुटाने के लिए बाहरी बस्तियों से लोगों को इकट्ठा किया गया था जिसमें सभी को नई थालियां खरीदकर दी गई थी। इन थालियों को लेने के लिए भी रैली के दौरान जमकर घमसान हुआ। भाजपा के प्रधान श्याम लाल बांसल ने कहा कि कांग्रेस की यूपीए सरकार मंहगाई पर लगाम कसने में पूरी तरह से नाकाम रही है, जिससे गरीब लोगों की कमर टूट गई है। वही हाल में सरकार ने तेल की कीमतों केञ् साथ रसोई गैस की कीमते बढ़ाकर लोगों पर अतिरिक्त बोझ डालने का काम किया है। भाजपा केंद्र सरकार की इस विफलता को अजागर करने के लिए राज्य भर में विरोध प्रदर्शन कर रही है। भाजपा के नगर निगम डिप्टी मेयर तरसेम गोयल, मंडल प्रधान अशोक बालियांवाली ने कहा कि केंद्र की कांग्रेस सरकार गरीबी खत्म करने का दावा कर रही है लेकिन उसकी नीतियों से गरीबी तो खत्म नहीं हो रही है बल्कि गरीब खत्म हो गया है। जिले में थाली खटकाओ प्रदर्शन में वह केंद्र की सो रही सरकार को जगाने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह के प्रदर्शन राज्य भर में किए जा रहे हैं। रैली में प्रमुख तौर पर नेशनल कौंसिल मैंबर एडवोकेट मोहन लाल गर्ग, गुलशन बंधावा, पंकज अरोड़ा व सुमन गुप्ता ने भी संबोधित किया। 

मौज मस्ती के शौक ने बना दिया लूटपाट गिरोह का सरगना

-इंजीनियरिंग के दो छात्रों सहित पांच सदस्य पुलिस की हिरासत में 
- पुलिस ने बरामद किया तीन लाख रुपए का सामान 
बठिंडा। बचपने में एक कपडे़ की दुकान में खरीदे सामान की कीमत अदा करने के लिए की गई चोरी ने दो नौजवानों को लूटपाट गिरोह का सरगना बना दिया। इसके बाद उक्त नौजवान इस कदर बेखौफ हो गए कि उन्होंने सड़क पर जाने वाले लोगों को लूटने का काम शुरू कर दिया। वर्तमान में इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहे दोनों छात्रों को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि उक्त लोग महानगर में हुई दर्जनों बड़ी लूटपाट की घटनाओं में शामिल है। महानगर में लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देने वाले इस गिरोह का कैञ्नाल पुलिस ने पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है जिसमें दो युवक बठिंडा के एक प्राइवेट पॉलोटैक्निक कालेज में इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र है। पुलिस ने उक्त गिरोह के सदस्यों से तीन लाख के करीब सामान बरामद किया है। एसएसपी डा. सुखचैन सिंह ने बताया कि महानगर में पिछले लंबे समय से सड़क में जाती महिलाओं के गहने व मोबाइल छीनने की घटनाएं घटित हो रही थी। इसमें पुलिस पुलिस ने छानबीन शुरू की तो खुलासा हुआ कि कुछ नौजवानों ने एक गिरोह बना रखा है जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। जांच पड़ताल में पता चला कि एक प्राइवेट पॉलोटैक्निक कालेज के दो छात्र कुलजीत सिंह और लखवीर सिंह ने एक गिरोह बना रखा है जो आगे चार अन्य लोगों के साथ मिलकर इस तरह की लूटपाट अपने मंहगे शौक पूरे करने के लिए करते हैं। उक्त लोग नशा करने के साथ मंहगे कपडे़ पहनने व बडे़ शहरों में घूमने के शौकिन है। इसी शोक के लिए वह आए दिन लूटपाट कर रहे हैं। गिरोह में कुलजीत सिंह पुत्र जगतार सिंह  वासी आर्दश नगर, लखवीर सिंह पुत्र हरबंस सिंह वासी गिलपत्ती, मिथेलेश कुमार पुत्र कांशी राम वासी सुखपीर रोड, संदीप कुमार पुत्र विजय कुञ्मार वासी हंसनगर, गौरवदीप सिंह पुत्र प्रवीण कुमार के साथ मिलकर एक गिरोह का गठन कर रखा था। गिरोह के सरगना कुलजीत सिंह और लखवीर सिंह ने बताया कि बचपन में पहले बार उन्होंने एक दुकान से कपडे़ खरीदे व इन कपड़ों के लिए उनके पास पैसे कम हो गए। इसके लिए उन्होंने सड़क पर जा रही एक महिला का पर्स छीना व फरार हो गए। इसके बाद उनके हौसले बुलंद हो गए व उन्होंने आए दिन इस तरह की लूटपाट करनी शुरू कर दी। इसकी भनक उनके अभिभावकों को भी नहीं लग सकी। इसकेञ् बाद उन्होंने बकायदा अपने साथ चार अन्य लोगों को जोड़ लिया व लूटपाट केञ् सामान को आपस में बांट मौज मस्ती करते थे। यह गिरोह बठिंडा शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में लूटपाट की वारदातों को अंजाम देता था। पुलिस को गुप्त सूचना मिली की उक्त गिरोह विगत दिवस हथियारों से लेंस होकर बहिमण दीवाना रोड़ पर किसी घर में डाका मारने की योजना बना रहे थे। पुलिस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर गिरोह के छह सदस्यों को मौके पर काबू कर लिया। पुलिस ने गिरोह के सभी सदस्यों से पूछताछ करने पर 114 ग्राम 330 मिलीग्राम सोना, 18 मोबाईल फोन व 18 हजार रुपये, तीन मोटरसाइकिल बरामद किए हैं। उक्त गिरोह से बरामद किए गए लूटपाट के सामान की कुल कीमत तीन लाख के करीब हैं। कैनाल पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए गिरोह के सभी सदस्यों पर आईपीसी की धारा 399,402 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

मंगलवार, 29 जून 2010

पंजाबी भाषा और कुछ बातें

अपने ही राज्य में बेगानी सी होती जा रही है पंजाबी भाषा, केवल बोलचाल की भाषा बनकर रह गई पंजाबी, कुछ ऐसा ही महसूस होता है, जब सरकारी स्कूलों के बाहर लिखे 'पंजाबी पढ़ो, पंजाबी लिखो, पंजाबी बोलो' संदेश को देखता हूँ। आजकल पंजाब के ज्यादातर सरकारी स्कूलों के बाहर दीवार पर उक्त संदेश लिखा आम मिल जाएगा, जो अपने ही राज्य में कम होती पंजाबी की लोकप्रियता को उजागर कर रहा है, वरना किसी को प्रेरित करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।

पंजाबी भाषा केवल बोलचाल की भाषा बनती जा रही है, हो सकता है कि कुछ लोगों को मेरे तर्क पर विश्वास न हो, लेकिन सत्य तो आखिर सत्य है, जिस से मुँह फेर कर खड़े हो जाना मूर्खता होगी, या फिर निरी मूढ़ता होगी। पिछले दिनों पटिआला के बस स्टॉप पर बस का इंतजार करते हुए मेरी निगाह वहाँ लगे कुछ बोर्डों पर पड़ी, जो पंजाबी भाषा की धज्जियाँ उड़ा रहे थे, उनको पढ़ने के बाद लग रहा था कि पंजाबी को धक्के से लागू करने से बेहतर है कि न किया जाए, जो चल रहा है उसको चलने दिया जाए।

अभी पिछले दिनों की ही तो बात है, जब एक समारोह में संबोधित कर रहे राज्य के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को अचानक अहसास हुआ कि पाकिस्तान व हिन्दुस्तान में संपर्क भाषा पंजाबी भी है, जिसके बाद उन्होंने अपना भाषण पंजाबी में दिया, चलो एक अच्छी बात है। लेकिन ऐसा भी तो हो सकता है कि किसी ने पीछे से कह दिया हो, साहेब! आप तीसरे देश की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। दोष बादल साहेब का नहीं, दोष तो हमारा है, जो खुद की भाषा में बात करने को अपनी बे-इज्जती समझते हैं। हमारे राज्य की तो छोड़ो देश के नेता भी हिन्दी में शपथ लेने से कतराते हैं, और कहते हैं कि हिन्दुस्तान की संपर्क भाषा हिन्दी बने। इससे कुछ दिन पहले ही, राज्य के एक पंजाबी समाचार पत्र में लेखिका डा.हरशिंदर कौर का लेख प्रकाशित हुआ था, जिसमें लेखिका ने अपने साथ हुई घटना का उल्लेख करते हुए पंजाबी सेवक का पट्टा पहनकर घूमने वालों पर जोरदार कटाक्ष किया था।

पंजाबी भाषा को अगर कायम रखना है, तो सरकार को कानून बनाने की नहीं बल्कि भाषा को लोकप्रिया बनाने की जरूरत है। पंजाबी गीत संगीत ने पंजाबी को विश्वव्यापी तो बना दिया, लेकिन केवल बोलचाल में, लेखन में नहीं। अगर लेखन में भी इसको लोकप्रियता दिलानी है तो सरकार को साहित्यकारों की तरफ ध्यान देना होगा। पंजाबी फिल्मों के साथ साथ फिर से पंजाबी रंगमंच को जिन्दा करना होगा, ताकि लोगों को एक बार फिर से पंजाबी लेखन की तरफ खिंचा जा सके।

पंजाबी फिल्म एकम में जब नायिका नायक को अपने शौक के बारे में बताते हुए कुछ विदेशी लेखकों का नाम लेती है, जिन्हें वे रूटीन में पढ़ती है, तो नायक उसकी इस बात पर कटाक्ष करते हुए कहता है कि कभी पंजाबी लेखकों को भी पढ़ लिया करो। स्टेट्स सिम्बल के चक्कर में पंजाबी अपने ही राज्य में हाशिए पर खड़ी नजर आ रही है। कॉलेजों से निकलते ही विद्यार्थी भूल जाते हैं कि उन्होंने कॉलेज में किन किन पंजाबी लेखकों को पढ़ा, और आगे किन किन को पढ़ना है, क्योंकि उनके लिए पढ़ाई का मतलब डिग्री हासिल करना, और उस डिग्री के बलबूते पर नौकरी हासिल करना। ऐसे में भाषा व संस्कृति को बचा पाना बेहद मुश्किल ही नहीं, असंभव भी है।

कुलवंत हैप्पी
76967 13601

पानी की टैकियों पर लगा रहा पुलसिया पहरा

-बेरोजगार बीएड़ अध्यापकों ने निकाली महानगर में रैली
-ईटीटी अध्यापकों ने दिया यूनियन पदाधिकारियों को इस्तीफा
बठिंडा। बेरोजगार बीएड अध्यापक फ्रंट और ईटीटी अध्यापक यूनियन ने मंगलवार को पूरा दिन जिला प्रशासन को छकाकर रखा। सोमवार की रात से ही स्थानीय टीचर्स होम में बीएड बेरोजगार अध्यापक फ्रंट के राज्य भर से कार्यकर्ता इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। इसके चलते जिला प्रशासन ने जिले भर की सभी पानी की टैकियों की नाकाबंदी कर दी व पूरी फोर्स इन टैकियों के आसपास तैनात कर दी गई। इस दौरान प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर भी सुरक्षा के कडे़ इंतजाम करने पडे़। प्रशासन की सख्ती के चलते बेरोजगार बीएड अध्यापकों ने दोपहर बाद शहर में रैली निकालकर मांगपत्र सौंपा। दूसरी तरफ ईटीटी अध्यापक यूनियन के सैकड़ों अध्यापकों ने सरकार की नीतियों से खफा होकर अपनी नौकरी से इस्तीफे देने की घोषणा कर दी। इस बाबत सभी अध्यापकों ने यूनियन पदाधिकारियों को अपने इस्तीफे सौंपकर आगे सरकार व शिक्षा विभाग तक इन्हें भेजने का अधिकार दिया। वहीं कहा कि वह आगे से शिक्षा विभाग की तरफ से जारी किसी भी आदेश की पालना करने के लिए बाध्य नहीं रहेंगे बल्कि बीडीपीओ के प्रति उनकी जबावदेही रहेगी। बोरोजगार बीएड अध्यापक फ्रंट की तरफ से राज्य स्तरीय रैली में प्रमुख हरजीत सिंह जींदा ने बताया कि सरकार उन्हें नौकरी देने का झूठा वायदा कर रही है लेकिन आज तक रोजगार प्रदान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी यूनियन ने सर्वसम्मति से फैस्ला लिया है कि टैंकियों पर चढक़र वह जान देने की बजाय सरकार की नाक में दम करने के लिए विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री की हर रैली में विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी। दूसरी तरफ ईटीटी अध्यापक यूनियन के जिला प्रधान जगमेल सिंह ने कहा कि चुनाव से पहले अकाली दल ने उन्हें सर्व शिक्षा अभियान व पढ़ो पंजाब प्रोजेक्ट के अधीन जिला परिषदों से शिक्षा विभाग में तैनात करने का वायदा किया था लेकिन इसमें आज तक ईटीटी अध्यापकों को शिक्षा विभाग में शामिल नहीं किया गया है। इसी से खफा अध्यापकों ने अपने पदों से इस्तीफे देने का फैसला लिया है। यह इस्तीफे प्रत्यक्ष तौर पर शिक्षा विभाग को नहीं दिए जा रहे हैं क़्योंकि शिक्षा विभाग उन्हें अपना हिस्सा मानने को तैयार नहीं है, ऐसे में उन्होंने यूनियन पदाधिकारियों को इस्तिफा देने का फैसला लिया है।

महिला से किया दुष्कर्म, एक व्यक्ति पर मामला दर्ज

बठिंडा। महिला को घर में अकेयल देख उसके ही पड़ोसी ने बलात्कार कर दिया। पुलिस ने महिला की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपी पुलिस की ग्रिफ्त से बाहर है। जानकारी अनुसार पीडि़त महिला ने तलवंडी साबो पुलिस के पास दर्ज करवाई शिकायत में बताया कि गुरुसर जगा में उसके परिजन किसी काम से बाहर गए हुए थे। इसका फायदा उठाकर सोनवार की रात्रि अमनदीप सिंह दीवार उर्फ चांद कर उसके घर में दाखिल हुआ। उसने तेजधार हथियार से उसे डरा धमकाकर उसके साथ दुष्कर्म कर घटनास्थल से फरार हो गया। परिजनों के घर वापिस लौटने पर इसकी जानकारी दे पुलिस के पास केस दायर करवाया गया। पुलिस ने महिला का मेडिकल करवाने के बाद आरोपी के खिलाफ केस दायर कर लिया। इसमें आरोपी घटना को अंजाम देने के बाद फरार है। 

महिला का अश्लील एमएमएस बनाकर कर रहे थे ब्लैकमेल
बठिंडा। महिला को नशीली दवा पिलाकर अश्लील एमएमएस बना ब्लैकमेल करने वाली दो महिला सहित तीन लोगों के खिलाफ केस दायर किया है। दयालपुरा पुलिस के पास दर्ज करवाई शिकायत में महिला ने बताया कि उसकी जानपहचान वाली महिला मनजीत कौर वासी भगता भाई, रमन कौर पत्नी जसकरण सिंह व फूलां पंडित पुत्र बलविंद्र शर्मा ने धोखे से उसे पानी के गिलास में नशीली दवाई पीलाकर बेहोश कर दिया। बहोशी की हालत में उक्त आरोपियों ने उसकी अश्लील फिल्म तैयार कर उसे ब्लैकमेल करना शुरु कर दिया। महिला ने बताया कि उक्त आरोपी उसे फोन कर धमकी दे रहे है कि उन्होंने उसका अश्लील एमएमएस बनाया है अगर उसने उन्हें बीस हजार रुपये नहीं दिए तो वह इसे सार्वजनिक कर देंगे। पुलिस ने दो महिला सहित तीन लोगों पर मामला दर्ज कर रमन व फूलां पंडित को गिरफ्तार कर लिया है। 

पूहली में लगाया रक्तदान शिविर

बठिंडा- यूनाईटेड वेलफेयर सोसायटी की ओर से चलाए जा रहे अभियान गांव गांव रक्तदान शिविर के तहत निकटवर्ती गांव पूहली में बाबा जीवन सिंह हैल्पर वेलफेयर क्लब की ओर से स्वेच्छा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें एक महिला रक्तदानी गुरजीत कौर के समेत 19 लोगों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया।

गांव की धर्मशाला में क्लब प्रधान जसमीत सिंह, उप प्रधान चमकौर सिंह व गुरसेवक सिंह के यत्नों से आयोजित रक्तदान शिविर का शुभारंभ डा. हरजिंदर कौर बीटीओ बरनाला ने रक्तदानियों के बैच लगाकर किया।

इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए डा.कौर ने लोगों को रक्तदान की लहर में बढ़ चढ़कर योगदान देने के लिए प्रेरित किया और उनके मनों में रक्तदान को लेकर पैदा हुई गलत फहमियों को दूर किया। रक्तदान शिविर में विशेष तौर पर पहुंचे संस्था प्रधान विजय भट्ट ने आए हुए रक्तदानियों का आभार प्रकट किया व उनको रक्तदान के प्रति अन्य लोगों को प्रेरित किया। कैंप के दौरान राजकुमार और कृष्ण कोटशमीर ने अपनी अपनी जिम्मेदारियां बाखूबी निभाई।

कैंप के दौरान सबसे दिलचस्प बात थी बरनाला ब्लड बैंक की चुस्त दुरुस्त टीम, जो रक्तदानियों के साथ बड़े ही सलीके से पेश आ रही थी और मौके पर ही रक्तदान प्रमाण पत्र तैयार कर दे रही थी। इसके अलावा टीम का हर वर्कर हर रक्तदानी के साथ वार्तालाप करते हुए उसको रक्तदान के प्रति जागरूक कर रहा था।

सर्टिफिकेट वितरण समारोह 
बठिंडा : स्थानीय इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट की ओर से अवार्ड ऑफ सर्टिफिकेट समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यातिथि के तौर पर गुरकृत कृपाल सिंह डिप्टी कमिश्नर बठिंडा पहुंचे।

इस मौके पर बोलते हुए श्री सिंह ने कहा कि आने वाले समय में होटल प्रबंधन कारोबार में रोजगार की बेहद संभावनाएं हैं। उन्होंने इस मौके पर सर्टिफिकेट हासिल करने वाले विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

समारोह के अतिरिक्त बातचीत में इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल श्री पियूश ने बताया कि जल्द से जल्द विद्यार्थियों की सुविधा के अनुसार उनको नौकरियां मुहैया करवाई जाएंगी और इसके लिए बड़े बड़े होटलों रेस्टोरेंटों से बातचीत चल रही है।

इस समारोह में अन्य लोगों के अलावा इंस्टीट्यूट प्रिंसिपल कमल पियूश, नगर निगम मेयर बलजीत बीड़ बह्मण, अशोक धुन्नीके, नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन अशोक भारती आदि उपस्थित थे।

रहा आकर्षण का केंद्र भुच्चो का जसवंत : सबेसियाह को दिन में बदल नहीं सकते, जो दीपक तेज हवाओं में जल नहीं सकते मशहूर शायर अजीज अंसारी की उक्त पंक्ति उस समय एकाएक जुबान पर आ गई, जब विद्यार्थी जसवंत सिंह निवासी भुच्चो खुर्द अपना डिप्लोमा सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए अपनी एक वैसाखी के साथ स्टेज की तरफ बढ़ा। उसके चेहरे पर गर्व का जोश साफ झलक रहा था, वो भले ही जिन्दगी भर एक वैसाखी के सहारे से चले, लेकिन आजीविका के लिए वो किसी और के सहारे का इंतजार नहीं करेगा।

सोमवार, 28 जून 2010

बरसात से पहले दूषित खानपान से फैली गंभीर बीमारियां

बठिंडा। जून माह में मानसून से पहले हो रही बरसात के बाद बेशक सेहत विभाग संभावित बीमारियों की रोकथाम के लिए पुख्ता प्रबंध करने का दावा कर रहा है लेकिन जिले में बिक रहे दूषित खानपान के कारण लोग कई गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। इन दिनों पेट दर्द, चमड़ी रोग के साथ उलट-दस्त जैसी बीमारियों की भरमार हो रही है। सिविल अस्पताल में ही प्रतिदिन डेढ़ सौ मरीज इस तरह की बीमारी के उपचार के लिए पहुंच रहे हैं जो सामान्य दिनों के मुकाबले तीन गुणा अधिक है। प्राइवेट अस्पतालों में तो यह तादाद कही ज्यादा है। सेहत विभाग की लापरवाही के चलते दूषित और सड़े-गले खाद्य पदार्थों की बिक्री जिले भर में धड़ल्ले से हो रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकार को सख्त हिदायत दे रखी है कि दूषित खाद्य पदार्थो की बिक्री पर निगरानी रखने के लिए लाइसेंस जारी करे, लेकिन इस पर राजनीतिक दबाब या फिर प्रशासनीय स्तर पर लापरवाही के चलते अमल नहीं हो रहा। आदेशों को आरंभिक चरण में औपचारिकता स्वरूप लागू कर दिया गया लेकिन राजनीतिक दबाव में योजना पूरी नहीं हो सकी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सात साल पहले 7 मार्च 2003 को सभी राज्य सरकारों को पत्र जारी कर निर्देश दिया था कि खाद्य पदार्थ बेचने वालों से एकमुश्त राशि वसूल कर लाइसेंस जारी किया जाए। इसमें सुनिश्चित किया जाना लाजमी है कि इन दुकानों की बकायदा समय-समय पर चेकिंग हो और दूषित खाद्य पदार्थ बेचने पर सख्त कार्रवाई की जाए। इस आदेश के बाद जिला सेहत विभाग ने जिले भर में सर्वे का काम शुरू  किया था। इसमें जिले में 153 राइस मिल, 39 स्लाटर हाउस, 228 ढाबा और रेस्टोरेंट, 28 होटल, 353 मिल्क डेयरी, 225 मीट शॉप, 390 जूस आइसक्रीम फैक्ट्री, 680 आटा चक्की, 25 कोल्ड स्टोर, 2,886 चाय की दुकानें, 2900 रीटेलर दुकान, 208 शराब ठेके, 2,170 खुले खाद्य पदार्थ विक्रेञ्ताओं की पहचान की गई थी। इनको जिला सेहत विभाग ने नोटिस जारी कर लाइसेंस बनाने के निर्देश जारी किये थे। शैलर मालिकों को ग्रामीण क्षेत्रों में तीन हजार व शहरी क्षेत्रों में पांच हजार रुपये की राशि भरने के लिए कहा था। सेहत विभाग ने दावा जताया था कि लाइसेंस प्रक्रिया के कारण जहां दूषित खाद्य पदार्थ की बिक्री पर रोक लगेगी वही सेहत विभाग को लाइसेंस फीस की एवज में प्रतिवर्ष लाखों रुपये की अतिरिक्त आय भी होगी। लेकिन वर्तमान में विभाग की नाकारा कारगुजारी के कारण जिले में दूषित खाद्य पदार्थ की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। इसके चलते लोग डायरिया जैसी बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। सब्जियों व फलों में जहां रसायनिक तत्वों की अधिकता के कारण पेट संबंधी विकारों में बढ़ोतरी हुई है। दाल, अनाज व तरल पदार्थ में मिलावट होने के कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। उधर, जिला सेहत विभाग के अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि सेहत विभाग इस योजना पर काम कर रहा है और जल्द ही इस बाबत लाइसेंस प्रक्रिञ्या को लागू किया जाएगा। सिविल सर्जन का कहना है कि दूषित खाद्य पदार्थों की सैपलिंग का काम जारी है। सैंपल ड्डेञ्ल होने पर सख्त कार्रवाई की जाती है।

रेगिस्तान में बदल जाएगा जिला!

बठिंडा। जल ही जीवन है लेकिन इन दिनों एक बार फिर से धान की खेती के लिए पानी का अंधाधुंध इस्तेमाल शुरू हो गया है, जिससे जमीनी पानी का स्तर दो से तीन फुट तक नीचे गिर रहा है। सितंबर माह तक जिले के कई हिस्सों में यह स्तर पांच फुट तक पहुंचने की आशंका है। पिछले सात साल में जिले का जमीनी पानी इसी रफ्तार से निरंतर नीचे गिर रहा है। वर्तमान में स्थिति यह है कि जहां पिछले साल जमीनी पानी की स्तर 40 से 45 फुट तक था वहीं यह 45 से 50 फुट तक चला गया है। पर्यावरण विशेषज्ञ डा. उमेंद्र दत्त शर्मा इस स्थिति को गंभीर मानते हुए खुलासा करते हैं कि अगर चार से पांच फुट तक पानी हर साल इसी तरह नीचे गिरता रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में जिले में रेगिस्तान जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। पानी का स्तर नीचे गिरने का सबसे बड़ा कारण खेती में विशेषकर धान की बिजाई के दौरान होने वाली अत्यधिक दोहन है। दूसरी तरफ पिछले कुछ साल से औसत से कम बरसात हो रही है जिससे पानी का स्तर बरकरार रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में बेशक जमीनी पानी को क्लोराइड व रासायनिक तत्वों की अधिक मात्रा से प्रदूषित करार दिया जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद जिले की 60 फीसदी आबादी नहरी पानी के अभाव में नलकूपों व ट्यूबवेलों पर निर्भर है। वर्तमान में जिले भर में डेढ़ लाख घर ऐसे हैं जहां नलकूपों से लोग पीने का पानी हासिल करते हैं। निगम व नगर कौंसिल मात्र 70 हजार घरों को पाइपों से स्वच्छ नहरी पानी दिलाती है। कृषि विभाग के एक अनुमान के अनुसार सामान्य तौर पर पांच फुट तक पानी का नीचे की तरफ जाना चिंताजनक पहलु है, इससे जहां किसानों को नए ट्यूबवेल पर हर साल लाखों रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं वही शहरी क्षेत्र में हैडपंपों को नए सिरे से खुदवाने के लिए एक व्यक्ति को पांच से दस हजार रुपये का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ रहा है। वर्तमान में हर साल 15 से 20 हजार हैंडपंप जमीनी पानी नीचे जाने से पानी छोड़ देते हैं। इससे उसे फिर से खुदवाने की जरूरत पड़ती है। यही नहीं कई स्थान तो ऐसे हैं जहां पानी का स्तर दस फुट तक नीचे चला गया है, ऐसे में हैंडपंप की नए सिरे से खुदाई करने व पाइपें डालने में 15 से 20 हजार रुपये प्रति खर्च आ रहा है। कृषि विभाग के अधिकारी एसएस गिल का कहना है कि उन्होंने किसानों को धान की अग्रीम खेती करने से मना कर रखा है जिसमें एक समय सीमा निर्धारित होने से ट्यूबवेलों से पानी का दोहन कम हुआ है। दूसरी तरफ वर्तमान में शहरी क्षेत्रों में लोग नगर निगम व नगर कौंसिल के भेजे जाने वाली पानी के टैंकरों पर निर्भर है, जो कई बार बिजली कट से मोटर न चलने या फिर तकनीकी खराबी से लोगों तक पहुंचने में असफल रहते हैं। ऐसे में लोगों के पास जमीन का दूषित पानी पीना ही एकमात्र हल होता है। इसमें भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पानी के लिए लोगों की लंबी कतारें लगना सामान्य घटना बन रही है।  इस मामले में नगर निगम कमिश्नर रवि भगत का कहना है कि पानी की सप्लाई आम लोगों तक बिना रुकावट पहुंचे इसके लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। पानी की सप्लाई पूरी करने के लिए कई योजनाओं पर काम चल रहा है। इससे लोगों को काफी हद तक राहत मिलेगी। 

हर बार बरसाती पानी से निपटने में होता है असमर्थ प्रशासन

मानसून सिर पर लेकिन कई स्थानों में सीवरेज की सफाई का काम नहीं
प्रशासन ने कहा अधिकारी कर रहे हैं विभिन्न इलाकों का दौरा 
बठिंडा। मौसम विभाग ने इस माह के अंत तक मानसून के आने की भविष्यवाणी कर दी है, वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन की मानसून से निपटने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी है। इससे इस बार की बरसात में लोगों को समस्याओं से दो चार होना पड़ सकता है। शहर में पानी निकासी के प्रबंधों को नाक चिढ़ाते गंदगी के ढेर हर गली मुहल्ले में देखे जा सकते हैं। नगर निगम अधिकारियों का दावा है कि बरसात से निपटने के लिए उन्होंने तैयारी शुरू  कर रखी है। जिला प्रशासन ने पिछले सप्ताह बैठक कर जिले को विभिन्न सेंटरों में बांटकर अधिकारियों की जिम्मेवारी तय की है। इसमें सीवरेज की सफाई करवाने के साथ सीवरेज लाइन की मरम्मत करने का काम चल रहा है। दूसरी तरफ इन दावों का अवलोकन किया जाए तो शहर के पावर हाऊस रोड, वीर कालोनी, सिरकी बाजार, माल रोड, गणेशा बस्ती, गुरू नानकपुरा, परसराम नगर व अमरीक सिंह रोड ऐसे क्षेत्र हैं जहां रह रहे हजारों लोगों को पिछले तीन दशक से बरसाती पानी की मार झेलनी पड़ रही है, इन क्षेत्रों में निगम हर साल करोड़ों रुपया खर्च कर सीवरेज व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा जताता है, लेकिन इसके बावजूद हालत सुधरने की बजाय बिगड़ रहे है। निगम अधिकारियों पर सीवरेज पाइपें डालने में बडे़ पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं। कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां सीवरेज व्यवस्था तो दुरुस्त हो जाती है, लेकिन बरसात के दिनों में शहर के पानी को डिस्पोजल में डंप करने वाली मोटरें नहीं चलने से पानी की निकासी नहीं हो पाती। निगम हर साल लाखों रुपये खर्च कर डिस्पोजल को ठीक करने का अभियान शुरू  करता है। पर पुरानी मशीनों व मोटरें समय पर जवाब दे देती हैं। यही नहीं जिन स्थानों में मोटर ठीक है वहां जेनरेटर न चलने से बिजली गुल होने पर डिस्पोजल काम करना बंद कर देता है। बरसात के दिनों में पानी कई दिनों तक सडक़ों व गलियों में भरा कई बीमारियों को जन्म देता है। बरसात के बाद शहर में मलेरिया, डायरिया व आंख संबंधी बीमारियों की भरमार हर साल देखने को मिलती है। मामले में सेहत विभाग के अधिकारी भी उस समय जागते हैं जब पानी सिर से ऊपर चढऩे लगता है। राज्य सरकार सभी जिला प्रशासन को बरसात से पहले पानी की निकासी व बरसात के बाद होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश जारी करती है, लेकिन इसके लिए समुचित फंड उपलब्ध नहीं होने से उक्त आदेश लागू न होकर फाइलों का श्रृंगार बनकर रह जाते हैं।इस संबंध में डिप्टी कमिश्नर गुरुकृत कृपाल सिंह का कहना है कि जिला प्रशासन मानसून के मद्देनजर हर क्षेत्र का सर्वे कर रहा है वही जिले भर में सेंटर बनाकर अधिकारियों की जिम्मेवारी तय कर दी गई है। जिन स्थानों में सीवरेज संबंधी समस्या आ रही है वहां जल्द ही नगर निगम तथा सीवरेज विभाग को समुचित कार्रवाई करने के लिए कहा जाएगा।

नगर पालिका की अध्यक्षता को लेकर शीतयुद्ध

अविश्वास प्रस्ताव को लेकर होगी 30 को बैठक
बठिंडा कुलवंत हैप्पी, निकटवर्ती मंडी मौड़ नगर पालिका या ट्रक यूनियन के अध्यक्षों के चुनाव के वक्त होने वाले विवाद व तनातनी को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहती है। मंडी में अब भी नगर पालिका अध्यक्ष विरुद्ध अविश्वास मत पारित करने को लेकर अंदरूनी तौर पर शीतयुद्ध जारी है। इतना हीं नहीं, मंडी में कमेटी की अध्यक्षता कायम रखना और हासिल करना दोनों गुटों के लिए प्रतिष्ठित का सवाल बन चुका है। ऐसे में अपनी अपनी प्रतिष्ठित बचाने के लिए दोनों गुट कोई भी पैंतरा अपनाने से गुरेज नहीं करेंगे।

गौर तलब है कि आगामी 30 जून को नगर पालिका अध्यक्ष कुलदीप सिंह सिद्धू के विरुद्ध अविश्वास पैदा करने के लिए एक बैठक बुलाई गई है। सूत्र बताते हैं कि इस बैठक के दौरान 15 में से 12 पार्षद मौजूदा अध्यक्ष के विरुद्ध अपना मत देकर कमेटी भंग करने की घोषणा करेंगे। उधर, इस पद को बचाने के लिए मौजूदा अध्यक्ष के साथ पूर्व अध्यक्ष अपना पूरा जोर लगा रहा है, लेकिन विरोधी खेमे के पास प्रर्याप्त 12 पार्षद मौजूद हैं, दस तो पहले से ही अध्यक्ष के विरोध में थे, लेकिन दो पार्षद और कुछ महीने पहले ही विरोधी खेमे में आ मिले, जिसके कारण मौजूदा अध्यक्ष को अपना पद बचाना मुश्किल हो सकता है। 

इधर, मौजूदा प्रमुख के विरोधी खेमे को डर है कि कहीं मौजूदा अध्यक्ष अपनी राजनीतिक पहुंच का फायदा उठाकर उनके पार्षदों को नजरबंद न करवा दे, ऐसे में अब विरोधी खेमे ने अपने पार्षदों को चौकस कर दिया है कि वो सावधानी के साथ शहर आए जाए, और अकेले तो बिल्कुल न निकले। सूत्रों ने बताया कि इससे पहले यह बैठक अप्रैल में होने वाली थी, लेकिन अध्यक्ष ने किसी कारणवश इसको रद्द कर दिया, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया, जो अभी मामला विचार अधीन है।

साफ सफाई का बुरा हाल : मौड़ मंडी की कोई भी गली ऐसी नहीं, जो कचरे व गढ्डों से मुक्त हो। जहां मंडी की हर गली में पड़े बड़े बड़े गढ़्डे हादसों को दावत दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गलियों किनारे नालियों में और उसके आस पास फैली गंदी बीमारियों को न्यौता दे रही है। नगर पालिका की अनदेखी के कारण पूरी मंडी गंदी का कुंड बनकर रह गई है, कोई भी गली ऐसी नहीं जहां से कोई राहगीर नाक पर रुमाल रखे बगैर तीन चार बार गुजर जाए। शहर में साफ सफाई का बुरा हाल बताता है कि किस तरह नगर पालिका के उच्चाधिकारी अपने पद को बचाने के लिए लगे हुए हैं, और उनको मंडी की जरा भी फिकर नहीं। मानसून सिर पर आ चुका है, ऐसे में गलियों में पड़े गढ़्डे और फैली गंदगी हादसों व बीमारियों को जन्म देगी।

पूरी मनोरंजक फिल्म है मेल करादे रब्ब : शेरगिल

बठिंडा : स्थानीय बिग सिनेमा में आज काफी भीड़ लगी हुई थी, और मौका था जल्द रिलीज होने वाली फिल्म मेल करादे रब्ब के प्रचार समारोह का। इस समारोह में अभिनेता जिम्मी शेरगिल, पंजाबी अभिनेत्री नीरू बावजा व गायक गिप्पी गरेवाल के समेत पूरी फिल्म टीम थी, जिसको देखने के लिए युवकों में काफी उत्साह देखा गया।

इस मौके पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए फिल्म अभिनेता जिम्मी शेरगिल ने कहा कि फिल्म पूरी तरह मनोरंजक है और युवाओं विशेष ध्यान में रखकर बनाई गई है। एक और सवाल का जवाब देते हुए श्री शेरगिल ने कहा कि फिल्म हिन्दी की किसी भी फिल्म से प्रेरित नहीं, बाकी फैसला फिल्म को देखकर किया जा सकता है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वो अपने वायदे के अनुसार हर साल पंजाबी फिल्म प्रेमियों की झोली में फिल्में डालते रहेंगे।

जिम्मी शेरगिल के साथ अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत करने जा रहे पंजाबी गायक गिप्पी गरेवाल ने कहा कि अगर उनकी उक्त पहली फिल्म हिट हो गई तो वो जल्द ही किसी सोलो हीरो फिल्म में नजर आएंगे। गिप्पी को उम्मीद है कि उक्त फिल्म में भले ही उनका रोल बहुत छोटा है, लेकिन उसके प्रसंशकों को संतुष्ट करेगा।

प्रेस कांफ्रेस में मौजूद फिल्म अभिनेती नीरू बावजा ने कहा कि इस फिल्म में उनका किरदार आज की जागरूक लड़की है, जो अपने फैसले खुद करती है, और उनका किरदार दर्शकों को फिल्म के साथ जोड़ने में अहम भूमिका अदा करेगा।

हिन्दी फिल्म जगत की प्रसिद्ध हस्ती विक्रम भट्ट के लिए कई फिल्में लिख चुके फिल्म के लेखक धीरज रत्न ने प्रेस कांफ्रेस के अतिरिक्त बताया कि फिल्म की कहानी आज के समाज को ध्यान में रखकर लिखी गई है, और हर किरदार के साथ पूरा पूरा न्याय किया गया है।

इस मौके पर फिल्म निर्देशक नवनीत सिंह ने भरोसा दिलाया कि उक्त फिल्म दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतरेगी, फिल्म को फिट बैठी जगहों पर ही शूट किया गया है, और हर कलाकार को पहले ही ध्यान में रखकर फिल्म लिखी गई है।

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शनिवार, 26 जून 2010

मारपीट मामले में दो पर पर्चा

बठिंडा। बालियांवाली पुलिस ने गांव झंडूके के सरपंच के भाई के साथ मारपीट करने के आरोप में गांव भुच्चो खुर्द के रहने वाले दो लोगों पर मामला दर्ज किया है। पुलिस ने घायल सरपंच के भाई के बयान के आधार पर दोनों आरोपियों व्यक्तियों पर आईपीसी की धारा 452, 324, 323 के तहत केस दायर कर जांच शुरू कर दी है। जानकारी अनुसार पुलिस के पास दर्ज करवाई शिकायत में इकाबल सिंह पुत्र अर्जन सिंह ने बताया कि विगत दिवस को आरोपी जसविंद्र सिंह पुत्र सुखदेव सिंह तथा काका सिंह उसके घर में दाखिल हुए और मारपीट कर मौके पर फरार हो गए। ईकाबल सिंह ने बताया कि उसका भाई बलदेव सिंह गांव झंडूके का सरपंच है। वह सरकारी ग्रांट से गांव में स्थित गंदे पानी के छप्पड़ की सफाई करवा रहा था। लेकिन उक्त आरोपी इस बात का बुरा मानते थे। इसी बात को लेकर उक्त आरोपियों ने उसे पर हमला कर घायल कर दिया हैं। पुलिस ने घायल सरपंच के भाई के बयान के आधार पर दोनों आरोपियों पर मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

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